प्रधानमंत्री के इस ऐलान से हम हैरान हैं; इसरो चेयरमैन को क्‍यो कहना पडा

लाल किले से अपने भाषण का समापन प्रधानमंत्री ने एक कविता सुनाकर किया. प्रधानमंत्री ने कहा, ”अपने मन में एक लक्ष्य लिए मंज़िल अपनी प्रत्यक्ष लिए हम तोड़ रहे हैं जंजीरें हम बदल रहे हैं तस्वीरें ये नवयुग है, नव भारत है खुद लिखेंगे अपनी तकदीरें. हम निकल पड़े हैं प्रण करके अपना तन-मन अर्पण करके जिद है एक सूर्य उगाना है अम्बर से ऊँचा जाना है एक भारत नया बनाना है एक भारत नया बनाना है.”

स्वतंत्रता दिवस के मौके पर देश को लालकिले से संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक बड़ा ऐलान किया है. उन्होंने कहा कि 2022 से पहले भारत का कोई बेटा या बेटी अंतरिक्ष में स्वदेशी गगनयान से पहुंचेगा.

प्रधानमंत्री के इस ऐलान का  इसरो चेयरमैन के. शिवन ने कहा कि इस प्रकार के मिशन के लिए अधिकतम तकनीक R&D फंड से बनती है. हमें इसके लिए करीब 10 हजार करोड़ रुपये का फंड चाहिए होगा. उन्होंने कहा कि हमें नहीं पता कि इस मिशन को कौन चलाएगा. इस पर हमें काम करना होगा, दो महीने में इसकी पहली प्रोजेक्ट रिपोर्ट सबमिट कर देंगे. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री के इस ऐलान से हम हैरान हैं, लेकिन इसरो के लिए ये अच्छी बात है. उन्होंने कहा कि हर कोई मेरे से ये पूछ रहा है कि क्या हम इसे 2022 तक पूरा कर सकेंगे. मैं कहना चाहूंगा कि ये एक महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट है, ऐसे में इसके लिए हमें नई तकनीक पर काम करना होगा. उन्होंने कहा कि हम इसके लिए छोटा ही बजट रखेंगे. इसके लिए बस अच्छे इंफ्रास्ट्रक्चर और सुविधाओं की जरूरत होगी. उन्होंने कहा कि किसी मानवसहित प्रोजेक्ट से पहले हम मानवरहित प्रोजेक्ट पर काम करेंगे. उन्होंने ये भी बताया कि इस मिशन पर कौन जाएगा ये तय नहीं है, लेकिन लिंग के हिसाब से कोई भेदभाव नहीं होगा.

HIGH LIGHTS; ओबीसी और दलितों को लुभाने से ही शुरू किया PM मोदी ने भाषण # प्रधानमंत्री का इस वर्ष का संबोधन अपनी उपलब्धियों को गिनाने से लेकर नए काम और कार्यक्रमों का लेखाजोखा देने जैसा था. आरक्षण पर पारित बिल से भाषण की शुरुआत करके मोदी ने अपने पूरे संबोधन को 2013 बनाम 2018 बनाए रखा# गोहत्या से लेकर गंगा की सफाई तक, पाकिस्तान से लेकर एनआरसी तक, दलित उत्पीड़न से लेकर मॉब लिंचिंग तक और नौकरियों के अवसर से लेकर किसानों की आत्महत्या तक मोदी देश को कुछ भी संदेश देने से बचे.#चीन और पाकिस्तान से लेकर पूरे दक्षिण एशिया में भारत की कमज़ोर होती स्थिति पर वो खामोश ही रहे #प्रधानमंत्री के लगभग सभी भाषणों को सुनें तो उसमें एक तरह की पुनरावृत्ति देखने को मिलेगी. नीम कोटेड यूरिया से लेकर शौचालयों का निर्माण, भाई-भतीजावाद से मुक्ति और भ्रष्टाचार पर लगाम, कामकाज में पारदर्शिता और सैनिकों का सम्मान, स्टार्टअप इंडिया, स्टैंडअप इंडिया, मेक इन इंडिया, ईज़ ऑफ डुइंग बिजनेस… ऐसे कई नारे और विशेषण मोदी अपने भाषणों में दोहराते रहे हैं # प्रधानमंत्री का यह पांचवां संबोधन एक सुरक्षित पुनरावृत्तियों का संबोधन भर बनकर रह गया.

प्रधानमंत्री की बॉडी लैंग्वेज पहले से कुछ कमज़ोर दिखी. हर बार के मुकाबले इस बार पीएम मोदी का लुक कम प्रभावित रहा.उनका कुर्ता पायजामा बेहद साधारण लग रहा था. उन्हें देखकर ऐसा प्रतीत हुआ कि मानों उन्होंने कुर्ते के अंदर बुलेट प्रूफ जैकेट पहनी हो. वो शब्दों को दोहराते हुए अपने जादू को कायम रख पाने में कमज़ोर पड़ते नज़र आए. ऐसा लगा कि जैसे नए सपने दिखाने की जो कला उनके पास है, उसके लिए उनके शब्दकोश में आगे के पन्ने खाली हो गए हैं, शब्द रिक्त हो चुके हैं. मोदी 82 मिनट बोले. लेकिन इसबार न आकर्षण दिखा और न ही उत्साह. क्योंकि आकर्षण और उत्साह के जो मापदंड उन्होंने खुद स्थापित किए हैं, उनका आज का भाषण उन्हीं मापदंडों पर पिछड़ता नज़र आ रहा था.

पीएम मोदी ने अपने करीब एक घंटे 22 मिनट के भाषण में सबसे ज्यादा गरीब, किसान, युवा जैसे शब्दों का इस्तेमाल किया. पिछले चार साल में पीएम मोदी ने स्वतंत्रता दिवस के अपने भाषणों में भी गरीब, किसान  

पीएम मोदी ने लालकिले से अपने कार्यकाल का पांचवा और आखिरी भाषण दिया, चार बार इस मौके पर प्रधानमंत्री ने देश के विकास के लिए इस मंच से कई कार्यक्रमों का ऐलान किया. बात चाहे सात दशक पुराने योजना आयोग को बंद कर नीति आयोग गठित करने की हो, सांसदों द्वारा अपने चुनाव क्षेत्र में आदर्श ग्राम स्थापित करना हो या फिर देश के समुचित विकास के लिए टीम इंडिया बनाने की, पीएम मोदी ने इस मंच से कई कार्यक्रमों की शुरुआत की है. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पूरे देश को पांचवी बार लाल किले से संबोधित किया.  पिछले चार मौकों पर पीएम मोदी ने क्या वादे किये और किन वादों के पूरा होने का इंतजार देश कर रहा है.  साल 2014 के लोकसभा चुनाव के दौरान नरेंद्र मोदी का सबसे बड़ा वादा यही था कि उनकी सरकार आई तो वह विदेशी बैंकों में जमा पूरा काला धन वापस लेकर आएंगे. उन्होंने कहा था कि अगर यह धन वापस आ जाए तो गरीबों को वैसे ही 15-15 लाख मिल जाएंगे. नरेंद्र मोदी ने कहा था, ‘हम विदेशी बैंकों में जमा एक-एक रुपया वापस लेकर आएंगे और यह सुनिश्चित करेंगे कि इसका इस्तेमाल गरीबों की बेहतरी के लिए किया जाए.’ नोटबंदी से कोई ठोस नतीजा नहीं मिला है, इसे आमतौर पर विफल माना जा रहा है. नवंबर 2016 में सरकार ने 500 और 1000 रुपये के नोटों को बंद कर दिया. पूरे करेंसी सर्कुलेशन में इन नोटों का हिस्सा करीब 86 फीसदी था. इसके पीछे सोच बैंकिंग सिस्टम से बाहर हो चुके धन को वापस लाने की थी. सरकार को लगता था कि इससे बैंकिंग सिस्टम में 10 से 11 लाख करोड़ मूल्य के नोट वापस आ जाएंगे. नोटबंदी के समय 500 और 1000 के कुल 15.44 लाख करोड़ रुपये मूल्य के नोट अवैध घोषित किए गए थे. इनमें से सिर्फ 16,000 करोड़ रुपये ही वापस नहीं आए. नोटबंदी के दौरान नए नोटों की छपाई और एटीएम को दुरुस्त करने आदि पर रिजर्व बैंक के करीब 21,000 करोड़ रुपये खर्च हो गए. हालांकि नोटबंदी के दौरान कुल कितनी रकम बैंकों में वापस आई अभी इसका अंतिम आंकड़ा रिजर्व बैंक बताने को तैयार नहीं है. इस तरह नोटबंदी से सरकार का यह लक्ष्य पूरा नहीं हुआ कि अर्थव्यवस्था से काला धन बाहर निकल आएगा.

 

PM मोदी ने इस बार प्रधानमंत्री जन आरोग्य अभियान, देश की अर्थव्यवस्था में सुधार, मुद्रा योजना एवं स्वच्छ भारत मिशन के सकारात्मक प्रभाव, जम्मू-कश्मीर, पूर्वोत्तर, माओवाद, किसानों, तीन तलाक विरोधी विधेयक और कई अन्य मुद्दों के बारे में बात की
लाल किले के प्राचीर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का यह पांचवां और वर्तमान मोदी सरकार का यह अंतिम संबोधन था. देश चार साल से ज़्यादा समयावधि का उनका कार्यकाल देख चुका है और इससे पहले चार बार बतौर प्रधानमंत्री वो भारत की जनता को लाल किले के प्राचीर से संबोधित कर चुके थे. पहले वर्ष यानी 2014 में जब अपनी पहली गैर कांग्रेस बहुमत वाली सरकार के साथ प्रधानमंत्री इस किले पर देश को आज़ादी के दिन संबोधित करने के लिए खड़े हुए थे तो उसमें एक दृष्टि थी. यह दृष्टि थी उनकी संकल्पना के भारत की और उन वादों के क्रियान्वयन की जो उन्होंने लोगों से चुनाव प्रचार के दौरान किए थे.

इस भाषण में उन्होंने एक अलग तरह से देश को आगे ले जाने के और आक्रामक तरीके से बदलाव लाने के संकेत दिए थे. बाद के भाषणों में वो विपक्ष पर प्रहार करते, अपने कामकाज को गिनाते और लोगों को सीधे प्रभावित करने वाले मुद्दों पर बोलते नज़र आए ; उन्होंने अपने कामकाज के मंत्र गिनाए, आगे के लिए कुछ संकल्प लिए और सत्ता में बने रहते हुए कई नए कीर्तिमानों को स्थापित करने की बेचैनी और अधीरता भी जाहिर की. इस तरह वो लोगों को ये संकेत देते नज़र आए कि अगर विकास के इस सिलसिले को आगे लेकर जाना है तो आगामी चुनाव में उनकी वापसी ही एकमात्र विकल्प है.प्रधानमंत्री को उम्मीद है कि आगामी चुनावों में उत्तर-पूर्वी राज्यों में बढ़त मिलेगी इसलिए बखानों में उत्तर-पूर्व के कायाकल्प को खास महत्व मिला. साथ ही महिला सुरक्षा पर मध्य प्रदेश और राजस्थान का नाम लेने से वो नहीं चूके. दोनों ही राज्यों में अगले कुछ महीनों में विधानसभा चुनाव होने हैं.

कांग्रेस ने स्वतंत्रता दिवस पर लाल किले की प्राचीर से दिए गए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भाषण को ‘खोखला’ करार देते हुए बुधवार को कहा कि बेहतर होता, अगर मोदी अपने इस ‘आखिरी भाषण’ में राफेल, अर्थव्यवस्था की स्थिति और नफरत के महौल पर सच बोलते. कांग्रेस पार्टी के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने यह भी कहा कि प्रधानमंत्री को राफेल एवं कुछ अन्य मुद्दों पर बहस करने की कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की चुनौती को स्वीकार करना चाहिए.

पीएम नरेंद्र मोदी की महत्‍वपूर्ण योजना- प्रभावी असर नही जमा पायी-  

जनःधन योजना

अपने पहले भाषण में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने प्रधानमंत्री जन-धन योजना का ऐलान करते हुए कहा था कि इस योजना के तहत देश में गरीब जनता का डेबिट कार्ड बनाया जाएगा और साथ ही प्रति परिवार को 1 लाख रुपये का जीवन बीमा दिया जाएगा. इस योजना से एक गरीब परिवार इस जनधन खाते से जरूरत पड़ने पर पैसा निकाल सकता है. इस कार्यक्रम को बीते साल के दौरान आगे बढ़ाया गया है और बड़ी संख्या में जनधन खाते खोले गए हैं लेकिन इस योजना का फायदा उठाने के लिए गरीब परिवार अब भी इंतजार कर रहा है.

स्किल इंडिया

पीएम मोदी ने लालकिले से कहा था कि देश की 65 फीसदी जनसंख्या 35 वर्ष आयु से कम की है. इस ताकत से सर्वाधिक फायदा उठाने के लिए केन्द्र सरकार स्किल इंडिया कार्यक्रम के जरिए एक बड़ी स्किल्ड वर्क फोर्स तैयार करने की योजना पर लगी है. इसके साथ ही पीएम ने इस बात पर भी जोर दिया कि इन कार्यक्रमों के जरिए दुनियाभर को वर्क फोर्स देने के लिए देश के युवा को तैयार किया जाना है. लेकिन बीते तीन साल के दौरान इन कार्यक्रमों पर किसी सार्थक पहल का इंतजार है.

स्टैंडअप योजना

केंद्र सरकार ने अपनी स्टैंड अप इंडिया योजना के तहत देश में छोटे कारोबारी और उद्यमिता को बढ़ावा देने का खाका तैयार किया. इस योजना का खुलासा भी प्रधानमंत्री ने लाल किले की प्राचीर से किया. ये योजना छोटे कारोबारी और अंत्रप्रन्योरशिप को बढ़ावा देकर इतना सक्षम बनाने की है कि वह देश में युवा के लिए बड़ी संख्या में रोजगार पैदा कर सकें. इस कार्यक्रम में भी अभी किसी सार्थक नतीजे का इंतजार है.

मेक इन इंडिया

देश में कारोबार कोबढ़ावा देने के लिए पीएम मोदी ने अभीतक की अपनी सबसे बड़ी स्कीम मेक इन इंडिया का जिक्र लालकिले से किया. इस स्कीम के तहत देश को पूरी दुनिया के लिए मैन्यूफैक्चरिंगहब बनाना है. इसके चलते केन्द्र सरकार की कोशिश मैन्यूफैक्चरिंग क्षेत्रमें दुनियाभर की कंपनियों से इस शर्त पर करार करने की है जिससे उक्त कंपनी भारत में उत्पाद की मैन्यूफैक्चरिंग करने के लिए तैयार रहे. इस कार्यक्रम से जहां देश के मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर को मजबूत करना है वहीं ब्रांड इंडिया का भी दुनियाभर में विस्तार करना है. इस स्कीम को भी अभी एक बड़ी सफलता का इंतजार है.

आदर्श ग्राम

केन्द्र सरकार की कमान संभालने के बाद लाल किले की प्राचीर से अपने पहले भाषण में पीएम मोदी ने देश के सभी सांसदों से एक गांव गोद लेने की अपील की थी. एक साल के अंदर सभी सांसदों को इस चुने हुए गांव को विकास का मॉडल बनाते हुए आदर्श ग्राम में बदलना था. मौजूदा समय में यह स्कीम अपने दूसरे और तीसरे चरण में है जहां सांसदों को दूसरे और तीसरे गांव का चयन कर उसे भी आदर्श ग्राम की तर्ज पर विकसित करना था. लेकिन इस स्कीम में अभी तक किसी एक ग्राम को आदर्श ग्राम के तौर पर सामने पेश नहीं किया गया है.

गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स

1 जुलाई 2017 से पूरे देश में एक समान टैक्स प्रक्रिया लागू की गई है. केन्द्र सरकार को भरोसा था कि इस कदम से उसके खजाने के साथ-साथ देश के कारोबार को नया आयाम मिलेगा. हालांकि इसे लागू करने के बाद से इसमें जारी खामियों के दूर करने के लिए केन्द्र सरकार और राज्य सरकारें लगातार कोशिश कर रही हैं. ऐसे में संभव है  कि पीएम मोदी अपने लाल किले के भाषण में जीएसटी को लेकर कुछ अहम घोषणाएं करें. गौरतलब है कि चौथे भाषण में पीएम मोदी ने भरोसा दिलाया था कि जीएसटी के क्रांतिकारी बदलाव लाएगा. क्या अब पीएम इस भाषण में उस क्रांतिकारी बदलाव पर कुछ कहेंगे.

:::::::::::::::::::::::::::::प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का लाल क़िले से आख़िरी भाषण है

पीएम नरेंद्र मोदी 72वें स्वतंत्रता दिवस के मौक़े पर पांचवी बार लाल क़िले से देश को संबोधित किया. लोकसभा चुनावों से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का लाल क़िले से आख़िरी भाषण है. पीएम मोदी ने कहा कि आप सभी को स्वतंत्रता के इस महान पर्व पर मेरी बहुत-बहुत शुभकामनाएं. देश इस समय नवनिर्माण के आत्मविश्वास से सराबोर है. जब आज की सुबह हर्ष-उल्लास, श्रद्धा और संकल्प की नई रोशनी लेकर आई है. उन्‍होंने कहा कि देश आत्मविश्वास से खड़ा है और नई बुलंदी छू रहा है. देश के बेटियों ने कमाल किया और हमारे दूर-सुदूर के आदिवासी बच्चों ने एवरेस्ट पर तिरंगा फहरा कर इसकी शान को और बढ़ा दिया है. हमारा देश दुनिया की छठी बड़ी अर्थव्यवस्था बना है.

आज देश आत्म विश्वास से भरा हुआ है, सपनों को संकल्प के साथ परिश्रम की पराकाष्ठा कर के देश नई ऊंचाइयों को पार कर रहा है. आज का सूर्य एक नई चेतना नए उत्साह को लेकर आया है. अगले वर्ष बैसाखी पर जलियांवाला बाग़ नरसंहार के 100 वर्ष होने जा रहे हैं. मैं इस नरसंहार में शहीद हुए हर देशवासी को याद करते हुए उन्हें विनम्र श्रद्धांजलि देता हूं. महान तमिल कवि, दीर्घदृष्टा और आशावादी सुब्रामणियम भारती ने लिखा था कि भारत न सिर्फ एक महान राष्ट्र के रूप में उभरेगा बल्कि दूसरों को भी प्रेरणा देगा. उन्होंने कहा था- भारत पूरी दुनिया को हर तरह के बंधनों से मुक्ति पाने का रास्ता दिखाएगा. संसद का इस बार का स्तर पूरी तरह से सामाजिक न्याय को समर्पित थे. दलित हो, पीड़ित हो, वंचित हो, महिलाएं हों, उनके हितों की रक्षा करने के लिए हमारी संसद ने सामाजिक न्याय को और अधिक बलवत्र बनाया है.सं सद ने अति पिछड़ा आयोग को संवैधानिक दर्जा दे कर के पिछड़ों के हकों की रक्षा करने का प्रयास किया है. गरीबों को न्याय मिले, हर किसी को उसकी इच्छा और आकांक्षाओं के हिसाब से आगे बढ़ने का अवसर मिले और 2014 से अब तक मैं अनुभव कर रहा हूं कि सवा सौ करोड़ देशवासी सिर्फ सरकार बनाकर रुके नहीं. वो देश बनाने में जुटे हैं. तिरंगे की शान के लिए देश के सेना के जवान अपने प्राणों की आहुति दे देते हैं. हमारे अर्धसैनिक बल जीवन खपा देते हैं. हमारे पुलिस बल के जवाब आम आदमी की रक्षा के लिए दिन रात देश की सेवा में लगे रहते हैं. मैं सभी जवानों को उनकी महान सेवा और त्याग तपस्या के लिए आज तिरंगे झंडे के सामने नमन करता हूं और शुभकामनाएं देता हूं. बारिश और बाढ़ में इस बार जिन परिवारों ने अपनों को खोया है, देश उनके साथ खड़ा है. उनके दुख में हम सब उनके साथ है. अगली वैशाखी पर जालियालाला बांग हत्याकांड के सौ साल पूरे हो रहे हैं. बाबा साहब के नेतृत्व में समावेशी संविधान का निर्माण किया गया. भारत के हर वर्ग समान लाभ मिले इसके लिए संविधान हमारा मार्ग दर्शन करता है. गरीबों को न्याय मिले, सबको समान हक मिले, किसी को आगे बढ़ने में कोई रुकावट नहीं आए, सबके सपने पूरे हों, सबको अधिकतम अवसर मिले, एक आत्म निर्भर हिंदुस्तान हो, नई ऊंचाइयों को छूने वाला हिंदुस्तान हो, दुनिया में हिंदुस्तान की दमक भी है, वैसै हिंदुस्तान हम बनाना चाहते हैं. सवा सौ करोड़ लोग जब निर्धारित लक्ष्य की प्राप्ति के लिए चल पड़ता है, तो क्या नहीं हो सकता. 2014 में इस देश के सवा सौ करोड़ नागरिक सिर्फ सरकार बनाकर नहीं रुके थे, बल्कि देश बनाने के लिए वे लोग जुटे थे. और जुटे भी रहेंगे. जिस रफ्तार से 2013 में गांवों तक ऑप्टिकल फाइबर पहुंचाने का काम चल रहा था, उस रफ्तार से देश के हर गांव को ऑप्टिकल फाइबर से जोड़ने में कई पीढ़ियां गुजर जातीं. जिस रफ्तार से 2013 में गैस कनेक्शन दिया जा रहा था, अगर वही पुरानी रफ्तार होती तो देश के हर घर में सालों तक भी गैस कनेक्शन नहीं पहुंच पाता. देश की अपेक्षाएं और आवश्यकताएं बहुत हैं, उसे पूरा करने के लिए केंद्र और राज्य सरकार को निरंतर प्रयास करना है

 

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