स्वर्गाश्रम व नीलकण्ठ मार्ग पर फलदार पौधों का रोपण शुरू
स्वर्गाश्रम व नीलकण्ठ मार्ग पर फलदार पौधों का रोपण शुरू
परमार्थ निकेतन ने १२०० फलदार पौधे उपलब्ध कराए
सर्वं सेवा संस्थानम् ने ली पौधों के रोपण व संरक्षण की जिम्मेदारी
ऋशिकेष, १६ जुलाई। गंगा एक्षन परिवार-परमार्थ निकेतन नीलकण्ठ मार्ग पर फलदार पौधों का वृहद् स्तर पर रोपण करायेगा। यह वृक्षारोपण स्वर्गाश्रम से नीलकण्ठ तक के वनीय क्षेत्र. में किया जायेगा। आज इस अभियान का श्रीगणेष स्वर्गाश्रम टैक्सी स्टैण्ड के समीपस्थ वनीय अंचल में किया गया। परमार्थ निकेतन के आग्रह पर पौधों के रोपण और संरक्षण की जिम्मेदारी ’सर्वं सेवा संस्थानम्‘ द्वारा ली गयी है। इस संस्था का नेतृत्व साधक-योगी श्री धर्म यादव ’गुरुजी‘ कर रहे हैं। परमार्थ निकेतन के पर्यावरण संरक्षण प्रकोश्ठ के समन्वयक श्री विनीत कुमार के अनुसार आश्रमाध्यक्ष श्री स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज द्वारा प्रथम चरण में १२०० फलदार एवं छायादार पौधों की व्यवस्था करायी गयी है।
आज परमार्थ निकेतन के वरिश्ठ प्रतिनिधि राम महेष मिश्र की अगुवाई में परमार्थ परिवार के सदस्यों ने आम, नीबू, आंवला, मौसमी एवं जामुन के पाँच पौधों का रोपण करके इस अभियान की षुरुआत की। वृक्षारोपण कार्यक्रम में धर्म यादव ’गुरुजी‘, समाजसेवी इन्द्र प्रकाष अग्रवाल, प्रदीप काबरा, प्रेमरतन चौऋशिया, हरिओम षर्मा, विनोद थपलियाल आदि षामिल रहे। वहाँ मौजूद भील समुदाय के लोगों ने कहा कि हम जब तक यहाँ रहेंगे, इन पौधों की सेवा व सुरक्षा अपने बच्चों की तरह करेंगे। श्री मिश्र ने इस अवसर पर बताया कि स्वर्गाश्रम से लेकर नीलकण्ठ तक फलदार व छायादार पौधों के रोपण की वृहद् योजना परमार्थ निकेतन द्वारा बनायी गयी है। इस वृक्षारोपण का प्रमुख उद्देष्य नीलकण्ठ के श्रद्धालु यात्रियों को छाया तथा हाथियों व बन्दरों आदि वन्य-जीव-जन्तुओं को उनके क्षेत्र में पर्याप्त मात्रा में फल व खाद्य पदार्थ उपलब्ध कराना है। इससे उनका आबादी क्षेत्र में आने का रुझान नियंत्रित हो सकेगा। पहले चरण में बारह सौ पौधों की व्यवस्था आश्रम द्वारा करायी गयी है।
परमार्थ पर्यावरण विभाग के समन्वयक विनीत कुमार ने बताया कि सर्वं सेवा संस्थानम् ने स्वर्गाश्रम एवं नीलकण्ठ क्षेत्र में चलाए जा रहे इस वृक्षारोपण में पूरे सहयोग का वचन दिया है। उन्होंने बताया कि इस अंचल में आम, जामुन, लीची, सन्तरा, चीकू, अनार, बेल, आंवला, अमरूद, षहतूत, नीम आदि के पौधों का रोपण भारी संख्या में किया जायेगा।
(राम महेष मिश्र)