आखिरकार मुलायम ने दागा अखिलेश पर ब्रहमास्त्र
मुलाायम परिवार के बाद लालू परिवार– भाजपा का अब नया दांव-
समाजवादी में सफल कलह के बाद क्या लालू के परिवार में भी ऐसा ही बीज बो रही है, सूत्रों का कहना है कि जल्द ही लालू के बेटों में होगी फूट, ऐसा भांप कर भाजपा ने फेंका पासा, तेज प्रताप को दी वाई कैटेगरी की सुरक्षा –
वही दूसरी ओर आखिरकार परिवार में कलह समाप्त न होने पर मुलायम सिंह यादव ने अखिलेश पर ब्रहमास्त्र का प्रयोग किया- ये वो ब्रहमास्त्र है जिसके बल पर ही उन्होने समाजवादी पार्टी खडी की- हिमालययूके न्यूज पोर्टल की प्रस्तुति-
मुलायम सिंह यादव ने आरोप लगाया कि अखिलेश यादव ने यूपी विधानसभा चुनाव के लिए जारी की अपनी प्रत्याशी सूची में एक भी मुस्लिम उम्मीदवार को टिकट नहीं दिया है. यूपी में लगभग 19 फीसदी वोटर मुस्लिम हैं, और मुलायम ने कहा कि वह इस बात से चिंतित हैं कि उनके बेटे को ‘मुस्लिमों को चारा बनाने वाले’ के रूप में देखा जा रहा है.
मुलायम सिंह यादव ने सोमवार को पार्टी वर्कर्स से कहा, “अखिलेश ने जो किया है, उससे लोगों में हमारे लिए मुसलमान विरोधी मैसेज गया है। हमारी सरकार बनेगी तो अल्पसंख्यकों के लिए काम करूंगा। डीजीपी हमारी सुनता है। अखिलेश उसे डीजीपी नहीं बनाना चाहता था, जबकि इसी डीजीपी ने सीबीआई में हमारे खिलाफ लिखकर दिया था, लेकिन हमने उसे माफ कर दिया।
मुलायम सिंह यादव ने अपने समर्थकों से कहा कि वे अखिलेश यादव के खिलाफ लड़ने को भी तैयार हैं। लखनऊ में सपा दफ्तर में उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री उनकी बात नहीं सुन रहे हैं। मुलायम ने कहा, ”मैंने तीन बार अखिलेश को बुलाया पर वो एक मिनट के लिए ही आए और मेरी बात शुरू होने से पहले ही चले गए।” साइकिल के निशान को लेकर उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग जो भी फैसला करेगा वो माना जाएगा। साइकिल का चुनाव चिह्न किसे मिलेगा इसका फैसला चुनाव आयोग को करना है। माना जा रहा है कि आज इस पर फैसला आ सकता है।
उत्तर प्रदेश में होने वाले विधानसभा चुनाव के पहले चरण के लिए नामांकन पत्र भरने की प्रक्रिया मंगलवार से शुरू होने जा रही है, लेकिन समाजवादी पार्टी अब तक ‘बेतरतीब’ है, और प्रत्याशी असमंजस में हैं कि कौन किस सीट से लड़ने जा रहा है. उत्तर प्रदेश में सात चरणों में होने वाले चुनाव के लिए मतदान 11 फरवरी से शुरू होगा, और मतगणना 11 मार्च को की जाएगी.
एक ओर समाजवादी पार्टी को बहुत बेसब्री से अपने चुनाव चिह्न ‘साइकिल’ को लेकर चुनाव आयोग के फैसले का इंतज़ार है, वहीं उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव से पहले ऐसा भी लगने लगा है, जैसे मुलायम सिह यादव ने मान लिया हो कि उनके बेटे और राज्य के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के साथ जारी ‘संघर्ष’ को सुलझाने की सभी कोशिशों के नाकाम रहने की वजह से इस ‘युद्ध’ की परिणति पार्टी में दोफाड़ के रूप में ही होगी. पार्टी के लखनऊ कार्यालय में लगभग 500 कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए मुलायम सिंह यादव ने कहा, “अखिलेश मुझसे मिलने आए, लेकिन उन्होंने मेरी बात तक नहीं सुनी…” उन्होंने यह उम्मीद भी जताई कि चुनाव चिह्न पर निर्वाचन आयोग का फैसला सोमवार शाम 4 बजे तक आ जाएगा, और कहा कि वह “उस फैसले का पालन करेंगे…”
इसी महीने की शुरुआत में हुई एक पार्टी बैठक के दौरान पुत्र अखिलेश यादव द्वारा पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद से हटा दिए गए मुलायम सिंह यादव ने अपने चचेरे भाई रामगोपाल यादव पर ‘पार्टी को नष्ट करने’ का एक बार फिर आरोप लगाया. गौरतलब है कि अखिलेश यादव के अपने पिता मुलायम और अन्य चाचा शिवपाल यादव के खिलाफ किए गए विद्रोह के पीछे रामगोपाल यादव ही रहे हैं, और मुलायम-शिवपाल उन पर मुख्यमंत्री को ‘गुमराह’ करने का आरोप लगाते रहे हैं.
माना जा रहा है कि चुनाव चिह्न को लेकर फैसला हो जाने के बाद अखिलेश यादव कांग्रेस तथा अजित सिंह के राष्ट्रीय लोकदल (आरएलडी) जैसी छोटी पार्टियों के साथ गठबंधन की घोषणा कर सकते हैं, जबकि मुलायम सिंह यादव ने किसी भी पार्टी के साथ चुनाव-पूर्व गठबंधन से इंकार किया था. पार्टी के चुनाव चिह्न पर दावा पेश करने के लिए मुलायम सिंह यादव खुद चुनाव आयोग से मिलने पहुचे थे, जबकि मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के प्रतिनिधि के रूप में रामगोपाल यादव ने चुनाव आयोग से मुलाकात की थी. मुलायम सिंह यादव कह चुके हैं कि जिस बैठक में अखिलेश यादव को पार्टी अध्यक्ष घोषित किया गया था, वह असंवैधानिक थी, इसलिए पार्टी अभी तक एक ही है, और उसमें कोई गुट नहीं हैं.
पार्टी पर नियंत्रण हासिल करने के लिए जारी कड़वाहट से भरी जंग की शुरुआत तब हुई थी, जब पिता और चाचा शिवपाल यादव द्वारा जारी प्रत्याशी सूची के बहुत-से नामों को अखिलेश ने खारिज कर दिया था, और अपने प्रत्याशियों की अलग सूची जारी कर दी थी.
टीम अखिलेश ने निर्वाचन आयोग को बताया है कि मुख्यमंत्री के पास पार्टी के अधिकतर नेताओं व कार्यकर्ताओं का समर्थन है, और वही अब पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष भी हैं, सो, चुनाव चिह्न के रूप में ‘साइकिल’ उन्हें ही मिलनी चाहिए. वैसे, प्लान बी (वैकल्पिक योजना) के रूप में वे ‘मोटरसाइकिल’ की मांग करेंगे.
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