ट्रंप ने भारत से मदद मांगी वहीं धमकी भरे लहजे का इस्तेमाल भी किया- क्यो?
7 April 2020 (Media Report) मंगलवार सुबह ही अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने धमकी भरे लहजे में बयान # भारत में कोरोना के मरीजों की संख्या पहुंची 4421 # सबसे ज्यादा केस महाराष्ट्र में सामने आए हैं. यहां संक्रमितों की संख्या बढ़कर 868 हो गई है. # ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन की हालत बिगड़ी. उन्हें ICU में शिफ्ट किया गया है. # सरकार ने 4 अप्रैल को हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन के निर्यात पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया था,# जबकि इससे पहले 25 मार्च को भारत सरकार ने हाइड्रोक्सी क्लोरोक्वाइन के निर्यात पर सबसे पहले बैन का ऐलान किया था, लेकिन इस आर्डर में कुछ छूट के प्रावधान किए गए थे. ट्रंप ने मोदी से जिस दिन निवेदन किया, उसी दिन सरकार ने हाइड्रोक्सी क्लोरोक्वाइन के निर्यात पर रोक का ऐलान किया था. # अमेरिका में अबतक 11 हजार लोगों की मौत # ट्रंप ने किया था निवेदन, उसी दिन भारत ने दवाई के निर्यात पर लगाया था बैन
महामारी और अंतरराष्ट्रीय संकट के इस दौर में भी अमेरिकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप के आक्रामक रवैए में कोई बदलाव नहीं आया है। उन्होंने भारत को खुले आम चेतावनी दी है कि यदि उसने अमेरिका को हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन दवा की आपूर्ति नहीं की तो वॉशिंगटन उसके ख़िलाफ़ बदले की कार्रवाई करेगा।
अमेरिका में संक्रमित मरीजों की बढ़ती संख्या के बीच राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से हाइड्रोक्सी क्लोरोक्वाइन मुहैया कराने की अपील की थी. ट्रंप व्हाईट हाऊस में कई बार अपने बयान में कह चुके हैं कि कोविड-19 के मरीजों के इलाज में मलेरिया रोधी दवा का इस्तेमाल किया जा सकता है. हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन’ मलेरिया की एक पुरानी और सस्ती दवाई है. इसलिए ट्रम्प इसे कोरोना वायरस के इलाज के लिए एक व्यवाहरिक उपचार बता रहे हैं. ट्रम्प ने श्रीलंका और नेपाल ने भी ऐसी ही मांग की. कोरोना वायरस से लड़ने के लिए भारत से मदद मांगने के बाद ट्रंप ने अब चेतावनी दी. ट्रंप ने कहा है कि अगर भारत हाइड्रो-ऑक्सी-क्लोरोक्विन के निर्यात से प्रतिबंध नहीं हटाता है तो वो भी जवाबी कार्रवाई करेंगे. ट्रंप ने कहा, ”मुझे भारत का यह फैसला पसंद नहीं है. मुझे पता है कि भारत ने अन्य देशों के लिए इसे रोक दिया. भारत और अमेरिका के संबंध कई सालों से बेहतरीन हैं. व्यापार से दोनों ही देशों को लाभ हुआ है. इसलिए मुझे आश्चर्य है कि यह उनका निर्णय है. अगर इसकी अनुमति भारत नहीं देता है तो यह ठीक नहीं होगा. यकीनन उन्हें इसके परिणाम भुगतने होंगे.’’
कोरोना वायरस (coronavirus) के खिलाफ लड़ाई में अमेरिका ने भारत से ‘हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन’ दवा की मांग की है. इस पर भारत ने मंगलवार को साफ शब्दों में कहा कि देश की घरेलू जरूरतों को पूरा करने के बाद इस दवा की उपलब्धता को देखते हुए फैसला किया जाएगा. न्यूज एजेंसी ANI ने सूत्रों के हवाले से बताया कि देश की जरूरतों को पूरा करने के बाद बचे हुए स्टॉक को मानवीय आधार पर बाहर भेजने के बारे में विदेश मंत्रालय और फार्मा विभाग फैसला लेगा.
ट्रंप के कहने का मतलब साफ़ है कि क्लोरोक्वीन दवा नहीं दी गई तो अमेरिका भारत पर व्यापारिक प्रतिबंध लगा सकता है और भारतीय निर्यात के लिए नई अड़चनें खड़ी कर सकता है।
ट्रंप की यह धमकी भारत में दवाओं के निर्यात पर प्रतिबंध की घोषणा के दो हफ़्ते बाद आई है। ट्रंप ने प्रधानमंत्री मोदी को फ़ोन किया और इस दवा के निर्यात पर लगी रोक हटाने की माँग की। ट्रंप ने सोमवार को पत्रकारों के सवाल के जवाब में कहा, ‘मुझे आश्चर्य होगा यदि प्रधानमंत्री मोदी इससे इनकार करते हैं क्योंकि भारत और अमेरिका के अच्छे रिश्ते हैं।’ ट्रंप ने इसी प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा :
भारत अमेरिका के साथ व्यापारिक रिश्तों का फ़ायदा उठाता आया है। मुझे नहीं लगता है कि मोदी बदले की कार्रवाई के तहत हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन दवा के निर्यात पर लोक लगाएंगे। लेकिन यदि भारत ने अमेरिका को क्लोरोक्वीन दवा नहीं दी तो हम भी उसके ख़िलाफ़ बदले की कार्रवाई करेंगे।’– डोनल्ड ट्रंप, राष्ट्रपति, अमेरिका
कोरोना वायरस महामारी से जूझ रही दुनिया में इस वक्त सबसे ज्यादा चिंता लोगों के इलाज की है. कोरोना के विकराल रूप से जूझ रहे अमेरिका ने महासंकट के बीच भारत से मदद मांगी, तो वहीं राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने धमकी भरे लहजे का इस्तेमाल भी किया. हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन दवाई को लेकर मचे विवाद के बीच अब भारत के विदेश मंत्रालय ने जवाब दिया है और कहा है कि पहले भारत में इसकी जरूरतों और स्टॉक को परखा गया है और उसी के बाद सर्वाधिक प्रभावित देशों को मदद पहुंचाने का फैसला लिया है.
इसके पहले अमेरिकी राष्ट्रपति ने हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन को कोरोना के इलाज में ‘गेम चेंजर’ क़रार दिया था, हालाँकि अभी भी यह पूरी तरह प्रमाणित नहीं हो सका है कि मलेरिया की इस दवा से कोरोना का इलाज भी हो सकता है। पिछले हफ़्ते अमेरिका के फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन ने अस्पताल में कोरोना मरीजों के इलाज के लिए हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन सल्फ़ेट के इस्तेमाल की अनुमति दे दी थी। भारत ने इसके पहले 25 मार्च को हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन के निर्यात पर रोक लगा दी थी। इसके साथ ही सरकार ने कहा था इसके निर्यात पर फ़ैसला ‘मानवता के आधार पर अलग-अलग मामलों में अलग-अलग ढंग’ से लिया जा सकता है।
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बयान के बाद विदेश मंत्रालय के नए प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव की ओर से बयान जारी किया गया. विदेश मंत्रालय ने कहा है, ‘हमारी प्राथमिकता ये है कि जरूरत की दवाइयों का देश में भरपूर स्टॉक हो, ताकि अपने लोगों की जरूरतों को पूरा किया जा सके. इसी के चलते कई दवाइयों पर कुछ समय के लिए निर्यात पर रोक लगाई थी, लेकिन लगातार नए हालात को देखते हुए सरकार ने कुछ दवाओं पर लगी निर्यात की रोक हटा दी है’.
विदेश मंत्रालय के मुताबिक, ‘पैरासिटामोल और हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन को लेकर लगातार हालात का जायजा लिया जा रहा है, जब एक बार भारत में इनका भरपूर स्टॉक होगा तब कंपनियों की ओर से उस आधार पर फैसला लिया जा सकता है. दुनिया की ओर से लगातार की जा रही अपील पर विदेश मंत्रालय का कहना है कि इस महासंकट के समय में हम उम्मीद करते हैं कि दुनिया एक साथ होकर लड़ेगी. हमने भी लगातार इस ओर कदम बढ़ाए हैं, जिसका उदाहरण ये है कि कई देशों से हमने विभिन्न देशों के नागरिकों को बचाया है.
विदेश मंत्रालय ने अपने बयान में कहा कि भारत को पैरासिटामोल और हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन का ध्यान इसलिए भी रखना है क्योंकि कुछ पड़ोसी देश पूरी तरह से हमारे पर निर्भर हैं. ऐसे में उन्हें इन दवाई की इजाजत दी गई है. साथ ही जरूरत की दवाइयों की सप्लाई उन देशों को जरूर की जाएगी, जहां कोरोना वायरस की वजह से हालात ज्यादा खराब हैं. ऐसे में इस स्थिति को किसी भी तरह से राजनीतिक रूप ना दें.
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने अपने ट्वीट में लिखा, ‘मित्रों में प्रतिशोध की भावना?
कोरोना वायरस महामारी के संकट के बीच भारत और अमेरिका के संबंधों में बीते दिनों तल्खी दिखी. एक दवाई को लेकर जिस तरह से अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने बयान दिया, उसपर काफी चर्चा हुई. अब कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी इस मसले पर ट्वीट किया है और कहा है कि भारत को हर किसी की मदद करनी चाहिए, लेकिन पहले भारतीयों का ख्याल रखा जाना चाहिए. कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने अपने ट्वीट में लिखा, ‘मित्रों में प्रतिशोध की भावना? भारत को सभी देशों की सहायता के लिए तैयार रहना चाहिए लेकिन सबसे पहले जान बचाने की सभी दवाइयां और उपकरण अपने देश के कोने-कोने तक पहुंचना अनिवार्य है.’
‘हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन’ मलेरिया की एक पुरानी और सस्ती दवाई है. ट्रंप इसे कोविड-19 के इलाज के लिए एक व्यवाहरिक उपचार बता रहे हैं. संक्रमण से अमेरिका में 10,000 से अधिक लोगों की जान जा चुकी है और करीब साढ़े तीन लाख लोग इससे संक्रमित हैं.
ट्रंप ने पिछले सप्ताह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ‘हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन’ की गोलियों की खेप भेजने की अनुमति देने को कहा था जिसका आदेश अमेरिका ने दिया था. भारत ने इसकी बढ़ती मांग को देखते हुए इसके निर्यात पर रोक लगा दी थी. ट्रंप ने सोमवार को व्हाइट हाउस में संवाददाताओं से कहा, ‘‘ यह मेरे लिए चौंकाने वाला होगा क्योंकि भारत के अमेरिका के साथ अच्छे संबंध है.’’
भारत से श्रीलंका और नेपाल ने भी ऐसी ही मांग की है. वहीं भारत का कहना है कि भारत निर्यात प्रतिबंध हटाने पर गौर कर रहा है.
भारत के कई वर्षों तक अमेरिका से व्यापारिक लाभ उठाने की बात दोहराते हुए ट्रंप ने कहा कि नई दिल्ली का अमेरिका को ‘हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन’ का निर्यात ना करना चौंकाने वाला होगा. उन्होंने कहा, ‘‘ अगर यह उनका निर्णय हुआ तो मेरे लिए यह चौंकाने वाला होगा. उन्हें मुझे यह बताना होगा. मैंने रविवार सुबह उनसे बात की थी फोन किया था और मैंने कहा था कि हम निर्यात को अनुमति देने के आपके निर्णय का स्वागत करेंगे. अगर उन्होंने ऐसा नहीं किया तो कोई बात नहीं लेकिन यकीनन उन्हें इसके परिणाम भुगतने होंगे.’’उनका यह बयान ऐसे समय में आया है जब दोनों ही देश कोविड-19 संकट से निपटने में लगे हैं.
गूगल ने अपने सर्च इंजन में रखा वरियता क्रम में- BY: www.himalayauk.org (Uttrakhand Leading Newsportal ) Publish at Dehradun & Hariwar Mail us; himalayauk@gmail.com Mob. 9412932030## Media Report