मायावती ने ब्राह्मण कार्ड खेला

mayawati-with-giolden-crownमायावती ने   ब्राह्मण कार्ड खेला -रामवीर पश्चिमी यूपी की कमान – रामवीर उपाध्याय को पश्चिमी उत्तर प्रदेश के आगरा, अलीगढ़, सहारनपुर, मुरादाबाद, मेरठ और बरेली संभाग के सभी आरक्षित सीटों पर चुनावी रैलियों के नेतृत्व की जिम्मेदारी  इंडियन एक्सप्रेस के साथ बातचीत में रामवीर उपाध्याय ने नई जिम्मेदारी के बारे में बताते हुए कहा कि जल्द ही वो योजना बनाकर रैलियां शुरू करेंगे।- presents by www.himalayauk.org  (Leading Digital Newsportal ) 

बहुजन समाज पार्टी ने उत्तर प्रदेश में 2017 में होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए तैयारियां शुरू कर दी हैं। इसी कड़ी में पार्टी ने पश्चिमी उत्तर प्रदेश में ब्राह्मण मतदाताओं को रिझाने के लिए पूर्व कैबिनेट मंत्री रामवीर उपाध्याय का कद बढ़ाते हुए उन्हें अहम जिम्मेदारी सौंपी है। पार्टी सुप्रीमो मायावती ने प्रदेश की सत्ता तक पहुंचने के लिए रामवीर के जरिये ब्राह्मण कार्ड खेला है। उन्हें पश्चिमी यूपी की कमान सौंप दी गई है। बसपा के टिकट पर हाथरस जिले के सिंकदरा राव सीट से चौथी बार विधानसभा पहुंचे रामवीर उपाध्याय को पार्टी ने विधानसभा में लोक लेखा समिति का चेयरमैन बनाने की भी तैयारी की है। इसके लिए पार्टी की तरफ से रामवीर उपाध्याय का नाम भी आगे कर दिया गया है। यह पद नाकुर से बसपा विधायक धर्म सिंह सैनी के बसपा छोड़ भाजपा में शामिल होने के बाद से ही खाली पड़ा है।
बसपा के महासचिव सतीश चंद्र मिश्रा द्वारा रामवीर उपाध्याय को पश्चिमी उत्तर प्रदेश के आगरा, अलीगढ़, सहारनपुर, मुरादाबाद, मेरठ और बरेली संभाग के सभी आरक्षित सीटों पर चुनावी रैलियों के नेतृत्व की जिम्मेदारी दी गई है। बसपा के विश्वासपात्र ब्राह्मण चेहरा के तौर पर पहचाने जाने वाले सतीश चंद्र मिश्रा बुंदेलखंड, पूर्वी उत्तर प्रदेश और मध्य उत्तर प्रदेश में खुद पार्टी की चुनावी रैलियों का नेतृत्व करेंगे। इंडियन एक्सप्रेस के साथ बातचीत में रामवीर उपाध्याय ने नई जिम्मेदारी के बारे में बताते हुए कहा कि जल्द ही वो योजना बनाकर रैलियां शुरू करेंगे।
वर्ष 1992 में हाथरस से सियासत की दहलीज पर कदम रखने वाले रामवीर उपाध्याय को शुरुआत में सियासी उथल-पुथल से गुजरना पड़ा। पहले वे भाजपा से जुड़े, मगर यहां से टिकट की उम्मीद टूटी तो सपा का दामन थामा। जब वीयं भी टिकट नहीं मिला तो वर्ष 1993 का विधानसभा चुनाव निर्दलीय लड़ा। यह चुनाव वे हारे जरूर, मगर जीतने वाले भाजपा प्रत्याशी को कड़ी टक्कर दी और दूसरे नंबर पर रहे। वर्ष 1996 के चुनाव से पूर्व उन्होंने बसपा का दामन थाम लिया और हाथरस क्षेत्र से चुनाव जीतकर पहली बार विधानसभा पहुंचे। प्रदेश में भाजपा-बसपा गठबंधन की सरकार बनी। वर्ष 1997 में जब सरकार की कमान मायावती के हाथों में आई तो उन्होंने रामवीर उपाध्याय को कैबिनेट मंत्री बनाया।
उसके बाद से अब तक वे लगातार चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंच रहे हैं। वर्ष 2002 व 2007 में वे हाथरस विधानसभा क्षेत्र से विधानसभा पहुंचे और कैबिनेट मंत्री बने। ऊर्जा, उच्च शिक्षा, परिवहन मंत्रालय जैसे महत्वपूर्ण विभागों की जिम्मेदारी संभाली। इस तरह वे बसपा में कद्दावर नेता बनकर उभरे। वर्ष 2012 के चुनाव से पूर्व विधानसभा क्षेत्रों के हुए परिसीमन में हाथरस क्षेत्र सुरक्षित हो गया तो उन्होंने इसी जनपद के सिकंदराराव क्षेत्र से चुनाव लड़ा और जीतकर विधानसभा पहुंचे। वर्ष 2017 का चुनाव वे सादाबाद क्षेत्र से लड़ने की तैयारी में हैं। हालांकि रामवीर उपाध्याय के समर्थकों का मानना है कि बहुजन समाज पार्टी का पहला ब्राह्मण विधायक और मंत्री होने के बावजूद उनको पार्टी ने बहुत देर से उचित सम्मान दिया है।

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