महाशिवरात्रि;  8 मार्च, 2024 को रात्रि 09 बजकर 57 से; शिव और शक्ति का मिलन-वृश्चिक राशि शिवलिंग पर लाल चंदन का त्रिपुंड लगा  ‘ऊं नागेश्वराय नम:’ मंत्र का जाप करें

शिव और शक्ति के मिलन का दिन #भगवान के शिवलिंग रूप के दर्शन  # महाशिवरात्रि तिथि में ही सभी ज्योतिर्लिंग का प्रादुर्भाव हुआ था #महाशिवरात्रि की रात ही भगवान शिव करोड़ों सूर्यों के समान प्रभाव वाले ज्योतिर्लिंग के रूप में प्रकट हुए थे #महाशिवरात्रि हिंदू पंचांग के अनुसार, फाल्गुन महीने के कृष्ण पक्ष चतुर्दशी तिथि यानी 8 मार्च, 2024 को रात्रि 09 बजकर 57 से शुरू होगी। साथ ही इस तिथि का समापन अगले दिन 09 मार्च, 2024 को शाम 06 बजकर 17 मिनट पर होगा # महाशिवरात्रि पर एक नहीं 4 शुभ संयोग बनने जा रहे हैं, जिसकी वजह से इसका महत्व और भी बढ़ गया है #  देवों के देव महादेव और जगत जननी आदिशक्ति मां पार्वती #मान्यता है महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव का माता पार्वती से विवाह हुआ था. इसीलिए इस दिन को महाशिवरात्रि के रूप में मनाया जाता है. इस दिन भोलेनाथ ने वैराग्य जीवन को त्याग कर गृहस्थ जीवन अपनाया था. # महाशिवरात्रि के दिन पूजा का समय संध्याकाल 06 बजकर 25 मिनट से 09 बजकर 28 मिनट तक है। इस समय भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करें # जलाभिषेक, बिल्वपत्रों को चढ़ाने और रात्रि भर इनका जागरण करने मात्र से मेहरबान हो जाते हैं # भस्म का त्रिपुण्ड तिलक और गले में रुद्राक्ष की माला धारण कर शिवालय में जाना चाहिए : बिल के पत्तों और अक्षत (चावल के दानों) से भगवान शिव का ध्यान करें # संतान सुख के लिए घतूरे से शिव का पूजन करें : शाम को स्नान करने के बाद साफ सुथरे वस्त्र पहन लें। इसके बाद रात को बेलपत्र पर ऊं नम: शिवाय लिखकर 108 पत्ते शिवलिंग पर अर्पित करें। साथ ही भोलेनाथ का श्रंगृार करें और मन में जो मनोकामना है वो भगवान शिव से मांग लें।

जागेश्वरधाम भगवान शिव का मंदिर ज्योतिर्लिंगों में से एक माना जाता है। यह मंदिर लगभग 2500 वर्ष पुराना;;  ये पहला शिव मंदिर है, जहां से लिंग के रूप में देवों के देव महादेव की सबसे पहले पूजा की परंपरा शुरू हुई थी चन्‍द्रशेखर जोशी मुख्‍य सम्‍पादक तथा संस्‍थापक अध्‍यक्ष बगुलामुखी पीठ देहरादून मोबा 9412932030

24 मार्च को होलिका दहन है। इस दिन होलिका दहन के लिए शुभ मुहूर्त देर रात 11 बजकर 13 मिनट से लेकर 12 बजकर 27 मिनट तक है। # 25 मार्च को होली

Logon www.himalayauk.org (Leading Newsportal & Daily Newspaper & youtube Channel) चन्‍द्रशेखर जोशी की विशेष रिपोर्ट मो0 9412932030 ॐ ह्रीं बगलामुखी सर्वदुष्टानांवाचं मुखं पदं स्तंभाय जिह्वां कीलयबुद्धि विनाशाय   ह्रीं ॐ स्वाहा। चन्‍द्रशेखर जोशी संस्‍थापक अध्‍यक्ष – मा पीताम्‍बरा श्री बगुलामुखी- स्‍थान बंजारावाला देहरादून मोबा0 9412932030

इस शुभ दिन पर भोलेनाथ की पूजा का विधान है, जो जातक इस दिन का उपवास रखते हैं और भगवान भोलेनाथ के साथ माता पार्वती की पूजा करते हैं उनका वैवाहिक जीवन सुखी रहता है। फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को भगवान शिव एवं मां पार्वती परिणय सूत्र में बंधे थे। अतः हर वर्ष फाल्गुन माह की चतुर्दर्शी तिथि पर मासिक शिवरात्रि मनाई जाती है। इस व्रत के पुण्य-प्रताप से विवाहितों को सुख और सौभाग्य की प्राप्ति होती है। वहीं अविवाहितों की शीघ्र शादी के योग बनने लगते हैं।

भगवान शिव की पूजा करें, उनकी कथा सुनें, गीत गाएं, मंत्र जाप करें और ध्यान करें शिव मंदिरों के दर्शन करने से पुण्य मिलता है. गरीबों और जरूरतमंदों को प्रसाद, भोजन, वस्त्र और अन्य सामान दान करें.

4 शुभ योग –8 मार्च, 2024 को रात्रि 09 बजकर 57 से

फाल्गुन महीने के कृष्ण पक्ष चतुर्दशी तिथि यानी 8 मार्च, 2024 को रात्रि 09 बजकर 57 से शुरू होगी। साथ ही इस तिथि का समापन अगले दिन 09 मार्च, 2024 को शाम 06 बजकर 17 मिनट पर होगा। 4 शुभ योग- महाशिवरात्रि पूजा मुहूर्त – रात्रि 12:07 बजे से 12:56 बजे तक # सर्वार्थ सिद्धि योग – सुबह 06:38 से 10:41 तक # शिव योग – 9 मार्च को सूर्योदय रात्रि 12:46 बजे तक # सिद्ध योग – 9 मार्च को रात्रि 12:46 बजे से 08:32 बजे तक # श्रवण नक्षत्र- सुबह 10:41 तक।

 मान्यता है कि सर्वार्थ सिद्धि योग के दौरान किए गए सभी कार्य सफल होते हैं। खासकर, जब महाशिवरात्रि इस शुभ समय के भीतर आती है। शिव योग में ध्यान करना और मंत्र जाप करना अच्छा  माना जाता है। इस शुभ समय भोलेनाथ की पूजा करने से जीवन में सुख-समृद्धि आती है। साथ ही घर में मांगलिक कार्य के योग बनते हैं। सिद्ध योग विघ्नहर्ता भगवान गणेश से जुड़ा हुआ है। ऐसा माना जाता है कि यह आपके सभी कार्यों में सफलता प्रदान करता है। साथ ही घर में बरकत लाता है। श्रवण नक्षत्र के स्वामी शनि देव हैं और यह अपनी शुभता के लिए जाना जाता है। श्रवण नक्षत्र में जो भी कार्य किए जाते हैं उसका फल शुभ ही होता है। इस नक्षत्र में जन्म लेने वाले जातक धनवान, प्रसिद्ध और सुखी होते हैं।

महाशिवरात्रि के दिन चतुर्दशी तिथि मार्च 08 मार्च, 2024 को 21:57 बजे शुरु हो जाएगी जो 09 मार्च, 2024 को शाम 6.17 मिनट पर समाप्त होगी. इस दिन चार प्रहर में पूजा की जाती है.

शिवरात्रि पूजा रात्रि के समय एक बार या चार बार की जा सकती है. रात्रि के चार प्रहर होते हैं, और हर प्रहर में शिव पूजा कर सकते हैं.अगले दिन आप स्नानादि के बाद अपने व्रत का पारण कर सकते हैं.

भगवान शिव को भांग, धतूरा, फल, फूल, मदार के पत्ते, बेल पत्र, नैवेद्य आदि चीजें अर्पित करें। इस समय शिव चालीसा और शिव स्त्रोत का पाठ, शिव तांडव और शिव मंत्रो का जाप करें। पूजा के अंत में आरती कर सुख-समृद्धि शांति एवं धन वृद्धि की कामना करें। दिन भर उपवास रखें और संध्याकाल में प्रदोष काल के दौरान पुनः स्नान-ध्यान कर भगवान शिव की पूजा-उपासना करें। आरती कर फलाहार करें।  ब्राह्मणों को दान-दक्षिणा दें।

हिंदु शास्त्रों के अनुसार भगवान शिव मनुष्य के सभी कष्टों एवं पापों को हरने वाले हैं। सांसरिक कष्टों से एकमात्र भगवान शिव ही मुक्ति दिला सकते हैं।  शिवलिंग को माता-पिता के स्वरूप मानकर उसकी सदैव पूजा करनी चाहिए। भगवान शिव प्रत्येक मनुष्य के अंत:करण में स्थित अव्यक्त आंतरिक अधिष्ठान तथा प्रकृति मनुष्य की सुव्यक्त आंतरिक अधिष्ठान है। नम: शिवाय: पंचतत्वमक मंत्र है इसे शिव पंचक्षरी मंत्र कहते हैं। इस पंचक्षरी मंत्र के जप से ही मनुष्य सम्पूर्ण सिद्धियों को प्राप्त कर सकता है। ॐ लगाकर ही सदा इसके जप करना चाहिए। भगवान शिव का निरंतर चिंतन करते हुए इस मंत्र का जाप करें। सदा सब पर अनुग्रह करने वाले भगवान शिव का बारंबार स्मरण करते हुए पूर्वाभिमुख होकर पंचक्षरी मंत्र का जाप करें

मेष के जातक महाशिवरात्रि के विशेष अवसर पर रक्त चंदन का त्रिपुंड लगाएं और पूजा के दौरान शिव जी को लाल कनेर के फूल अर्पित करें। इसके साथ ही आप शिवाष्टक का पाठ भी कर सकते हैं।

वृषभ राशि के लोग महाशिवरात्रि पर शिवलिंग पर चंदन और बेलपत्र अर्पित करें। इसके साथ ही शिव चालीसा का पाठ करना भी आपके लिए लाभकारी सिद्ध होगा।

मिथुन राशि ;  शिवलिंग पर भस्म का त्रिपुंड लगाएं। इसके बाद शिवलिंग पर सफेद आंकड़े के सात पुष्प अर्पित करें और शिव स्तोत्र का पाठ करें।

कर्क राशि वाले लोग महाशिवरात्रि के दिन शिवलिंग का गाय के दूध से अभिषेक करें और इसके साथ ही शिव सहस्त्र नामावली का पाठ भी करें।

सिंह राशि के जातकों को शिव जी की पूजा के दौरान उन्हें पीले चंदन का त्रिपुंड लगाना चाहिए। इसके साथ ही शिव महिमा स्तोत्र का पाठ भी जरूर करें।

कन्या राशि — इस राशि के जातक महाशिवरात्रि के अवसर पर शिव चालीसा का पाठ करें। साथ ही शिव कृपा प्राप्त करने के लिए  शिवलिंग पर बेलपत्र चढ़ाएं।

तुला राशि; तुली राशि के जातक पूजा के दौरान शिवलिंग पर सात सुगंधित सफेद फूल अर्पित करें और शिव चालीसा का पाठ करें। ऐसा करने से आपको जीवन में लाभ देखने को मिलेगा।

वृश्चिक राशि इस राशि के लोग शिवलिंग पर लाल चंदन का त्रिपुंड लगाएं और शिव जी को सात लाल कनेर के पुष्प अर्पित करें। साथ ही ‘ऊं नागेश्वराय नम:’ मंत्र का यथासंभव जाप भी करें।

धनु राशि पूजा के दौरान शिवलिंग पर पीले पुष्प चढ़ाएं और महामृत्युंजय स्तोत्र का पाठ करें। ऐसा करने से आपको शिव जी की विशेष कृपा प्राप्त हो सकती है।

मकर राशि महाशिवरात्रि के दिन शिव जी कृपा प्राप्ति के लिए शिवलिंग की विधि-विधान से पूजा करें और ‘ऊं अर्धनारीश्वराय नमः’ मंत्र का यथासंभव जप करें।

कुंभ राशि के जातक महाशिवरात्रि की पूजा में शिवलिंग पर भस्म का त्रिपुंड लगाएं और अपराजिता के फूल अर्पित करें। इसके साथ ही आप महामृत्युंजय कवच का पाठ भी कर सकते हैं।

मीन राशि इस राशि के जातकों को महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव का ध्यान लगाना चाहिए। इसके साथ ही ‘ऊं अनंतधर्माय नम:’ मंत्र का जाप करें।

महाशिवरात्रि का व्रत करने वाले साधक को मोक्ष की प्राप्ति होती है। जगत में रहते हुए मुष्य का कल्याण करने वाला व्रत है महाशिवरात्रि। इस व्रत को रखने से साधक के सभी दुखों, पीड़ाओं का अंत तो होता ही है साथ ही मनोकामनाएं भी पूर्ण होती है। कहने का मतलब है कि शिव की साधना से धन-धान्य, सुख-सौभाग्य,और समृद्धि की कमी कभी नहीं होती। भक्ति और भाव से स्वत: के लिए तो करना ही चाहिए सात ही जगत के कल्याण के लिए भगवान आशुतोष की आराधना करनी चाहिए। मनसा…वाचा…कर्मणा हमें शिव की आराधना करनी चाहिए। भगवान भोलेनाथ..नीलकण्ठ हैं, विश्वनाथ है।

महाशिवरात्रि के दिन प्रात:काल उठकर स्नान व नित्यकर्म से निवृत्त होकर ललाट पर भस्मका त्रिपुण्ड तिलक और गले में रुद्राक्ष की माला धारण कर शिवालय में जाना चाहिए और शिवलिंग का विधिपूर्वक पूजन एवं भगवान शिव को प्रणाम करना चाहिये। तत्पश्चात उसे श्रद्धापूर्वक महाशिवरात्रि व्रत का संकल्प करना चाहिये।

महाशिवरात्रि के प्रथम प्रहर में संकल्प करके दूध से स्नान व ॐ ओम हीं ईशानाय नम: का जाप करना चाहिए। द्वितीय प्रहर में दधि स्नान करके ॐओम हीं अधोराय नम: का जाप व तृतीय प्रहर में घृत स्नान एवं मंत्र ॐओम हीं वामदेवाय नम: तथा चतुर्थ प्रहर में मधु स्नान एवं ॐओम हीं सद्योजाताय नम: मंत्र का जाप करना चाहिए।

शिवरात्रि पूजा विधान के समय ओम नम: शिवाय एवं शिवाय नम: मंत्र का जाप अवश्य करना चाहिए। ध्यान, आसन, पाद्य, अर्घ्य, आचमन, स्नान, पय: स्नान, दधि स्नान, घृत स्नान, गंधोदक स्नान, शर्करा स्नान, पंचामृत स्नान, शुद्धोेदक स्नान, अभिषेक, वस्त्र, यज्ञोपवीत, बिल्व पत्र, नाना परिमल दव्य, धूप दीप नैवेद्य करोद्वर्तन (चंदन का लेप) ऋतुफल, तांबूल-पुंगीफल, दक्षिणा उपर्युक्त उपचार कर समर्पयामि कहकर पूजा संपन्ना करनी चाहिए। पश्चात कपूर आदि से आरती पूर्ण कर प्रदक्षिणा, पुष्पांजलि, शाष्टांग प्रणाम कर महाशिवरात्रि पूजन कर्म शिवार्पण करने का विधान हमारे धर्म शास्त्रों में बताया गया है।

 सृष्टि के प्रारंभ में इसी दिन मध्यरात्रि भगवान शंकर का ब्रह्मा से रुद्र के रूप में अवतरण हुआ था। प्रलय की वेला में इसी दिन प्रदोष के समय भगवान शिव तांडव करते हुए ब्रह्मांड को तीसरे नेत्र की ज्वाला से समाप्त कर देते हैं। इसीलिए इसे महाशिवरात्रि अथवा कालरात्रि कहा गया।

महाशिवरात्रि की रात शिव मंदिर में जाकर 11 दीपक जलाएं. इसके बाद वहीं खड़े होकर ‘ओम नमः शिवाय’ का मन ही मन जाप करें. महाशिवरात्रि पर सांध्यकाल की पूजा के बाद किसी जरूरतमंद सुहागिन स्त्री को सुहाग की चीजें दान करना उत्तम माना जाता है. भगवान शिव को पंचमेवा और दूध के बने मिष्‍ठान से भोग लगाएं. शिवलिंग को दही, दूध, घी, शहद, गंगाजल से अभिषेक करें

सांध्यकाल या रात्रिकाल के समय भगवान शिव को शमी पत्र या रुद्राक्ष अर्पित करें.

महाशिवरात्रि के दिन शिवलिंग पर गाय के दूध अभिषेक करना बेहद शुभ माना गया है। ऐसा करने से संतान प्राप्ति की कामना पूरी होती है 

 शिवलिंग पर दही से अभिषेक करने से जीवन में परिपक्वता और स्थिरता आती है

शहद से अभिषेक करना बेहद पुण्यकारी माना गया है। शिवलिंग पर शहद चढ़ाने से व्यक्ति के मन आध्यात्म की तरफ झुकता है और वाणी में मधुरता आती है। साथ ही दिल में दया और परोपकार की भावना जागृत होती है और समाज में यश व सम्मान की प्राप्ति होती है।

गुप्त शत्रुओं से परेशान हैं तो महाशिवरात्रि के दिन शिवलिंग पर सरसों के तेल का अभिषेक करें

शिवलिंग पर सभी तीर्थों से लाए हुए जल से अभिषेक करने पर मोक्ष की प्राप्ति होती है 

पंचामृत से शिवलिंग का अभिषेक करने से मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है। वहीं आरोग्य प्राप्ति के लिए शिवलिंग पर घी का अभिषेक करें, ऐसा करने से ना सिर्फ शारीरिक समस्याएं दूर होंगे बल्कि कई बीमारियों से राहत भी मिलती है। 

जल से ओम नम: शिवाय का जप करते-करते शिवलिंग का अभिषेक करना बहुत शुभ माना गया है। 

शिवरात्रि पर भगवान शंकर का परिवार सहित अभिषक करें।
-वाहन सुख के लिए शिवलिंग पर गुलाब के फूल चढ़ाएं
-संतान सुख के लिए घतूरे से शिव का पूजन करें
-आरोग्यता के लिए शिव का कुशा से पूजन करें
-लक्ष्मी प्राप्ति के लिए गन्ने के रस से शिव पूजन करें
-अभीष्ट सिद्धि के लिए शहद से शिव का अभिषेक करें
-समस्त सुखों की प्राप्ति के लिए गाय के दूध से शिव का अभिषेक करें

तुलसी को शिवलिंग पर नहीं चढ़ाना चाहिए. हल्दी का संबंध भगवान व‌िष्‍णु और सौभाग्य से है, इसल‌िए यह भगवान श‌िव को नहीं चढ़ता है. अगर ऐसा आप करती हैं तो इससे आपका चंद्रमा कमजोर होने लगता है उबले हुए दूध से शिवलिंग का अभिषेक ना करें. शिवलिंग का अभिषेक सदैव ठंडे जल और कच्चे दूध से करना चाहिए. नारियल का पानी नहीं चढ़ाना चाहिए.

टूटा हुआ चावल अपूर्ण और अशुद्ध होता है, इसल‌िए यह श‌िव जी को नहीं चढ़ता.

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Chandra Shekhar Joshi Mob. 9412932030 सस्थापक अध्यक्ष- मा पीताम्बरा श्री बगुलामुखी शक्ति पीठ देहरादून

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