UK; करोड़ों रुपये का घोटाला- अब आईएएस अधिकारी एसआईटी की रडार पर
राजनेताओं एवं नौकरशाहों द्वारा मिलकर किया करोड़ों रुपये का घोटाला. #ऊधमसिंह नगर में हुए 300 करोड़ रुपये के एन एच-74 भूमि मुआवजा घोटाले # राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या- 74 घोटाले में राजनेताओं एवं आईएएस अधिकारियों की संलिप्ता की जांच कर घोटाले में वास्तविक दोषियों के खिलाफ भी शीघ्र दंडात्मक कार्रवाई की जाए # ऊधमसिंह नगर में हुए 300 करोड़ रुपये के एन एच-74 भूमि मुआवजा घोटाले के मुख्य आरोपी पीसीएस अधिकारी डीपी सिंह की गिरफ्तारी केे बाद आई0ए0एस0 का नम्बर #एनएच-74 घोटाले में पांच सौ करोड़ रुपये से ज्यादा की रकम का घपला होने का अंदेशा #अधिग्रहण की जाने वाली कृषि भूमि को अकृषि दिखाते हुए मुआवजे की राशि को कई गुना बढ़ा दिया गया# बीच की रकम में अफसरों और नेताओं के अलावा भूमि के काश्तकारों में बंदरबांट की गई# इस खेल से जुड़े तमाम अफसर जेल भी भेजे जा चुके हैं# फिलहाल मामले की जांच स्थानीय स्तर पर बनी एसआईटी कर रही है, जो यदा-कदा कुछ कार्रवाई करती रहती है।
पूर्व में कैबिनेट मंत्री प्रकाश पंत ने कहा था बहुचर्चित एनएच-74 घोटाले की जांच में अभी तो छोटी मछली ही हाथ आई हैं। जल्दी ही इसमें बढ़ी मछली भी गिरफ्त में आएगी। जांच पर भरोसा रखें।
# प्रधानमंत्री जी से इस मामले में संज्ञान लेने की अपील की है- प्रकाण्ड विद्वान ज्योतिषविद श्रीदयानंद जगुडी, मुम्बई
ऊधमसिंह नगर में राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या- 74 के निर्माण में कई प्रभावशाली राजनेताओं एवं नौकरशाहों ने मिलकर करोड़ों रुपये का घोटाला राष्ट्रीय राजमार्ग अधिनियम की धारा 3(जी)(5) में विहित प्रावधानों का दुरुपयोग कर प्रतिकर धनराशि बढ़ाकर किया गया है। उक्त आदेशों में कोई भी ठोस साक्ष्य नहीं लगाए गए हैं। प्रभावशाली राजनेताओं के करीबियों को साथ लेकर घोटाला करते हुए पैसों की बंदरबांट के लिए आदेश पारित किए गए हैं। मनमाने तरीके से दर बढ़ाकर करोड़ों रुपये का सरकार को चूना लगाया गया है।
29 मार्च 2018 को समाचार पत्रो में प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार-
ऊधमसिंह नगर के बहुचर्चित एनएच 74 भूमि मुआवजा घोटाले में अब एक आईएएस अधिकारी एसआईटी की रडार पर है। सूत्रों के अनुसार एसआईटी ऑर्बिटेशन से निर्णित कुछ मामलों को लेकर एसआईटी जांच कर रही है। इनमें कुछ ऐसे मामले भी शामिल हैं, जिनमें बैक डेट में 143 कर एसएलएओ के स्तर से मानकों के विपरीत कई गुना अधिक मुआवजे का निर्धारण किया गया। सूत्रों के अनुसार, इनमें से कुछ मामलों में ऑर्बिटेशन ने भी न सिर्फ एसएलएओ के अभिनिर्णय आदेश को सही ठहराया, बल्कि कुछ मामलों में एनएचएआई को ब्याज सहित मुआवजे की रकम देने का निर्णय भी पारित कर दिया। ऐसे मामलों की पड़ताल में एसआईटी यह देख रही है कि ऑर्बिट्रेटर से निर्णित हुए मामलों में क्या बैक डेट में 143 किये जाने की पहले से जानकारी तो नहीं थी। यानि किसी भी स्तर पर इन मामलों में सिडिकेंट का हाथ तो नहीं था। हालांकि ऐसा न होने पर ऑर्बिटेशन के मामलों में एसआईटी कोई कार्रवाई नहीं कर सकती है। कारण यह है कि ऑर्बिटेशन में निर्णित मामलों में कोई भी आपत्ति होने पर इस संबंध में इससे ऊंची कोर्ट में वाद दायर किया जाता है। एसएसपी डॉ. सदानंद दाते ने बताया कि प्रिया और सुधीर की गिरफ्तारी के बाद एक आईएएस अधिकारी एसआईटी की रडार पर है। ज्यादा न बताते हुए उन्होंने इसकी जांच जारी होने की बात कही।
उत्तराखंड के बहुचर्चित एनएच-74 घोटाले में लगातार हो रही गिरफतारी के बाद अब किसानों की भी परेशानी बढ़ सकती है। एसआईटी के द्वारा की गई जांच में यह सामने आया था कि अधिकत्तर किसानों ने अधिकारियों के साथ मिलकर पहले तो कृषि भूमि को कॉमर्शियल बना दिया गया। इसके बाद उस भूमि सो सरकार को करोड़ो रूपए का घोटाला किया गया था। इसके बाद से लगातार एसआईटी के द्वारा किसानों से पूछताछ की जा रही है।
एनएच-74 घोटाले में सरकार को करोड़ों रूपए का गबन करने वाले काश्तकारों के लिए पैसा वापस करने के लिए कोर्ट और जिलाधिकारी के निर्देश पर एसबीआई रुद्रपुर में खाता खोला गया था। इसके अतिरिक्त यह भी निर्देश दिए गए थे कि मुआवजे से अधिक रूपए पाने वाले किसान इस खाते में पैसा लौटा सकते है। वहीं भू-अध्यापित अधिकारी उत्तम सिंह चौहान ने बताया कि कोर्ट के आदेशों के बाद रुद्रपुर एसबीआई बैंक में फरवरी महीने में खाता खोला गया था। इसी के उपरान्त 9 मार्च को 5 किसानों के द्वारा 1 करोड़ रुपए जमा करवाया गया है।
पूछताछ में प्रिया शर्मा ने एक आईएएस और एक पीसीएस अधिकारी पर उसे फंसाने, उनके फर्जीवाड़े में शामिल होने का आरोप लगाया
उधम सिंह नगर। NH-74 भूमि मुआवजा घोटाले में एलाइड इन्फ्रा की एमडी प्रिया शर्मा ने कुछ आईएएस और पीसीएस अधिकारियों के नामों का खुलासा कर एसआईटी को चौंका दिया है। पूछताछ में प्रिया शर्मा ने एक आईएएस और एक पीसीएस अधिकारी पर उसे फंसाने, उनके फर्जीवाड़े में शामिल होने का आरोप लगाया है। प्रिया का दावा है कि वर्ष 2016 से ही दोनों अधिकारियों ने उसे फंसाने की साजिश रची थी। अधिकारियों के खिलाफ साक्ष्य उसके पास है, जिसे वह पुलिस को सौपेंगी। प्रिया के कार्यालय से मिले टोल प्लाजा और एनएच-74 के दस्तावेजों से भी एसआईटी को महत्वपूर्ण साक्ष्य मिले हैं। इधर, सुधीर चावला ने भी पूछताछ में कुछ सफेदपोश लोगों के नाम लिए हैं। प्रिया और सुधीर से पूछताछ के बाद माना जा रहा है कि कुछ और लोग पुलिस जांच के दायरे में आ सकते हैं। प्रिया ने साक्ष्य के तौर पर पुलिस को एक सीडी भी उपलब्ध कराने की बात कही है। एसएसपी का कहना है कि सीडी मिलने पर उसे विवेचना में शामिल किया जाएगा।
20 मार्च को गुड़गांव से दोनों को किया गया था गिरफ्तार
मामले में नाम आने के बाद एलाइड इन्फ्रा की एमडी प्रिया शर्मा और सुधीर चावला फरार चल रहे थे। 20 मार्च को दोनों को पुलिस ने गुड़गांव से गिरफ्तार किया था। 21 मार्च को दोनों को नैनीताल कोर्ट में पेश किया गया था। सुनवाई के बाद बिल्डर प्रिया शर्मा और सुधीर चावला को एक दिन की न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया गया था। ल प्लाजा के मामले में कुछ तहसील कर्मियों के शामिल होने की बात भी प्रिया ने बताई है। प्रिया ने इस बात को भी स्वीकारा है कि फाजलपुर महरौला वाली जमीन पर जीशान के साथ किए गए इकरारनामे में किसानों के फर्जी हस्ताक्षर थे, जिसे भूमि पर मुआवजा लेने के लिए एसएलओ कार्यालय भेजा गया था। यहां से डीपी सिंह की संस्तुति पर दस्तावेज एनएचएआई के पास भेजे गए थे।
एसआईटी ने इनमें तीन पीसीएस अफसरों को सलाखों के पीछे पहुंचा दिया
एनएच-74 मुआवजा घोटाले में आरोपी बनाए गए सभी छह पीसीएस अफसरों को शासन ने सस्पेंड कर दिया था। वहीं करीब दस महीने की जांच के बाद एसआईटी ने इनमें तीन पीसीएस अफसरों को सलाखों के पीछे पहुंचा दिया है। वहीं एसआईटी से जुड़े सूत्रों के मुताबिक पूर्व पीसीएस अधिकारी एनएस नगन्याल के भूमिगत होने की खबर हैं। घोटाले की जांच कर रही एसआईटी ने अब तक पूर्व पीसीएस अधिकारी भगत सिंह फोनिया, पूर्व पीसीएस अधिकारी डीपी सिंह और पूर्व पीसीएस अधिकारी अनिल शुक्ला को गिरफ्तार कर चुकी है। इसके साथ बाकी तीन पीसीएस अधिकारी अब उसकी रडार पर हैं। सूत्रों के मुताबिक जांच के साथ-साथ बचे पीसीएस अफसरों के खिलाफ भी कार्रवाई हो सकती है। बता दें कि फोनिया पर आरोप था कि बैकडेट में कृषि भूमि की मानकों के विपरीत जाकर 143 की है।
पूर्व पीसीएस डीपी सिंह घोटाले के मुख्य आरोपी हैं। उन पर कई मामलों में 143 कर करोड़ों रुपये का मुआवजा बांटने का आरोप है। पूर्व एसएलओ और रुद्रपुर के पूर्व एसडीएम अनिल शुक्ला पर बाजपुर तहसील में चकबंदी प्रक्रिया के बावजूद वहां की कृषि भूमि 143 कर अकृषक दिखाकर कई गुना अधिक मुआवजा बांटा गया है। पूर्व एसडीएम पर 12 ऐसे मामलों पर अत्यधिक मुआवजा देने का आरोप है। बीते रविवार एसआईटी ने एक पूर्व पीसीएस अधिकारी और प्रभारी तहसीलदार को गिरफ्तार किया था।
ज्ञात हो कि पूर्व में उत्तराखंड के बहुचर्चित एनएच 74 घोटाले का खुलासा करने वाले IAS अधिकारी सचिव डी सेंथिल पांडियन ने अपनी जान को खतरे की आशंका जाहिर की थी। उन्होंने कार्मिक विभाग को पत्र लिखकर खुद और परिवार के लिये सुरक्षा मुहैया कराने की गुजारिश की है। ऐ चर्चा जोरों पर रही कि आखिर वो कौन बाहुबली हैं जो NH-74 घोटाले के जांच अधिकारी को डरा रहा है..
उत्तराखंड केे आईएएस अफसर भी चर्चा में रहे हैं- मीडिया में सुर्खियां रही है,
त्तराखंड का एक आईएएस अफसर आयकर विभाग की रडार पर है। अफसर के पास 16 करोड़ रुपये से अधिक की संपत्ति और करीब एक करोड़ रुपये के हीरे होने की जानकारी मिली है। इनकम टैक्स ने प्राथमिक जांच भी पूरी कर ली है। अब आगे की कार्रवाई के लिए वरिष्ठ अफसरों से इजाजत ली जाएगी।आयकर विभाग के सूत्रों के मुताबिक उत्तराखंड सरकार में अपर सचिव पद पर तैनात आईएएस अफसर के यूपी निर्माण निगम के एक अधिकारी और एक ठेकेदार के साथ गहरे संबंध रहे हैं। अफसर के परिवार के सदस्यों की ठेकेदार की फर्म में भी हिस्सेदारी भी बताई जा रही है। पिछले साल आयकर ने जब निर्माण निगम के अफसरों और ठेकेदार के खिलाफ कार्रवाई की थी तो मामले में एक आईएएस अफसर का सुराग मिला। इसके बाद आयकर ने आईएएस अफसर के खिलाफ प्राथमिक जांच शुरू की। बताया जा रहा है कि जांच में अफसर के पास 16 करोड़ रुपये से अधिक की संपत्ति होने का पता चला है। अफसर के परिवारवालों के नाम पर भी कई संपत्ति अर्जित की गई। अफसर के विभाग से जुड़े कांट्रेक्टरों ने उनके परिवारवालों को लाखों की रकम खातों में दी है। हालांकि आयकर को पड़ताल के दौरान बताया गया कि यह रकम कर्ज में ली गई है। जांच में पता लगा है कि आईएएस अफसर के पास करीब एक करोड़ रुपये के हीरे हैं। इसके अलावा देहरादून शहर के बीचों-बीच में भी करोड़ों रुपये की कोठी किसी और के नाम पर दर्ज है। आयकर ने प्राथमिक जांच रिपोर्ट उच्चाधिकारियों को भेज दी है। सूत्रों की मानें तो रिपोर्ट के तथ्यों के आधार पर आगे की कार्रवाई की अनुमति मिलती है तो कई बेनामी संपत्तियां सामने आएंगी। उत्तर प्रदेश निर्माण निगम के वरिष्ठ अधिकारी से जुड़े मामले की जांच घेरे में राज्य के रिटायर्ड वरिष्ठ नौकरशाह का नाम भी सामने आया है। बताया जा रहा है आयकर को जांच में पता चला है कि रिटायर्ड आईएएस को एक साल के भीतर पांच करोड़ रुपये अलग-अलग स्रोत से दिए गए। इसके अलावा कई दूसरी परियोजनाओं में भी रिटायर्ड अफसर की हिस्सेदारी का सुराग लगा है।
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