मोदी और प्रियंका गॉधी दोनो की साढे साती; ज्‍योतिष आंकड़े और गणित क्या कहते हैं

 कांग्रेस पार्टी ने ब्रह्मास्त्र के तौर पर प्रियंका गांधी को  राजनीति के मैदान में उतार दिया।  क्या मोदी और अमित शाह की जोड़ी को भाई-बहन की जोड़ी सत्ता के  बाहर कर पाएगी और कांग्रेस की चमक फिर लौटा पाएगी।  जयोतिषीय आंकड़े और गणित क्या कहते हैं,  हिमालयायूके- के लिए चन्‍द्रशेखर जोशी सम्‍पादक की रिपोर्ट

ज्‍योतिषो के अनुसार श्री नरेन्‍द्र मोदी और प्रियंका गॉधी दोनो की साढे साती चल रही है, जिसके फलस्‍वरूप मोदी प्रियंका गॉधी के क्षेत्र में खास प्रभाव नही दिखा पायेगे, वही प्रियंका का योगकारी शनि एवं व़हस्‍पति की उत्‍तम अवस्‍था से भाजपा को  हानि होगी, २०१४ जैसी जीत  नही मिल पायेगी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जन्मकालिक राशि भी वृश्चिक ही है जो कि प्रियंका गांधी की है। ऐसे में राजनीति के मैदान में पीएम मोदी को राहुल गांधी से अधिक चुनौती प्रियंका गांधी से मिलेगी। यद्यपि दोनों की ही साढ़ेसाती चल रही है, जिसके फलस्वरूप मोदी जी उत्तर प्रदेश में न केवल पूर्व से बहुत कम सफलता प्राप्त करेंगे, अपितु प्रियंका गांधी के योगकारी शनि एवं बृहस्पति की उत्तम अवस्था के कारण भाजपा को एवं अन्य पार्टियों को गंभीर रूप से हानि होगी। 

कांग्रेस आई के लिए प्रियंका गांधी का राजनीतिक प्रवेश अवश्य लाभकारी सिद्ध होगा। परंतु इन्हें गंभीर रूप से राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता का सामना भी करना पड़ेगा।   वर्तमान में प्रियंका गांधी की शुक्र की महादशा में शनि की अंतरदशा चल रही है। जो बहुत उत्तम नहीं कहा जा सकता, परंतु शनि जन्मकुंडली भाग्याधिपति होने के कारण उत्तर प्रदेश में कांग्रेस के खोए हुए जनाधार को निश्चित रूप से वापसी की ओर ले जायेगा।
 12 जनवरी 1972 को शाम पांच बजकर पांच मिनट पर दिल्ली में जन्मी . प्रियंका गांधी का जन्म लग्न मिथुन है  और चंद्रमा इनकी कुंडली में अपनी नीच राशि वृश्चिक में छठे भाव में  बैठे है। प्रियंका गांधी की कुंडली में सप्तम भाव में बैठे गुरु और सूर्य ‘राजलक्षण योग’ का निर्माण कर रहे हैं। 

प्रियंका गांधी का जन्म मिथुन लग्न में हुआ है। जन्माकालिक वृश्चिक राशि है। जन्म के समय लग्नाधिपति बुध की केंद्रवर्ती अवस्था एवं बृहस्पति की युति, नवमांश में बुध की स्वग्रही अवस्था, इन्हें राजनीति की दुनिया में अत्यंत लोकप्रियता प्रदान करने वाली है।  प्रियंका गांधी के जन्म के समय जनता से मिलने वाले सहयोग एवं प्रेम का अधिपति जहां बुध है, वहीं राजनीतिक सफलता के लिए आवश्यक पंचमाधिपति की अपने घर से पंचम अवस्था यहां प्रचंड रूप से जनता का समर्थन प्राप्त करने वाला सिद्ध होगा। आर्थिक एवं पारिवारिक ताकत की बात करें, जो कि जन्म से ही उन्हें प्राप्त है, उसे दशमेश पराक्रमेश एवं लग्नेश की केंद्रवर्ती युति आगे बढ़ाने वाली कही जायेगी। 

ग्नेश बुध इस योग में सम्मिलित होकर उनको चहरे पर मुस्कुराहट के साथ वाक्पटुता भी प्रदान कर रहे हैं।  दशम भाव में मंगल की दृष्टि लग्न में होने के कारण प्रियंका गांधी  की लोकप्रियता युवा मतदाताओं में बढ़ने की संभावना अच्छी है।  किंतु वर्तमान में शुक्र की महादशा चल रही है,  जो कि उनकी कुंडली में भाग्य स्थान यानी नवम भाव में स्थित होकर ‘पाप-कर्तरी’ योग बना रहे हैं।  इनकी अंतर्दशा शनि की चल रही है  जो कि बाहरवें घर में कमजोर स्थिति में है।   प्रियंका गांधी शुक्र में शनि की  इस कमजोर दशा के साथ-साथ शनि की साढ़ेसाती का भी सामना कर रही हैं। 

साल 2013 से उनकी साढ़ेसाती चल रही है   जिसने उनके पति रॉबर्ट वाड्रा को हमेशा विवादों में रखकर इनको  परेशान किया है।  शनि की साढ़ेसाती अब उनकी कुंडली में अगले वर्ष जनवरी 2020 में    शनि की साढ़ेसाती अब उनकी कुंडली में अगले वर्ष जनवरी 2020 में  में समाप्त हो रही है।  कुंडली में मौजूद सूर्य और गुरु का राजलक्षण योग तथा शनि-चंद्र ..  का दृष्टि संबंध उनकी लोकप्रियता में  इजाफा करेगा। 
 ये दोनों योग तथा वर्ष 2020 में आ रही शुक्र में बुध की विंशोतरी दशा उनको राजनीति में तेजी  से तरक्की देगी।  वर्ष 2022 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों में वह सूबे में  कांग्रेस की ओर से प्रमुख चेहरा होंगी

वर्तमान ग्रहदशा कुछ विशेष लाभ के संकेत नहीं दे रहे हैं।  जिस उम्मीद से कांग्रेस ने इन्हें पूर्वी उत्तर प्रदेश की कमान .. सौंपी है उस उम्मीद को पूरी कर पाना अभी इनके लिए कठिन है।  लेकिन 2020 के बाद अचानक ही कांग्रेस के सितारे फिर से चमकने शुरू होंगे जिसमें प्रियंका का बड़ा योगदान रहेगा।  सितंबर 2019 तक प्रियंका गांधी को स्वयं के परिवार के उपर जहां राजनीतिक आघात का मुकाबला करना होगा, वहीं शासन-प्रशासन की तरफ से भी संकट का सामना भी करना पड़ सकता है। इस बीच प्रियंका गांधी एवं उनके परिवार, विशेष रूप से पति को शासन सत्ता का खासा विरोध झेलना पड़ेगा। लेकिन सितंबर 2019 के बाद बुध की अंतरदशा इन्हें भारतीय राजनीति के ध्रुव तारे की तरह प्रकाशित करेगी। 

प्रियंका गांधी का जन्म 12 जनवरी 1972 को शाम 5 बजकर 5 मिनट पर नई दिल्ली में हुआ. मिथुन लग्न की कुंडली है. राशि वृश्चिक है. जन्मांक के आधार पर उनका मूलांक 3 और भाग्यांक 5 है. 23 जनवरी 2019 को उन्होंने राजनीति में अधिकृत रूप से प्रवेश लिया है. यह दिन उनके भाग्यांक 5 से गहरा जुड़ा हुआ है. दिनांक 23 1 2019 का मूलांक-भाग्यांक दोनों 5 है. आज का यह निर्णय निश्चित ही उनके लिए बेहद लकी है.  प्रियंका गांधी की लग्न मिथुन का स्वामी और भाग्यांक का ग्रह बुध है. बुध किशोर व युवा ग्रह माना जाता है. उनका व्यक्तित्व भी ऐसा ही है. वे विश्व के सबसे युवा आबादी वाले देश में नई पीढ़ी की आवाज बनकर उभर सकती हैं. उनकी यह प्रभावशीलता भारत के सबसे बड़े मत-वर्ग को गहरा प्रभावित करेगी. संभवतः वे सबसे असरदार ढंग से युवा भारत की आवाज को बुलंद करेंगी. जन्मांक 3 होने से गुरु ग्रह की गरिमा और गंभीरता उनके व्यक्तित्व में है. उन्हें राजनीतिक स्तर पर हल्के में लेना किसी भी दल या व्यक्ति के लिए भूल होगी. वर्ष 2019 भी बृहस्पति के अंक 3 से प्रभावित है. निश्चित इस वर्ष वे उल्लेखनीय प्रदर्शन करने वाली हैं. विशेषतः मार्च से मई माह तक उनकी सक्रियता अविस्मरणीय होगी. गुरु उनकी कुंडली में सातवें घर में सूर्य बुध के संग स्वराशिस्थ हैं, जो उन्हें संगठनात्मक क्षमता प्रदान करते हैं. सरल शब्दों में समझें तो कांग्रेस पार्टी का प्रत्येक कार्यकर्ता उनसे जुड़ाव अनुभव करेगा और सूझबूझ से वे सबको साथ लेकर आगे भी बढ़ पाएंगी. वर्तमान में उनकी विंशोत्तरी महादशा शुक्र की है. इसमें शनि की अंतरदशा चल रही है. दोनों ही ग्रह मिथुन लग्न में योगकारक हैं. पंचमेश और भाग्येश का संयोग बनाए हुए हैं. अर्थात् बुद्धि-विवेक-भाग्य के अद्भुत संयोग में हैं. राशि वृश्चिक है. वर्तमान गोचर में शनि की साढ़ेसाती है. राजनीतिज्ञों के लिए अक्सर साढ़ेसाती बड़े लाभ लाती है. कारण, शनिदेव स्वयं जनता के कारक हैं. साथ ही गुरु का उनकी राशि में गोचर उन्हें धीर गंभीर और जिम्मेदारी का भाव दे रहा है. इनके प्रभाव से वे इस वर्ष पद प्रतिष्ठा को प्राप्त भी होंगी और उनका निर्वहन भी पूरी संजीदगी से करेंगी.


PRIYANKA GANDHI VADRA नाम का टोटल देखें तो 21 19 14 कुल मिलाकर 54 होता है. 54 अंक स्वयं में अत्यंत शुभता लिए हुए है. साथ ही वे प्रियंका या प्रियंका गांधी से पुकारी जाएं तब भी उनका जोड़ क्रमशः 21 एवं 40 होता है. 21 में गुरु की शुभता और प्रभाव है. वहीं, प्रियंका गांधी के नामांक 40 में बुध के मित्र राहु की आधुनिकता और अप्रत्याशित सफलता छिपी हुई है. इस प्रकार उनका नाम उन्हें हर प्रकार से शुभता प्रदान कर रहा है. प्रियंका गांधी का वर्तमान में आयु का 48वां वर्ष है. 4 और 8 का टोटल 12 यानि 3 होता है. साथ ही 2019 भी 3 का अंक रखता है. आयु का पांचवें दशक में 3 की शुभता से भरा यह साल प्रियंका को कई बड़ी ऊंचाईयों को छूने के अवसर दे सकता है.

देश में इस वक्त चुनाव हुए तो केंद्र की सत्ता की चाबी किसके हाथ लगेगी. एक ओर जहां बीजेपी एक बार फिर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम पर ‘एक बार फिर मोदी सरकार’ के नारे के साथ केंद्र में काबिज होने की तैयारी में है. वहीं विपक्ष गठबंधन के सहारे 5 साल बाद केंद्र की सरकार में आने की कोशिश में है.

लोकसभा चुनाव 2019: लोकसभा चुनाव होने में 85 दिनों से कम का समय बचा है. कांग्रेस ने प्रियंका गांधी को राजनीति के मैदान में प्रत्यक्ष रूप से उतारकर अपना सबसे बड़ा दांव चला दिया है. यूपी में एसपी-बीएसपी का गठबंधन हो चुका है और इसके चलते वहां का समीकरण भी बदल चुका है. वहीं केंद्र में सत्ताधारी बीजेपी काफी पहले से ही आम चुनाव की तैयारियों में जुटी हुई है और भरोसा दिला रही है कि इस बार भी मोदी सरकार आएगी.

राजनीति में हमेशा वन प्लस वन टू नहीं होता है,कभी शून्य तो कभी ग्यारह भी होता है. राजनीति मैथमेटिक्स और कैमिस्ट्री ही नही बल्कि एक कला भी है. ऐसी कला जिससे पार्टी का नंबर भी बढ़ सकता है और वोटरों में पार्टी की केमिस्ट्री भी अच्छी हो सकती है. कांग्रेस ने उत्तर प्रदेश में प्रियंका गांधी को जिम्मेदारी देकर कलाबाजी करने की कोशिश की है लेकिन ये कलाबाजी या हवाबाजी है इसे उत्तर प्रदेश की राजनीतिक जमीन पर परखने की जरूरत है.

प्रियंका गांधी को पूर्वी उत्तर प्रदेश का प्रभारी और राष्ट्रीय महासचिव बनाया गया और गुणा भाग शुरू हो गया कि नरेन्द्र मोदी की मिट्टी पलीत हो जाएगी और उत्तर प्रदेश में सिर्फ और सिर्फ प्रियंका गांधी का ही सिक्का चलेगा. किसका सिक्का चलेगा और किसका सिक्का नहीं चलेगा ये तो चुनाव परिणाम के बाद ही पता चलेगा लेकिन सबसे बड़ा सवाल ये है कि प्रियंका गांधी को क्यों राजनीति में एंट्री मिली. जगजाहिर है कि देश के प्रधानमंत्री बनने का रास्ता उत्तर प्रदेश की गलियों से गुजरता है. यही वजह है कि बीजेपी हो या कांग्रेस सबकी नजर उत्तर प्रदेश पर ही लगी रहती है.

कांग्रेस को भरोसा था कि नरेन्द्र मोदी को हराने के लिए अखिलेश यादव और मायावती कांग्रेस से गठबंधन करेंगे लेकिन बबुआ और बुआ ने कांग्रेस को ठेंगा दिखा दिया. अखिलेश और मायावती की चाल से कांग्रेस पार्टी के तोते उड़ गये. ऐसे में कांग्रेस को लगने लगा कि सिर्फ राहुल के भरोसे उत्तर प्रदेश का चुनाव नहीं जीता जा सकता है इसीलिए कांग्रेस ने उत्तर प्रदेश में ब्रह्मास्त्र इस्तेमाल करने का फैसला किया और प्रियंका गांधी को राष्ट्रीय महासचिव बनाने के साथ पूर्वी उत्तरप्रदेश का प्रभारी बना दिया गया. प्रियंका गांधी में ग्लैमर भी है, गांधी परिवार का आखिरी दांव भी है जिनका इस्तेमाल अभी तक सिर्फ और सिर्फ रायबरेली और अमेठी में किया गया था.

प्रियंका महिला भी हैं और युवा भी हैं, मिलनसार भी हैं और लोगो से कनेक्ट करने की क्षमता भी रखती है. यही नहीं प्रियंका गांधी को पूर्वी उत्तर प्रदेश का प्रभारी इसीलिए बनाया गया ताकि वाराणसी में नरेन्द्र मोदी को कड़ी चुनौती दी जा सके. वाराणसी में हाईवोल्टेड चुनाव प्रचार होगा तो इसके प्रभाव से पूरे उत्तर प्रदेश में असर होगा यानी कोशिश है कि ये लड़ाई बीजेपी बनाम कांग्रेस हो.

राहुल और प्रियंका के चुनाव मैदान में उतरने से कांग्रेस के पारंपारिक वोट यानि मुस्लिम, दलित और अगड़ी जाति खासकर ब्राहमण वोटरों को फिर से जोड़ने की कोशिश भी है. युवा चेहरा होने की वजह से प्रियंका और राहुल युवा वोटरों और महिला वोटरों को भी प्रभावित कर सकते हैं. ऐसे में कहा जा सकता है कि कांग्रेस ने प्रियंका गांधी को राजनीति में एंट्री देकर मास्टरस्ट्रोक खेलने की कोशिश की है. जाहिर है कि कांग्रेस के पास एसपी-बीएसपी और मोदी को टक्कर देने के लिए कोई विकल्प नहीं बचा था और प्रियंका से बेहतर कोई विकल्प नहीं हो सकता है. इससे पार्टी,कैडर और वोटरों में नई ऊर्जा और उत्साह का संचार हो सकता है.

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