ड्रैगन को खुली चुनौती -अमेरिकी वायुसेना विमानों ने चीन सागर के ऊपर से उड़ान भरी

ड्रैगन को खुली चुनौती मोदी के विदेश दौरे का बेहतरीन असर दिखा;  TOP BREAKING;  ट्रंप और मोदी के बीच जो गर्मजोशी – चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग को ‘जलाने’ के लिए थी  – हिला दिया चीन को

ड्रैगन को खुली चुनौती देते हुए अमेरिकी वायुसेना के दो बमवर्षक विमानों ने विवादित दक्षिणी चीन सागर के ऊपर से उड़ान भरी. अमेरिकी वायुसेना ने शुक्रवार को इसकी जानकारी दी. अमेरिका ने इस क्षेत्र पर चीन के दावे को खारिज करते हुए इसे अंतरराष्ट्रीय क्षेत्र मानने पर जोर दिया.

20 जून की बात है जब भूटान की सेना ने चीनी सेना को रोकने की कोशिश की. जब चीन के सैनिक नहीं माने तो भारत को दखल देना पड़ा. इसके बाद भारत और चीन की सेना आमने-सामने हो गई.. दरअसल भारत और भूटान के बीच सुरक्षा समझौता है जिसके तहत भारतीय फौजें भूटान की सीमा के भीतर तैनात हैं.. लेकिन चीन अपनी गलती छिपाने के लिए आरोप लगा रहा है कि भारत ने सीम पार की है.

गुरुवार को गुआम से अमेरिकी वायुसेना के विमान ने दक्षिणी चीन सागर के ऊपर उड़ान भरी. बता दें कि जर्मनी में होने वाले जी-20 सम्मेलन से इतर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग के बीच मुलाकात होने की संभावना है. उम्मीद है कि इस मुलाकात के दौरान दोनों देश उत्तर कोरिया के मिसाइल परीक्षण को लेकर चीन की भूमिका पर चर्चा करेंगे. 
 
अमेरिका का मानना है कि बीते मंगलवार को उत्तर कोरिया ने जिस अन्तरमहाद्वीपीय बैलिस्टिकमिसाइल का परीक्षण किया है उसकी जद में अमेरिका है. इतना ही नहीं, अलास्का और हवाई क्षेत्र भी इसकी रेंज में है.अमेरिकी राष्ट्रपति उत्तर कोरिया पर नकेल कसने के लिए चीन से मदद मांग रहे हैं. चीन के नाराज होने का जोखिम लेते हुए अमेरिकी सेना ने दक्षिण चीन सागर को अंतर्राष्ट्रीय क्षेत्र मानने पर जोर दिया है. दक्षिण चीन सागर पर चीन के पड़ोसी देश ब्रूनेई, मलयेशिया, फिलीपींस, ताइवान और वियतनाम भी अपना दावा करते रहे हैं.  दक्षिणी चीन सागर के रास्ते हर साल अरबों डॉलर का व्यापार होता है. माना जाता है कि इसी कारण चीन इस इलाके में अपना दबदबा चाहता है.
 
अमेरिका, दक्षिण चीन सागर क्षेत्र में चीन की सैन्य सुविधाओं के विस्तार की हमेशा से आलोचना करता रहा है. अमेरिका का मानना है कि चीन इसका इस्तेमाल अपनी रणनीतिक पहुंच बढ़ाने के लिए कर सकता है. इस इलाके के हवाई क्षेत्र में उड़ने वाले ये दोनों अमेरिकी विमान जापानी जेट फाइटर के साथ पास के ही पूर्वी चीन सागर में प्रशिक्षित किए गए थे. यह पहला मौका था जब दोनों देशों ने एक साथ मिलकर कोई नाइट ड्रिल किया.  

उत्तर कोरिया ने दावा किया है कि इसने लंबी दूरी का मिसाइल विकसित किया है जो अमेरिका को डरा सकता है जिसके बाद क्षेत्र में भारी तनाव है और इस सब के बीच यह अमेरिकी सैन्‍य गतिविधि देखी गई.अमेरिका चाहता है कि प्‍योंगयांग पर चीन की ओर से अधिक दबाव बनाया जाए जिससे यह अपना मिसाइलों और परमाणु बमों पर रिसर्च रोक दे. 

:::::: ट्रंप और मोदी के बीच जो गर्मजोशी – चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग को ‘जलाने’ के लिए थी

व्‍हाहट हाउस में  प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिका के राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप के बीच हुई  मुलाकात पर दुनियाभर का मीडिया काफी कुछ लिख रहा है। व्‍हाहट हाउस हाउस के अधिकारियों के हवाले से अखबार ने बताया कि ट्रंप और मोदी के बीच जो गर्मजोशी दिखाई दे रही थी, वह असल में चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग को ‘जलाने’ के लिए थी। पिछले कुछ समय से ट्रंप प्रशासन लगातार चीन को उत्तर कोरिया के ऊपर दबाव बनाने के लिए राजी करने की कोशिश कर रहा है। अमेरिका की पुरजोर कोशिशों के बावजूद चीन ऐसा करने के लिए तैयार नहीं हुआ। ट्रंप प्रशासन कई बार कह चुका है कि उत्तर कोरिया का परमाणु कार्यक्रम रोकना उसकी सबसे बड़ी प्राथमिकताओं में से एक है। अमेरिका कई बार उत्तर कोरिया को अपना न्यूक्लियर और बलिस्टिक मिसाइल कार्यक्रम बंद करने की चेतावनी दे चुका है, लेकिन इन सबका उत्तर कोरिया पर कोई असर पड़ता नहीं दिख रहा। चूंकि चीन अपने पड़ोसी और क्षेत्रीय प्रतियोगी भारत की अमेरिका के साथ दोस्ती को संशय की नजर से देखता है, ऐसे में मोदी और ट्रंप पेइचिंग को ‘चिढ़ाने’ के लिए एक-दूसरे के संग ज्यादा करीबी दिखा रहे हैं। चीन पहले भी कई मौकों पर भारत और अमेरिका के घनिष्ठ हो रहे संबंधों पर तीखी प्रतिक्रिया कर चुका है।

 : भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग ने जर्मनी के हैम्बर्ग शहर में हो रहे दो-दिवसीय जी-20 सम्मेलन से इतर ब्रिक्स देशों – ब्राज़ील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका – के प्रमुखों की अनौपचारिक बैठक के दौरान एक दूसरे की तारीफ की. बैठक के लिए कमरे में दाखिल होने पर भी दोनों नेताओं ने एक दूसरे से हाथ मिलाया और अभिवादन किया.
विदेश मंत्रालय के एक बयान में कहा गया है कि शी चिनफिंग ने अपने समापन भाषण के दौरान “आतंकवाद के खिलाफ भारत के मजबूत संकल्प, तथा भारत की अध्यक्षता में व वर्ष 2016 में हुए गोवा शिखर सम्मेलन के फलस्वरूप ब्रिक्स में आई तेज़ गति की प्रशंसा की… उन्होंने आर्थिक तथा सामाजिक विकास में भारत की सफलता की भी सराहना की, तथा इससे भी ज़्यादा कामयाबी की शुभकामनाएं दीं…”

मंत्रालय के अनुसार, शी चिनफिंग से ठीक पहले बैठक को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने “राष्ट्रपति शी चिनफिंग की अध्यक्षता में ब्रिक्स में आई गति की सराहना की, और संपूर्ण सहयोग का वादा करते हुए ब्रिक्स के ज़ियामेन शिखर सम्मेलन के लिए शुभकामनाएं दीं…”

हैम्बर्ग में दोनों नेताओं के बीच कोई द्विपक्षीय बैठक नहीं होगी, हालांकि दोनों ही नेता जी-20 सम्मेलन से इतर अन्य देशों के नेताओं के साथ द्विपक्षीय बैठकें करेंगे.

भारत और चीन के बीच पिछले महीने से ही सिक्किम के निकट सीमा को लेकर विवाद चला आ रहा है. चीन ने भारत के लिए कई चेतावनियां जारी की हैं, जिनमें से कुछ सरकारी समाचारपत्रों के ज़रिये दी गईं. चीन का कहना है कि सिक्किम के निकट डोकलाम इलाके से भारत को अपनी सेनाएं हटा लेनी चाहिए, क्योंकि चीन उसे अपना इलाका मानता है. दरअसल, भारतीय सेना वहां चीन द्वारा बनाई जा रही सड़क को रोकने के लिए पहुंची थी, जो भारत के अनुसार, सुरक्षा के लिहाज़ से ठीक नहीं है.

 नरेंद्र मोदी
– “मैं प्रेसिडेंट शी जिनपिंग को 9th BRICS समिट से पहले बेस्ट विशेज देता हूं। उनकी अध्यक्षता में BRICS को नई दिशा मिली है। हम सभी लोगों को मिलकर आतंकी पनाहगाहों और टेररफंडिंग के खिलाफ कदम उठाने चाहिए। जी20 में भी इस मसले पर बात होनी चाहिए। अब समय आ गया है, जब हमें आतंकवाद के खिलाफ मजबूत कदम उठाना चाहिए। जिनपिंग अध्यक्षता में BRICS के जुड़े हर मसले पर चीन को पूरा सहयोग करेंगे।”

शी जिनपिंग

– “मैं आतंकवाद के खिलाफ उठाए गए भारत के मजबूत कदम और इरादों की सराहना करता हूं। BRICS को भारत की अध्यक्षता में नई दिशा मिली, उसकी भी तारीफ करता हूं।”

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जर्मनी में चल रही G-20 बैठक के दौरान पीएम मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग की मुलाकात हुई है. चीन से रिश्ते में तल्खी के बीच ये मुलाकात काफी अहम मानी जा रही है. सूत्रों के मुताबिक दोनों नेताओं के बीच विवादित मुद्दे को लेकर भी बातचीत हुई है. जानकारों की माने तो यह एक अच्छा कूटनीतिक कदम है.

 डोकलाम क्षेत्र में भारत और चीन के बीच तल्खी के बीच ये मुलाकात बेहद अहम मानी जा रही है. डोकलाम में भारत और चीन के बीच तनाव इस स्तर पर है कि दोनों ही देशों ने अपनी सेनाओं को स्टैंड ऑफ पर रखा है.

कल तीन के विदशे मंत्रालय की ओर से यह बयान तक दिया गया था कि दोनों ही शीर्ष नेताओं के बीच कोई मुलाकात नहीं होनी है. इसी के चलते सभी नजरें इस बात पर थीं कि दोनों नेताओं के बीच शिष्टाचार की मुलाकात होती है या नहीं.

G-20 में चीन ने आतंकवाद पर भारत के रुख की तारीफ की
G-20 सम्मेलन के दौरान आज BRICS देशों के नेताओं के साथ हुई बैठक में पीएम मोदी और शी जिनपिंग ने एक दूसरे की जमकर तारीफ की. मोदी ने आतंकवाद के खिलाफ G-20 देशों को साथ मिलकर लड़ने को कहा तो जिनपिंग ने आतंकवाद पर भारत के रुख की तारीफ की.

 भारत और चीन के बीच इस तनाव की वजह भारत, चीन और भूटान की सीमा को छूता 89 किलोमीटर का डोकलाम इलाका है. इस पहाड़ी इलाके को चीन डोंगलांग, भूटान डोकला और भारत डोकलाम कहता है और तीनों ही देश इस पर अपना हक जताते हैं. डोकलाम सिक्किम के नाथुला दर्रे से 15 किलोमीटर दूर है, भूटान के मिलिट्री बेस से 10 किलोमीटर दूर और चीन के यादोंग शहर से 10 से 12 किलोमीटर दूर है. डोकलाम क्षेत्र से सिलीगुड़ी कॉरिडोर भी काफी नजदीक है इसलिए सुरक्षा दृष्टि से ये इलाका भारत के लिए जरूरी है.

 ये इलाका एक घाटी की तरह है जिसमें चीनी सेना के लोग ऊपर से नीचे की तरफ आ-जा सकते हैं इस जगह को टर्निंग प्वाइंट भी कहते हैं. 16 जून को चीन की सेना पीएलए की कंस्ट्रक्शन पार्टी यानी सड़कें बनाने वाला दस्ता इसी इलाके में अचानक घुस आया था और सड़क बनाने का काम शुरू कर दिया था. चीन विकास के नाम पर सड़क बनाने की बात कहता है लेकिन इसके पीछे मकसद है भारतीय सीमा तक चीनी टैंकों और गोला-बारूद को पहुंचाना और युद्ध के हालातों में अपने ठिकाने मजबूत करना है.

 

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