मां पीतांबरा-श्री बगलामुखी महामाई के अवतरण दिवस 28-29 अप्रैल 2023 पर अखंड यज्ञ (12 घण्टे) का आयोजन: देहरादून मे पहली बार- Yr Invitation Card
देहरादून में प्रथम बार विराजी मां पीतांबरा श्री बगलामुखी शक्ति पीठ मंदिर में महा माई के धाम ज्वाला जी कांगड़ा से आई अखंड ज्योति प्रथम बार विराजमान # देहरादून में प्रथम बार मां पीतांबरा बगलामुखी का अखंड यज्ञ 12 घंटे #बगलामुखी जयंती, बगलामुखी माता के अवतार दिवस के रूप में मनाया जाता हैं। जिन्हें माता पीताम्बरा या ब्रह्मास्त्र विद्या भी कहा जाता है। माना जाता है कि बगलामुखी जयंती वह दिन है जब देवी बगलामुखी धरती पर प्रकट हुई थीं। यह वैशाख माह में शुक्ल अष्टमी या आठवें दिन मनाया जाता है। “ॐ ह्रीं बगलामुखी सर्वदुष्टानांवाचं मुखं पदं स्तंभय जिह्वां कीलयबुद्धि विनाशय ह्रीं ॐ स्वाहा।” # देवी बगलामुखी को पीताम्बरी देवी के नाम से भी जाना जाता है।
बागलामुखी (पीताम्बरा पीठ) को समर्पित सबसे महत्वपूर्ण मंदिर मध्य प्रदेश के दतिया में स्थित है।
वैशाख शुक्ल अष्टमी को देवी बगलामुखी का अवतरण दिवस कहा जाता है जिस कारण इसे मां बगलामुखी जयंती के रूप में मनाया जाता है. इस वर्ष 2023 में यह जयन्ती 28 अप्रैल, को मनाई जाएगी. इस दिन व्रत एवं पूजा उपासना कि जाती है साधक को माता बगलामुखी की निमित्त पूजा अर्चना एवं व्रत करना चाहिए. बगलामुखी जयंती पर्व देश भर में हर्षोउल्लास व धूमधाम के साथ मनाया जाता है. इस अवसर पर जगह-जगह अनुष्ठान के साथ भजन संध्या एवं विश्व कल्याणार्थ महायज्ञ का आयोजन किया जाता है तथा महोत्सव के दिन शत्रु नाशिनी बगलामुखी माता का विशेष पूजन किया जाता है और रातभर भगवती जागरण होता है.
बगलामुखी देवी रत्नजडित सिहासन पर विराजती होती हैं रत्नमय रथ पर आरूढ़ हो शत्रुओं का नाश करती हैं. देवी के भक्त को तीनो लोकों में कोई नहीं हरा पाता, वह जीवन के हर क्षेत्र में सफलता पाता है पीले फूल और नारियल चढाने से देवी प्रसन्न होतीं हैं. देवी को पीली हल्दी के ढेर पर दीप-दान करें, देवी की मूर्ति पर पीला वस्त्र चढाने से बड़ी से बड़ी बाधा भी नष्ट होती है, बगलामुखी देवी के मन्त्रों से दुखों का नाश होता है.
28 अप्रैल 2023 ; महामाई के अवतरण दिवस पर अखंड यज्ञ (12 घण्टे) का आयोजन# देहरादून मे पहली बार: श्री विनोद चमोली विधायक ने दी अग्रिम शुभकामनाएं# देश भर के विद्वान साधको द्वारा शुभकामनाएं # देश के राष्टीय वैदिक तंत्र गुरु आचार्य शैलेश तिवारी जी ने शुभकामनाएं भेजी#मां पीतांबरा श्री बगलामुखी महा माई के अवतरण “दिवस 28 अप्रैल को भव्य रूप से पूजन हवन द्वारा मनाया जाएगा# इस अवसर पर अखण्ड यज्ञ का आयोजन विद्वान पंडितो द्वारा विशाल यज्ञ वेदी मे कराया जायेगा# सभी जजमानो द्वारा ज्यादा से ज्यादा आहुति अर्पित कर पुण्य लाभ अर्जित किया जायेगा, @ अखण्ड यज्ञ: (12 घण्टे) 28 April को देहरादून मे पहली बार: यज्ञ अनुष्ठान मे शामिल वाला परिवार ज्यादा आहुति अर्पित कर पुण्य लाभ अर्जित किया जायेगा
शुभ सूचना:
प्रथम बार मां पीतांबरा श्री बगलामुखी शक्ति पीठ मे प्राण प्रतिष्ठा
# देहरादून में प्रथम बार विराजी मां पीतांबरा श्री बगलामुखी शक्ति पीठ मंदिर में महा माई के धाम ज्वाला जी कांगड़ा से आई अखंड ज्योति विराजमान # देहरादून में प्रथम बार मां पीतांबरा बगलामुखी का अखंड यज्ञ 12 घंटे
———————— मां पीतांबरा श्री बगलामुखी शक्तिपीठ मंदिर बंजारावाला देहरादून में होने जा रहे दिनाँक 28 और 29 अप्रैल के अखंड यज्ञ के लिए श्री उनियाल परिवार की तरफ से 5 किलो देसी घी तथा अनेक भक्त जनो की और से यज्ञ सामग्री देने का प्रस्ताव मुझे प्राप्त & यह हवन नही पीतांबरा महा माई का अखण्ड यज्ञ है, जिसकी यज्ञ सामग्री विशेष होती है
स्थान राणा कॉलोनी कुंज विहार नंदा देवी इंक्लैव बंजारावाला देहरादून मे 28 April को प्रात: मंदिर की साफ सफाई के उपरांत परिसर मे दरी आदि बिछा दी जायेगी, जिससे महिलाओ द्वारा सुबह से, तथा दोपहर मे आदि कीर्तन होगा, तथा सांय को पूजन के बाद यज्ञ शुरू होगा,
\By Chandra Shekhar Joshi Chief Editor www.himalayauk.org (Leading Web & Print Media) Publish at Dehradun & Haridwar. Mail; himalayauk@gmail.com Mob. 9412932030
बगुलामुखी साधक आचार्य श्री देव उनियाल जी के नेतृत्व में 6 विद्वान पंडितों द्वारा अखंड हवन का आयोजन होगा, यह अखण्ड यज्ञ 12 घण्टे अनवरत जारी रहेगा, जो दिनाँक 28 April सांय से शुरू होकर दिनाँक 29 April 2023 को प्रात: पूर्ण होगा, पूर्णाहुति के बाद दिनाँक 29 April को दोपहर 11:00 बजे से भंडारा शुरू होगा,
इसके लिए व्यापक तैयारिया शुरू हो गई है और महा माई के देश भर के साधक आमंत्रित किये गए है, जिनका आशीर्वाद भी भक्तो को मिलेगा, देहरादून मे होने जा रहे इस अखण्ड यज्ञ को लेकर भक्तो मे विशेष उत्साह है,
भगत सिंह राणा, अजय सैनी, अनुज अग्रवाल, नरेंद्र सोटियाल, लक्ष्मण सिंह राणा, पूरन राणा सुमित राणा ने बताया कि यज्ञ की तैयारिया शुरू कर दी गई है,
माँ बगलामुखी स्तंभन शक्ति की अधिष्ठात्री हैं अर्थात यह अपने भक्तों के भय को दूर करके शत्रुओं और उनके बुरी शक्तियों का नाश करती हैं. माँ बगलामुखी का एक नाम पीताम्बरा भी है इन्हें पीला रंग अति प्रिय है इसलिए इनके पूजन में पीले रंग की सामग्री का उपयोग सबसे ज्यादा होता है. देवी बगलामुखी का रंग स्वर्ण के समान पीला होता है अत: साधक को माता बगलामुखी की आराधना करते समय पीले वस्त्र ही धारण करना चाहिए. देवी बगलामुखी दसमहाविद्या में आठवीं महाविद्या हैं यह स्तम्भन की देवी हैं. संपूर्ण ब्रह्माण्ड की शक्ति का समावेश हैं माता बगलामुखी शत्रुनाश, वाकसिद्धि, वाद विवाद में विजय के लिए इनकी उपासना की जाती है. इनकी उपासना से शत्रुओं का नाश होता है तथा भक्त का जीवन हर प्रकार की बाधा से मुक्त हो जाता है. बगला शब्द संस्कृत भाषा के वल्गा का अपभ्रंश है, जिसका अर्थ होता है दुलहन है अत: मां के अलौकिक सौंदर्य और स्तंभन शक्ति के कारण ही इन्हें यह नाम प्राप्त है.
वहीं दूसरी ओर चंदशेखर जोशी मुख्य सेवक – कुमाऊं के दौरे और उसके ऊपर उपरांत नई दिल्ली प्रस्थान – , जहा देश भर के महा माई के साधको को देहरादून मे होने जा रहे अखण्ड यज्ञ मे आमंत्रित करेंगे
आध्यात्मिकता ही मानव जाति की प्रमुख संरक्षक रही है और उसका ह्रास होने के साथ ही समाज में भीषण अंतर्विरोध, हिंसा तथा स्वार्थ का ताण्डव उपस्थित हो जाता है | आज का जन जीवन अगर दुखी है तो उसका मूल कारण आध्यात्मिकता का ह्रास होना है | आज भी आध्यात्मिक शक्ति के ज्वलंत प्रतीक संत मौजूद हैं; वो समय आने पर निमित मात्र बनाते है: हवन, यज्ञ का छोटा रूप है। किसी भी पूजा अथवा जप आदि के बाद अग्नि में दी जाने वाली आहुति की प्रक्रिया हवन के रूप में प्रचलित है।
यज्ञ का दूसरा नाम अग्नि पूजा है। यज्ञ से देवताओं को प्रसन्न किया जा सकता है साथ ही मनचाहा फल भी प्राप्त किया जा सकता है। धर्म ग्रंथों में अग्नि को ईश्वर का मुख माना गया है। इसमें जो कुछ खिलाया (आहूति) जाता है, वास्तव में ब्रह्मभोज है। यज्ञ के मुख में आहूति डालना, परमात्मा को भोजन कराना है।
यज्ञ के बारे में भगवान श्रीकृष्ण अर्जुन से कहते हैं- जब प्राणी कर्म करने पर विवश होता है, तब उसे ऐसा कर्म करना चाहिए जैसे कोई यज्ञ कर रहा हो. इस पर अर्जुन श्रीकृष्ण से पूछते हैं प्रभु यज्ञ क्या है? तब श्रीकृष्ण अर्जुन से कहते हैं, पार्थ यज्ञ लोक कल्याण के लिए और भगवान की आराधना के लिए भी किया जाता है. हमारा जीवन भी एक यज्ञ के समान है, जिसमें सांसों की आहुति पड़ती है
धर्म ग्रंथों के अनुसार, यज्ञ की रचना सबसे पहले परमपिता ब्रह्माजी ने की थी. यह किसी पूजा का सबसे महत्वपूर्ण अनुष्ठान होता है,जिसे गुरु या संत द्वारा अग्नि के चारों और मंत्रों का जाप करते हुए किया जाता है. यज्ञ के लिए प्रज्वलित की जानी वाली अग्नि को यज्ञाग्नि कहा जाता है. यज्ञ को सामान्यता कर्मकांड की विधि कहा जाता है. आमतौर पर यज्ञ, मनोकामना पूर्ति, अनिष्ट को टालने, उर्वरता, वर्षा और विजय प्राप्ति, कल्याण के लिए कराए जाते हैं
यज्ञ में देवता, आहुति, वेद मंत्र, ऋत्विक और दक्षिणा काम का होना बहुत ज़रूरी होता है। जबकि हवन कुंड में अग्नि के माध्यम से देवता को हवि (भोजन) पहुंचाने की प्रक्रिया अति आवश्यक माना जाती है।
हवन यज्ञ का ही छोटा रूप है, जिसमें मंत्रोच्चारण के साथ अग्नि में आहुति दी जाती है. हिंदू धर्म में हवन को शुद्धिकरण का एक कर्मकांड कहा जाता है
हवन की प्रक्रिया के माध्यम से हम अपने पूरे अस्तित्व को संवारना सीखते हैं, इसे अपने अस्तित्व के स्रोत को अर्पित करते हैं, और इसके प्रति समर्पण करते हैं। यही परम प्रार्थना है। जब इस तरह के शुद्ध, सार्वभौमिक विचार वाला व्यक्ति सच्चा ज्ञान प्राप्त करता है तो वह ‘यज्ञ’ का अनुष्ठान करने के योग्य हो जाता है।
यज्ञ या हवन सिर्फ धार्मिक अनुष्ठान नहीं हैं, इनके पीछे ऊर्जा और पर्यावरण विज्ञान भी कारण हैं
क्या अंतर होता है यज्ञ और हवन में?
वेदों से लेकर पूजन पद्धतियों तक में हर जगह यज्ञ और हवन का महत्व बताया गया है। यज्ञ सनातन संस्कृति का हिस्सा माना गया है। लेकिन, ये सिर्फ कोई धार्मिक काम नहीं है, यज्ञ एक महत्वपूर्ण विज्ञान है। इसमें जिन पेड़ों की लकड़ियों की समिधाएं उपयोग में लाई जाती हैं, उनमें विशेष प्रकार के गुण होते हैं। किस प्रयोग के लिए किस प्रकार की सामग्री डाली जाती है, इसका भी विज्ञान है। उन वस्तुओं के सम्मिश्रण से एक विशेष गुण तैयार होता है, जो जलने पर वायुमंडल में विशिष्ट प्रभाव पैदा करता है। वेद मंत्रों के उच्चारण की शक्ति से उस प्रभाव में और अधिक वृद्धि होती है।
जो व्यक्ति उस यज्ञ में शामिल होते हैं, उन पर तथा निकटवर्ती वायुमंडल पर उसका बड़ा प्रभाव पड़ता है। वैज्ञानिक अभी तक कृत्रिम वर्षा कराने में सफल नहीं हुए हैं, किंतु यज्ञ द्वारा वर्षा के प्रयोग बहुधा सफल होते हैं। व्यापक सुख-समृद्धि, वर्षा, आरोग्य, शांति के लिए बड़े यज्ञों की आवश्यकता पड़ती है, लेकिन छोटे हवन भी अपनी सीमा और मर्यादा के भीतर हमें लाभान्वित करते हैं। यज्ञ में औषधि वाले पेड़ जैसे आम की लकड़ी, जौ, तिल, गाय के दूध से बना घी और करीब 55 तरह की अलग-अलग औषधि व लकड़ियों से हवन की परंपरा है। ये औषधियां वातावरण में सकारात्मक ऊर्जा का निर्माण करती हैं, साथ ही कई तरह के बीमारी फैलाने वाले बैक्टिरिया को खत्म करते हैं। प्रकृति के लिए भी ये काफी सहायक हैं। प्रकृति को संतुलित करते हैं, वातावरण को दूषित होने से बचाते हैं।
बगलामुखी कथा
देवी बगलामुखी जी के संदर्भ में एक कथा बहुत प्रचलित है जिसके अनुसार एक बार सतयुग में महाविनाश उत्पन्न करने वाला ब्रह्मांडीय तूफान उत्पन्न हुआ, जिससे संपूर्ण विश्व नष्ट होने लगा इससे चारों ओर हाहाकार मच जाता है और अनेकों लोक संकट में पड़ गए और संसार की रक्षा करना असंभव हो गया. यह तूफान सब कुछ नष्ट भ्रष्ट करता हुआ आगे बढ़ता जा रहा था, जिसे देख कर भगवान विष्णु जी चिंतित हो गए. इस समस्या का कोई हल न पा कर वह भगवान शिव को स्मरण करने लगे तब भगवान शिव उनसे कहते हैं कि शक्ति के अतिरिक्त अन्य कोई इस विनाश को रोक नहीं सकता अत: आप उनकी शरण में जाएँ, तब भगवान विष्णु ने हरिद्रा सरोवर के निकट पहुँच कर कठोर तप करते हैं. भगवान विष्णु ने तप करके महात्रिपुरसुंदरी को प्रसन्न किया देवी शक्ति उनकी साधना से प्रसन्न हुई और सौराष्ट्र क्षेत्र की हरिद्रा झील में जलक्रीडा करती महापीत देवी के हृदय से दिव्य तेज उत्पन्न हुआ. उस समय चतुर्दशी की रात्रि को देवी बगलामुखी के रूप में प्रकट हुई, त्र्येलोक्य स्तम्भिनी महाविद्या भगवती बगलामुखी नें प्रसन्न हो कर विष्णु जी को इच्छित वर दिया और तब सृष्टि का विनाश रूक सका. देवी बगलामुखी को बीर रति भी कहा जाता है क्योंकि देवी स्वम ब्रह्मास्त्र रूपिणी हैं, इनके शिव को एकवक्त्र महारुद्र कहा जाता है इसी लिए देवी सिद्ध विद्या हैं. तांत्रिक इन्हें स्तंभन की देवी मानते हैं, गृहस्थों के लिए देवी समस्त प्रकार के संशयों का शमन करने वाली हैं.
देहरादून मे पहली बार मां पीतांबरा श्री बगलामुखी के अवतरण दिवस पर अखंड जोत के समक्ष अखंड यज्ञ: सहयोग के
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By Chandra Shekhar Joshi
Mob 9412932030 बगलामुखी चालीसा
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