सम्भलग्राम मुख्यस्य ब्राह्मणस्य महात्मनः। भवने विष्णुयशसः कल्किः प्रादुर्भविष्यति। कल्कि धाम का शिलान्यास 19 फरवरी को-सार्वभौम सत्य को व्यक्त करने वाला मानव शरीरधारी अवतार ही है

श्रीमद्भागवत-महापुराण के 12वे स्कंद के अनुसार-
सम्भलग्राम मुख्यस्य ब्राह्मणस्य महात्मनः। भवने विष्णुयशसः कल्किः प्रादुर्भविष्यति।

भगवान श्री कल्कि का प्राचीन कल्कि विष्णु मंदिर उत्तर प्रदेश के संभल जिले में है। पुराणों में संभल जिले को शंभल के नाम से भी पुकारा गया  सार्वभौम सत्य को व्यक्त करने वाला मानव शरीरधारी अवतार ही है परन्तु युग के सर्वोच्च स्तर के सार्वभौम सत्य को व्यक्त करने वाला युगावतार कहलाता है।

कल्कि पुराण में ”कल्कि“ अवतार के जन्म व परिवार की कथा इस प्रकार कल्पित है- ”शम्भल नामक ग्राम में विष्णुयश नाम के एक ब्राह्मण निवास करेंगे, जो सुमति नामक स्त्री के साथ विवाह करेंगें दोनों ही धर्म-कर्म में दिन बिताएँगे। कल्कि उनके घर में पुत्र होकर जन्म लेंगे और अल्पायु में ही वेदादि शास्त्रों का पाठ करके महापण्डित हो जाएँगे। बाद में वे जीवों के दुःख से कातर हो महादेव की उपासना करके अस्त्रविद्या प्राप्त करेंगे जिनका विवाह बृहद्रथ की पुत्री पद्मादेवी के साथ होगा

कल्कि धाम का शिलान्यास 19 फरवरी को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा । कल्कि पीठाधीश्वर आचार्य प्रमोद कृष्णम ने 2016 में धाम के शिलान्यास की तैयारी की थी, धाम में पिछले 18 साल से हर साल पांच दिन का कल्कि महोत्सव होता है,
19 फरवरी को संभल के ऐंचोड़ा कम्बोह में कल्कि धाम निर्माण के शिलान्यास समारोह में पीठाधीश्वर ने बगुला मुखी पीठ देहरादून के अध्यक्ष चंद्रशेखर जोशी आमन्त्रित । कल्कि धाम पहुंच कर चंद्रशेखर जोशी : संस्थापक अध्यक्षः बगुलामुखी पीठ देहरादून 9412932030

कल्कि धाम के पीठाधीश्वर औ आचार्य प्रमोद कृष्घ्णम से करीबी संबंध है चन्द्रशेखर जोशी और प्रवीण जोशी का

यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने कार्यक्रम से पूर्व ऐंचोड़ा कंबोह स्थित श्री कल्कि धाम का दौरा किया। 19 फरवरी को होने वाले शिलान्यास कार्यक्रम में पीएम मोदी के आगमन की तैयारियों को लेकर अफसरों के साथ समीक्षा बैठक की। इस दौरान कल्कि धाम के पीठाधीश्वर आचार्य प्रमोद कृष्घ्णम ने सीएम योगी से मुलाकात कर उन्हें 19 फरवरी को होने वाले शिलान्यास कार्यक्रम की विस्तार से जानकारी दी।
मंडलायुक्त ने बताया कि मुख्यमंत्री ने तैयारियों की समीक्षा करने के साथ अधिकारियों के साथ बैठक की।
सीएम के आगमन से पहले सोमवार सुबह करीब साढ़े दस बजे प्रदेश के मुख्य सचिव दुर्गा शंकर मिश्र ऐंचोड़ा कंबोह पहुंचे। तैयारियों को लेकर मंथन । मुख्य सचिव अपने छह घंटे के दौरे में प्रधानमंत्री के कार्यक्रम की तैयारियों पर चर्चा । श्री कल्कि धाम पीठाधीश्वर आचार्य प्रमोद कृष्घ्णम को भाजपा ने बडा सम्मान देकर हाथो हाथ में ले लिया।

आचार्य प्रमोद कृष्णम कांग्रेस नेता के साथ-साथ एक संत भी है। आचार्य प्रमोद कृष्णम का जन्म 4 जनवरी 1965 को उत्तर प्रदेश के संभल के गांव और एंचोड़ा कम्बोह में हुआ। वह एक ब्राह्मण परिवार से आते हैं प्रमोद कृष्णम की गिनती यूपी में कांग्रेस के बड़े नेताओं में होती है वह दो बार कांग्रेस से चुनाव भी लड़ चुके हैं। 2014 में संभल और दूसरी बार 2019 में लखनऊ से प्रत्याशी बने थे कहा जाता है कि राम मंदिर निर्माण के सपोर्ट में प्रमोद कृष्णम ही कांग्रेस में सबसे आगे रहे।

खासतौर पर यूपी से राम मंदिर निर्माण को लेकर प्रमोद कृष्णम हमेशा से ही आगे रहे। राजनीति से ज्यादा इनके कल्कि पीठ की चर्चा होती है । जो उन्होंने अपने गांव में ही बनाई है लोग सोशल मीडिया पर कल्कि की धाम के बारे में बहुत ही ज्यादा सर्च करते हैं। आचार्य प्रमोद कृष्णम कल्कि पीठ के पीठाधीश्वर हैं और यूपी के संभल के रहने वाले हैं । आध्यात्मिक गुरु आचार्य प्रमोद प्रधानमंत्री राजीव गांधी के बहुत ही ज्यादा करीबी माने जाते हैं। उन्होंने कांग्रेस पार्टी में कई सारी जिम्मेदारियां संभाली। साल 2014 में उन्होंने संभल संसदीय सीट और साल 2019 में लखनऊ से कांग्रेस के प्रत्याशी के तौर पर चुनाव लड़ा। इसके साथ ही 2018 में कांग्रेस की ओर से राजस्थान, छत्तीसगढ़,मध्य प्रदेश, पंजाब के आम चुनाव में स्टार प्रचारक की भूमिका निभाई। प्रियंका गांधी वार्डा की पार्टी के उप सलाहकार परिषद का हिस्सा रहे आचार्य प्रमोद कृष्णम ने अपने कॉलेज के वक्त से ही कांग्रेस पार्टी के राजनीति से जुड़ गए वहां से उनके पोलिटिकल कैरियर की शुरुआत हुई। वह कांग्रेस की पॉलिटिकल अफेयर्स कमेटी के सदस्य थे
श्रीमद्भागवत-महापुराण के 12वे स्कंद के अनुसार- सम्भलग्राममुख्यस्य ब्राह्मणस्य महात्मनः।
भवने विष्णुयशसः कल्किः प्रादुर्भविष्यति।।

कल्कि को हिन्दू भगवान विष्णु के दसवें अवतार और विष्णु का भावी या अंतिम अवतार माना गया है।
वैष्णव ब्रह्माण्ड विज्ञान के अनुसार अन्तहीन चक्र वाले चार कालों में से अन्तिम कलियुग के अन्त में हिन्दू भगवान विष्णु के दसवें अवतार माने जाते हैं। जब भगवान कल्कि देवदत्त नाम के घोड़े पर आरूढ़ होकर तलवार से दुष्टों का संहार करेंगे तब सतयुग का प्रारंभ होगा।
धर्म ग्रंथों के अनुसार कलयुग में भगवान विष्णु कल्कि रूप में अवतार लेंगे। कल्कि अवतार कलियुग व सतयुग के संधिकाल में होगा।
पुराणकथाओं के अनुसार कलियुग में पाप की सीमा पार होने पर विश्व में दुष्टों के संहार के लिये कल्कि अवतार प्रकट होगा। धार्मिक एवं पौराणिक मान्यता के अनुसार जब पृथ्वी पर पाप बहुत अधिक बढ़ जाएगा। तब दुष्टों के संहार के लिए विष्णु का यह अवतार यानी ‘कल्कि अवतार’ प्रकट होगा। कल्कि को विष्णु का भावी और अंतिम अवतार माना गया है। भगवान का यह अवतार ‘‘ निष्कलंक भगवान ‘‘ के नाम से भी जाना जायेगा। आपको ये जानकर आश्चर्य होगा की भगवान श्री कल्कि ६४ कलाओं के पूर्ण निष्कलंक अवतार होंगे शास्त्रों के अनुसार यह अवतार भविष्य में होने वाला है। कलियुग के अन्त में जब शासकों का अन्याय बढ़ जायेगा। चारों तरफ पाप बढ़ जायेंगे तथा अत्याचार का बोलबाला होगा तब इस जगत का कल्याण करने के लिए भगवान विष्णु कल्कि के रूप में अवतार लेंगे।
श्रीमद्भागवत पुराण और भविष्यपुराण में कलियुग के अंत का वर्णन मिलता है. कलियुग में भगवान कल्कि का अवतार होगा, जो पापियों का संहार करके फिर से सतयुग की स्थापना करेंगे. कलियुग के अंत और कल्कि अवतार के संबंध में अन्य पुराणों में भी इसका वर्णन मिलता है.
श्रीमद्भागवतमहापुराण में विष्णु के अवतारों की कथाएं विस्तार से वर्णित है। इसके बारहवें स्कन्ध के द्वितीय अध्याय में भगवान के कल्कि अवतार की कथा विस्तार से दी गई है जिसमें यह कहा गया है कि ‘‘सम्भल ग्राम (नगरी) में विष्णुयश नामक श्रेष्ठ ब्राह्मण के पुत्र के रूप में भगवान कल्कि का जन्म होगा। वह देवदत्त नामक घोड़े पर आरूढ़ होकर अपनी कराल करवाल (तलवार) से दुष्टों ,पापियों , म्लेच्छों का संहार करेंगे तभी सतयुग का प्रारम्भ होगा।‘‘

श्रीमद्भागवत-महापुराण के 12वे स्कंद के अनुसार-

सम्भलग्राममुख्यस्य ब्राह्मणस्य महात्मनः।

भवने विष्णुयशसः कल्किः प्रादुर्भविष्यति।।

अर्थ- शम्भल ग्राम में विष्णुयश नाम के एक ब्राह्मण होंगे। उनका ह्रदय बड़ा उदार और भगवतभक्ति पूर्ण होगा। उन्हीं के घर कल्कि भगवान अवतार ग्रहण करेंगे
कल्कि पुराण में ”कल्कि“ अवतार के जन्म व परिवार की कथा इस प्रकार कल्पित है- ”शम्भल नामक ग्राम में विष्णुयश नाम के एक ब्राह्मण निवास करेंगे, जो सुमति नामक स्त्री के साथ विवाह करेंगें दोनों ही धर्म-कर्म में दिन बिताएँगे। कल्कि उनके घर में पुत्र होकर जन्म लेंगे और अल्पायु में ही वेदादि शास्त्रों का पाठ करके महापण्डित हो जाएँगे। बाद में वे जीवों के दुःख से कातर हो महादेव की उपासना करके अस्त्रविद्या प्राप्त करेंगे जिनका विवाह बृहद्रथ की पुत्री पद्मादेवी के साथ होगा।“

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *