पाम ऑयल का इस्तेमाल शरीर में मेटाबोलिक समस्याओं का गंभीर कारण & बीमारी फैलने की संभावना बढ़ जाती है
पाम ऑयल में पाया जाने वाला फैटी एसिड कैंसर जीनोम को काफी ज्यादा प्रभावित करता # इंसानों में बीमारी फैलने की संभावना
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पाम ऑयल में पाया जाने वाला फैटी एसिड कैंसर जीनोम को काफी ज्यादा प्रभावित करता है, जिससे इंसानों में बीमारी फैलने की संभावना बढ़ जाती है. कैंसर का विकास जिसे मेटास्टेसिस के रूप में जाना जाता है, इस बीमारी से पीड़ित मरीजों में मृत्यु का मुख्य कारण है. पाम ऑयल खाने से इंसुलिन रेजिस्टेंस बढ़ जाता है. जिसके कारण डायबिटीज का खतरा काफी ज्यादा बढ़ता है. पाम ऑयल में पाए जाने वाले सैचुरेटेड फैट कैंसर के खतरे को बढ़ाता है. खासकर यह कोलन और प्रोस्टेट कैंसर को बढ़ावा देता है.
नारियल तेल और ताड़ की गरी का तेल ताड़ के पेड़ों के फल से निकाले गये खाने योग्य वनस्पति तेल हैं। ताड़ का तेल आयल पाम एलएईस गुइनीन्सिस के फल की लुगदी से निकाला जाता है; ताड़ की गरी का तेल आयल पाम के फल की गरी (बीज) से निकाला जाता है और नारियल का तेल नारियल (कोकोस नुसिफेरा) की गरी से प्राप्त किया जाता है।
इसकी सबसे अधिक पैदावार इंडोनेशिया और मलेशिया जैसे देशों में होती है, जहां की अर्थव्यवस्था में इसका एक अहम योगदान है। अभी भारत करीब 90 लाख टन पाम ऑयल आयात करता है। इसमें से 70 फीसदी पाम ऑयल का आयात तो इंडोनेशिया से ही होता है, जबकि बाकी का 30 फीसदी पाम ऑयल मलेशिया से आता है।
वैज्ञानिकों ने दिखाया है कि किस प्रकार पाम ऑयल में पाया जाने वाला फैटी एसिड कैंसर के प्रसार को बढ़ावा दे सकता है, जिससे नए उपचारों का मार्ग प्रशस्त हो सकता है।
चूहों पर किए गए अध्ययन में पाया गया कि पामिटिक एसिड मुंह और त्वचा के कैंसर में मेटास्टेसिस को बढ़ावा देता है। भविष्य में, इस प्रक्रिया को दवाओं या सावधानीपूर्वक तैयार की गई खाने की योजनाओं के साथ लक्षित किया जा सकता है, लेकिन काम के पीछे की टीम ने रोगियों को नैदानिक परीक्षणों की अनुपस्थिति में खुद को आहार पर रखने के खिलाफ चेतावनी दी।
ख्याती रिसर्चर का कहना है कि मेटास्टेटिक कैंसर से पीड़ित अधिकांश लोगों का केवल इलाज किया जा सकता है, लेकिन उन्हें ठीक नहीं किया जा सकता. बार्सिलोना में इंस्टीट्यूट फॉर रिसर्च इन बायोमेडिसिन (IRB) ने चूहों पर किए गए रिसर्च में पाया गया कि पामिटिक एसिड मुंह और त्वचा के कैंसर में मेटास्टेसिस को बढ़ावा देता है. बार्सिलोना में इंस्टीट्यूट फॉर रिसर्च इन बायोमेडिसिन (IRB) ने चूहों पर किए गए रिसर्च में पाया गया कि पामिटिक एसिड मुंह और त्वचा के कैंसर में मेटास्टेसिस को बढ़ावा देता है.
पाम ऑयल पाम पेड़ों के फलों से निकाला जाने वाला तेल है. आज के समय में ज्यादातर पैकेज्ड फूडऔर रेस्टोरेंट्स में इस्तेमाल किया जाता है. दरअसल, बाकी तेलों के मुकाबले पाम ऑयल सस्ता होता है. लेकिन इसमें कई सारे पोषक तत्वों की कमी होती है. इसमें सैचुरेटेड फैट काफी ज्यादा होती है. खाने वाले पैकेट में अक्सर पाम तेल का इस्तेमाल किया जाता है. साल 2022 की रिपोर्ट के मुताबिक पाम ऑयल की खपत 8 मिलियन मीट्रिन टन से अधिक बताई गई. भारत दुनिया में पाम ऑयल का सबसे बड़ा आयातक है.
आजकल लोगों की लाइफस्टाइल उतनी ज्यादा एक्टिव नहीं है. जब आप पैकेज्ड फूड खाते हैं उसमें ज्यादातर पाम ऑयल का इस्तेमाल किया जाता है. इसके जरिए शरीर में सैचुरेटेड फैट जाता है. जिसके कारण आर्टरीज ब्लॉक हो जाते हैं.
पाम ऑयल यानी ताड़ के तेल में सैचुरेटेड फैट काफी ज्यादा होती है. जिसके कारण शरीर में एलडीएल लेवल यानी बैड कोलेस्ट्रॉल और ट्राइग्लिसराइड को बढ़ावा देता है. जिसके कारण हार्ट अटैक का खतरा 4 गुना बढ़ जाता है.
पाम ऑयल का इस्तेमाल शरीर में मेटाबोलिक समस्याओं का गंभीर कारण बन सकता है. यह पाचन संबंधी समस्याओं को भी बढ़ावा दे सकता है.