सन्न रह गये कांग्रेसजन, पीकेे नही आये हरिद्वार
कांग्रेस केे मुख्य रणनीतिकार पीकेे नही आये हरिद्वार #खिन्न तथा उपेक्षा महसूस कर पीके हरिद्वार कांग्रेस शिविर में नही आये#मुख्यमंत्री तथा प्रदेश अध्यक्ष ने कहा- उनको नही पता- पीकेे क्यों नही आये#हरिद्वार में पीकेे का न आना #एक दूरगामी संदेश छोड गया- उततराखण्ड कांगेस में सब कुछ ठीक नही है# पीके का उत्तराखण्ड चुनाव प्रचार पूरी तरह से मुख्यमंत्री और उनकी सरकार की उपलब्धियों पर केंद्रित रहना था- सरकार की उपलब्धियां सकारात्मक नही है- सोशल मीडिया में आ रहे कमेन्ट से पीके को अहसास हो गया- कांग्रेस के सांगठनिक नेटवर्क के प्रभावी इस्तेमाल के लिए उन्होंने 11 जनवरी को हरिद्वार में एक अहम बैठक प्रशांत किशोर ने बुलाई है; परन्तु फिर दूरी बना गये- पीके – हिमालयायूके न्यूज पोर्टल की एक्सक्लूसिव रिपोर्ट-
कांग्रेस हाईकमान के रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने आखिरी समय में उत्तराखण्ड से दूरी बना ली- हरिद्वार में बुलायेे गये चुनावी मैनेजमेन्ट में पीके नही आये- निराश कांग्रेसी सन्न रह गये- पूरे सूबे से आये कांगेस कार्यकर्ताओं को चुनावी मैनेजमेन्ट सिखाने के लिए बुलाये गये सम्मेलन में पीके क्यों नही आये- स्वयं मुख्यमंत्री तथा प्रदेश अध्यक्ष को भी नही पता था- जिससे कार्यक्रम असफल तथा फेल हो गया, निराश कार्यकर्ता लौट आये- वही मुख्यमंत्री तथा प्रदेश अध्यक्ष दिल्ली चले गये-
कांग्रेस आलाकमान की ओर से उत्तराखंड में होने वाले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को सत्ता में वापस लाने के लिए खासतौर पर पीके को देहरादून भेजा गया है. चुनाव में प्रचार से लेकर पोस्टर, बैनर, भाषणबाजी से लेकर कार्यकर्ताओं और नेताओं के पहनावे और बयानबाजी तक का जिम्मा पीके को सौंपा गया है. कांग्रेस आलाकमान की यह कवायद शायद मुखिया को पसंद नही आयी- पीके को सहयोग नही मिला, उन्होने हरिद्वार कार्यक्रम से दूरी बना ली- चुनाव से पहले कांग्रेस के ज़मीन से जुड़े नेता जनता को ऐसा क्या बताए, जिससे जनता जीत का सेहरा कांग्रेस के सर बांधे, इसके लिए पीके अपनी टीम के साथ उत्तराखंड में जुट गये थे.
एक सधी हुई रणनीति के तहत पीके ने अपनी तैयारियां गढवाल को छोडकर हरिद्वार तथा कुमायूं में शुरू की, गढवाल में माहौल पूर्णतया कांग्रेस के खिलाफ जा चुका है- इलेक्शन कम्पेन गुरू प्रशांत किशोर कांग्रेस के प्रचार अभियान में पूर्ण रणनीति से उतरेे । पीके ने प्रदेश कांग्रेस से हर सीट पर कम से कम 50 समर्पित कांग्रेसजनों के नाम मांगें हैं। इस अभियान में कांग्रेस के सांगठनिक नेटवर्क के प्रभावी इस्तेमाल के लिए उन्होंने 11 जनवरी को हरिद्वार में एक अहम बैठक प्रशांत किशोर ने बुलाई है। कांग्रेस भवन में पीके पाठशाला को लेकर रणनीति बनाई गई परन्तु 11 जनवरी को पीके ने उत्तराखण्ड में कांग्रेस के हरिद्वार कार्यक्रम में न पहुंच कर काफी कुछ संदेश देे दिया-
हरीश रावत के बीमार पडने तथा प्रशांत किशोर द्वारा टाटा बाय बाय कहने तथा चुनावी रूझान लगातार विपरीत आने से हरिद्वार में बुलाये गये कांग्रेेसियों की टेंशन बढ़ गई है। सीएम हरीश रावत को डॉक्टर ने उन्हें आराम की सलाह दी है। उत्तराखण्ड में विधानसभा चुनाव के इस महासंगाम में आये रूझान भी यह साफ इशारा कर रहे हैं कि यह सलाह उन्हें उत्तराखण्ड की जनता भी दे सकती है- विभिन्न चुनावी सर्वेक्षणों में 15 फरवरी को होने जा रहे उत्तराखंड विधानसभा चुनावों में पिछड़ने का संकेत मिलने के बाद कांग्रेस हाईकमान ने चुनाव रणनीतिकार प्रशांत किशोर का सहारा लिया है. विभिन्न समाचार पत्रों और समाचार चैनलों की ओर से कराए गए चुनावी सर्वेक्षणों में कांग्रेस को पिछड़ते और मुख्य विपक्षी भाजपा को सरकार बनाने की स्थिति में दिखाए जाने से पार्टी नेता चिंता में पड़ गए हैं. प्रशांत किशोर की सेवाएं लेने को इस स्थिति को बदलने के प्रयास की दिशा में एक कदम माना जा रहा है.
इससे पूर्व पीके की टीम ने सीएम हरीश रावत और पीसीसी अध्यक्ष की मौजूदगी में गढ़वाल के 41 विधानसभाओं से आये बूथ, ग्राम और बाज़ार स्तर के कार्यकर्ताओं को चुनावी टिप्स दिए. कांग्रेस हाईकमान जहां पीके टीम पर विश्वास जता रही है, वहीँ कुछ कांग्रेसी नेता ऐसे भी हैं जिनका भरोसा आम कार्यकर्त्ता पर है. वरिष्ठ कांग्रेसी नेता तथा हरीश रावत के करीबी ब्रह्मस्वरूप ब्रह्मचारी का कहना है कि भले ही पीके की टीम अपने टिप्स दे, पर हमें विश्वास अपने कार्यकर्ताओं पर ही करना चाहिए.
भ्रष्टाचार के तमाम आरोपों को झेल रही उत्तराखंड की रावत सरकार को पीके यानी प्रशांत किशोर के सहारे उत्तराखंड के आगामी विधानसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी चुनाव लड़ने की पूरी रणनीति बनाई गयी थी. पार्टी को आने वाले विधानसभा चुनाव में नुकसान न हो, इसके लिए आला कमान ने मुख्यमंत्री रावत और प्रदेश अध्यक्ष किशोर उपाध्याय पर नकेल कसने के लिए अब पीके का सहारा लिया गया था- 2019 में लोकसभा चुनाव जीतने के लिए सूबे की सत्ता पर कब्जा होना जरूरी मान कर कांग्रेस हाईकमान ने उत्तराखंड में दोबारा वापसी करने के लिए पीके को चुनावी रणनीति बनाने की बागडोर सौंपी गई है जिसके लिए पीके यानी प्रशांत किशोर ने देहरादून में डेरा डाला, उन्होंने कभी मुख्यमंत्री रावत के साथ चुनाव की प्लानिंग तो कभी प्रदेश अध्यक्ष किशोर उपाध्याय के साथ चुनावी गुफ्तगू की तो कभी कांग्रेस के आई टी सैल से सम्पर्क साधा- मुद्दा भले ही कांग्रेस को जीत दिलाने का हो. लेकिन प्रदेश में एक ही पार्टी की दो अलग-अलग धुरियों को साधने में पीके को कुछ ही दिन में बहुत पापड़ बेलने पड़ें, इसका पीकेे को एहसास हुआ और उन्होेने कांग्रेस के हरिद्वार कार्यक्रम से दूरी बना ली-
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