महाप्रभु का महा रहस्य- पुजारी की आँखों मे पट्टी बंधी होती है- रहस्य ऐसे है कि आज तक कोई न जान पाया
भगवान् कृष्ण ने जब देह छोड़ी तो उनका अंतिम संस्कार किया गया, उनका सारा शरीर तो पांच तत्त्व में मिल गया, लेकिन उनका हृदय बिलकुल सामान्य एक जिन्दा आदमी की तरह धड़क रहा था और वो बिलकुल सुरक्षित था , उनका हृदय आज तक सुरक्षित है, जो भगवान् जगन्नाथ की काठ की मूर्ति के अंदर रहता है और उसी तरह धड़कता है, ये बात बहुत कम लोगो को पता है!
By Chandra Shekhar Joshi Chief Editor www.himalayauk.org (Leading Newsportal & Daily Newspaper) Publish at Dehradun & Haridwar. Mail; himalayauk@gmail.com Mob. 9412932030 — कलयुग तारक मन्त्र- राधे राधे
महाप्रभु जगन्नाथ(श्री कृष्ण) को कलियुग का भगवान भी कहते है…. पुरी (उड़ीसा) में जग्गनाथ स्वामी अपनी बहन सुभद्रा और भाई बलराम के साथ निवास करते है, मगर रहस्य ऐसे है कि आजतक कोई न जान पाया…!
हर 12 साल में महाप्रभु की मूर्ती को बदला जाता है,उस समय पूरे पुरी शहर में ब्लैकआउट किया जाता है, यानी पूरे शहर की लाइट बंद की जाती है,लाइट बंद होने के बाद मंदिर परिसर को crpf की सेना चारो तरफ से घेर लेती है,उस समय कोई भी मंदिर में नही जा सकता…!
मंदिर के अंदर घना अंधेरा रहता है…पुजारी की आँखों मे पट्टी बंधी होती है…पुजारी के हाथ मे दस्ताने होते है..वो पुरानी मूर्ती से “ब्रह्म पदार्थ” निकालता है और नई मूर्ती में डाल देता है…ये ब्रह्म पदार्थ क्या है आजतक किसी को नही पता…इसे आजतक किसी ने नही देखा. ..हज़ारो सालो से ये एक मूर्ती से दूसरी मूर्ती में ट्रांसफर किया जा रहा है….!
ये एक अलौकिक पदार्थ है जिसको छूने मात्र से किसी इंसान के जिस्म के चिथड़े उड़ जाए… इस ब्रह्म पदार्थ का संबंध भगवान श्री कृष्ण से है…मगर ये क्या है ,कोई नही जानता,भगवान जगन्नाथ और अन्य प्रतिमाएं उसी साल बदली जाती हैं, जब साल में आसाढ़ के दो महीने आते हैं। 19 साल बाद यह अवसर आया है,वैसे कभी-कभी 14 साल में भी ऐसा होता है, इस मौके को नव-कलेवर कहते हैं….!
मगर आजतक कोई भी पुजारी ये नही बता पाया की महाप्रभु जगन्नाथ की मूर्ती में आखिर ऐसा क्या है ???
कुछ पुजारियों का कहना है कि जब हमने उसे हाथ में लिया तो खरगोश जैसा उछल रहा था…आंखों में पट्टी थी…हाथ मे दस्ताने थे तो हम सिर्फ महसूस कर पाए…!
आज भी हर साल जगन्नाथ यात्रा के उपलक्ष्य में सोने की झाड़ू से पुरी के राजा खुद झाड़ू लगाने आते है…!
भगवान जगन्नाथ मंदिर के सिंहद्वार से पहला कदम अंदर रखते ही समुद्र की लहरों की आवाज अंदर सुनाई नहीं देती, जबकि आश्चर्य में डाल देने वाली बात यह है कि जैसे ही आप मंदिर से एक कदम बाहर रखेंगे, वैसे ही समुद्र की आवाज सुनाई देंगी…!
आपने ज्यादातर मंदिरों के शिखर पर पक्षी बैठे-उड़ते देखे होंगे, लेकिन जगन्नाथ मंदिर के ऊपर से कोई पक्षी नहीं गुजरता,झंडा हमेशा हवा की उल्टी दिशामे लहराता है, दिन में किसी भी समय भगवान जगन्नाथ मंदिर के मुख्य शिखर की परछाई नहीं बनती!
इसी तरह भगवान जगन्नाथ मंदिर के शिखर पर एक सुदर्शन चक्र भी है, जो हर दिशा से देखने पर आपके मुंह आपकी तरफ दीखता है!
भगवान जगन्नाथ मंदिर की रसोई में प्रसाद पकाने के लिए मिट्टी के 7 बर्तन एक-दूसरे के ऊपर रखे जाते हैं, जिसे लकड़ी की आग से ही पकाया जाता है, इस दौरान सबसे ऊपर रखे बर्तन का पकवान पहले पकता है।
भगवान जगन्नाथ मंदिर में हर दिन बनने वाला प्रसाद भक्तों के लिए कभी कम नहीं पड़ता, लेकिन हैरान करने वाली बात ये है कि जैसे ही मंदिर के पट बंद होते हैं वैसे ही प्रसाद भी खत्म हो जाता है