31 मार्च; 7वां नवरात्र : जय सर्वगते देवि कालरात्रि नमोस्तु ते। ॐ जयंती मंगला काली भद्रकाली कपालिनी
31 मार्च 2020, मंगलवार के शुभ मुहूर्त – शुभ विक्रम संवत्- 2077, हिजरी सन्- 1440-41, ईस्वी सन् -2020 अयन- उत्तरायण मास- चैत्र पक्ष- शुक्ल संवत्सर नाम- प्रमादी ऋतु- वसंत वार-मंगलवार तिथि (सूर्योदयकालीन)-सप्तमी नक्षत्र (सूर्योदयकालीन)-मृगशिरा योग (सूर्योदयकालीन)-सौभाग्य करण (सूर्योदयकालीन)- गरज लग्न (सूर्योदयकालीन)- मीन शुभ समय-10:46 से 1:55, 3:30 5:05 तक राहुकाल- दोप. 3:00 से 4:30 बजे तक दिशा शूल-उत्तर योगिनी वास-वायव्य गुरु तारा-उदित शुक्र तारा-उदित चंद्र स्थिति-मिथुन व्रत/मुहूर्त- द्विपुष्कर योग यात्रा शकुन- दलिया का सेवन कर यात्रा पर निकलें। आज का मंत्र- ‘ॐ अं अंगारकाय नम:। आज का उपाय- 250 ग्राम बताशे दान करें। वनस्पति तंत्र उपाय- खैर के वृक्ष में जल चढ़ाएं।
नवरात्रि सातवां दिन : ऋद्धि- सिद्धि प्रदान करती है मां कालरात्रि
नवरात्रि के सातवें दिन मां कालरात्रि की पूजा होती है। मां कालरात्रि को यंत्र, मंत्र और तंत्र की देवी कहा जाता है। कहा जाता है कि देवी दुर्गा ने असुर रक्तबीज का वध करने के लिए कालरात्रि को अपने तेज से उत्पन्न किया था। इनकी उपासना से प्राणी सर्वथा भय मुक्त हो जाता है।
मंत्र:
ॐ जयंती मंगला काली भद्रकाली कपालिनी।
दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोस्तु ते।।
जय त्वं देवि चामुण्डे जय भूतार्तिहारिणि।
जय सर्वगते देवि कालरात्रि नमोस्तु ते।।
मां की इस तरह की पूजा से मृत्यु का भय नहीं सताता। देवी का यह रूप ऋद्धि- सिद्धि प्रदान करने वाला है। देवी भगवती के प्रताप से सब मंगल ही मंगल होता है। दानव, भूत, प्रेत, पिशाच आदि इनके नाम लेने मात्र से भाग जाते हैं। मां कालरात्रि का स्वरूप काला है, लेकिन यह सदैव शुभ फल देने वाली हैं। इसी कारण इनका एक नाम शुभकारी भी है। ‘
Durga-Saptashti-Chapter-7 दुर्गा सप्तशती
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ब्रह्मांड के सारे ग्रह एकत्रित होकर जब सक्रिय हो जाते हैं, तब उसका दुष्प्रभाव प्राणियों पर पड़ता है। ग्रहों के इसी दुष्प्रभाव से बचने के लिए नवरात्रि में दुर्गा की पूजा की जाती है। हर एक देवी का पृथक बीज मंत्र यहाँ दिया गया है
1. शैलपुत्री : ह्रीं शिवायै नम: 2. ब्रह्मचारिणी : ह्रीं श्री अम्बिकायै नम:
3. चन्द्रघंटा : ऐं श्रीं शक्तयै नम: 4. कूष्मांडा ऐं ह्री देव्यै नम:
5. स्कंदमाता : ह्रीं क्लीं स्वमिन्यै नम: 6. कात्यायनी : क्लीं श्री त्रिनेत्रायै नम: 7. कालरात्रि : क्लीं ऐं श्री कालिकायै नम: 8. महागौरी : श्री क्लीं ह्रीं वरदायै नम: 9. सिद्धिदात्री : ह्रीं क्लीं ऐं सिद्धये नम:.
देवी दुर्गा के नौ रूप कौन कौन से है
प्रथम् शैल-पुत्री च, द्वितियं ब्रह्मचारिणि
तृतियं चंद्रघंटेति च चतुर्थ कूषमाण्डा
पंचम् स्कन्दमातेती, षष्टं कात्यानी च
सप्तं कालरात्रेति, अष्टं महागौरी च
नवमं सिद्धिदात्ररी
महर्षि मेघा ने कहा- दैत्यराज की आज्ञा पाकर चण्ड और मुण्ड चतुरंगिनी सेना को साथ लेकर हथियार उठाये हुए देवी से लड़ने के लिए चल दिये। हिमालय पर्वत पर पहुंच कर उन्होंने मुस्कुराती हुई देवी जो सिंह पर बैठी हुई थी देखा, जब असुर उनको पकड़ने के लिए तलवारें लेकर उनकी ओर बढे, तब अम्बिका को उन पर बड़ा क्रोध आया और मारे क्रोध के उनका मुख काला पड़ गया, उनकी भृकुटियां चढ़ गई और उनके ललाट में से अत्यंत भयंकर तथा अत्यंत विस्तृत मुख वाली, लाल आँखों वाली काली प्रकट हुई जो कि अपने हाथों में तलवार और पाश लिए हुई थी, वह विचित्र खड्ग धारण किये हुए थी तथा चीते के चर्म की साडी एवं नरमुण्डों की माला पहन रखी थी। उसका मांस सूखा हुआ था और शरीर केवल हडिड्यों का ढांचा था और जो भयंकर शब्द से दिशाओं को पूर्ण कर रही थी, वह असुर सेना पर टूट पड़ी और दैत्यों को भक्षण करने लगी, वह पशवर रक्षकों, अंकुशधारी महावतों, हाथियों पर सवार योद्धाओं और घण्टा सहित हाथियों को एक हाथ से पकड़ २ कर अपने मुँह में डाला रही थी और इसी प्रकार वह घोड़ो, रथों, सारथियों व रथों में बैठे हुए सैनिकों को मुँह में डालकर भयानक रूप से चबा रही थी, किसी के केश पकड़कर, किसी की गर्दन पकड़कर, किसी के पैरों से दबाकर और किसी दैत्य को छाती से मसलकर मार रही थी, वह दैत्य के छोड़े हुए बड़े -२ अस्त्र – शस्त्रों को मुँह में पकड़कर और क्रोध में भर उनको दांतो से पीस रही थी, उसने के बड़े-२ असुर भक्षण कर डाले, कितनों को रौंद डाला और कितनी उसकी मार के मारे भाग गए, कितनों को उसने तलवार से मार डाला, कितनों को अपने दांतों से समाप्त कर दिया, और इस प्रकार से देवी ने क्षणभर में सम्पूर्ण दैत्य सेना को नष्ट कर दिया।
यह देख महा पराक्रमी चण्ड काली देवी की ओर लपका और मुण्ड ने भी देवी पर अपने भयानक बाणों की वर्षा आरंभ कर दी और अपने हजारों चक्र उस पर छोड़े, उस समय वह चमकते हुए बाण व चक्र देवी के मुख में प्रविष्ट हुए इस प्रकार दीख रहे थे, जैसे मानो बहुत से सूर्य मेघों की घंटा में प्रविष्ट हो रहे हो, इसके पश्चात भयंकर शब्द के साथ काली ने अत्यंत जोश में भरकर विकट अट्टहास किया।
उसका भंयकर मुख देखा नहीं जाता था, उसके मुख में श्वेत दांतो की पंक्ति चमक रही थी, फिर उसने तलवार हाथ में लेकर (हूँ) शब्द कहकर चण्ड के ऊपर आक्रमण किया और उसके केश पकड़ कर उसका सिर काटकर अलग कर दिया, चण्ड को मरा हुआ देखकर मुण्ड देवी की ओर लपका, परन्तु देवी ने क्रोध में भरे उसे भी अपनी तलवार से यमलोक पहुंचा दिया, चण्ड और मुण्ड को मरा हुआ देखर उसकी बाकी बची हुई सेना वहाँ से भाग गई। इसके पश्चात काली चण्ड और मुण्ड के कटे हुए सिरों को लेकर चंडिका के पास गई और प्रचंड अट्टहास के साथ कहने लगी- हे देवी! चण्ड और मुण्ड दो मारकर तुम्हारी भेंट कर दिया है, अब शुम्भ और निशुम्भ का तुमको स्वयं वध करना है। महर्षि मेघा ने कहा- वहाँ लाये हुए चण्ड और मुण्ड के सिरों को देखकर कल्याणमयी चण्डी ने काली से मधुर वाणी में कहा- हे देवी! तुम चुकी चण्ड और मुण्ड को मेरे पास लेकर आई हो, अतः संसार में चामुंडा के नाम से तुम्हारी ख्याति होगी ।
Durga-Saptashti-Chapter-7-Satva Adhyay सातवा अध्याय समाप्तम
पंचांग मुख्य रूप से पांच अगों से मिलकर बना होता है। ये पांच अंग तिथि, नक्षत्र, वार, योग एवं करण हैं। यहां हम दैनिक पंचांग में आपको शुभ, मुहूर्त, राहुकाल, सूर्योदय और सूर्यास्त का समय, तिथि, करण, नक्षत्र, सूर्य और चंद्र ग्रह की स्थिति, हिन्दू मास, एवं पक्ष आदि की जानकारी देते हैं। 31 मार्च 2020 मंगलवार, पंचांग एवं शुभ – अशुभ मुहूर्त– तिथिसप्तमी – 27:51:03 तक
नक्षत्रमृगशिरा – 18:44:25 तक करणगर – 15:38:44 तक, वणिज – 27:51:03 तक
पक्षशुक्ल योगसौभाग्य – 17:53:18 तक वारमंगलवार
सूर्य व चन्द्र से संबंधित गणनाएँ सूर्योदय06:11:54 सूर्यास्त18:38:51
चन्द्र राशिमिथुन चन्द्रोदय10:37:00 चन्द्रास्त24:55:00 ऋतुवसंत
हिन्दू मास एवं वर्ष ; शक सम्वत1942 शार्वरी विक्रम सम्वत2077
काली सम्वत5121 दिन काल12:26:56 मास अमांतचैत्र मास पूर्णिमांतचैत्र
अशुभ समय (अशुभ मुहूर्त)
दुष्टमुहूर्त08:41:18 से 09:31:06 तक
कुलिक13:40:05 से 14:29:53 तक
कंटक07:01:42 से 07:51:30 तक
राहु काल15:32:07 से 17:05:29 तक
कालवेला / अर्द्धयाम08:41:18 से 09:31:06 तक
यमघण्ट10:20:54 से 11:10:41 तक
यमगण्ड09:18:39 से 10:52:01 तक
गुलिक काल12:25:23 से 13:58:45 तक
शुभ समय (शुभ मुहूर्त) अभिजीत12:00:29 से 12:50:17 तक
दिशा शूल दिशा शूलउत्तर
चन्द्रबल
और ताराबल
ताराबलभरणी, रोहिणी, मृगशिरा, आर्द्रा, पुनर्वसु, आश्लेषा, पूर्वा
फाल्गुनी, हस्त, चित्रा, स्वाति, विशाखा, ज्येष्ठा, पूर्वाषाढ़ा, श्रवण, धनिष्ठा, शतभिषा, पूर्वाभाद्रपद, रेवती
चन्द्रबल मेष, मिथुन, सिंह, कन्या, धनु, मकर
चन्द्रशेखर जोशी- मुख्य सेवक- मॉ दशम विदया पीताम्बरा मंदिर-निर्माणाधीन- नंदादेवी एनक्लेव बंजारावाला देहरादून उत्तराखण्ड; हिमालयायूके को गूगल ने अपने सर्च इंजन में रखा वरियता क्रम में- BY: www.himalayauk.org (Uttrakhand Leading Newsportal & Daily Newspaper) Publish at Dehradun & Hariwar Mail us; himalayauk@gmail.com Mob. 9412932030## Special Bureau Report..