नैनीताल का चमत्कारी धाम: विश्व की हस्तियां आशीर्वाद लेकर धन्य होती रही हैं, 15 जून को हनुमान जी के अवतारी स्वय धाम मे मौजूद रहते हैं
15 जून को कैंची धाम का स्थापना दिवस: #बाबा हनुमान जी के अवतार #कैंची धाम के नीब करौरी बाबा की ख्याति विश्व भर में हैं# यहां आने वाला व्यक्ति कभी भी खाली हाथ वापस नहीं लौटता #यहां की एक अजीब प्रथा है कि यहां आने वाले लोग बाबा के मंदिर में कंबल चढ़ाते हैं. ऐसा इसलिए है क्योंकि बाबा हमेशा कंबल ही ओड़ा करते थे. # बाबा नीब करौरी अक्सर गर्मियों में कैंची धाम में आकर रहते थे। देश – विदेश से लाखों श्रद्धालु अक्सर गर्मियों में कैंची धाम पहुंचते हैं।
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बाबा अपनी दैवीय ऊर्जा से अचानक ही कहीं भी भक्तों के बीच प्रकट हो जाते थे और फिर अचानक ही लुप्त भी हो जाते थे। यहां तक की वे जिस वाहन में बैठे हो उसका पीछा करने या फिर पैदल चलते समय उनका पीछा करने पर भी वो अचानक ही विलुप्त हो जाते थे।
हनुमान जी के इस मंत्र का सुमिरन करें बाबा नीम करोरी 4 घंटे में सब ठीक कर देंगे,
एप्पल के सीईओ स्टीव जॉब्स की किस्मत भी बाबा नीम करोली के आशीर्वाद से ही पलटी थी। कहा जाता है कि बाबा नीम करोली के बारे में स्टीव जॉब्स को किसी ने उस समय बताया था जब वे जीवन में निराशा को झेल रहे थे, तब उनके परिचित ने उन्हें बाबा नीम करोली के धाम जाने की सलाह दी। जिसके बाद स्टीव जॉब्स अमेरिका से बाबा के दर्शन के लिए आए थे। लेकिन तब तक बाबा समाधि ले चुके हैं। इसके बावजूद स्टीव जॉब्स तीन माह तक बाबा के धाम में ही रहकर साधना करते रहे। कहा जाता है कि इसके बाद ही जीवन में निराशा को झेल रहे स्टीव ने एप्पल नाम के ब्रांड की स्थापना की और जीवन में सफलता के नए आयाम छू रहें हैं।
किस्मत बदलने वाला मंदिर | Neem Karoli Baba #STEVE JOBS और ज़करबर्ग जिन्हें अपना गुरू मानते थे,चमत्कारों से भरी है बाबा नीम करोली की कहानी
Execlusive Article by Chandra Shekhar Joshi Editor, www.himalayauk.org (Leading Newsportal & Print Media) publish at Dehradun & Haridwar Mob 9412932030, & मुख्य सेवक :माँ दशम विद्या श्री पीतांबरा- महामाइ बागुलामुखी मंदिर (निर्माणाधीन)
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हनुमान अवतार : बाबा नीम करोली महाराज को हनुमान जी का अवतार माना जाता है.
बाबा के भक्तों में अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा का नाम भी शामिल है. ओबामा के चुनाव से पहले अमेरिका से एक दल मंदिर आया था और उन्होंने ओबामा की जीत के लिए हनुमान चालीसा का पाठ किया था.बड़ी-बड़ी हस्तियां भी खुद को यहां आने से नहीं रोक पाई
बता दें कि बाबा नीम करौली महाराज के भक्तों में एप्पल के सीईओ स्टीव जॉब्स,फेसबुक के संस्थापक मार्क जुकरबर्ग सहित कई हॉलीवुड की अभिनेत्रियां शामिल हैं.
स्टीव जॉब की ही भांति फेसबुक के संस्थापक मार्क जुकरबर्ग की जिंदगी में भी प्वाइंट बाबा नीम करोली के धाम में आने के बाद ही बदलाव आया। दरअसल 32 साल के मार्क जुकरबर्ग उस समय तक फेसबुक की स्थापना तो कर चुके थे, लेकिन उसे आगे नहीं बढ़ा पा रहे थे। ऐसे में वे निराश होकर फेसबुक बेचने के बारे में सोचने लगे थे। इसी दौरान स्टीव जॉब ने ही उन्हें बाबा नीम करोली के धाम जाने की सलाह दी।
कहा जाता है कि जब जुकरबर्ग असमंजस की स्थिति में थे और उनका कारोबार नुकसान में था तो उस समय जुकरबर्ग बाबा नीम करौली धाम पहुंचे और फिर सबकुछ ठीक हो गया. स्टीव जॉब्स और मार्क जुकरबर्ग की तरह बाबा के ऐसे लाखों भक्त हैं, जिनकी मुराद बाबा के दरबार में आकर पूरी हुई है.
बाबा के धाम के बारे में स्टीव जॉब से सुनने के पश्चात वे यहां आए। यहां से मार्क जब वे वापस लौटे तो उनका जीवन बदल चुका था। मार्क जुकरबर्ग ने फेसबुक को नए सिरे से शुरु किया और इसके बाद से फेसबुक दुनिया की सबसे बड़ी सोशल मीडिया साइट है। बाबा के धाम के संबंध में ही मार्क जुकरबर्ग ने कुछ समय पहले पीएम नरेंद्र मोदी के साथ बातचीत में भी बताया था।
नैनीताल के कैंची धाम में बादल फटने के बाद भी मंदिर को कोई नुकसान नहीं हुआ था, उत्तराखंड को देवभूमि यूं ही नहीं कहा जाता है, बल्कि यहां कई मौकों पर इस बात का प्रमाण भी मिला है. उत्तराखंड में बड़ी से बड़ी दैवीय आपदा भी दूर हो जाती है. ऐसा ही एक नजारा देखने को मिला जब नैनीताल के विश्व प्रसिद्ध कैंची धाम की पहाड़ी पर जहां दो बार बादल फटने की घटना के बावजूद मंदिर परिसर में मामूली नुकसान हुआ है.
विश्व प्रसिद्ध नीम करौली महाराज के धाम में 15 जून 22 को होने वाले कैंची धाम मेला शुरू ; बाबा के भक्तों का मानना है कि बाबा हनुमान जी के अवतार थे। मान्यता है कि बाबा नीब करौरी को हनुमान जी की उपासना से अनेक चामत्कारिक सिद्धियां प्राप्त थीं।
बाबा नीब करौरी ने इस आश्रम की स्थापना 1964 में की थी। बाबा 1961 में पहली बार यहां आए और उन्होंने अपने पुराने मित्र पूर्णानंद जी के साथ मिल कर यहां आश्रम बनाने का विचार किया था।
इस धाम को स्थापित करने वाले बाबा नीम करौली को भगवान हनुमान का अवतार माना जाता है. कहते हैं कि यहां कोई भी व्यक्ति मुराद लेकर जाए तो वह खाली हाथ नहीं लौटता. यहां बाबा का समाधि स्थल भी है. विदेशी भक्तों की बात करें तो यहां अमेरिकी लोग सबसे ज्यादा आते हैं.
उत्तराखंड के नैनीताल जिले से करीब 65 किमी दूर कैंची धाम श्रद्धालुओं की आस्था का प्रतीक है। कैंची धाम के नीब करौरी बाबा की ख्याति विश्व भर में हैं। मान्यता है कि यहां आने वाला व्यक्ति कभी भी खाली हाथ वापस नहीं लौटता। यही वजह है कि देश – विदेश से लाखों श्रद्धालु कैंची धाम पहुंचते हैं। आज यानी 15 जून को कैंची धाम का स्थापना दिवस है।
बाबा नीब करौरी आडंबरों से दूर रहते थे, न तो उनके माथे पर तिलक होता था और न ही गले में कंठी माला। एक आम आदमी की तरह जीवन जीने वाले बाबा अपना पैर किसी को नहीं छूने देते थे। यदि कोई छूने की कोशिश करता तो वह उसे श्री हनुमान जी के पैर छूने को कहते थे। बाबा के भक्तों में एक आम आदमी से लेकर अरबपति-खरबपति तक शामिल हैं।
बाबा के भक्त और जाने-माने लेखक रिचर्ड अल्बर्ट ने मिरेकल आफ लव नाम से बाबा पर पुस्तक लिखी है। इस पुस्तक में बाबा नीब करौरी के चमत्कारों का विस्तार से वर्णन है। इनके अलावा हॉलीवुड अभिनेत्री जूलिया राबर्ट्स, एप्पल के फाउंडर स्टीव जाब्स और फेसबुक के संस्थापक मार्क जुकरबर्ग जैसी बड़ी विदेशी हस्तियां बाबा के भक्त हैं।
कैंची धाम में बाबा नीब करौरी के कई तरह के चमत्कार जुड़े हैं। बताया जाता है- एक बार भंडारे के दौरान कैंची धाम में घी की कमी पड़ गई थी। बाबा जी के आदेश पर नीचे बहती नदी से कनस्तर में जल भरकर लाया गया। उसे प्रसाद बनाने हेतु जब उपयोग में लाया गया तो वह जल घी में बदल गया।
एक बार बाबा नीब करौरी महाराज ने अपने भक्त को गर्मी की तपती धूप में बचाने के लिए उसे बादल की छतरी बनाकर, उसे उसकी मंजिल तक पहुंचवाया। ऐसे न जाने कितने किस्से बाबा और उनके पावन धाम से जुड़े हुए हैं, जिन्हें सुनकर लोग यहां पर खिंचे चले आते हैं।
बाबा नीब करौरी अक्सर गर्मियों में कैंची धाम में आकर रहते थे। देश – विदेश से लाखों श्रद्धालु अक्सर गर्मियों में कैंची धाम पहुंचते हैं।
बाबा नीब करौरी अक्सर गर्मियों में कैंची धाम में आकर रहते थे। बाबा के भक्तों ने इस स्थान पर हनुमान का भव्य मन्दिर बनवाया। यहां बाबा नीब करौरी की भी एक भव्य मूर्ति स्थापित की गयी है। बाबा नीब करौरी महाराज के देश-दुनिया में 108 आश्रम हैं। इन आश्रमों में सबसे बड़ा कैंची धाम और अमेरिका के न्यू मैक्सिको सिटी स्थित टाउस आश्रम है।
एप्पल के संस्थापक स्टीव जॉब्स, फेसबुक के संस्थापक मार्क जुकरबर्ग (Mark Zuckerberg) और हॉलीवुड अभिनेत्री जूलिया रॉबर्ट्स जिस भारतीय बाबा के भक्त रहे हैं, उनके धाम का 15 जून का स्थापना दिवस है. नीम करौली बाबा (Neem Karoli Baba) के पास देश ही नहीं दुनिया भर से भक्त आते थे और प्रेरणा पाते थे. उन्होंने 1964 में नैनीताल के पास पंतनगर में यह धाम/आश्रम बनाया था, जिसमें स्टीव जॉब्स (Steve Jobs) कई दिनों तक रहे. 15 जून को इस धाम की स्थापना दिवस के मौके पर देवभूमि कैंची धाम (Kainchi Dham) में मेला लगता है
सबसे ज्यादा विदेशी भक्त कनाडा, यूएस, जर्मनी, फ्रांस समेत अनेक देशों से यहां पहुंचते हैं.
नैनीताल के भवाली के पास बादल फट गया जिससे इलाके में भारी बारिश के साथ ही मलबा अल्मोड़ा को जोड़ने वाले नेशनल हाईवे पर आ गया. साथ ही इसकी चपेट में हाई-वे पर स्थित बाबा नीम करोली का प्रसिद्ध कैंची धाम भी आ गया. बादल फटने से मंदिर के चारों ओर मलबे का ढेर लग गया, लेकिन मंदिर के अंदर किसी भी भवन, गुफा समेत मुख्य मंदिर को कोई नुकसान नहीं पहुंचा.लोग इसे बाबा नीम करौली का एक और चमत्कार मान रहे हैं. ऐसा नहीं है कि ये पहली बार हुआ है बल्कि नीम करौली बाबा के कई किस्से हैं जिसने उन्हें न केवल देश में बल्कि विदेशों में भी ख्याति दी है. भक्तों की आस्था ऐसी कि हर साल लाखों की संख्या में देशी-विदेशी भक्त दूर-दूर से नैनीताल के कैंची धाम पहुंचकर बाबा नीम करौली के दर्शन करते हैं.
पिता उनसे मिलने पहुंचे और गृहस्थ जीवन का पालन करने को कहा।
बाबा नीम करोली महाराज के पिता का नाम श्री दुर्गा प्रसाद शर्मा था। उनकी प्रारंभिक शिक्षा अकबरपुर के किरहीनं गांव में हुई थी, उनका नाम लक्ष्मी नारायण शर्मा था। उनका 11 वर्ष कि उम्र में विवाह हो गया था। इसके बाद बाबा जी ने जल्दी ही घर छोड़ दिया और करीब 10 वर्षों तक घर से दूर रहे। ऐसे में एक दिन अचानक उनके पिता उनसे मिलने पहुंचे और गृहस्थ जीवन का पालन करने को कहा। पिता के आदेश को मानते हुए Neem Karoli Baba घर वापस लौट आए और दोबारा गृहस्थ जीवन शुरू कर दिया। वे गृहस्थ जीवन के साथ- साथ धार्मिक और सामाजिक कामों में भी सहायता करते थे। ग्रहस्थ जीवन के दौरान उन्हें दो बेटे और एक बेटी हुई।
कुछ समय बाद पुन: उनका घर गृहस्थी में मन लगना बंद हो गया, जिसके बाद 1958 के आस-पास उन्होंन फिर से घर त्याग कर दिया। जिसके बाद बाबा नीम करोली Neem Karoli Baba जी कई अलग-अलग जगह घूमने लगे। इसी भृमण के दौरान उनको लक्ष्मण दास, हांड़ी वाला बाबा, तिकोनिया वाला बाबा आदि नामों से जाना जाने लगा।
बाबा जी के संबंध में कहा जाता है कि उन्हें मात्र 17 वर्ष की आयु में ज्ञान प्राप्त हो गया था। गुजरात के बवानिया मोरबी में नीम करोली बाबा जी ने साधना की और वे वहां तलैयां वाला बाबा के नाम से मशहूर हो गए और वृंदावन में वे महाराज जी, चमत्कारी बाबा के नाम से भी जाने गए।
नीम करौली बाबा का वास्तविक नाम लक्ष्मीनारायण शर्मा था. वे उत्तरप्रदेश के अकबरपुर गांव में साल 1900 के आसपास जन्मे थे. वे हनुमान जी के परम भक्त थे, उन्होंने देश में भगवान हनुमान के कई मंदिर बनवाए. इसी कड़ी में उन्होंने नैनीताल में भी हनुमान मंदिर बनवाया. कैंची धाम में अन्य देवी-देवताओं के मंदिर भी हैं. बाबा ने वृंदावन में 11 सितंबर 1973 को अपना शरीर त्यागा था. उनके 2 बेटे और 1 बेटी हैं. बड़े बेटे अपने परिवार के साथ भोपाल में रहते हैं और छोटे बेटे का हाल ही में निधन हो गया है.
आस्था का महाकुंभ 15 जून से भवाली प्रसिद्ध कैंची धाम में 15 जून को होने वाले कैंची धाम मेले की तैयारियां शुरु हो गई है, जिसमे लाखों लाख श्रद्वालु उमड़ते हैंपिछले दो वर्ष कोरोना के कारण कैंची धाम में मेले का आयोजन नही किया गया। लेकिन इस वर्ष मेले का आयोजन किया जा रहा है। एक्सएक्लूसिव रिपोर्ट चंद्रशेखर जोशी
नीम करौली बाबा या नीब करौरी बाबा या महाराजजी की गणना बीसवीं शताब्दी के सबसे महान संतों में होती है।इनका जन्म स्थान ग्राम अकबरपुर जिला फ़िरोज़ाबाद उत्तर प्रदेश है जो किहिरनगाँव से 500 मीटर दूरी पर है। कैंची, नैनीताल, भुवाली से ७ कि॰मी॰ की दूरी पर भुवालीगाड के बायीं ओर स्थित है।
बाबा नीम करोली की समाधि वृंदावन में तो है ही, पर कैंची, नीब करौरी, वीरापुरम (चेन्नई) और लखनऊ में भी उनके अस्थि कलशों को भू समाधि दी गयी। उनके लाखों देशी और विदेशी भक्त हर दिन यहां बने उनके मंदिरों और उनके समाधि स्थलों पर जाकर बाबा का अदृश्य आशीर्वाद ग्रहण लेते हैं। दरअसल बाबा का 1973 में निधन हो गया था, लेकिन आश्रम में अब भी विदेशी आते रहते हैं। यह आश्रम फिलहाल एक ट्रस्ट चलाता है।
कब से कब तक: 11 सितंबर 1900 से 11 सितम्बर 1973 तक
मृत्यु तारीख: 11 सितम्बर 1973 मृत्यु का कारण: कोमा
मृत्यु स्थान: वृन्दावन राशि: कन्या राष्ट्रीयता: भारतीय धर्म: हिन्दू
हर मंगलवार या शनिवार के दिन बजरंग बली को बना हुआ बनारसी पान चढ़ाना चाहिए। हनुमानजी को फोटो घर में किसी पवित्र स्थान पर लगाएं, फोटो इस प्रकार लगाएं जिससे हनुमानजी दक्षिण दिशा की ओर देखते हुए दिखाई दें। संकटमोचन हनुमान अष्टक का पाठ करना बहुत लाभदायक माना जाता है।
हनुमान अष्टक…
बाल समय रवि भक्षि लियो, तब तीनहुं लोक भयो अंधियारो।
ताहि सों त्रास भयो जग को, यह संकट काहु सों जात न टारो।1।
देवन आनि करी विनती तब, छांड़ि दियो रवि कष्ट निवारो।
को नहिं जानत है जग में, कपि संकटमोचन नाम तिहारो।2।
बालि की त्रास कपीस बसै गिरि, जात महाप्रभु पंथ निहारौ।
चौंकि महामुनि शाप दियो तब, चाहिए कौन विचार विचारो।3।
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