7 सांसदों की बेनामी संपत्ति पकड में आयी; जांच होगी
7 लोकसभा सांसदों ने बनायीं है सबसे ज्यादा बेनामी संपत्ति – इनकी जांच होगी- एक्सक्लूसिव- रिपोर्ट- हिमालयायूके ब्यूरो-
विधायकों और सांसदों की आमदन से अधिक संपत्ति मामले में सी.बी.डी.टी. ने सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में एफिडेविट दाखिल किया है। केंद्रीय प्रत्यक्ष टैकस बोर्ड (सी.बी.डी.टी.) ने अपने एफिडेविड में लिखा है कि विधायकों और सांसदों की आमदन की इनकम टैकस विभाग ने जो शुरूआती पडताल की है, वह बिल्कुल सही पाई गई है कि 7 लोग सभा सांसदों (एम. पी.) की जायदाद में भारी बढ़ोत्तरी हुई है।
सरकारी वकील ने कहा था कि फेयर इलेक्शन देश के लोकतंत्र का अहम हिस्सा हैं। इस बारे में कोर्ट के निर्देशों का हम स्वागत करते हैं। जल्द ही इस बारे में सभी जानकारियां कोर्ट को देंगे। यह सरकार की ओर से चलाए जा रहे स्वच्छ भारत (अभियान) के अंदर आता है। ये सिर्फ कूड़े की सफाई के लिए ही नहीं है। सरकार का नजरिया बिल्कुल सही है।
विधायकों और सांसदों की आमदनी से अधिक संपत्ति मामले में सीबीडीटी ने आज सुप्रीम कोर्ट में एफिडेविट दाखिल किया है। सीबीडीटी ने अपने एफिडेविड में लिखा है कि विधायकों और सांसदों की आमदन की इनकम टैकस विभाग ने जो शुरूआती पडताल की है, वह बिल्कुल सही पाई गई है कि 7 सांसदों की जायदाद में भारी बढ़ोत्तरी हुई है। सीबीडीटी ने कहा है कि इनकम टैकस विभाग उन 7 लोग सभा सांसदों और 98 विधायकों की जायदाद की आगे जांच करेगा, जिन लोगों की जायदाद में जनू में ज्यादा बढ़ोत्तरी हुई है। एनजीओ की कोर्ट से अपील है कि इलेक्शन के दौरान एफिडेविट में सोर्स ऑफ इनकम का कॉलम जोड़ा जाए, ताकि कैंडिडेट्स का सोर्स ऑफ इनकम पता चल सके। कोर्ट ने इस संबंध में इलेक्शन कमीशन और केंद्र को नोटिस भी भेजा था। एनजीओ लोक प्रहरी ने सुप्रीम कोर्ट में पिटीशन फाइल की है। कोर्ट ने इस आधार पर केंद्र सरकार और इलेक्शन कमीशन को भी नोटिस जारी किया था। पिटीशन में चुनाव के नॉमिनेशन पेपर में एक कॉलम बढ़ाने की मांग की गई है। इसमें कैंडिडेट्स को सोर्स ऑफ इनकम बतानी होगी। पिटीशन के मुताबिक, अब तक देश में कोई भी कैंडिडेट चुनाव लड़ने से पहले अपनी, पत्नी और बच्चों की प्रॉपर्टी की जानकारी इलेक्शन कमीशन को देता है, लेकिन इस इनकम का सोर्स कहीं पर भी नहीं बताया जाता है।
सी.बी.डी.टी. ने कहा है कि इनकम टैकस विभाग उन 7 लोग सभा सांसदों और 98 विधायकों की जायदाद की आगे जांच करेगा, जिन लोगों की जायदाद में जनू में ज्यादा बढ़ोत्तरी हुई है। एन.जी.ओ. की कोर्ट से अपील है कि इलेक्शन के दौरान एफिडेविट में सोर्स ऑफ इनकम का कॉलम जोड़ा जाए, ताकि कैंडिडेट्स का सोर्स ऑफ इनकम पता चल सके। कोर्ट ने इस संबंध में इलेक्शन कमीशन और केंद्र को नोटिस भी भेजा था।
एन.जी.ओ. लोक प्रहरी ने सुप्रीम कोर्ट में पिटीशन फाइल की है। कोर्ट ने इस आधार पर केंद्र सरकार और इलेक्शन कमीशन को भी नोटिस जारी किया था। पिटीशन में चुनाव के नॉमिनेशन पेपर में एक कॉलम बढ़ाने की मांग की गई है। इसमें कैंडिडेट्स को सोर्स ऑफ इनकम बतानी होगी। पिटीशन के मुताबिक, अब तक देश में कोई भी कैंडिडेट चुनाव लड़ने से पहले अपनी, पत्नी और बच्चों की प्रॉपर्टी की जानकारी इलेक्शन कमीशन को देता है, लेकिन इस इनकम का सोर्स कहीं पर भी नहीं बताया जाता है।
जस्टिस जे. चेलमेश्वर और जस्टिस एस. अब्दुल नजीर की बेंच ने सुनवाई के दौरान कहा था कि सी.बी.डी.टी. की ओर से दायर किया एफिडेविड अधूरा है। क्या भारत सरकार का यही एटीट्यूड है? अब तक आपने (सरकार) क्या किया? पहले कहा था कि हम चुनाव सुधार के खिलाफ नहीं हैं। इस बारे में सभी जानकारियां ऑन रिकॉर्ड (कोर्ट में) होनी चाहिए। बेंच को लगता है कि जब सी.बी.डी.टी. का एफिडेविट कोर्ट के सामने आया तो यह अधूरा था। इसमें सभी जरूरी जानकारियां मौजूद होनी चाहिए। आप (सरकार) इसे अच्छी तरह से फाइल कर सकते हैं।
फिलहाल जो दस्तावेज मिला है वो एक टाइप किए गए कागज के अलावा कुछ नहीं है। आप वेग (अस्पष्ट) स्टेटमेंट ना दें। अगर सीबीडीटी ने कोई कार्रवाई की है तो बताएं कि क्या एक्शन लिया।”कोर्ट ने 12 सितंबर तक इस बारे में सरकार की ओर से एफिडेविट दाखिल करने का ऑर्डर दिया है और अगर एेसे किसी को लगता है कि इससे गोपनियता भंग होती है तो सीबीडीटी कल सीलबंद लिफाफे में उन सांसदों एवं विधायकों के नाम शीर्ष अदालत को सौंप सकता है