देवऋषि नारद स्वंय एक पत्रकार थे; आरएसएस
नारद मुनि को युगों से ईश्वर का दूत माना जाता है। संचार की दुनिया के गुरु के रूप में बहुत श्रद्धा एवं निष्ठा के साथ पूजा जाता है। ऋग्वेद के अनुसार नारद, हूण देश के निवासी थे, जो दरअसल चीन की सीमा से सटा उत्तराखण्ड है। उत्तराखण्ड के चमोली क्षेत्र में अब भी यह किवदंती मशहूर हैः ‘हूण देश में रहते नारद थोलिंग मठ वाले’। उनके निवास की जगह को थोलिंग कहा जाता है और वह चमोली के पास 12,200 फीट की ऊंचाई पर स्थित है। (www.himalayauk.org) Web & Print Media’Ddun
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) ने देवऋषि नारद जयंती पर पत्रकारों के लिए एक नया आदर्श स्थापित किया है। आरएसएस ने कहा है कि पत्रकारों के पास समाज के लिए अहम जिम्मेदारियां होती हैं। लेकिन वर्तमान में यैलो जर्नलिज्म के माहौल में समाज से जुड़े मुद्दों को उजागर करने और समाज के प्रति अपनी बनती जिम्मेदारी को निभाने के लिए एक असल पत्रकार को बहुत संघर्षों से गुजरना पड़ रहा है।
पंजाब में आरएसएस कैडर ने नारद जयंती के अवसर पर ‘आधुनिक भारत में मीडिया की भूमिका’ एक सेमिनार आयोजित किया था। इसमें आरएसएस के सहयोगी साप्ताहिक पत्रिका ‘पांचजन्य’ के संपादक और कई जाने-माने पत्रकारों ने भाग लिया। सेमिनार में पत्रकारों को देवऋषि नारद के रुप में पत्रकारिता करने को कहा गया। इस बीच आरएसएस शाखा प्रमुख राम गोपाल ने कहा, ”हमने शोध में पाया है कि नारद मुनी जी एक शाखा विश्व सम्वाद केंद्र (वीएसके) के प्रमुख राम गोपाल ने कहा, “हमारे शोध में पाया गया है कि नारद मुनी जी केवल मीडिया के मार्गदर्शक नहीं, बल्कि वे स्वंय एक पत्रकार थे।
::समाज के सभी वर्गो में नारदजी का सदा से प्रवेश रहा
हिन्दू शास्त्रों के अनुसार, ब्रह्मा के सात मानस पुत्रों में से एक है। उन्होने कठिन तपस्या से ब्रह्मर्षि पद प्राप्त किया है। वे भगवान विष्णु के अनन्य भक्तों में से एक माने जाते है। देवर्षि नारद धर्म के प्रचार तथा लोक-कल्याण हेतु सदैव प्रयत्नशील रहते हैं। शास्त्रों में इन्हें भगवान का मन कहा गया है। इसी कारण सभी युगों में, सब लोकों में, समस्त विद्याओं में, समाज के सभी वर्गो में नारदजी का सदा से प्रवेश रहा है। मात्र देवताओं ने ही नहीं, वरन् दानवों ने भी उन्हें सदैव आदर दिया है। समय-समय पर सभी ने उनसे परामर्श लिया है। श्रीमद्भगवद्गीता के दशम अध्याय के २६वें श्लोक में स्वयं भगवान श्रीकृष्ण ने इनकी महत्ता को स्वीकार करते हुए कहा है – देवर्षीणाम्चनारद:। देवर्षियों में मैं नारद हूं। श्रीमद्भागवत महापुराणका कथन है, सृष्टि में भगवान ने देवर्षि नारद के रूप में तीसरा अवतार ग्रहण किया और सात्वततंत्र (जिसे <न् द्धह्मद्गद्घ=”द्वड्डद्बद्यह्लश्र:नारद-पाञ्चरात्र”>नारद-पाञ्चरात्र भी कहते हैं) का उपदेश दिया जिसमें सत्कर्मो के द्वारा भव-बंधन से मुक्ति का मार्ग दिखाया गया है।
वायुपुराण में देवर्षि के पद और लक्षण का वर्णन है- देवलोक में प्रतिष्ठा प्राप्त करनेवाले ऋषिगण देवर्षिनाम से जाने जाते हैं। भूत, वर्तमान एवं भविष्य-तीनों कालों के ज्ञाता, सत्यभाषी, स्वयं का साक्षात्कार करके स्वयं में सम्बद्ध, कठोर तपस्या से लोकविख्यात, गर्भावस्था में ही अज्ञान रूपी अंधकार के नष्ट हो जाने से जिनमें ज्ञान का प्रकाश हो चुका है, ऐसे मंत्रवेत्तातथा अपने ऐश्वर्य (सिद्धियों) के बल से सब लोकों में सर्वत्र पहुँचने में सक्षम, मंत्रणा हेतु मनीषियोंसे घिरे हुए देवता, द्विज और नृपदेवर्षि कहे जाते हैं।
इसी पुराण में आगे लिखा है कि धर्म, पुलस्त्य, क्रतु, पुलह, प्रत्यूष, प्रभास और कश्यप – इनके पुत्रों को देवर्षिका पद प्राप्त हुआ। धर्म के पुत्र नर एवं नारायण, क्रतु के पुत्र बालखिल्यगण, पुलहके पुत्र कर्दम, पुलस्त्यके पुत्र कुबेर, प्रत्यूषके पुत्र अचल, कश्यप के पुत्र नारद और पर्वत देवर्षि माने गए, किंतु जनसाधारण देवर्षिके रूप में केवल नारदजी को ही जानता है। उनकी जैसी प्रसिद्धि किसी और को नहीं मिली। वायुपुराण में बताए गए देवर्षि के सारे लक्षण नारदजी में पूर्णत:घटित होते हैं।
::गोपाल रविवार को मानस में सेमिनार को संबोधित कर रहे थे। पारंपरिक हिंदू कैलेंडर के मुताबिक मई महीने में नारद की जयंती होती है, जिसके आधार पर भटिंडा और कोटकोपुरा में सेमिनार आयोजित किया गया। वहीं दूसरी तरफ वर्तमान में इलेक्ट्रानिक मीडिया में संवाददाता की स्थिति और स्वार्थ के तहत पेश हो रही खबरों पर भी चर्चा की गई।
“गोपाल ने कहा, ‘अब तक पत्रकारों को अपने मार्गदर्शक से वंचित रखा गया था।, लेकिन अब उनके पास ऐतिहासिक आदर्श है।’ उन्होंने आगे कहा कि नारद ने ग्रंथ में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का महत्व भी बताया है।
शाखा प्रमुख ने एक किताब का हवाला देते हुए कहा कि पंजाब में मीडिया ने नारद मुनि को पत्रकारिता के पिता के रुप में अपनाया है। उन्होंने सभी पत्रकारों से आह्वाहन करते हुए कहा कि दानवों और ऋषियों तक सही संदेश पहुंचाने और मानव हित के लिए कार्य करने वाले देवऋषि नारद के सिद्धांतों पर आज के संवाददाताओं को कार्य करना चाहिए। लेकिन अफसोस की बात है कि आज के संवाददाता एकमात्र समाचार एकत्रीकरण का ही कार्य कर इस दायित्व को समाज में अपनी पहचान बनाने में गर्व महसूस कर रहा है,जबकि उसे दानव और मानव दोनों में अपनी सक्रिय भूमिका निभाते हुए समाज के हित में कार्य करना चाहिए।
इस दौरान वक्ताओं ने पंडित दीन दयाल उपाध्याय और श्यामा प्रसाद मुखर्जी को महान राष्ट्रवादी और प्रसिद्ध पत्रकार के रूप में श्रद्धांजलि अर्पित की।