14 मार्च, मंगलवार से मल मास शुरू-
खल मास में मुख्यमंत्री Execlusive Top News; www.himalayauk.org (Leading Web & Print Media)
लौकिक मान्यता है कि खरमास में विवाह आदि शुभ कार्य वर्जित है. जैसे विवाह आदि जैसे कार्य नही होते हैं. लोग सिर्फ ईश्वर-भजन, पूजा-पाठ आदि कर सकते हैं. मान्यता है कि इस अवधि में अनुष्ठान, यज्ञ, पूजा-पाठ, हवन आदि करना अच्छा माना गया है.
14 मार्च, मंगलवार से मल मास शुरू हो रहा है, जो 13 अप्रैल, गुरुवार तक रहेगा। भाजपा उत्तराखण्ड तथा यूपी में खल मास में मुख्यमंत्री बना रही है- इस मास में तीर्थों, घरों व मंदिरों में जगह-जगह भगवान की कथा होनी चाहिए एवं गो-ब्राह्मण तथा धर्म की रक्षा हो,
आप मार्च के महीने में नया कार्य, व्यापार या गृह प्रवेश करना चाहते हैं तो आप मार्च के महीने में नया कार्य, व्यापार या गृह प्रवेश करना चाहते हैं तो कार्य-सिद्धि योग सकारात्मक ऊर्जा से सम्पन्न होते हैं। इसी कारण किसी भी नए कार्य को शुरू करने से पहले शुभ योग-संयोग को देख-परख लेना श्रेष्ठ होता हैं। अगर आपको किसी भी माह में नया कार्य आरंभ करना हो तो 17 मार्च 24 मार्च 28 मार्च 30 मार्च सर्वदोषनाशक रवि योग भी है 30 को- विघ्नकारक भद्रा योग 31 मार्च
आज 14 मार्च से खरमास प्रारंभ हो गया है। इसलिए हिन्दू मान्यता के अनुसार, एक महीने तक शुभ कार्य नहीं होंगे. यह खरमास 13 अप्रैल तक कायम रहेगा. वैदिक ज्योतिष और हिन्दू पंचांग गणना के अनुसार सूर्य एक राशि में एक महीने तक रहता है. जब सूर्य 12 राशियों का भ्रमण करते हुए बृहस्पति की राशियो, धनु और मीन, में प्रवेश करता है, तो अगले 30 दिनों यानि एक महीने की अवधि को खरमास कहा जाता हैं. इस साल 14 मार्च को सूर्य कुंभ राशि से निकल कर मीन राशि में प्रवेश कर रहा है. इसे मीन संक्रांति भी कहते हैं.
भवन-निर्माण संबंधित कार्य भी नहीं किये जाते हैं. कोई नया निवेश या व्यवसाय आदि भी नहीं शुरू की जाती है. इस अवधि में बच्चे का मुंडन संस्कार भी नहीं होता है, साथ ही लोग नए घर में गृह-प्रवेश भी नहीं करते हैं.
आज (14 मार्च, मंगलवार) से मल मास शुरू हो रहा है, जो 13 अप्रैल, गुरुवार तक रहेगा। धर्मग्रंथों के अनुसार, खर (मल) मास को भगवान पुरुषोत्तम ने अपना नाम दिया है। इसलिए इस मास को पुरुषोत्तम मास भी कहते हैं। इस मास में भगवान की आराधना करने का विशेष महत्व है। धर्मग्रंथों के अनुसार, इस मास में सुबह सूर्योदय के पहले उठकर शौच, स्नान, संध्या आदि अपने-अपने अधिकार के अनुसार नित्यकर्म करके भगवान का स्मरण करना चाहिए और पुरुषोत्तम मास के नियम ग्रहण करने चाहिए। पुरुषोत्तम मास में श्रीमद्भागवत का पाठ करना महान पुण्यदायक है।
इस मास में तीर्थों, घरों व मंदिरों में जगह-जगह भगवान की कथा होनी चाहिए। भगवान की विशेष पूजा होनी चाहिए और भगवान की कृपा से देश तथा विश्व का मंगल हो एवं गो-ब्राह्मण तथा धर्म की रक्षा हो, इसके लिए व्रत-नियम आदि का आचरण करते हुए दान, पुण्य और भगवान की पूजा करना चाहिए। पुरुषोत्तम मास के संबंध में धर्म ग्रंथों में वर्णित है- येनाहमर्चितो भक्त्या मासेस्मिन् पुरुषोत्तमे।
धनपुत्रसुखं भुकत्वा पश्चाद् गोलोकवासभाक्।।
अर्थात- पुरुषोत्तम मास में नियम से रहकर भगवान की विधिपूर्वक पूजा करने से भगवान अत्यंत प्रसन्न होते हैं और भक्तिपूर्वक उन भगवान की पूजा करने वाला यहां सब प्रकार के सुख भोगकर मृत्यु के बाद भगवान के दिव्य गोलोक में निवास करता है।
धर्म ग्रंथों में ऐसे कई श्लोक भी वर्णित है जिनका जप यदि खर मास में किया जाए तो अतुल्य पुण्य की प्राप्ति होती है। प्राचीन काल में श्रीकौण्डिन्य ऋषि ने यह मंत्र बताया था। मंत्र जाप किस प्रकार करें इसका वर्णन इस प्रकार है-
कौण्डिन्येन पुरा प्रोक्तमिमं मंत्र पुन: पुन:।
जपन्मासं नयेद् भक्त्या पुरुषोत्तममाप्नुयात्।।
ध्यायेन्नवघनश्यामं द्विभुजं मुरलीधरम्।
लसत्पीतपटं रम्यं सराधं पुरुषोत्तम्।।
अर्थात- मंत्र जपते समय नवीन मेघश्याम दोभुजधारी बांसुरी बजाते हुए पीले वस्त्र पहने हुए श्रीराधिकाजी के सहित श्रीपुरुषोत्तम भगवान का ध्यान करना चाहिए।
गोवर्धनधरं वन्दे गोपालं गोपरूपिणम्।
गोकुलोत्सवमीशानं गोविन्दं गोपिकाप्रियम्।।
इस मंत्र का एक महीने तक भक्तिपूर्वक बार-बार जाप करने से पुरुषोत्तम भगवान की प्राप्ति होती है, ऐसा धर्मग्रंथों में लिखा है।
आचार्य कृष्ण दत्त शर्मा
राष्ट्रीय मिति फाल्गुन 23 शक संवत् 1938 चैत्र कृष्णा द्वितीया मंगलवार विक्रम संवत् 2073। सौर फाल्गुन मास प्रविष्टे 01जमद उस्मानी 14 हिजरी 1438 (मुस्लिम) तदनुसार अंग्रेजी तारीख 14 मार्च सन् 2017 ई०। उत्तरायण दक्षिण गोल वसन्त ऋतु।
राहूकाल अपराह्न 3 बजे से 4 बजकर 30 मिनट तक द्वितीया तिथि रात्रि 9 बजकर 49 मिनट तक उपरांत तृतीया तिथि का आरंभ,
हस्त नक्षत्र रात्रि 8 बजकर 11 मिनट तक उपरांत चित्रा नक्षत्र का आरंभ,
वृद्धियोग अर्धरात्रोत्तर 1 बजकर 58 मिनट तक उपरांत धु्रव योग का आरंभ,
तैतिल करण प्रातः 9 बजकर 17 मिनट तक उपरांत वणिज करण का आरंभ।
चन्द्रमा दिन रात कन्या राशि पर संचार करेगा। आज ही मीन में सूर्य 17/3 मुहूर्त 30 सन्त तुकाराम जयंती, संक्रान्ति पुण्य 11/7 से सूर्यास्त तक/व्यम 10/58-16/36।