महाराष्ट्र; भारी फ़जीहत — अजित पवार इस्तीफा देंगे? एनसीपी नेताओं से मिले
BREAKING; अजित पवार वे इस्तीफा देंगे # महाराष्ट्र मामले पर सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले से राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी की भारी फ़जीहत हो रही है। सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज जस्टिस पी. बी. सावंत ने उनकी तीखी आलोचना करते हुए कहा है कि महाराष्ट्र के राज्यपाल ने ‘संविधान और संसदीय लोकतंत्र का उल्लंघन किया है।’ उन्होंने इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए कहा, ‘महाराष्ट्र में जो कुछ हुआ, वह बहुत ही असंवैधानिक है। मुख्य मंत्री और उप मुख्य मंत्री की नियुक्ति और सरकार बनाने का यह संवैधानिक तरीका नहीं है। विधानसभा का कार्यकाल ख़त्म होने के बाद भी मुख्य मंत्री को नियुक्त करना भी संवैधानिक नहीं था।’ हिमालयायूके एक्सक्लूसिव-
सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद अजित पवार अकेले ही घर से निकले और एनसीपी नेताओं से मिले. अजित पवार ने अभी उप मुख्यमंत्री का कार्यभार नहीं संभाला है. एनसीपी के नेता लगातार अजित पवार को मनाने की कोशिश कर रहे हैं.
जस्टिस सावंत ने कोश्यारी पर बेहद तीखा हमला बोलते हुए कहा कि ‘वह सरकार के हाथ की कठपुतली बन कर रह गए। राज्यपाल राज्य का प्रमुख होता है और वह सत्तारूढ़ दल के नेता की तरह व्यवहार नहीं कर सकता।’ उन्होंने इसी तरह एनसीपी नेता अजीत पवार के बारे में भी महत्वपूर्ण बात कही। उन्होंने कहा कि अजीत पवार को पार्टी विधायक दल के नेता पद से हटा दिया गया है, अब वह व्हिप जारी नहीं कर सकते। ऐसा करना असंवैधानिक होगा।
अजित पवार वे इस्तीफा देंगे— अजित पवार लगातार अपने परिवार के लोगों के साथ चर्चा भी कर रहे हैं. प्रफुल्ल पटेल ने कहा कि अजित पवार हमारी बात सुन रहे थे. वे काफी पॉजिटिव नजर आ रहे थे. मीटिंग के बाद अजित पवार यहां से निकल कर ट्रायडेंट होटल गए और कार्यकर्ताओं से मिले, फिर वो अपने बंगले वर्षा गए. और उसके बाद अपने भाई श्रीनिवास पवार के घर पहुंचे. कहा जा रहा है कि इसके बाद वे इस्तीफा देंगे. क्योंकि, एनसीपी नेताओं ने अजित पवार से इस्तीफा देने की मांग की थी.
बता दें कि पिछले शनिवार को शिवसेना, कांग्रेस और एनसीपी की सरकार बनने की चर्चाओं के बीच राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को मुख्यमंत्री और एनसीपी नेता अजीत पवार को डिप्टी सीएम के पद की शपथ दिला दी।
बीजेपी-एनसीपी की सरकार बनने से राजनीतिक जानकारों को ख़ासी हैरानी ज़रूर हुई थी क्योंकि कांग्रेस, शिवसेना और एनसीपी के बीच सरकार गठन को लेकर बातचीत पूरी हो चुकी थी और यह माना जा रहा था कि शनिवार को तीनों दल मिलकर एक प्रेस कॉन्फ़्रेंस करेंगे और इसमें सरकार बनने की जानकारी देंगे। लेकिन उससे पहले ही यह सियासी उलटफेर हो गया था।
सूत्रों में यह भी कहा जा रहा है कि मीटिंग में अजित ने फोन पर शरद पवार और सुप्रिया सुले से भी बातचीत की. कहा जा रहा है कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस से मिलने उप मुख्यमंत्री अजित पवार पहुंचेंगे. इससे पहले अजित पवार ने राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) नेताओं के साथ बैठक की. गुप्त स्थान पर हुई इस बैठक में एनसीपी नेताओं ने अजित पवार को मनाने की कोशिश की.
जहाँ राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने राज्य में लागू राष्ट्रपति शासन को हटाने की सिफ़ारिश केंद्र सरकार भेजे जाने सहित अन्य संवैधानिक औपचारिकताएँ पूरी करने से पहले ही बीजेपी विधायक दल के उस नेता को सूबे के मुख्यमंत्री पद की शपथ दिला दी, जिसने महज दो सप्ताह पहले ही अपने दल का बहुमत न होने की वजह से सरकार बनाने से इनकार कर दिया था। किसी को भी मालूम नहीं कि आधी रात को कब राज्यपाल के समक्ष सरकार बनाने का दावा पेश किया गया, राज्यपाल ने उस दावे को किस आधार पर विश्वसनीय माना, कब उन्होंने राज्य में राष्ट्रपति शासनहटाने की सिफ़ारिश केंद्र सरकार को भेजी, कब केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में उस सिफ़ारिश पर विचार हुआ, कब उस सिफ़ारिश को राष्ट्रपति के पास भेजा गया और कब राष्ट्रपति ने उसे अपनी मंज़ूरी दी। जब सुबह-सुबह देवेंद्र फडणवीस को मुख्यमंत्री और अजीत पवार को उप मुख्यमंत्री पद की शपथ दिलाने की ख़बर आई और यह सारे सवाल उठे तो आधिकारिक तौर पर महज इतना बताया गया कि राष्ट्रपति की ओर से सुबह 5.47 बजे राष्ट्रपति शासन का लागू होने का आदेश जारी हुआ। आज़ाद भारत के इतिहास में यह पहला मौक़ा रहा जब आनन-फानन में इतनी सुबह किसी राज्य में राष्ट्रपति शासन हटाकर किसी को मुख्यमंत्री पद की शपथ दिलाई गई हो। बहरहाल राज्यपाल के इस हैरतअंगेज़ कारनामे के बाद सुप्रीम कोर्ट ने 27 नवंबर तक फ़्लोर टेस्ट कराने का आदेश दिया है।
विधानसभा चुनाव में बीजेपी को 105 और शिवसेना को 56 सीटें मिली थीं और ये दोनों ही दल आसानी से राज्य में सरकार बना सकते थे। लेकिन शिवसेना के मुख्यमंत्री पद की कुर्सी को लेकर अड़ जाने को लेकर दोनों दलों के बीच मतभेद पैदा हो गए थे। शिवसेना का कहना था कि 50:50 के फ़ॉर्मूले के तहत उसे राज्य में ढाई साल के लिए मुख्यमंत्री की कुर्सी चाहिए लेकिन बीजेपी मुख्यमंत्री पद के बंटवारे के लिए तैयार नहीं थी। इस मुद्दे पर शिवसेना ने बीजेपी और एनडीए से नाता तोड़ लिया था।
महाराष्ट्र में चल रहे सियासी संकट को लेकर सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले के बाद राजनीतिक सरगर्मियां बेहद तेज हो गई हैं। सर्वोच्च अदालत ने अपने फ़ैसले में कहा है कि 27 नवंबर को शाम 5 बजे तक फ़्लोर टेस्ट करा लिया जाए और इसका सीधा प्रसारण भी किया जाए। दूसरी ओर, एनसीपी नेताओं ने बाग़ी नेता अजीत पवार को मनाने की कोशिशें तेज कर दी हैं।
कोर्ट के फ़ैसले के बाद शिवसेना, कांग्रेस और एनसीपी के नेताओं के चेहरे खिले नज़र आ रहे हैं और वे फ़्लोर टेस्ट की तैयारियों में जुट गए हैं। अदालत ने फ़ैसले के बाद शिवसेना के प्रवक्ता संजय राउत ने कहा कि सच्चाई की जीत हुई है। राउत ने कहा, ‘कोर्ट ने 30 घंटे का वक्त दिया है, हम 30 मिनट में बहुमत साबित कर सकते हैं।’
एनसीपी के प्रवक्ता नवाब मलिक ने कहा, ‘सुप्रीम कोर्ट का यह फ़ैसला भारतीय लोकतंत्र में मील का पत्थर है। बुधवार शाम 5 बजे से पहले यह साफ़ हो जाएगा कि बीजेपी का खेल ख़त्म हो चुका है। कुछ ही दिनों में महाराष्ट्र में शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस की सरकार बनाएगी।’
फ़ैसले के दौरान सुप्रीम कोर्ट में मौजूद रहे कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री पृथ्वी राज चव्हाण ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने हमारी माँग मान ली है और हम इस फ़ैसले से पूरी तरह संतुष्ट हैं। चव्हाण ने कहा कि देवेंद्र फडणवीस को मुख्यमंत्री पद से इस्तीफ़ा दे देना चाहिए।
शिवसेना, कांग्रेस और एनसीपी ने सोमवार शाम को मुंबई के हयात होटल में अपने विधायकों की मीडिया के सामने परेड कराई थी और दावा किया था कि उनके पास 162 से ज़्यादा विधायक हैं। तीनों पार्टियों के इस क़दम के बाद महाराष्ट्र में सरकार बनाने को लेकर चल रहा सियासी संघर्ष और भी ज़्यादा रोचक हो गया है।
अदालत के फ़ैसले के बाद बीजेपी ख़ेमे में भी हलचल तेज हो गई है। बीजेपी ने मंगलवार शाम को 9 बजे महाराष्ट्र के सभी विधायकों की बैठक बुलाई है। बीजेपी के प्रवक्ता नलिन कोहली ने कहा है कि अदालत का फ़ैसला उनके लिए कोई झटका नहीं है। महाराष्ट्र बीजेपी के वरिष्ठ नेता राव साहब दानवे ने कहा कि उनकी पार्टी विधानसभा में बहुमत साबित करेगी।
बीजेपी ने कहा है कि देवेन्द्र फडणवीस (Devendra Fadnavis) के नेतृत्व वाली महाराष्ट्र सरकार (Maharashtra Govt.) को विधानसभा (Legislative Assembly) में बुधवार को बहुमत साबित करने (Floor Test) के बारे में मंगलवार को सुनाया गया उच्चतम न्यायालय (Supreme Court) का फैसला पार्टी के लिये झटका नहीं है और इससे सदन में सभी दलों की स्थिति स्पष्ट हो जायेगी. बीजेपी प्रवक्ता नलिन कोहली (Nalin Kohli) ने अदालत का फैसला पार्टी के लिये झटका साबित होने की बात को खारिज करते हुए कहा, ‘‘संविधान के मामले में कोई भी न्यायिक फैसला किसी राजनीतिक दल के लिये झटका नहीं हो सकता है. न्यायिक आदेश संविधान को मजबूत बनाते हैं.” संविधान दिवस (Constitution Day) के अवसर पर सरकार द्वारा संसद (Parliament) के केन्द्रीय कक्ष में आयोजित दोनों सदनों की संयुक्त बैठक का विपक्ष द्वारा बहिष्कार किये जाने के बारे में कोहली ने कहा, ‘‘क्या यह विडंबना नहीं है कि एक तरफ राजनीतिक दल संविधान के मूल्यों की बात करते हैं और दूसरी तरफ संविधान दिवस के अवसर पर संसद का बहिष्कार करते हैं.”उन्होंने शीर्ष अदालत के फैसले पर कहा कि उच्चतम न्यायालय ने बोम्मई मामले के अपने पूर्व फैसले को ही बरकरार रखा है जिसमें अदालत ने कहा था कि बहुमत साबित करने का एकमात्र स्थान सदन है. कोहली ने कहा कि सदन में बहुमत का परीक्षण होने के बाद सभी दलों की स्थिति स्पष्ट हो जायेगी.
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