नीतीश की बीजेपी से बार्गेनिंग की बडी कोशिश
नीतीश चाचा, चंद्रबाबु नायडू जी की तरह रीढ़ की हड्डी सीधी रख बतियाइयें. बिहार का हक़ माँग रहे है कौनो भीख नहीं.- तेजस्वी यादव ने हमला बोल दिया.- Presented by; हिमालयायूके न्यूज पोर्टल
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की बीजेपी के साथ असहजता बढ़ती जा रही है. ऐसी खबरें आ रही हैं कि कई घटनाओं और पीएम नरेंद्र मोदी द्वारा नीतीश के बार-बार कथित अपमान की वजह से जेडी (यू)-बीजेपी गठबंधन के रिश्तों में फिर से दरार आनी शुरू हो गई है. पिछले दो हफ्तों में कम से कम चार बार नीतीश कुमार ने बीजेपी के बड़े भाई जैसे कथित रवैए पर नाखुशी जाहिर की है. गत 17 मई को नीतीश कुमार ने आल असम स्टूडेंट्स यूनियन (AASU) के एक प्रतिनिधिमंडल से मुलाकात की, जो मोदी सरकार के सिटीजनशिप बिल के खिलाफ अभियान चला रहे हैं. यह बिल बीजेपी के लिए राजनीतिक रूप से काफी संवदेनशील मसला है.
नीतीश कुमार ने नोटबंदी के मुद्दे पर भी यू टर्न लेते हुए इसपर सवाल खड़े कर दिए हैं. ये वही नीतीश कुमार हैं जिन्होंने विपक्ष में रहते हुए नोटबंदी के मुद्दे पर मोदी सरकार के कदम की तारीफ की थी. लेकिन, अब जबकि बीजेपी के साथ बिहार में सरकार चला रहे हैं, तो इस वक्त उनके नोटबंदी पर यू टर्न करने पर सवाल तो पूछे ही जाएंगे. इन दो मुद्दों के अलावा मोदी सरकार के चार साल पूरा होने के मौके पर उनके बधाई संदेश की भी चर्चा हो रही है. नीतीश कुमार ने चार साल के मौके पर मीडिया के सवालों का जवाब देने से कतराते नजर आए, लेकिन, अपने ट्वीट में उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को बधाई देते हुए कहा ‘विश्वास है कि सरकार जनता की अपेक्षाओं पर खरा उतरेगी.’ नीतीश ने बधाई में भी सरकार की खिंचाई कर दी क्योंकि उनके ट्वीट से साफ लग रहा था कि वो सरकार को पूरा क्रेडिट नहीं दे रहे हैं बल्कि जनता की अपेक्षाओं पर उतरने की नसीहत दे रहे हैं. एक तरफ मोदी सरकार चार साल की उपलब्धियों को लेकर जनता के दरबार में हाजिरी लगा रही है. प्रधानमंत्री मोदी चार साल बाद अब चुनावी मोड में जनता को सरकार के हिसाब-किताब का जवाब दे रहे हैं, तो दूसरी तरफ, नीतीश कुमार का इस तरह नसीहत भरा ट्वीट –
विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव ने इस पर हमला बोल दिया. तेजस्वी ने कहा कि “नीतीश कुमार और सुशील मोदी बिहार के लिए विशेष राज्य का दर्जा डॉनल्ड ट्रंप से मांग रहे हैं क्या? जनता को बेवक़ूफ़ समझा है क्या?सीधे मोदी जी को कहने में डर लगता है क्या? नीतीश चाचा, चंद्रबाबु नायडू जी की तरह रीढ़ की हड्डी सीधी रख बतियाइयें. बिहार का हक़ माँग रहे है कौनो भीख नहीं.
नीतीश कुमार को लगता है कि अगर अभी से ही बीजेपी से बार्गेनिंग की कोशिश नहीं की गई तो ऐन मौके पर बीजेपी उन्हें और दबाव में ला सकती है बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने पटना में बैंकरों के साथ मीटिंग के दौरान अभी हाल ही में बयान दिया था ‘जब तक बिहार को विशेष राज्य का दर्जा नहीं मिल जाता है तबतक कोई भी व्यक्ति बिहार में पूंजी नहीं लगाएगा.’ एक बार फिर नीतीश कुमार ने विशेष राज्य के दर्जे की मांग को दोहराया है. 15वें वित्त आयोग के सामने नीतीश ने मांग की है कि बिहार जैसे पिछड़े राज्य के विकास के लिए उसे विशेष राज्य का दर्जा देना चाहिए. नीतीश कुमार का तर्क है कि योजना आयोग ने बिहार स्टेट रिऑर्गेनाइजेशन एक्ट 2000 के तहत आयोग के डिप्टी चेयरमैन की अगुवाई में एक स्पेशल सेल का गठन अनिवार्य कर दिया था. मोदी सरकार ने योजना आयोग खत्म करके नीति आयोग का गठन कर दिया. बिहार के मुख्यमंत्री चाहते हैं कि अब नीति आयोग इसी तरह एक स्पेशल सेल का गठन करे. कुल मिलाकर लब्बोलुआब यही है कि नीतीश कुमार विशेष राज्य के दर्जे के मुद्दे को और जोर-शोर से उठाने की तैयारी में हैं.
इस बिल में कहा गया है कि पड़ोसी देशों के हिंदुओं को अगर धर्म के आधार पर परेशान किया जाता है तो उन्हें भारत में नागरिकता दी जाए. नीतीश कुमार ने आसू के प्रतिनिधिमंडल को भरोसा दिया कि वह पीएम मोदी को पत्र लिखकर इस बिल को रोकने की मांग करेंगे. इसका मतलब यह है कि मोदी सरकार यदि संसद में यह बिल लाती है तो जेडी (यू) इसका विरोध कर सकती है.
नोटबंदी पर यू-टर्न
साल 2016 में नोटबंदी के बाद गत 26 मई को नीतीश कुमार ने पहली बार इस पर सवाल उठाए. पटना में आयोजित एक बैंकिंग सम्मेलन को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा, ‘मैं नोटबंदी का प्रबल समर्थक था, लेकिन इससे कितने लोगों को फायदा हुआ? कुछ ताकतवर लोगों ने अपनी नकदी एक जगह से दूसरे जगह भेज दी, गरीब परेशान हुए.’ विपक्षी दलों ने भी नोटबंदी के मामले में मोदी सरकार पर ऐसे ही आरोप लगाए थे.
बाढ़ राहत पर भी नाखुशी
इसके एक दिन बाद ही नीतीश कुमार को नाराज करने का एक और वाकया हो गया. मोदी सरकार ने बिहार सरकार को बाढ़ राहत के लिए 1,750 करोड़ रुपये देने को कहे थे, लेकिन बिहार को वास्तव में सिर्फ 1,250 करोड़ रुपये ही मिले. नीतीश कुमार इस बाढ़ राहत पैकेज से खुश नहीं हैं.
29 मई को नीतीश कुमार ने ट्वीट कर कहा कि बिहार और अन्य पिछड़े राज्यों को विशेष दर्जा देने की मांग पर वित्त आयोग को पुनर्विचार करना चाहिए. यह नीतीश कुमार की काफी पुरानी मांग है. लेकिन बीजेपी के साथ उनके सरकार बनाने के बाद से ही यह ठंडे बस्ते में पड़ा हुआ था. अब उन्होंने इस दबे मसले को फिर से बाहर निकाला है. यह मसला उन्होंने ऐसे समय में बाहर निकाला है, जब विपक्ष 2019 के लोकसभा चुनावों के लिए मोदी विरोधी मोर्चा बनाने की कोशिश कर रहा है.
ऐसा लगता है कि नीतीश कुमार अपनी स्थिति में ऐसी सुविधाजनक बदलाव करने की कोशिश कर रहे हैं ताकि एनडीए या एनडीए के बाहर के लोगों से मोलतोल कर सकें.
बिहार की राजनीति में ‘गुरिल्ला वार’
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार इन दिनों बिहार की राजनीति में ‘गुरिल्ला वार’ कर रहे हैं. पहले नोटबन्दी और बैंकों से लोन लेकर विदेश भागने वालों के सवाल उठाकर बीजेपी पर वार किया. अब सीएम नीतीश ने बिहार के विशेष राज्य के दर्जे की मांग पर अपनी राय लिखकर सार्वजनिक किया और ट्वीट में अरुण जेटली को टैग कर बीजेपी पर दबाव बना दिया. केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान ने भी नीतीश कुमार का साथ दिया. अब सवाल ये है कि क्या नीतीश इस मुद्दे पर बीजेपी पर दबाव बना कर राजनीतिक फायदा साधने में लगे हैं? तेजस्वी यादव ने सीएम नीतीश के रुख को ड्रामा कहा है. नीतीश कुमार ने बैंकर्स मीट में पहले नोटबन्दी के नफा नुकसान का हिसाब मांग कर मोदी के फैसले पर सवाल खड़े किए तो मंगलवार को बिहार को विशेष राज्य के दर्ज़ा की मांग को लेकर लंबी चौड़ी चिठ्ठी लिखी. इसे ट्वीट कर अरुण जेटली और नीति आयोग के अध्यक्ष एन के सिंह को टैग कर अपनी मंशा साफ कर दी.नीतीश कुमार के करीबी और अर्थशास्त्री शैबाल गुप्ता ने तो साफ कह दिया कि बिहार को अभी नहीं तो कभी नहीं. शैबाल इतने पर ही नहीं रुके बल्कि ये भी कह दिया कि इस मुद्दे पर अगर नीतीश कुमार कोई बड़ा फैसला लेते हैं तो उनको खुद का तो नुकसान होगा लेकिन बिहार का भला होगा. शैबाल गुप्ता ने कहा कि ” विशेष राज्य का दर्जा देने का हक प्रधानमंत्री के हाथ में हैं. इसलिए वे इनकार नहीं कर सकते. 2015 में उन्होंने सार्वजनिक मंच से वादा किया था”.
रामविलास पासवान ने कहा कि वो नीतीश के साथ हैं. उनके अनुसार, “सबसे बड़ी बात है बिहार, उत्तरप्रदेश पिछड़ा राज्यों में से है. निश्चित रूप से बिहार हर दृष्टिकोण से, हर चीज़ में पिछड़ा है. स्पेशल स्टेटस के मामले में हमलोग भी मानते हैं कि अटल जी के समय से बिहार और झारखंड अलग हुआ था…उसी समय से हमलोग मांग कर रहे थे कि बिहार में कुछ नहीं बचा, सब झारखण्ड में चला गया. बिहार को स्पेशल स्टेटस का दर्जा दिया जाए. आज भी हम मांग का समर्थन करते हैं. नीतीश कुमार जब से मुख्यमंत्री बने हैं, तबसे उन्होंने मांग रखा है. विकसित राज्यों में एक आंध्रप्रदेश है…वह भी इसी मांग को लेकर है कि हमको स्पेशल स्टेटस नहीं दिया गया और एनडीए से अलग हो गए.”
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