चीफ जस्टिस बनने के पहले दिन ही सख्त तेवर & National News 3 Oct
HIGH LIGHT;#सीबीआई से डरी माया नेे गठबंधन से दूरी बनाई# बिहार: नीतीश सरकार पर कुशवाहा का हमला, लिखा- NOTA ही ना पार कर जाए बहुमत का आंकड़ा # 2019 में चुनाव से पहले राम नाम की गूंज # नीतीश सरकार को कटघरे में #डॉ मुरली मनोहर जोशी – कानपुर की जनता में उनके खिलाफ बेहद आक्रोश#बसपा के कांग्रेस संग न आने से बीजेपी को एक बार फिर सत्ता को बचाए रखने की आस #दिग्विजय सिंह जैसे नहीं चाहते कि बीएसपी और कांग्रेस का गठबंधन हो # मायावती पर बोले दिग्विजयः मैं उनका सम्मान करता हूं, नहीं जानता ऐसा क्यों कहा- मायावती # मुँह में राम और मस्तिष्क में नाथूराम- रणदीप सुरजेवाला #न्यायिक प्रणाली को कठघरे में खड़ा किया था रंजन गोगोई ने – मुख्य न्यायाधीश के रूप में शपथ ली #भारत में 20,500 से अधिक लोग सिर पर मैला ढोने के काम में # आरक्षण को देश से कोई ताकत समाप्त नहीं कर सकती- नीतीश कुमार # हमारे बिना आप शायद दो सप्ताह भी पद पर बने नहीं रह सकते :अमेरिका के राष्ट्रपति ने सऊदी अरब के शाह को डराया # हिमालयायूके- हिमालय गौरव उत्तराखण्ड www.himalayauk.org
किसान 2019 के लोकसभा चुनावों में भाजपा से किनारा कर सकते हैं
किसानों का आंदोलन (किसान क्रांति यात्रा) भले ही खत्म हो गया हो और वो अपने-अपने घरों को वापस लौट गए हों मगर दो अक्टूबर को दिल्ली-यूपी बॉर्डर पर जो कुछ भी हुआ, उससे भाजपा की परेशानी बढ़ गई है। आंदोलन करने दिल्ली पहुंचे अधिकांश किसान पश्चिमी उत्तर प्रदेश के विभिन्न जिलों से आए थे। इनमें से अधिकांश जाट थे जिनका झुकाव साल 2014 के लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी की तरफ था लेकिन यूपी की भाजपा सरकार और केंद्र की भाजपा सरकार ने जिस तरह से उनके साथ व्यवहार किया उससे वो नाराज बताए जा रहे हैं। ऐसी आशंका जताई जा रही है कि ये किसान 2019 के लोकसभा चुनावों में भाजपा से किनारा कर सकते हैं।
आधी रात किसान घाट पर जाने की इजाजत के बाद अधिकतर किसान अपने घरों को लौट गए. बुधवार की सुबह लगा कि सभी किसान दिल्ली से बाहर चले गए, लेकिन यूपी गेट पर करीब 25 ट्रैक्टर खराब होने की वजह से गाजियाबाद से दिल्ली को जाने वाले ट्रैफिक को डायवर्ट कर दिया गया.
अगर ऐसा हुआ तो भाजपा को इसका सबसे ज्यादा खामियाजा भुगतना पड़ेगा क्योंकि पश्चिमी यूपी से करीब दो दर्जन लोकसभा सांसद चुनकर आते हैं। इस वक्त उन सभी सीटों पर भाजपा का कब्जा है। बता दें कि जाटों का पारंपरिक तौर पर झुकाव अजित सिंह के राष्ट्रीय लोक दल से रहा है लेकिन 2014 में जाटों ने बढ़-चढ़कर भाजपा को वोट किया था। राज्य में नए सियासी समीकरण और नए गठबंधन के बाद हुए उप चुनाव ने भी साफ कर दिया है कि अब जाट समुदाय का भाजपा से मोहभंग हो चुका है और वो महागठबंधन के साथ हैं। बता दें कि कैराना उप चुनाव में महागठबंधन की उम्मीदवार रालोद की तबस्सुम हसन की जीत हुई थी। इस चुनाव में जाट समुदाय ने भाजपा को छोड़कर महागठबंधन को वोट दिया था। 2014 में इसी सीट पर भाजपा उम्मीदवार हुकुम सिंह को 5 लाख 65 हजार वोट मिले ते लेकिन उनके निधन के बाद हुए उप चुनाव में उनकी बेटी मृगंका सिंह को सवा लाख वोट कम कुल 4 लाख 36 हजार वोट ही मिल सके।
जाटों के अलावा इन इलाकों में मुस्लिम समुदाय की भी अच्छी तादाद है। गठबंधन की सूरत में जाट और मुस्लिम समुदाय भाजपा से दूर रह सकता है। लिहाजा, ऐसी राजनीतिक स्थिति बनने पर नरेंद्र मोदी सरकार के कुछ मंत्रियों को भी सीट गंवानी पड़ सकती है। सबसे ज्यादा खतरा बागपत से सांसद और मोदी सरकार में मंत्री सत्यपाल सिंह पर मंडरा रहा है। 2014 के चुनावों में उन्हें 4 लाख 23 हजार 475 वोट मिले थे, जबकि सपा के गुलाम मोहम्मद को 2 लाख 13 हजार 609 वोट और रालोद के अजित सिंह को 1 लाख 99 हजार 516 वोट मिले थे। बसपा के प्रशांत चौधरी ने भी 1 लाख 41 हजार 743 वोट हासिल किए थे। यानी गठबंधन की सूरत में भाजपा के खिलाफ जाट वोटों के ध्रुवीकरण के अलावा मुस्लिम, दलित, पिछड़ी जाति के वोटों का बिखराव भी रुक सकता है। ऐसे में सिर्फ 2014 के पैटर्न की ही बात करें तो विपक्षी महागठबंधन को 5 लाख 55 हजार से ज्यादा वोट मिल सकते हैं।
पश्चिमी यूपी के तहत जो संसदीय सीटें आती हैं उनमें बागपत के अलावा कैराना, मुजफ्फरनगर, सहारनपुर, नगीना, मुरादाबाद, रामपुर, बिजनौर, संभल, अमरोहा, मेरठ, गाजियाबाद, गौतम बुद्ध नगर, बुलंदशहर, अलीगढ़, हाथरस, मथुरा, आगरा, फतेहपुर सीकरी आदि शामिल हैं। आंदोलन खत्म होने के बाद भारतीय किसान यूनियन के अध्यक्ष नरेश टिकैत ने भी कहा है कि हम जीत गए हैं लेकिन भाजपा सरकार अपने उद्देश्यों में विफल रही है। बता दें कि कर्ज माफी, सिंचाई के लिए मुफ्त बिजली, एमएसपी बढ़ाने समेत 15 सूत्रीय मांगों के समर्थन में किसानों ने 12 दिन पहले हरिद्वार से किसान घाट तक पदयात्रा शुरू की थी लेकिन सरकार ने किसानों को दिल्ली में घुसने से रोक दिया था। यूपी बॉर्डर पर मंगलवार को किसानों और जवानों में भिड़ंत भी हुई थी। हालांकि, बाद में सरकार ने तीन अक्टूबर को अहले सुबह किसानों को दिल्ली स्थित किसान घाट तक जाने की इजाजत दे दी।
किसानों की नाराज़गी के बीच केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने रबी फसलों का समर्थन मूल्य बढ़ाने का बड़ा फैसला किया है. आज हुई कैबिनेट की बैठक में रबी फसलों के लिए नए समर्थन मूल्य पर मुहर लगा दी गई है. मोदी सरकार ने गेंहू और पांच अन्य रबी फसलों का समर्थन मूल्य बढ़ाने का फ़ैसला किया है. बजट में मोदी सरकार ने किसानों को उनकी लागत का कम से कम डेढ़ गुना कीमत देने का वादा किया था. इसी वादे को पूरा करते हुए इस साल जुलाई में धान समेत सभी ख़रीफ़ फ़सलों के एमएसपी में बड़ी बढ़ोत्तरी की गई थी. नया समर्थन मूल्य इस साल नम्बर में बोई जाने वाली रबी फसलों के लिए लागू होगा. हालांकि, इन फसलों की खरीद अगले साल अप्रैल-मई में होगी. सरकार हर साल बुआई सीजन (नवम्बर) के पहले रबी फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य का ऐलान करती है. मोदी सरकार को उम्मीद होगी कि अगले साल होने वाले लोकसभा चुनावों के दौरान होने वाली इस ख़रीद में किसानों को लाभ होता है तो उसका चुनावी फायदा भी हो सकता है.
गेहूं के न्यूनतम समर्थन मूल्य में 105 रुपए की बढ़ोत्तरी होगी. इसे 1735 रूपए प्रति क्विंटल के वर्तमान भाव से बढ़ाकर 1840 रुपए प्रति क्विंटल किया जाएगा. वहीं चने का समर्थन मूल्य 220 रुपए प्रति क्विंटल बढ़ाकर 4620 रुपया प्रति क्विंटल, मसूर का मूल्य 225 रुपए प्रति क्विंटल बढ़ा कर 4475 रुपए प्रति होगा. सरसों का मूल्य 200 रुपए प्रति क्विंटल बढ़ाकर 4200 रुपए प्रति क्विंटल और जौ का समर्थन मूल्य 30 रुपए प्रति क्विंटल बढ़ाकर 1440 रुपए प्रति क्विंटल करने का भी प्रस्ताव था. सूरजमुखी को 4100 रुपए प्रति क्विंटल के वर्तमान स्तर से बढ़ाकर 4945 रुपए प्रति क्विंटल करने का प्रस्ताव था. यानि 845 रूपए प्रति क्विंटल का इज़ाफ़ा.
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पटना: वरिष्ठ कांग्रेसी नेता दिग्विजय सिंह ने बुधवार को कहा कि उन्हें उम्मीद है बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अगले लोकसभा चुनावों से पहले एक बार फिर बीजेपी के नेतृत्व वाले एनडीए का साथ छोड़ सकते हैं. दिग्विजय ने आरोप लगाया कि नीतीश कुमार सत्ता के बिना नहीं रह सकते और अगर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता चुनावों से पहले गिरती है तो वह सत्ताधारी गठबंधन से बाहर निकल सकते हैं.
दिग्विजय सिंह ने कहा, ‘‘नीतीश कुमार को पाला बदलने में सिर्फ 24 घंटे लगते हैं. लोकसभा चुनाव छह महीने दूर हैं. पलटी संभव है.’’ यह पूछे जाने पर कि क्या कांग्रेस सहयोगी के तौर पर कुमार का स्वागत करेगी, उन्होंने कहा कि राजनीति संभावनाओं का खेल है. सी पी जोशी के 2013 में बिहार कांग्रेस का प्रभारी बनने से पहले यह जिम्मेदारी दिग्विजय सिंह के पास थी.
पटना में दिग्विजय सिंह ने कहा, ‘‘नीतीश कुमार को पाला बदलने में सिर्फ 24 घंटे लगते हैं. लोकसभा चुनाव छह महीने दूर हैं. पलटी संभव है.’’ यह पूछे जाने पर कि क्या कांग्रेस सहयोगी के तौर पर कुमार का स्वागत करेगी, उन्होंने कहा कि राजनीति संभावनाओं का खेल है. सी पी जोशी के 2013 में बिहार कांग्रेस का प्रभारी बनने से पहले यह जिम्मेदारी दिग्विजय सिंह के पास थी.
दिग्विजय सिंह की यह टिप्पणी ऐसे वक्त भी आई है जब मीडिया में आ रही खबरों से ऐसे संकेत मिल रहे हैं कि जेडीयू को सीट बंटवारे को लेकर मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है. बीजेपी को निशाने पर लेते हुए उन्होंने सवर्ण जाति के विभिन्न संगठनों की तरफ से आरक्षण और एससी/एसटी अधिनियम के खिलाफ प्रदर्शन को मोदी सरकार की विफलताओं को छिपाने की साजिश बताया.
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मायावती सीबीआई से डरी हुई हैं. दिग्विजय
लखनऊ: बीएसपी सुप्रीमो मायावती ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कांग्रेस और वरिष्ठ कांग्रेसी नेता दिग्विजय सिंह पर निशाना साधा है. मायावती ने कहा कि सोनिया गांधी और राहुल गांधी दिल से कांग्रेस का गठबंधन चाहते हैं लेकिन दिग्विजय सिंह जैसे नहीं चाहते कि बीएसपी और कांग्रेस का गठबंधन हो. मायावती ने सीबीआई से डरने वाली बात को भी बेबुनियाद बताया है. एक इंटरव्यू में कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने कहा था कि मायावती सीबीआई से डरी हुई हैं.
बसपा-कांग्रेस एक साथ मिलकर चुनावी जंग में उतरते तो राज्य की राजनीतिक तस्वीर बदल जाने की संभावना थी. 2013 में बसपा और कांग्रेस एक साथ मिलकर उतरते तो नतीजे अलग होते. बीजेपी को 11 सीटों का नुकसान उठाना पड़ता और 38 सीटें मिलतीं. जबकि कांग्रेस-बसपा गठबंधन 51 सीटों के साथ सत्ता पर काबिज हो जाता. यही वजह थी कि कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष लगातार बसपा के साथ मिलकर चुनाव लड़ने की बात रह थे, लेकिन बाजी कांग्रेस से बगावत कर अलग पार्टी बनाने वाले अजीत जोगी के हाथ लगी है.
मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में इसी साल अक्टूबर-नवंबर में विधानसभा चुनाव होने हैं. इन तीनों राज्यों में बीजेपी की सरकारें हैं. एमपी और छत्तीसगढ़ की सत्ता में बीजेपी 15 साल से काबिज है. इन दोनों राज्यों में कांग्रेस नेता बसपा के साथ गठबंधन की कोशिशें कर रहे थे, लेकिन बुधवार को मायावती ने सारे मंसूबों पर पानी फेर दिया है.
दिग्विजय ने बड़ा खुलासा करते हुए कहा कि मायावती को केंद्र सरकार डरा रही है, उन पर मोदी और अमित शाह दबाव बना रहे हैं. इसी वजह से विपक्षी एकता बनाने में मुश्किल आ रही है. दिग्विजय ने कहा था कि मायावती को डर है कि अगर वो बीजेपी के खिलाफ गईं तो ईडी और सीबीआई जैसी एजेंसियां उनके केस में तेजी ला सकती हैं और इससे मायावती की मुश्किलें बढ़ सकती हैं.
दिग्विजय सिंह के बयान को गलत करार देते हुए मायावती ने कहा कि हम बाबा साहब के अनुयायी हैं और हम किसी के हाथ का खिलौना नहीं बनते.’ दिग्विजय सिंह पर बड़ा आरोप लगाते हुए मायावती ने कहा कि दिग्विजय सिंह सीबीआई और ईडी जैसी एजेंसियों के डर से बीएसपी और कांग्रेस गठबंधन नहीं होने देना चाहते हैं. उन्होंने कहा इसके पीछे दिग्विजय सिंह का निजी स्वार्थ है. मायावती ने दिग्विजय सिंह को बीजेपी का एजेंट भी बताया है.
छत्तीसगढ़ में रमन सिंह के नेतृत्व में बीजेपी तीन बार से सत्ता पर काबिज है. लेकिन कांग्रेस और बीजेपी के बीच महज एक फीसदी का अंतर है. बसपा को पिछले चुनाव में 4.5 फीसदी वोट मिले थे. 2013 के चुनाव में राज्य की 90 विधानसभा सीटों में से बीजेपी ने 49 सीटें जीती थीं. जबकि कांग्रेस को 39 और बसपा को एक सीट मिली थी.
गठबंधन पर बोलते हुए मायावती ने कहा, ‘बीएसपी से गठबंधन करने स पहले यह ज़रूर याद रखना चाहिए कि यह संघर्षों से निकली हुई पार्टी है. मायावती ने कहा कि सोनिया और राहुल गांधी दिल से कांग्रेस का गठबंधन चाहते हैं लेकिन दिग्विजय सिंह जैसे नहीं चाहते कि बीएसपी और कांग्रेस का गठबंधन हो.
इस साल के अंत में मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में विधानसभा चुनाव होने हैं. चुनाव के पहले बीएसपी सुप्रीमो ने अपना रुख साफ कर दिया है. मायावती का कहना है कि बीएसपी राजस्थान और मध्य प्रदेश में अकेले चुनाव लड़ेगी. हमारा कांग्रेस के साथ कोई गठबंधन नहीं होगा. कांग्रेस पर हमला बोलते हुए मायावती ने कहा कि कांग्रेस गठबंधन की आड़ में बीएसपी की पहचान खत्म करना चाहती है. कांग्रेस जातिवादी पार्टी है.
बसपा का कांग्रेस के साथ न आना राहुल गांधी के विपक्षी एकता को झटका माना जा रहा है. इसके चलते कांग्रेस को जहां मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में नुकसान उठाना पड़ सकता है. इसके अलावा आगामी लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के साथ बसपा रहे, ये कहना मुश्किल है. बसपा 2019 में भी इसी तरह से अलग होकर लड़ती है तो कांग्रेस को कई राज्यों में दलित मतों का नुकसान झेलना पड़ सकता है. बीजेपी और कांग्रेस के बाद बसपा एकलौती पार्टी है जिसका आधार राष्ट्रीय स्तर पर है.
मायावती के इस प्रेस कॉन्फ्रेंस के बाद रणदीप सुरजेवाला ने कहा, ” बीएसपी चीफ मायावती ने भावनाएं व्यक्त की हैं, हम उनकी भावना का आदर करते हैं. अगर राहुल गांधी, सोनिया गांधी और मायावती में विश्वास है और बीच में सलवटें आ रही हैं तो हम उनको ठीक कर लेंगे.”
मध्य प्रदेश में तकरीबन 15 फीसदी दलित मतदाता हैं. 2013 में मध्यप्रदेश में बीएसपी ने 230 सीटों में से 227 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे थे. बसपा यहां 6.42 फीसदी वोट के साथ चार सीटें जीतने में सफल रही थी. राज्य में 75 से 80 सीटों पर बसपा प्रत्याशियों ने 10 हजार से ज्यादा वोट हासिल किए थे. जबकि 17 सीटें ऐसी थीं जहां बसपा उम्मीदवारों ने 35 हजार से ज्यादा वोट हासिल किए थे.
बीजेपी और कांग्रेस के बीच 8.4 फीसदी वोट शेयर का अंतर था. बीजेपी को 165 सीटें और कांग्रेस को 58 सीटें मिली थीं. ऐसे में अगर दोनों मिलकर चुनावी रण में उतरते तो शिवराज का समीकरण बिगड़ सकता था. चित्रकूट विधानसभा सीट पर उपचुनाव में बसपा के न लड़ने का फायदा कांग्रेस को मिला था. इसी मद्देनजर कांग्रेस बसपा और गोंडवाना गणतंत्र पार्टी जैसे पार्टियों के साथ मिलकर चुनाव लड़ने की कोशिश कर रही थी. लेकिन मायावती बुधवार को कांग्रेस के साथ गठबंधन के कयासों पर पूर्णविराम लगा दिया है.
मध्य प्रदेश में बसपा का आधार यूपी से सटे इलाकों में अच्छा खासा है. चंबल, बुंदेलखंड और बघेलखंड के क्षेत्र में बसपा की अच्छी खासी पकड़ है. कांग्रेस के साथ बसपा का न उतरना शिवराज के लिए अच्छे संकेत माने जा रहे हैं.
राजस्थान में करीब 17 फीसदी दलित मतदाता हैं. राजस्थान विधानसभा की कुल 200 सीटों में बीजेपी के पास 163 सीटें हैं. 2013 में हुए चुनाव में बीजेपी ने 45.2% वोट हासिल किया था. जबकि कांग्रेस 33.1% के साथ 21 सीट और 3.4% वोट के साथ बसपा 3 सीटें जीत पाई थी. तीन सीटों पर बीएसपी रनर-अप रही और उसने बीजेपी को टक्कर दी. जबकि 2008 में बसपा ने 6 सीटें जीतने के साथ 7.6 फीसदी वोट हासिल किए थे.
दिलचस्प बात ये है कि दलितों की पार्टी कही जाने वाली बसपा को तीनों जीत सामान्य सीटों पर ही मिली थीं. जबकि अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित 34 सीटों में से 33 पर बीजेपी ने परचम लहराया था और एक सीट पर अन्य को जीत मिली थी.
विधानसभा चुनाव में हर बार की भांति इस बार भी 3 से 4 प्रतिशत वोट स्विंग होने की स्थिति में परिणाम काफी बदल सकता था. ऐसे में कांग्रेस चाहती है कि बसपा को मिलने वाला वोट उनको मिल जाए, ताकि बीजेपी को सीधे तौर पर सत्ता में आने से रोक सके, लेकिन मायावती ने कांग्रेस के इन अरमानों पर पानी फेर दिया है.
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नीतीश सरकार को कटघरे में
सुशील मोदी का अपराधियों के आगे हाथ जोड़ना भी बेकार चला गया. बीते चौबीस घंटे में हुई दो हत्या की घटनाओं ने एक बार फिर नीतीश सरकार को कटघरे में लाकर खड़ा कर दिया है. हाल ही में नीतीश कुमार ने बिहार में पुलिस के आला अधिकारियों के साथ अपराध को लेकर हाई-लेवल की मीटिंग की थी, लेकिन इन सब का कोई असर नहीं दिख रहा है.
मुजफ्फरपुर में एक कारोबारी का अपहरण कर उसके परिवार वालों से फिरौती की मांग की गई. जब अपराधियों को उनकी मुंह मांगी रकम नहीं मिली तो उन्होंने कारोबारी को मौत के घाट उतार दिया. मुजफ्फरपुर में हार्डवेयर कारोबारी जयप्रकाश का शव मिला है. परिजनों का आरोप है कि रविवार की शाम अपराधियों ने पहले हार्डवेयर कारोबारी को अगवा किया और फिर परिवार से डेढ़ करोड़ रुपये की फिरौती मांगी. पुलिस में शिकायत भी की गई लेकिन परिवार की शिकायत की पुलिस वालों ने कोई सुध नहीं ली. बदमाशों ने अगवा व्यापारी की हत्या कर दी. वहीं नालंदा में जयवर्धन कुशवाहा नाम के एक बैंक मैनेजर का मर्डर कर दिया गया. पिछले 27 सितंबर को शेखपुरा से बिहार ग्रामीण बैंक से वे वापस नालंदा लौट रहे थे, तभी उनका अपहरण कर लिया गया था. पुलिस लगातार छह दिनों से अंधेरे में ही खाक छानती रही. बुधवार को बैंककर्मी का क्षत-विक्षत शव पुलिस ने शव को बरामद किया. नालंदा पुलिस, नवादा पुलिस और शेखपुरा पुलिस तीनों मिलकर भी बैंक मैनेजर को नहीं बचा सकी. केंद्रीय मंत्री उपेंद्र कुशवाहा ने भी बैंक मैनेजर के परिजनों से मुलाकात की थी.
अपहरण के अगले ही दिन बदमाशों ने परिवार वालों को इसकी सूचना दी. हालांकि पुलिस ने कारवाई करते हुए अपहरण के अगले दिन बैंककर्मी का बैग राजगीर थाना क्षेत्र के बेलौर गांव से बरामद किया. वहीं पर से एक खोखा भी पुलिस ने बरामद किया था. इसके बाद राजगीर थाना में मामला दर्ज किया गया. स्थानीय लोगों की मानें तो बैंककर्मी की हत्या 28 सितंबर को कर दी गयी.
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डॉ मुरली मनोहर जोशी अगस्त में कानपुर आये थे. उन्होंने अपने खास पदाधिकारियों और विधायकों से आगामी लोकसभा चुनाव को लेकर चर्चा भी की थी. उनकी बातों से साफ़ था की वो दोबारा कानपुर से चुनाव लड़ना चाहते हैं.
कानपुर के कद्दावर बीजेपी नेता और सांसद डॉ. मुरली मनोहर जोशी ने कानपुर संसदीय सीट से दोबारा चुनाव लड़ने की इच्छा जाहिर करने की बात सामने आयी है. डॉ जोशी अपने कार्यकाल में कानपुर की जनता को सबसे कम समय दिया है.
बता दें कि भारतीय जनता पार्टी का राष्ट्रीय नेतृत्व यह बात स्पष्ट कर चुका है कि बीते 5 साल कामकाज और संगठन पर ध्यान नहीं देने वालों सांसदों का टिकट आगामी लोकसभा चुनाव में कटना तय है. इस बात को कुछ दिन पहले ही प्रदेश संगठन मंत्री सुनील बंसल ने भी दोहराया था. इसके बाद से ही बीजेपी के प्रदेश भर के सांसदों में हड़कंप मचा हुआ है. शहर में उनके लापता होने के पोस्टर तक चस्पा किये जा चुके हैं. इस स्थिति में केंद्रीय नेतृत्व उन्हें कानपुर से लोकसभा चुनाव में मैदान में उतारता है या नहीं यह देखने वाली बात होगी.जानकारी के मुताबिक डॉ मुरली मनोहर जोशी अगस्त में कानपुर आये थे. उन्होंने अपने खास पदाधिकारियों और विधायकों से आगामी लोकसभा चुनाव को लेकर चर्चा भी की थी. उनकी बातों से साफ़ था की वो दोबारा कानपुर से चुनाव लड़ना चाहते हैं. इसके लिए उन्होंने पार्टी इकाई को कुछ खास तैयारियां करने की जिम्मेदारी भी दी है.
डॉ. जोशी कानपुर में एक बार फिर से धमाकेदार एंट्री करने के मूड में हैं. डॉ जोशी अपने कार्यकाल में सांसद निधि से खर्च की गयी रकम का ब्यौरा देंगे और विकास कार्यो की स्मारक पट्टिका का लोकार्पण करेंगे. इस स्मारक पट्टिका में कानपुर के विकास कार्यो का पूरा लेखाजोखा होगा. इस कार्यक्रम को बेहद भव्य बनाया जायेगा, इसका उद्देश्य होगा की शहर की जनता भी जान सके की शहर के विकास में कितना धन खर्च किया गया है. शहर की मलिन बस्तियों को संवारने के लिए सांसद ढाई करोड़ रुपये खर्च करने जा रहे हैं. इसके लिए नगर विकास मंत्री सुरेश खन्ना से भी बातचीत की गयी है. कानपुर के विभिन्न विधानसभाओं में बनी मलिन बस्तियों में लाइट, पानी, सड़क, सीवर, बिजली के पोल, प्रकाश मार्ग और जिनके मकान जर्जर है उनकी मरम्मत का कार्य कराया जायेगा. यह सभी काम लोकसभा चुनाव से पहले होना तय किया गया है.
डॉ मुरली मनोहर जोशी की बात की जाये तो कानपुर की जनता में उनके खिलाफ बेहद आक्रोश है. कहा जा रहा है कि शहर की जनता ने उन्हें लापता सांसद होने का दर्जा दिया है, उनके नाम पर शहर में लापता सांसद के पोस्टर भी चस्पा हो चुके हैं.
######### मुँह में राम और मस्तिष्क में नाथूराम- रणदीप सुरजेवाला
राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ (आरएसएस) प्रमुख मोहन भागवत के राम मंदिर से जुड़े ताजा बयान को लेकर बुधवार को कांग्रेस ने उन पर निशाना साधा और आरोप लगाया कि ‘कलयुग की कैकेयी’ भाजपा ने भगवान राम को 30 वर्षों से वनवास पर भेज रखा है तथा चुनाव के समय उन्हें राम की याद आती है।
पार्टी के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने संवाददाताओं से कहा कि मोहन भागवत जी का बयान हमने देखा। बारिश और चुनाव के मौसम में बहुत सारे मेंढक आवाज करते हैं, पर हर आवाज यथार्थ और सच्चाई में नहीं बदल जाती। भगवान राम तो कण-कण में हैं, देश के मन-मन में है।
सुरजेवाला ने कहा कि सतयुग में कैकेयी ने भगवान राम को 14 वर्ष का वनवास दिलवाया था। कलयुग की कैकेयी भाजपा और आरएसएस ने तो भगवान राम को 30 साल से वनवास पर भेज रखा है। हर चुनाव के बाद भगवान राम को वनवास पर भेज देते हैं और चुनाव से चार महीने पहले फिर भगवान राम को याद कर लेते हैं। सुरजेवाला ने कहा कि भाजपा और आरएसएस का चरित्र क्या है? मुँह में राम और मस्तिष्क में नाथूराम। ये है भारतीय जनता पार्टी की सच्चाई।
उन्होंने कहा कि भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने स्पष्ट तौर से वर्षों से कहा है कि राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद का जो मामला है वह न्यायालय में विचाराधीन है। जो निर्णय न्यायालय करे वह सब पक्षों को मानना चाहिए और सरकार को उसे लागू करना चाहिए।
आपको बता दें कि मोहन भागवत ने कहा था कि अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण का विरोध विपक्षी दल नहीं कर सकते क्योंकि देश का बहुसंख्यक समुदाय भगवान राम की पूजा करता है।
###### न्यायिक प्रणाली को कठघरे में खड़ा किया था रंजन गोगोई ने – मुख्य न्यायाधीश के रूप में शपथ ली
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने राष्ट्रपति भवन में आयोजित एक समारोह में रंजन गोगोई को भारत के अगले मुख्य न्यायाधीश के रूप में शपथ दिलाई। न्यायमूर्ति गोगोई प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा के सेवानिवृत्त होने के बाद देश के 46वें प्रधान न्यायाधीश बने हैं। सुप्रीम कोर्ट में जारी नया रोस्टर आज से प्रभावी हो जाएगा. इस नये रोस्टर के मुताबिक, चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया ही जनहित याचिकाओं पर सुनवाई करेंगे. बता दें कि यह नया रोस्टर सुप्रीम कोर्ट के जजों के लिए है. नये मामलों के लिए भी रोस्टर जारी हुआ है.
देश के प्रधान न्यायाधीश पद की शपथ लेने के बाद पहले ही दिन जस्टिस रंजन गोगोई के सख्त तेवर देखने को मिले. उन्होंने स्पष्ट कर दिया कि सुप्रीम कोर्ट में तभी जल्द सुनवाई के लिए आ सकते हैं, जब किसी को फांसी होने वाली हो, कोई मरने वाला हो या फिर कोई डिमोलेशन जैसी कार्रवाई का मामला हो. CJI के इस सख्त रुख को देखते हुए महाराष्ट्र सरकार ने गौतम नवलखा मामले में जल्द सुनवाई की मांग करने का फैसला टाल दिया
जस्टिस रंजन गोगो भारत 46वें चीफ जस्टिस हैं। रंजन गोगोई का जन्म 18 नवंबर 1954 को असम के गुवाहाटी में हुआ था। गोगोई के पिता केशव चंद्र गोगोई 1982 में असम के मुख्यमंत्री रहे थे। रंजन गोगोई ने दिल्ली के सेंट स्टीफेंस कालेज से अपनी पढ़ाई पूरी की। रंजन गोगोई को 1978 में गुवाहाटी के बार काउंसिल की सदस्यता मिली थी। इसके बाद गोगोई ने गुवाहाटी हाई कोर्ट में वकालत की प्रैक्टिस शुरू की। सर्वोच्च न्यायालय के नए प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति रंजन गोगोई ने बुधवार को आवश्यक मामलों की सुनवाई तत्काल करने की परंपरा को अस्थायी रूप से समाप्त कर दिया। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि इसके लिए मानक तय किए जा रहे हैं।
एक वकील उनकी नियुक्ति को लेकर उन्हें बधाई देने पहुंचा, जिसपर प्रधान न्यायाधीश ने कहा, ‘चलिए आगे बढ़ते हैं। इसकी कोई जरूरत नहीं है।’न्यायमूर्ति गोगोई ने कहा, ‘बुधवार और गुरुवार को मामले सूचीबद्ध नहीं होंगे। हम इसके लिए मानक पर काम कर रहे हैं।’
रंजन गोगोई को साल 2001 में गुवाहाटी हाई कोर्ट का स्थाई न्यायाधीश नियुक्त किया गया था। इसके बाद सितंबर 2010 में रंजन गोगोई का स्थानांतरण पंजाब एंड हरियाणा हाई कोर्ट में हुआ था, जिसके 5 महीने बाद ही फरवरी 2011 में पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट का मुख्य न्यायाधीश बना दिया गया।
रंजन गोगोई अप्रैल 2012 में देश के सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश बनाये गए। इसके बाद 3 अक्टूबर 2018 को सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश की शपथ ली है। सीजेआई रंजन गोगोई का मासिक वेतन लगभग 2.5 लाख है। रंजन गोगोई पूर्वोत्तर से आने वाले सुप्रीम कोर्ट के पहले मुख्य न्यायाधीश भी हैं। रंजन गोगोई ने जबकि अपना पदभार संभाल लिया है उनके पास अब तक अपना घर तक नहीं है। हाई कोर्ट तथा सुप्रीम कोर्ट के इतने लंबे कार्यकाल के बाबजूद निजी संपत्ति के नाम पर सीजेआई गोगोई के पास ज्यादा कुछ नहीं है। जानकारी के मुताबिक रंजन गोगोई के पास अपनी कोई निजी ज्वैलरी भी नहीं है, उनकी पत्नी के पास भी जो ज्वैलरी है वो भी उन्हें उनकी शादी के समय उपहार स्वरुप मिली थी। रंजन गोगोई व अन्य तीन जजों ने ही भारतीय न्यायिक इतिहास में पहली बार तब के सीजेआई दीपक मिश्रा के विरुद्ध केस रोस्टर सिस्टम से असहमति जताते हुए खुलेआम मीडिया के सामने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर न्यायिक प्रणाली को कठघरे में खड़ा किया था। जिसे कोर्ट के अंदरूनी प्रोटोकॉल का उललंघन माना गया था।
सुप्रीम कोर्ट में मामलों की श्रेणी के हिसाब से रोस्टर बनाया गया है. इस रोस्टर के मुताबिक, चीफ जस्टिस जनहित याचिका, चुनाव संबंधी याचिका, कोर्ट की अवमानना से संबंधित याचिका, हैवियस कॉरपस सामाजिक न्याय , आपराधिक मामले, संवैधानिक पदों पर नियुक्ति सहित अन्य मामले सुनेंगे. वो ही तय तय करेंगे कि जनहित याचिका सुनवाई किसे दी जाए.
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भारत में 20,500 से अधिक लोग सिर पर मैला ढोने के काम में
भारत में 20,500 से अधिक लोग सिर पर मैला ढोने के काम में लगे हुए हैं. इनमें से करीब 6000 लोग उत्तर प्रदेश में हैं. केंद्रीय सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय की तरफ से 18 राज्यों में किये गये सर्वे में यह बात सामने आयी है. अधिकारियों ने बताया कि पिछले सर्वेक्षण में देश में 13,770 लोगों के सिर पर मैला ढोने के काम में लगे होने का अनुमान लगाया गया था. यह सर्वेक्षण 2014-17 के दौरान किया गया था और राज्यों ने आंकड़े उपलब्ध कराये थे.
गुजरात, केरल, महाराष्ट्र जैसे कुछ राज्यों ने अपने यहां सिर पर मैला ढ़ोने के काम में किसी के भी लगे होने से इनकार किया था लेकिन नवीनतम सर्वेक्षण में खुलासा हुआ है कि इन राज्यों में सिर पर मैला ढोने की प्रथा जारी है. अधिकारियों के अनुसार नवीनतम सर्वेक्षण फरवरी में शुरु हुआ था और अब भी यह जारी है. इसमें 18 राज्यों के 170 जिले शामिल होंगे.
नेशनल सफाई कर्मचारी फाइनेंस एंड डेवलपमेंट कोरपोरेशन (एनएसकेएफडीसी) के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि नवीनतम सर्वेक्षण में 18 राज्यों में सिर पर मैला ढोने वाले 20,596 लोगों की पहचान की गयी है. उत्तर प्रदेश में ऐसे 6,126 महाराष्ट्र में ऐसे 5,269 और कर्नाटक में ऐसे 1744लोग हैं.
‘सीवरों और सेप्टिक टैंक की खतरनाक सफाई की रोकथाम पर अखिल भारतीय कार्यशाला’ में इस सर्वेक्षण के निष्कर्षों पर चर्चा हुई. केंद्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री थावरचंद गहलोत ने महात्मा गांधी की 150वीं जयंती वर्ष समारोह के तहत इस कार्यशाला का उद्घाटन किया.
इस संदर्भ में मंत्रालय की गतिविधियों में मैला ढोने वालों का सर्वेक्षण और उनका पुनर्वास भी शामिल है. इस प्रथा पर कानून के अनुसार पाबंदी है.
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आरक्षण को देश से कोई ताकत समाप्त नहीं कर सकती- नीतीश कुमार
पटना : बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने आज कहा कि अनुसूचित जाति (SC) एवं अनुसूचित जनजाति (ST) के आरक्षण को देश से कोई ताकत समाप्त नहीं कर सकती है। जनता दल यूनाइटेड (जदयू) के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री कुमार ने यहां पार्टी की ओर से आयोजित दलित-महादलित सम्मेलन का उद्घाटन करने के बाद कहा कि कुछ लोग आरक्षण को लेकर भ्रम फैला रहे हैं और तरह-तरह की बातें कर रहे हैं। ऐसे लोग सिर्फ झगड़ लगाना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि एससी-एसटी को मिले इस अधिकार को उनसे कोई भी छीन नहीं सकता। उनकी पार्टी पूरी मजबूती से इसके साथ हैं इसलिये कभी भी इस तरह की बात मन में नही लानी चाहिए।
श्री कुमार ने कहा, ‘सरकार की ओर से जो काम किये जा रहे हैं, उसका मकसद हाशिये के लोगों को ऊपर उठाना है। सरकार एक-एक काम कर रही है। किसी भी चीज में पीछे नहीं हट रहे हैं, जबतक हाशिये के लोगों को मुख्यधारा में नही लायेंगे तब तक चैन से बैठने वाले नहीं है। हर हाल में लक्ष्य को प्राप्त करना है।’ उन्होंने कहा कि काम नहीं करने वाले ही जुबान बहुत चलाते हैं। मुख्यमंत्री ने मुख्य विपक्षी राष्ट्रीय जनता दल (राजद) का नाम लिये बगैर कहा कि पहले कोई काम नहीं होता था। जो काम नहीं करते उनकी जुबान अधिक चलती है। उन्होंने कहा कि वर्ष 2004-05 के बजट में अनुसूचित जाति की योजनाओं पर 13 करोड़ पांच लाख 45 हजार रुपये का प्रावधान किया गया था लेकिन वर्ष 2018-19 में इसे बढ़कर एक हजार करोड़ रुपये से भी अधिक कर दिया गया है। इसी तरह 27 हजार नये स्कूल बनाये गये हैं और निर्माण का कार्य चल रहा है।
उन्होंने कहा कि एससी-एसटी छात्रावास योजना के तहत छात्रावास में रहने वाले विद्यार्थियों को प्रतिमाह एक हजार रुपये अनुदान दिये जाने का प्रावधान किया गया है। प्रत्येक छात्र को हर महीने 15 किलोग्राम अनाज मुफ्त दिया जा रहा है। श्री कुमार ने कहा कि एससी-एसटी के विकास के लिये एक नहीं, कई योजनाएं चलायी जा रहीं हैं। इस समुदाय का युवा बिहार लोकसेवा आयोग की प्रारंभिक परीक्षा (पीटी) पास करता है तो उसे 50 हजार रुपये और संघ लोकसेवा आयोग की पीटी उत्तीर्ण करता है तो उसे एक लाख रुपया राज्य सरकार दे रही है। इसी तरह उद्यमी योजना के तहत पांच लाख रुपये तक अनुदान और पांच लाख रुपये तक बिना ब्याज के ऋण दिये जा रहे हैं।
उन्होंने कहा कि यदि किसी के मन में और नयी योजनाएं चलाने का विचार आता है तो वह पत्र लिखकर पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष वशिष्ठ नारायण सिह को बतायें। उचित पत्र पर विचार किया जायेगा। इस मौके पर पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष एवं राज्यसभा सांसद वशिष्ठ नारायण सिंह ने कहा कि मुख्यमंत्री श्री कुमार ने सत्ता को सेवा से जोड़ने का काम किया है। श्री कुमार के कार्यकाल में राज्य में विकास के कई ऐसे काम किये गये हैं, जो किसी और के समय में या फिर किसी प्रदेश में नहीं हुआ। सम्मेलन को जदयू के राष्ट्रीय महासचिव श्याम रजक, प्रदेश प्रवक्ता अजय आलोक, राजीव रंजन प्रसाद, हुलेश मांझी, रवीन्द, तांती, बाल्मीकि सिंह और अरुण मांझी समेत कई अन्य नेताओं ने भी अपने विचार व्यक्त किये।
####### अमेरिका के राष्ट्रपति ने सऊदी अरब के शाह को डराया
दुबई
अमेरिका के राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने कहा कि सऊदी अरब के शाह अमेरिकी सैन्य सहयोग के बिना संभवत: ‘दो सप्ताह भी पद पर बने नहीं रह सकते।’ यह कहकर, ट्रंप ने तेल की बढ़ती कीमतों को लेकर पश्चिमी एशिया में अमेरिका के सबसे करीबी सहयोगियों में से एक सऊदी अरब पर भी दबाव और बढ़ा दिया। सर्वोच्च स्तर पर पहुंचने के बीच ट्रंप ने तेल उत्पादक देशों के संगठन ओपेक और सऊदी अरब से बार-बार इन दामों को कम करने की मांग की। हालांकि विश्लेषकों ने चेताया है कि तेल के दाम सौ डॉलर प्रति बैरेल तक जा सकते हैं क्योंकि विश्व का उत्पादन पहले से ही बढ़ा हुआ है और ईरान के तेल उद्योग पर ट्रंप के प्रतिबंध नवंबर की शुरुआत से लागू होंगे।
राष्ट्रपति चुनावों के दौरान ट्रंप ने अमेरिकी सहयोगियों को लंबे अर्से से दी जा रही सैन्य सहायताओं की तीखी आलोचना की थी। इस नई टिप्पणी के बाद ट्रंप अपने उसी पुराने स्टैंड की तरफ लौटते दिखाई दिए हैं। मिसिसिपी में ट्रंप ने अपने बयान में जापान और साउथ कोरिया का भी जिक्र किया है। ट्रंप ने सऊदी पर जो टिप्पणी की है वह वहां के राजा अल सउद से जुड़ी है।
ट्रंप ने लोगों को संबोधित करते हुए कहा, ‘हम सऊदी अरब की रक्षा करते हैं, क्या आप कहेंगे कि वे अमीर हैं?’ उन्होंने कहा, ‘मैं शाह सलमान को बहुत पसंद करता हूं लेकिन मैंने कह दिया है कि शाह, हम आपको सुरक्षा दे रहे हैं। हमारे बिना आप शायद दो सप्ताह भी पद पर बने नहीं रह सकते। आपको अपनी सेना के लिए भुगतान करना होगा।’
हालांकि ट्रंप ने यह स्पष्ट नहीं किया कि उन्होंने सऊदी अरब के 82 साल के शाह के सामने ये टिप्पणियां कब कीं। सऊदी अरब ने ट्रंप की टिप्पणियों पर बुधवार को फिलहाल कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है। रिपोर्ट्स के मुताबिक ट्रंप और शाह के बीच अंतिम बातचीत शनिवार को टेलिफोन पर हुई थी। इस दौरान दोनों तेल और वैश्विक बाजार में स्थायित्व बनाए रखने के लिए क्रूड की सप्लाई को मेंटेन रखने को लेकर बात की थी।
सऊदी अरब पिछले कुछ समय से ट्रंप के साथ बेहतर रिश्तों पर काम कर रहा है, लेकिन अब तेल की बढ़ती कीमतें इसके आड़े आ रही हैं। ब्रेंट क्रूड ऑइल का बेंचमार्क 85 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच गया है। चार सालों में यह सर्वाधिक कीमत है। ट्रंप ने जुलाई में ट्वीट किया था कि सऊदी अरब 2000000 बैरल तक तेल का उत्पादन बढ़ाएगा। फिलहाल सऊदी अरब रोजाना 10000000 बैरल क्रूड का उत्पादन करता है।
सऊदी का रेकॉर्ड 1 करोड़ 7 लाख 20 हजार बैरल क्रूड के उत्पादन का है। इस बीच अमेरिका में भी गैसोलीन की कीमतें बढ़ रही हैं। नवंबर में ट्रंप को मिड टर्म चुनावों का भी सामना करना है। पिछले हफ्ते संयुक्त राष्ट्र में दिए गए अपने बयान में ट्रंप ने तेल उत्पादक देशों और उनके समूह OPEC की आलोचना भी की थी। ट्रंप ने उन्हें बढ़ती तेल कीमतों के लिए जिम्मेदार ठहराया था।
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