मार्च 2022; 6 राशियों का भाग्योदय होना तय- सितारों की चाल और ग्रहों के हाल राजनीति में किसका कद ऊंचा करने जा रहे हैं; एक्सक्लूसिव
मार्च के महीने में बुध, सूर्य और शुक्र राशि परिवर्तन करने से कुछ राशियों का भाग्योदय होना तय है। 6 राशियों के लिए मार्च का महीना वरदान के समान रहने वाला है, इनका भाग्य उदय होगा, खूब चमकेगा भाग्य का सितारा
मिथुन राशि : कर्क राशि :वृश्चिक राशि और मीन राशि
1 मार्च को महाशिवरात्रि है। इस दिन पांच राशि वाले बेहद किस्मत वाले रहेंगे। इन पर भगवान शिवजी की विशेष कृपा रहेगी। भगवान भोलेनाथ के आशीर्वाद से सभी मनोकामना पूरी होंगी। कर्क राशिवालों को महाशिवरात्रि पर भगवान शंकर का आशीर्वाद प्राप्त होगा। कष्टों से मुक्ति मिलेगी। अप्रत्याशित लाभ मिल सकता है। कर्क राशि: इस राशि के लोगों को महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव का पंचामृत से अभिषेक करना चाहिये और महादेव के “द्वादश” नाम का स्मरण करना चाहिये।
हिमालयायूके न्यूस्पोर्टल के लिए चन्द्रशेखर जोशी की रिपोर्ट
हरीश नाम का अर्थ बेहद यूनिक है, हरीश का मतलब भगवान शिव, शिव और विष्णु संयुक्त होता है। इसका गहरा प्रभाव व्यक्ति के स्वभाव पर भी पड़ता है। भगवान शंकर को कर्क राशि का आराध्य देव माना जाता है। हरीश नाम का नक्षत्र पुंनर्वासु है, पुंनर्वसु नक्षत्र का चिन्ह धनुष हैं, इनके नक्षत्र का स्वामी गुरु है, महाशिवरात्रि के दिन कर्क राशि वालों को भगवान शिव (Lord Shiva) का आशीर्वाद मिलेगा। भगवान शिव की कृपा से कष्टों से मुक्ति मिलेगी। इस दिन भगवान शिव का विधिवत रूद्राभिषेक करने से सभी परेशानियां दूर होंगी।
राहु 17 मार्च, 2022 को आपके 10वें भाव में गोचर करेगा , आपको अपने कार्यस्थल पर राजनीति का भार झेलना पड़ेगा, अवधि के दौरान आपके करीबी आपके खिलाफ षडयंत्र रच सकते हैं। आप खोया हुआ, विचलित और तनावग्रस्तमहसूस करेंगे , सितारों की चाल और ग्रहों के हाल आपके लिये शानदार बदलाव लायेगे, आपकी पदोन्नति होने से आपका कद ऊंचा हो जाएगा तथा आप अच्छी स्थिति में आ जाएंगे।
यह समय आपकी प्रतिभा के प्रदर्शन का श्रेष्ठ समय है
मार्च में आपसे बड़ी संख्या में लोग मिलेंगे. लोकप्रियता में वृद्धि होगी और माह के उत्तरार्ध में मान-सम्मान के साथ अर्थ-लाभ में भी वृद्धि होगी. माह का दूसरा सप्ताह ख्याति या प्रतिष्ठा के बल पर अपना काम निकालने में सफल भी होंगे.
हरीश नाम के लोगों की राशि कर्क है। कर्क राशि का स्वामी ग्रह चंद्रमा है। भगवान शंकर को कर्क राशि का आराध्य देव माना जाता है। कर्क राशि का स्वामी ग्रह चंद्रमा है। भगवान शंकर को कर्क राशि का आराध्य देव माना जाता है। हरीश नाम वालो को चिंता करने और टेन्शन लेने की आदत होती है। कर्क राशि के व्यक्ति कभी किसी की बातों से बोर नहीं होते और दूसरों की समस्याओं को समझते हैं।
जिनका नाम हरीश है, उनका स्वामी ग्रह चंद्रमा और शुभ अंक 2 होता है। 2 अंक वाले व्यक्ति भावनात्मक, संवेदनशील और आकर्षक होते हैं। हरीश नाम के लोगों का ग्रह स्वामी चंद्रमा होने के कारण ये हमेशा दूसरों की मदद करते हैं। इनमें आत्मविश्वास की बहुत कमी होती है इसलिए ये लोग कभी अपनी योजनाएं पूरी नहीं कर पाते हैं। शुभ अंक 2 वाले लोग काफी दयालु होते हैं और हमेशा दूसरों को सही रास्ता दिखाते हैं। हरीश नाम वाले व्यक्ति बहुत जल्दी दूसरों की बातों से आहत हो जाते हैं लेकिन ये आसानी से क्षमा भी कर देते हैं।
अगस्त में मन में वैराग्य की भावना उत्पन्न हो सकती है या आप चल रहे घटनाक्रम से पलायन कर लेंगे.
हरीश नाम के लोगों की राशि कर्क होती है। इन लोगों को दुविधा या किसी प्रकार के झगडे में पड़ना पसंद नहीं होता। हरीश नाम के लोग जो ठान लेते हैं, उसे करके ही दम लेते हैं। हरीश नाम के लोगों में बाहर से महत्वाकांक्षा नहीं दिखती, जबकि अंदर से इनकी इच्छाएं व लक्ष्य बहुत मजबूत होते हैं। जिनकी राशि कर्क होती है, उनमें एक अच्छा मैनेजर बनने के गुण होते हैं। अपने सहकर्मियों को हरीश नाम के लोग परिवार की तरह ही खूब प्यार देते हैं।
हरीश का शुभ रंग पीला और हरा है, शुभ अंक ज्योतिष 9 है, शुभ पत्थर मोती है, हरीश नाम का नक्षत्र पुंनर्वासु है, पुंनर्वसु नक्षत्र का चिन्ह धनुष हैं, इनके नक्षत्र का स्वामी गुरु है,
कर्क (केकड़े) का सम्बन्ध पाचन तंत्र और पेट से जुड़ा होता है। कर्क राशि के लोगों का पाचन तंत्र कमजोर होता है, जिसके कारण इन्हें पाचन-तंत्र से जुड़े रोग होने की आशंका रहती है।
हरीश नाम के लोग बेहद कल्पनाशील होते है, किसी भी चीज को सजाने सवारने का काम इनको अच्छा लगता है, इन लोगो मे बेहद आर्कषण होता है, अपने व्यक्तित्व के अनुसार बेहतर लिखने और समझने वाले होते है, यह लोग जीवन मे मित्रता को बहुत महत्व देते है, प्रकृति के प्रति इनमे असीम प्यार होता है, समाज के प्रति इनका दूर दर्शिता का नजरिया होता है, इनमें बहुत हिम्मत होती है, इनकी सादगी ही ईनको दुसरो से अलग बनाती है,
ज्योतिष ; मार्च के महीने में बुध, सूर्य और शुक्र राशि परिवर्तन करने से कुछ राशियों का भाग्योदय होना तय है। 6 राशियों के लिए मार्च का महीना वरदान के समान रहने वाला है, इनका भाग्य उदय होगा, खूब चमकेगा भाग्य का सितारामिथुन राशि : कर्क राशि :वृश्चिक राशि और मीन राशि
कर्क राशि वाले दुर्गा माता की पूजा करें। माता से चावल और चांदी की कोई वस्तु लेकर अपने पास रखें। 43 दिन तक किसी धर्मस्थल पर बगैर जूते-चप्पल पहने जाएं। गरीबों और जरूरतमंदों को खाना खिलाएं। दूध में थोड़ी-सी हल्दी या केसर मिलाकर रोजाना सोने से पहले पिएं। शनिवार के दिन शनि मंदिर में बादाम या सरसों के तेल का दान करें। जब भी संभव हो, गली के कुत्तों को खाना खिलाएं।
मार्च में आपसे बड़ी संख्या में लोग मिलेंगे. लोकप्रियता में वृद्धि होगी और माह के उत्तरार्ध में मान-सम्मान के साथ अर्थ-लाभ में भी वृद्धि होगी. माह का दूसरा सप्ताह ख्याति या प्रतिष्ठा के बल पर अपना काम निकालने में सफल भी होंगे. जून में आपके स्वभाव में काफी तेजी रहेगी और नीतिगत निर्णय तेज गति से लेने में आप विश्वास करेंगे. आपको कई मामले में सख्ती बरतनी पड़ सकती है, अन्यथा नुकसानदेह अंदेशा रहेगा. जुलाई में मत विभिन्नता बहुत अधिक होगी, इसलिए नियमों को सही ढंग से लागू नहीं कर पाएंगे.
ऐसे में अगस्त में मन में वैराग्य की भावना उत्पन्न हो सकती है या आप चल रहे घटनाक्रम से पलायन कर लेंगे.
अक्टूबर में अत्यधिक तनाव से मुक्ति मिलेगी और जीवन यापन में आ रही बाधाओं का निवारण होगा. दिसंबर में शत्रु परास्त होंगे और आपके विरुद्ध कुछ भी नहीं कर पाएंगे. यह वर्ष का श्रेष्ठ समय होगा और अचानक हुई किसी उपलब्धि के कारण आप प्रसन्नता का अनुभव करेंगे.
शोध कार्य में रुचि जाग्रत होगी. कार्य बढ़ता ही जाएगा और आपका मान-सम्मान व व्यस्तता भी बढ़ जाएंगे. जनवरी का समय उत्साहजनक रहेगा और आप सफलता तक पहुंचने के लिए तैयार होंगे.
तनाव उत्पन्न न होने दें. फरवरी में कुछ कड़वाहट का सामना करना पड़ेगा. अधिक कार्यभार व जिम्मेदारियां आपके कंधों पर आ सकती है, जिसको निभाने के लिए आपको बहुत अधिक ध्यान देना होगा.
उच्चाधिकारियों को दिशा निर्देशों का पालन करना मुख्य लक्ष्य होना चाहिए. आपका परिचय बड़े रूप में लिया जाएगा यानी आपकी ब्रांडिंग अच्छी होगी. यह माह अत्यधिक कार्य वाला है. सभी आप पर भरोसा करेंगे, इसलिए इस समय बहुत कार्य दक्षता की आवश्यकता है. यह समय आपकी प्रतिभा के प्रदर्शन का श्रेष्ठ समय है. आपका कार्य-निष्पादन उच्चकोटि का होगा तथा आप कुछ नया करने में सफल होंगे. प्रतिभा के बल पर न केवल सफलता पाएंगे बल्कि प्रसिद्ध भी हो जाएंगे.
व्यावसायिक यात्राएं बढ़ेगी. बड़े लोगों का सानिध्य मिलेगा. आपको यश, प्रशंसा मिलेगी और किसी मंच पर सम्मानित भी किया जा सकता है.
स्वास्थ्य – पेट के विकारों में कोई आयुर्वेदिक दवाएं काम कर सकती हैं. इस समय आपको प्राणायाम या एकाग्रता बढ़ाने वाली किसी विधि का प्रयोग करना चाहिए.
उत्तराखंड में एक ऐसा शिवालय है, जहां कहा जाता है कि इसके दर्शन मात्र से ही वाराणसी के काशी विश्वनाथ के बराबर दर्शन पाने का सुख मिलता है।
उत्तराखंड में एक ऐसा शिवालय है, जहां कहा जाता है कि इसके दर्शन मात्र से ही वाराणसी के काशी विश्वनाथ के बराबर दर्शन पाने का सुख मिलता है। भारत में यूं तो तीन काशी प्रसिद्ध हैं। एक काशी वाराणसी वाली प्रसिद्ध है। तो दो काशी उत्तराखंड में हैं। पहला है उत्तरकाशी और दूसरा है गुप्तकाशी। मान्यता है कि भगवान भोलेनाथ यहां काशी विश्वनाथ के रूप में विराजमान हैं। उत्तरकाशी शहर मां भागीरथी (गंगा) के तट पर स्थित है। इस नगर के बीचों-बीच महादेव का भव्य मंदिर है। ये मंदिर आस्था का बड़ा केंद्र है। मान्यता है कि उत्तरकाशी के काशी विश्वनाथ मंदिर के दर्शनों का फल वाराणसी के काशी विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग के दर्शनों के बराबर है।
पौराणिक कथाओं के मुताबिक उत्तरकाशी में ही राजा भागीरथ ने तपस्या की थी और उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर ब्रह्मा जी ने उन्हें वरदान दिया था। पौराणिक कथाओं के अनुसार उत्तरकाशी में ही राजा भागीरथ ने तपस्या की थी और उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर ब्रह्मा जी ने उन्हें वरदान दिया था कि भगवान शिव धरती पर आ रही गंगा के वेग को धारण कर लेंगे।
कहा जाता है कि किसी समय में वाराणसी (काशी) कोकलयुग में यवनों के संताप से पवित्रता भंग होने का श्राप मिला था। इस श्राप से व्याकुल होकर देवताओं और ऋषि-मुनियों द्वारा शिव उपासना का स्थान भगवान शंकर से पूछा तो उन्होने बताया कि काशी सहित सब तीर्थों के साथ वह हिमालय पर निवास करेंगे। इसी आधार पर वरुणावत पर्वत पर असी और भागीरथी संगम पर देवताओं द्वारा उत्तर की काशी यानि उत्तरकाशी बसाई गई। यही कारण है कि उत्तरकाशी में वे सभी मंदिर एवं घाट स्थित हैं, जो वाराणसी में स्थित है। इनमें विश्वनाथ मंदिर, अन्नपूर्णा मंदिर, भैरव मंदिर समेत मणिकर्णिका घाट एवं केदारघाट आदि शामिल हैं।
मंदिर के ठीक सामने मां पार्वती त्रिशूल रूप में विराजमान हैं। कहा जाता है कि राक्षस महिषासुर का वध करने के बाद मां दुर्गा ने अपना त्रिशूल धरती पर फेंका था। ये त्रिशूल यहीं आकर गिरा था। तब से इस स्थान पर मां दुर्गा की शक्ति स्तम्भ के रूप में पूजा की जाती है।
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