ऐ चांद ! मेरे महबूब से फ़क़्त इतना कहना..

arabianoceanनज़्म
ऐ चांद ! मेरे महबूब से फ़क़्त इतना कहना…

ऐ चांद !
मेरे महबूब से फ़क़्त इतना कहना…
अब नहीं उठते हाथ
दुआ के लिए
तुम्हें पाने की ख़ातिर…

हमने
दिल की वीरानियों में
दफ़न कर दिया
उन सभी जज़्बात को
जो मचलते थे
तुम्हें पाने के लिए…

तुम्हें बेपनाह चाहने की
अपनी हर ख़्वाहिश को
फ़ना कर डाला…

अब नहीं देखती
सहर के सूरज को
जो तुम्हारा ही अक्स लगता था…

अब नहीं बरसतीं
मेरी आंखें
फुरक़त में तम्हारी
क्योंकि
दर्द की आग ने
अश्कों के समन्दर को
सहरा बना दिया…

अब कोई मंज़िल है
न कोई राह
और
न ही कोई हसरत रही
जीने की
लेकिन
तुमसे कोई शिकवा-शिकायत भी नहीं…

ऐ चांद !
मेरे महबूब से फ़क़्त इतना कहना…
-फ़िरदौस ख़ान

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *