पूर्व सीएम हरीश रावत के एक निर्णय को आज संयुक्त राष्ट्र संघ ने मान्यता दे दी; बडी खबर
संयुक्त राष्ट्र संघ में हुए ऐतिहासिक मतदान के बाद भांग को आखिरकार एक दवा के रूप में मान्यता दे दी गई है. 23 Oct. 2016 को तत्कालीन मुख्यमंत्री हरीश रावत ने कहा था कि मुख्यमंत्री हरीश रावत ने कहा है कि यदि वे चुनाव जीतकर आते हैं तो भंग की खेती को बढ़ावा देंगे ताकि उत्तराखंड की अर्थव्यवस्था को बढ़ा दिया जा सके.
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. कांग्रेस नेता हरीश रावत के मुख्यमंत्री बनने पर तत्कालीन सरकार ने औद्योगिक भांग की खेती के प्रयासों को फिर से पंख लगाने की कोशिश की। नशे के लिए जानी जाती भांग से उत्तराखंड सरकार के मुख्यमंत्री ने वर्ष २015 में उत्तराखण्ड के गांवों की किस्मत बदलने की कोशिश की थी जिसे 3 दिसम्बर 2020 को संयुक्त राष्ट्र संघ में हुए ऐतिहासिक मतदान के बाद भांग को आखिरकार एक दवा के रूप में मान्यता दे दी गई है,हरीश रावत के उस निर्णय का उस समय बहुत विरोध किया गया था ।
तत्कालीन मुख्यमंत्री हरीश रावत ने उस समय तत्कालीन मुख्य सचिव राकेश शर्मा सहित अन्य अधिकारियों की बैठक में मुख्यमंत्री हरीश रावत ने मानकों के अनुरूप भांग के बीज विकसित करने और भांग की खेती की कार्ययोजना बनाने का निर्देश दिया था। मुख्यमंत्री का यह भी कहना है कि इस खेती को जानवर भी नुकसान नहीं पहुंचाते। इसी तरह बिच्छु घास(कंडाली) के रेशे का भी औद्योगिक उपयोग हो रहा है।
Date; 10 Oct. 2015 : हरीश रावत, तत्कालीन मुख्यमंत्री उत्तराखण्ड ने उस समय हिमालयायूके न्यूज पोर्टल चन्द्रशेखर जोशी को बताया था कि पंतनगर विश्वविद्यालय, विवेकानंद अनुसंधान संस्थान अल्मोड़ा और भरसार विवि शोध कर भांग के ऐसे बीज विकसित करे जिनमें टीएचसी मानकों के अनुरूप ही हो। बायो फाइबर के रूप में प्रयोग किए जाने वाले भांग के रेशे की काफी मांग है। इससे गांवों की आर्थिकी में बड़ा परिवर्तन लाया जा सकता है। एक्ट के अनुसार ही किसानों को लाईसेंस दिए जाएं। उत्पादित भांग के रेशे खरीदने की व्यवस्था बांस और रेशा बोर्ड करे। यह व्यवस्था भी पुख्ता की जाए कि नशे के लिए इनका उपयोग न हो पाए। भीमल, बिच्छु घास के रेशे केउपयोग को भी बढ़ाया जाए।
संयुक्त राष्ट्र के मादक पदार्थ आयोग ने भांग को उन ड्रग्स की लिस्ट से हटा दिया है
संयुक्त राष्ट्र संघ में हुए ऐतिहासिक मतदान के बाद भांग को आखिरकार एक दवा के रूप में मान्यता दे दी गई है. विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के विशेषज्ञों की सिफारिश के बाद संयुक्त राष्ट्र ने ये फैसला किया है. संयुक्त राष्ट्र के मादक पदार्थ आयोग ने भांग को उन ड्रग्स की लिस्ट से हटा दिया है जिसमें हेरोइन जैसे खतरनाक ड्रग्स भी शामिल थे. इस लिस्ट में उन सभी ड्रग्स को रखा जाता है जो बेहद एडिक्टिव हैं, इंसानों के स्वास्थ्य के लिए बहुत खतरनाक होते हैं और जिनके मेडिकल फायदे बेहद कम या ना के बराबर होते हैं. अब इस लिस्ट से भांग को हटा लिया गया है. हालांकि यूएन के कानून के अनुसार, भांग को अब भी गैर मेडिकल इस्तेमाल के तौर पर एक प्रतिबंधित ड्रग ही माना जाएगा. प्रतिबंधित मादक पदार्थों की लिस्ट से निकाले जाने के लिए संयुक्त राष्ट्र ने मतदान कराया था. इस मतदान के पक्ष में 27 देशों ने वहीं 25 सदस्यों ने इसके खिलाफ मतदान किया. इस ऐतिहासिक वोटिंग के दौरान अमेरिका और ब्रिटेन ने बदलाव के पक्ष में मतदान किया. वही भारत, पाकिस्तान, नाइजीरिया और रूस ने इस बदलाव का विरोध किया था.
यूएन के इस फैसले के बाद भांग से बनी दवाओं का इस्तेमाल में बढ़ोतरी देखने को मिल सकती है. इसके अलावा भांग को लेकर साइंटिफिक रिसर्च को भी काफी बढ़ावा देखने को मिल सकता है. यूएन के इस फैसले के बाद माना जा रहा है कि कई देश भी भांग और गांजे के इस्तेमाल को लेकर अपनी पॉलिसी में बदलाव ला सकते हैं.
पिछले कुछ समय से भांग और गांजे के मेडिकल फायदों को लेकर चर्चा काफी तेज हुई है. फिलहाल 50 से अधिक देशों ने भांग की मेडिकल वैल्यू को समझते हुए इसे किसी ना किसी तरह पर वैध किया है. कनाडा, उरुग्वे और अमेरिका के 15 राज्यों में इसके रिक्रिएशनल और मेडिकल इस्तेमाल को वैध किया जा चुका है. वहीं कई रिपोर्ट्स में ये भी सामने आया है कि भारत में गैर-कानूनी रूप से गांजे की दिल्ली और मुंबई जैसे शहरों में जमकर खपत होती है. हालांकि ये अब भी देश में प्रतिबंधित बना हुआ है.
हर वर्ष हम महाशिवरात्रि पर भगवान शिव को भांग का भोग जरूर लगाते हैं। हिंदू धर्म ग्रंथों व आयुर्वेद में भी भांग के गुणों को लेकर उल्लेख किया गया है, लेकिन बीते कई सालों में अंतरराष्ट्रीय जगत में भांग को एक ड्रग्स के रूप में पहचान मिली हुई है। लेकिन अब नए शोधों में पता चला है कि भांग एक ड्रग्स नहीं, बल्कि शरीर के लिए शानदार दवा है। विश्व स्वास्थ्य संगठन की कई रिसर्च में भी इस बारे में दावा किया गया है और इसके अब संयुक्त राष्ट्र संघ ने भी आखिरकार भांग को एक दवा के रूप में मान्यता दे दी है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के विशेषज्ञों की सिफारिश के बाद संयुक्त राष्ट्र संघ ने ये कदम उठाया है। भांग को खतरनाक ड्रग्स की श्रेणी से हटाने के बाद इससे बनने वाली दवाओं की मांग बाजार में बढ़ सकती है। साथ ही इसको लेकर अब कई रिसर्च भी कई जा सकेंगी। संयुक्त राष्ट्र के फैसले के बाद भारत सहित कई देशों में भांग व गांजे के इस्तेमाल के लेकर पॉलिसी में बदलाव आ सकता है। गौरतलब है कि भांग व गांजे को एक दवा के रूप में स्थापित करने के लिए कई ग्रुप लंबे समय से काम कर रहे हैं। कनाडा, उरुग्वे, अमेरिका के 15 से अधिक राज्यों में गांजे व भांग के रिक्रिएशनल और मेडिकल इस्तेमाल पर पहले ही पाबंदी हटा दी गई है और इसका अच्छा बाजार भी उपलब्ध हो गया है। चूंकि भारत में अभी भी गांजा व भांग एक मादक पदार्थ के रूप में ही उपयोग किया जाता है, इसलिए सरकार इस पर से प्रतिबंध हटाने पर ज्यादा सावधानी बरत रही है।
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