सुप्रीम कोर्ट का अभी अभी फैसला आया- अब दोषियों को फांसी होगी
16 दिसंबर 2012: चलती बस में सामूहिक बलात्कार और क्रूरता -6 बदमाशों ने निर्भया से बर्बरता के साथ चलती बस में गैंगरेप किया था। बाद में उसे और उसके दोस्त को रास्ते में फेंक दिया था।
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सुप्रीम कोर्ट ने निर्भया गैंगरेप केस के चारों दोषियों की फांसी की सजा बरकरार रखी है। चारों दोषियों ने फांसी के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील की थी। जस्टिस दीपक मिश्रा की अगुआई वाली वाली बेंच ने फास्ट ट्रैक सुनवाई के बाद 27 मार्च को फैसला सुरक्षित रखा था। 16 दिसंबर, 2012 की रात दिल्ली में 6 आरोपियों ने चलती बस में निर्भया के साथ गैंगरेप किया था। उसे बस से फेंक दिया था। बाद में इलाज के दौरान पीड़िता की मौत हो गई थी। निर्भया के पिता ने कहा था, “दोषियों को फांसी की सजा ही मिलनी चाहिए। कोर्ट तो क्या, उन्हें भगवान भी माफ नहीं करेगा। दोषियों ने सुप्रीम कोर्ट से कहा है कि उनका गुनाह ऐसा नहीं है कि फांसी की सजा दी जाए।
दिल्ली में पैरा मेडिकल की स्टूडेंट 23 साल की निर्भया 16 दिसंबर की रात अपने दोस्त के साथ मूवी देखकर लौट रही थी। वह एक बस में अपने दोस्त के साथ बैठी। बस में मौजूद कुछ लोगों ने उसे धोखे से बैठा लिया था।
दिल्ली ही नहीं बल्कि देश को हिला देने वाले 16 दिसंबर 2012 के दिल्ली गैंगरेप मामले में चार दोषियों की अपील पर सुप्रीम कोर्ट आज 2 बजे अपना अहम फैसला . जस्टिस दीपक मिश्रा, जस्टिस आर भानूमति और जस्टिस अशोक भूषण की बेंच फैसला
इस फैसले की सुनवाई न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति आर भानुमति और न्यायमूर्ति अशोक भूषण की पीठ ने की। सुप्रीम कोर्ट ने दोषियों की सजा हो बरकरार रखा है। अब दोषियों को फांसी होगी। इसमें कुल चार आरोपी शामिल हैं।
साल 2012 में 16 दिसंबर की रात को 23 वर्षीय पैरामेडिकल छात्रा के साथ दक्षिण दिल्ली में एक चलती बस में जघन्य तरीके से सामूहिक दुष्कर्म किया गया था और उसे उसके एक दोस्त के साथ बस से बाहर फेंक दिया गया था। उसी साल 29 दिसंबर को सिंगापुर के एक अस्पताल में लड़की की मौत हो गयी थी।
निर्भया के माता-पिता कोर्ट में मौजूद हैं. सुप्रीम कोर्ट ये तय करेगा कि गैंगरेप के दोषियों को फांसी की सजा मिलेगी या नहीं. गैंगरेप के चार दोषियों मुकेश, अक्षय, पवन और विनय को साकेत की फास्ट ट्रैक कोर्ट ने फांसी की सजा सुनाई थी, जिस पर 14 मार्च 2014 को दिल्ली हाईकोर्ट ने भी मुहर लगा दी थी. दोषियों की अपील पर सुप्रीम कोर्ट ने फांसी की सजा पर रोक लगा दी थी. इसके बाद तीन जजों की बेंच को मामले को भेजा गया और कोर्ट ने केस में मदद के लिए दो एमिक्स क्यूरी नियुक्त किए गए.
सुप्रीम कोर्ट ने मामले की सुनवाई फास्ट ट्रैक कोर्ट की तरह की. हर सोमवार, शुक्रवार और शनिवार को भी मामले की सुनवाई की गई. करीब एक साल तक चली इस सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने 27 मार्च को अपना आदेश सुरक्षित रख लिया था. देशभर को दहला देने वाली इस वारदात के बाद मुख्य आरोपी ड्राइवर राम सिंह ने तिहाड़ जेल में कथित खुदकुशी कर ली थी, जबकि नाबालिग अपनी तीन साल की सुधारगृह की सजा पूरी कर चुका है.