गोरखपुर मठ के महंत हठयोगी- जिनकी मर्जी के बगैर पत्ता नही हिलता
हठयोग के नियमित अभ्यास से आप अपना खोया हुआ स्वास्थ्य और मानसिक शांति प्राप्त कर सकते हैं। आत्मा की गुप्त शक्तियों को उद्घाटित कर अपनी संकल्पशक्ति में वृद्धि कर सकते हैं और जीवन के सभी क्षेत्रों में सफलता प्राप्त कर आत्मसाक्षात्कार के उत्कृष्ट शिखर पर आसीन हो सकते हैं।
High Light# ब्यूरोक्रेसी से राजनीति में आए एके शर्मा को उत्तर प्रदेश सरकार में बड़ा पद मिलने की अटकले लगातार चलती रही, परन्तु मठाधीश -गोरखपुर मठ के महंत योगी – ने उत्तर प्रदेश में अपनी मर्जी के बगैर पत्ता नही हिलने दिया # प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के करीबी सहयोगी और नौकरशाह से राजनेता बने अरविंद कुमार शर्मा को नही लिया कैबिनेट में # योगी पहले मुख्यमंत्री हैं जिनके ख़िलाफ़ उनकी पार्टी के 100 से अधिक विधायक विधानसभा में धरना दे चुके हैं। कई विधायक कैमरे पर अपना विरोध जता चुके हैं # योगी अंगद का पैर -अन्य राज्यो के सीएम की भांति नही # गोरखपुर मठ के महंत योगी प्रदेश को एक मठाधीश के ही अंदाज़ में चला रहे हैं। योगी अपने विश्वस्त प्रशासनिक अधिकारियों के सहारे यूपी को संभाल रहे हैं। यहाँ मंत्रियों और बीजेपी विधायकों की भी नहीं सुनी जाती # प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के करीबी सहयोगी और नौकरशाह से राजनेता बने अरविंद कुमार शर्मा की टीम को योगी ने दरकिनार किया # भाजपा के असंतुष्ट यह मान रहे है कि योगी का तानाशाहीपूर्ण रवैया बीजेपी के लिए सबसे बड़ी बाधा है। अगर बीजेपी उन्हें हटाती है तो निश्चित तौर पर वे बगावत कर बैठेंगे। उनका इतिहास भी ऐसा ही रहा है # # सरकार के दफ्तर के पंचम तल पर उप मुख्यमंत्री मौर्य ने एक कमरे के बाहर अपने नाम की तख्ती लगवा दी थी, लेकिन मुख्यमंत्री योगी ने उसे हटवा दिया था # मठाधीश -गोरखपुर मठ के महंत योगी – ने यह जता दिया था कि उत्तर प्रदेश में उनकी मर्जी के बगैर पत्ता नही हिलेगा # चार साल में शायद यह पहला मौक़ा होगा जब बीजेपी के राष्ट्रीय संगठन मंत्री संतोष ने यूपी बीजेपी की सुध ली # अमित शाह के यूपी की ज़िम्मेदारी और अध्यक्ष पद छोड़ने के बाद से नए अध्यक्ष नड्डा ने भी प्रदेश में आ रहे भूचाल को कभी गंभीरता से नहीं लिया जबकि योगी के ख़िलाफ़ उनकी पार्टी के 100 से अधिक विधायक विधानसभा में धरना दे चुके हैं। कई विधायक कैमरे पर अपना विरोध जता चुके हैं # अब मौर्य ने फिर नारा दिया है अध्यक्ष जी के नेतृत्व में तीन सौ के पार…: # अब आरोप लग रहे है कि योगी खुले तौर पर ठाकुरवाद को बढ़ावा दे रहे हैं। इससे प्रदेश का 10 फ़ीसदी ब्राह्मण नाराज़ है। Execlusive Story by Chandra shekhar Joshi- Editor Himalayauk
इसके बाद 31 मई और एक जून को लगातार दो दिनों तक बीजेपी के राष्ट्रीय संगठन मंत्री बी एल संतोष, प्रदेश प्रभारी और राष्ट्रीय उपाध्यक्ष राधा मोहन सिंह, प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह और सुनील बंसल ने बीजेपी के नेताओं के साथ बैठक की। सरकार के दस से ज़्यादा मंत्रियों, दोनों उप मुख्यमंत्रियों के अलावा मुख्यमंत्री के साथ मुलाक़ातें कीं। संतोष ने हर मंत्री के साथ क़रीब 25 से 30 मिनट बातचीत कर मन का हाल सुना।
परन्तु मठाधीश -गोरखपुर मठ के महंत योगी – का प्रशस्ति गान ही आखिर में करना पडा-
संगठन मंत्री संतोष ने दो दिनों में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य, दिनेश शर्मा के अलावा सरकार के दोनों प्रवक्ताओं सिद्धार्थ नाथ सिंह और श्रीकांत शर्मा से मुलाक़ात की। श्रीकांत और सिद्धार्थ नाथ दोनों ही दिल्ली में बीजेपी के राष्ट्रीय स्तर पर प्रवक्ता रहे हैं और श्रीकांत गृहमंत्री अमित शाह के पसंदीदा माने जाते हैं। परन्तु मठाधीश -गोरखपुर मठ के महंत योगी – ने उत्तर प्रदेश में अपनी मर्जी के बगैर पत्ता नही हिलने दिया #
Execlusive Story by Chandra shekhar Joshi- Editor Himalayauk
हठयोग: स्वरूप एवं साधना के लेखक मठाधीश -गोरखपुर मठ के महंत हठयोगी- पर विशेष
Presents by Himalayauk Newsportal & Daily Newspaper, publish at Dehradun & Haridwar: Mob 9412932030 ; CHANDRA SHEKHAR JOSHI- EDITOR; Mail; himalayauk@gmail.com
उत्तर प्रदेश की राजनीति में ब्यूरोक्रेसी से राजनीति में आए एके शर्मा को उत्तर प्रदेश सरकार में बड़ा पद मिलने की अटकले लगातार चलती रही, परन्तु मठाधीश ने उत्तर प्रदेश में अपनी मर्जी के बगैर पत्ता नही हिलने दिया। एके शर्मा के बीजेपी में जॉइन करने के बाद कयास लग रहे थे कि यूपी में बड़ी जिम्मेदारी मिल सकती है लेकिन अब प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री से मुलाकात के बाद चर्चा और तेज हो गई है। एके शर्मा दिल्ली में पीएम नरेद्र मोदी से मिले और उसके बाद यूपी आकर सीएम योगी से मिले।
अरविंद कुमार शर्मा योगी आदित्यनाथ और एके शर्मा के बीच 5 कालीदास मार्ग स्थित सीएम योगी के आवास पर मुलाकात हुई। अटकले थी कि अरविंद कुमार शर्मा को यूपी में बड़ी जिम्मेदारी देने की तैयारी है। उन्हे योगी मंत्रिमंडल में शामिल किया जा सकता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के करीबी सहयोगी और नौकरशाह से राजनेता बने अरविंद कुमार शर्मा ने न केवल मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में काम किया, बल्कि राज्य के 21 अन्य पूर्वी यूपी जिलों में वह लगातार ऐक्टिव हैं।
यूपी में सीएम योगी आदित्यनाथ को बदले जाने की कवायद भी हुई ? यूपी बीजेपी में हंगामा मचा हुआ है और कई दिनों लखनऊ, दिल्ली में लगातार बैठकों में ‘समुद्र मंथन’ की कोशिश की जा रही है
यूपी में भाजपा और संघ के दूत आये और फीडबैक लेकर लौट गए .अटकलों का बाजार गर्म हुआ पर बीएल संतोष को भी अपना ट्वीट में योगी की प्रशस्ति गान करना पडा हैं . योगी पहले मुख्यमंत्री हैं जिनके ख़िलाफ़ उनकी पार्टी के 100 से अधिक विधायक विधानसभा में धरना दे चुके हैं। कई विधायक कैमरे पर अपना विरोध जता चुके हैं।वही बीजेपी इतनी उतावली क्यों है? बीजेपी को विधानसभा चुनाव में हार का डर सता रहा है? बीजेपी को हार का डर क्यों सता रहा है? पिछले लोकसभा और विधानसभा चुनाव में विपक्षियों का सूपड़ा साफ करने वाली बीजेपी इतनी बेचैन क्यों है? बीजेपी के सामने आज कई चुनौतियाँ हैं।
बीजेपी की दूसरी चुनौती योगी आदित्यनाथ की कार्यशैली है। गोरखपुर मठ के महंत योगी प्रदेश को एक मठाधीश के ही अंदाज़ में चला रहे हैं। योगी अपने विश्वस्त प्रशासनिक अधिकारियों के सहारे यूपी को संभाल रहे हैं। यहाँ मंत्रियों और बीजेपी विधायकों की भी नहीं सुनी जाती। योगी पहले मुख्यमंत्री हैं जिनके ख़िलाफ़ उनकी पार्टी के 100 से अधिक विधायक विधानसभा में धरना दे चुके हैं। कई विधायक कैमरे पर अपना विरोध जता चुके हैं। भाजपा के असंतुष्ट यह मान रहे है कि योगी का तानाशाहीपूर्ण रवैया बीजेपी के लिए सबसे बड़ी बाधा है। अगर बीजेपी उन्हें हटाती है तो निश्चित तौर पर वे बगावत कर बैठेंगे। उनका इतिहास भी ऐसा ही रहा है।
उप मुख्यमंत्री मौर्य ने पिछले चार साल की अपनी व्यथा नेताओं के सामने रखी कि किस तरह सरकार में उनकी उपेक्षा की गई। यूँ तो व्यथा की यह कहानी सरकार बनने के अगले दिन ही शुरू हो गई थी जब मुख्यमंत्री और सरकार के दफ्तर के पंचम तल पर मौर्य ने एक कमरे के बाहर अपने नाम की तख्ती लगवा दी थी, लेकिन मुख्यमंत्री योगी ने उसे हटवा दिया और पंचम तल सिर्फ़ मुख्यमंत्री के लिए रह गया।
व्यथा की यह कहानी सरकार बनने के अगले दिन ही शुरू हो गई थी जब मुख्यमंत्री और सरकार के दफ्तर के पंचम तल पर मौर्य ने एक कमरे के बाहर अपने नाम की तख्ती लगवा दी थी, लेकिन मुख्यमंत्री योगी ने उसे हटवा दिया और पंचम तल सिर्फ़ मुख्यमंत्री के लिए रह गया। मौर्य के कहने पर ज़िलाधीशों और दूसरे अफ़सरों के तबादले नहीं हुए, उनके विभाग की फ़ाइलें सीएम देखते रहे, रोकते रहे, अटकती रहीं और बीजेपी में केन्द्रीय स्तर पर कोई सुनवाई नहीं हुई। चार साल में शायद यह पहला मौक़ा होगा जब बीजेपी के राष्ट्रीय संगठन मंत्री संतोष ने यूपी बीजेपी की सुध ली।
अमित शाह के यूपी की ज़िम्मेदारी और अध्यक्ष पद छोड़ने के बाद से नए अध्यक्ष नड्डा ने भी प्रदेश में आ रहे भूचाल को कभी गंभीरता से नहीं लिया।
मुख्यमंत्री का सपना पाले मौर्य उस विशेष जहाज में योगी आदित्यनाथ के साथ ही दिल्ली से लखनऊ पहुँचे थे और उनके सैकड़ों कार्यकर्ता एयरपोर्ट पर भावी मुख्यमंत्री के स्वागत के लिए खड़े थे, लेकिन उस राजनीतिक फ़िल्म की स्क्रिप्ट तब तक बदली जा चुकी थी और अगले दिन योगी को शपथ दिला दी गई। दिन था 19 मार्च 2017। अब उन्हें अगले साल मार्च की शपथ ग्रहण की तारीख़ का इंतज़ार है बशर्ते बीजेपी वहाँ सरकार बनाने की हालत में हो, मौर्य ने फिर नारा दिया है अध्यक्ष जी के नेतृत्व में तीन सौ के पार…
योगी के कारण बीजेपी के कोर वोटों में भी दरार पड़ गई है। आरोप लग रहे है कि योगी खुले तौर पर ठाकुरवाद को बढ़ावा दे रहे हैं। इससे प्रदेश का 10 फ़ीसदी ब्राह्मण नाराज़ है। कई ब्राह्मणों की हत्या से भी विरोध उपजा है। बड़े-बड़े प्रशासनिक पदों से लेकर थानों में तैनात दरोगा भी अधिकांश ठाकुर जाति के हैं।
यूपी संकट को लेकर आरएसएस के नए सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबोले ने दिल्ली में पहले प्रधानमंत्री मोदी, अमित शाह, जे पी नड्डा और यूपी प्रदेश संगठन मंत्री सुनील बंसल के साथ मुलाक़ात की। फिर लखनऊ में होसबोले ने संघ के प्रांत और क्षेत्रीय प्रचारकों और कुछ अन्य नेताओं से फीडबैक लिया तो बंसल ने बीजेपी नेताओं के साथ बैठकें कीं।
इसके बाद 31 मई और एक जून को लगातार दो दिनों तक बीजेपी के राष्ट्रीय संगठन मंत्री बी एल संतोष, प्रदेश प्रभारी और राष्ट्रीय उपाध्यक्ष राधा मोहन सिंह, प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह और सुनील बंसल ने बीजेपी के नेताओं के साथ बैठक की। सरकार के दस से ज़्यादा मंत्रियों, दोनों उप मुख्यमंत्रियों के अलावा मुख्यमंत्री के साथ मुलाक़ातें कीं। संतोष ने हर मंत्री के साथ क़रीब 25 से 30 मिनट बातचीत कर मन का हाल सुना। संतोष ने कुछ मंत्रियों से यह भी जानना चाहा कि यदि उन्हें सरकार से हटाकर संगठन में ज़िम्मेदारी दी जाती है तो इस पर उनकी क्या राय है, इससे कई मंत्री मुश्किल में पड़ गए और उन्हें अपनी कुर्सी जाने का अहसास हो गया है।
कहा जाता है कि संगठन, सरकार में बदलाव के साथ साथ प्रशासनिक स्तर पर भी बड़े पैमाने पर फेरबदल की तैयारी हो रही है। केन्द्रीय मंत्रिमंडल में भी कुछ जगह यूपी को मिल सकती है।
इन मुलाक़ातों के दौरान ही यूपी सरकार के एक सीनियर मंत्री दिल्ली पहुँच गए और उन्होंने जे पी नड्डा के साथ-साथ संघ के बड़े पदाधिकारियों के यहाँ अपनी हाज़िरी लगा दी। इन सबके बीच एक अहम नाम है ए के शर्मा का, शर्मा गुजरात में आईएएस अफसर थे और प्रधानमंत्री मोदी के पसंदीदा हैं, उन्हें यूपी भेजा गया, फिर विधान परिषद में भिजवाया गया और अभी प्रधानमंत्री के संसदीय क्षेत्र वाराणसी का ज़िम्मा लिए हुए हैं। चर्चा है कि उन्हें सरकार में अहम भूमिका दी जा सकती है। सूत्रों का कहना है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ शर्मा को उप मुख्यमंत्री बनाए जाने के पक्ष में नहीं हैं।
संगठन मंत्री संतोष ने दो दिनों में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य, दिनेश शर्मा के अलावा सरकार के दोनों प्रवक्ताओं सिद्धार्थ नाथ सिंह और श्रीकांत शर्मा से मुलाक़ात की। श्रीकांत और सिद्धार्थ नाथ दोनों ही दिल्ली में बीजेपी के राष्ट्रीय स्तर पर प्रवक्ता रहे हैं और श्रीकांत गृहमंत्री अमित शाह के पसंदीदा माने जाते हैं।
यूपी संकट को लेकर आरएसएस के नए सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबोले ने दिल्ली में पहले प्रधानमंत्री मोदी, अमित शाह, जे पी नड्डा और यूपी प्रदेश संगठन मंत्री सुनील बंसल के साथ मुलाक़ात की। फिर लखनऊ में होसबोले ने संघ के प्रांत और क्षेत्रीय प्रचारकों और कुछ अन्य नेताओं से फीडबैक लिया तो बंसल ने बीजेपी नेताओं के साथ बैठकें कीं।
इसके बाद 31 मई और एक जून को लगातार दो दिनों तक बीजेपी के राष्ट्रीय संगठन मंत्री बी एल संतोष, प्रदेश प्रभारी और राष्ट्रीय उपाध्यक्ष राधा मोहन सिंह, प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह और सुनील बंसल ने बीजेपी के नेताओं के साथ बैठक की। सरकार के दस से ज़्यादा मंत्रियों, दोनों उप मुख्यमंत्रियों के अलावा मुख्यमंत्री के साथ मुलाक़ातें कीं। संतोष ने हर मंत्री के साथ क़रीब 25 से 30 मिनट बातचीत कर मन का हाल सुना। संतोष ने कुछ मंत्रियों से यह भी जानना चाहा कि यदि उन्हें सरकार से हटाकर संगठन में ज़िम्मेदारी दी जाती है तो इस पर उनकी क्या राय है, इससे कई मंत्री मुश्किल में पड़ गए और उन्हें अपनी कुर्सी जाने का अहसास हो गया है। संगठन, सरकार में बदलाव के साथ साथ प्रशासनिक स्तर पर भी बड़े पैमाने पर फेरबदल की तैयारी हो रही है। केन्द्रीय मंत्रिमंडल में भी कुछ जगह यूपी को मिल सकती है।
हठयोग: स्वरूप एवं साधना के लेखक मठाधीश -गोरखपुर मठ के महंत हठयोगी- पर विशेष — महंत योगी आदित्यनाथ महायोगी गुरु गोरक्षनाथ द्वारा प्रवर्तित नाथ पंथ की सर्वोच्च पीठ श्रीगोरखनाथ मंदिर गोरखपुर के पीठाधीश्वर महंत हैं। अनेक सामाजिक, धार्मिक, शैक्षणिक, सांस्कृतिक और लोक कल्याणकारी अभियानों के संचालक हैं। हिंदी मासिक पत्रिका ‘योगवाणी’ के प्रधान संपादक हैं।
हठयोग की साधना से दोनों स्वरों (सूर्य और चन्द्र) में संतुलन स्थापित होता है। जब हमारा दायाँ स्वर चलता है अर्थात् सूर्य नाड़ी चलती है तब हमारे शरीर की प्राण-शक्ति क्रियाशील होती है। अधिकांश शारीरिक क्रियायें, विकास, रक्षण एवं संचालन आदि इसी शक्ति द्वारा सम्पन्न होती हैं। शक्ति अधिक सक्रिय होती है।
योग-साधना के संबंध में आज भी बहुत सी भ्रांत धारणाएँ जन-साधारण के बीच प्रचलित हैं। आम जन-मानस योग का संबंध विरक्त साधु-संन्यासियों के उपयोग तक ही सीमित मानता है। इसी प्रकार हठयोग के संबंध में भी जन-साधारण में यही भ्रांत धारणा है कि ‘हठयोग’ का अर्थ हठात् अर्थात् हठ (विशेष आग्रह) पूर्वक योगाभ्यास करने से है। योग तथा हठयोग से संबंधित इन सभी भ्रांत धाराणाओं को निर्मूल सिद्ध करने तथा इनसे संबंधित सभी आवश्यक तथ्यों और तत्त्वों से जन-साधारण को अवगत कराने की दृष्टि से इस पुस्तक का विशेष महत्त्व है।
हठयोग के नियमित अभ्यास से आप अपना खोया हुआ स्वास्थ्य और मानसिक शांति प्राप्त कर सकते हैं। आत्मा की गुप्त शक्तियों को उद्घाटित कर अपनी संकल्पशक्ति में वृद्धि कर सकते हैं और जीवन के सभी क्षेत्रों में सफलता प्राप्त कर आत्मसाक्षात्कार के उत्कृष्ट शिखर पर आसीन हो सकते हैं।
1. सूर्य नमस्कार : प्रकाश पुँज ज्योतिर्मय सूर्यदेव की आराधना के साथ-साथ यह आसन
मनोकायिक व्यायामों की एक अन्यतम प्रणाली है। इसकी कुल 12 स्थितियाँ हैं, जिससे तेजस्वी
स्वाथ्य तथा कुशाग्र बुद्धि प्राप्त होती है तथा सभी प्रकार के दृष्टिदोष दूर होते
हैं।
2. आसन : स्वास्थ्य
लाभ और शारीरिक व्याधि से मुक्ति के लिए आसन किया जाता है। इनके अभ्यास से शरीर
सशक्त, हल्का और चुस्त बन जाता है। शरीर से आलस्य,
स्थूलता और मोटापा इत्यादि विकारों का विनाश हो
जाता है। हठयोग आसनों के अभ्यास से शरीर शक्तिशाली, तेजोमय,
दृढ़, हल्का और
व्याधि रहित बन जाता है।
3. ध्यानासन : ध्यानाभ्यास
के लिए प्रयुक्त किए जाने वाले आसनों को ध्यानासन कहा जाता है। कुछ अभ्यास के
पश्चात्य योगी। किसी भी आसन में दो या तीन घंटे तक सहज ही रह सकता है। ध्यान,
चिंतन, प्रार्थना
और आराधना के लिए भी इन आसनों का उपयोग किया जा सकता है। शरीर में जीवनी शक्तियों
का सम्यक संतुलन और सामंजस्य बनाने, मन को शांति
तथा आलौकिक आनंद से परिपूर्ण करने में ये आसन अत्यंत सहायक होते हैं। इन से आप
ध्यान, धारणा, और
समाधि का सहज ढंग से अभ्यास कर सकते हैं।
4. मुद्रा : चूँकि
ये मन को आत्मा के साथ संयुक्त करने में सहायता करती है इसलिए, इन्हें मुद्रा कहा जाता है। इनसे मानसिक एकाग्रता और स्थिरता प्राप्त
होती है। मानसिक विक्षेप को रोक कर धारणा के अभ्यास में ये सहायक हैं।
5. बंध : चूँकि,
शरीर के किसी अंग विशेष में ये प्राण को बाँधकर
स्थिर करते हैं इसलिए इन्हें बंध कहा गया है। ये प्राण की उर्ध्व तथा अपान की
अधोगति को रोकते हैं। कुंडलिनी योग की सिद्धियों
की प्राप्ति में प्राण और अपान की धाराओं के परस्पर संयोजन में सहायक होते हैं।
6. षटकर्म : हठयोग
के विभिन्न पहलुओं के अभ्यास के लिए ये शरीर को परिशोधित कर उन्हें यथा योग्य
बनाते हैं। आसन तथा अन्य मनोकायिक व्यायामों की प्रभावोत्पादक शक्ति में वृद्धि
करते हैं। इनसे सुख और शांति प्राप्त होती है।
7. प्राणायाम : मन
तथा इंद्रियों के नियंत्रण के लिए आवश्यक प्राण शक्ति की इन व्यायामों से सुरक्षा
होती है। प्राणायाम की सिद्धियों से प्रत्याहार की प्राप्ति होती है। इन व्याधियों
का विनाश होता है और शरीर शक्ति तथा नवीन ऊर्जा से आप्लावित हो जाता है।
8. कुंडलिनी योग या षटचक्र भेदन : प्राण और अपान को मेरुदंड में स्थित रहस्यमय चक्रों की ओर निर्देशित
किया जाता है। इस प्रकार से एक रहस्यमय शक्ति जिसे कुंडलिनी कहा गया है, जाग्रत हो ताती है जो सहस्रार की ओर निर्दिष्ट की जाती है। कुंडलिनी
योग की साधना क्रम में साधक को अलौकिक सिद्धियाँ प्राप्त होती हैं। अंतत: साधक
ईश्वर से एकाकार हो जाता है।
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