असाध्य बीमारियो का सफलतापूर्वक इलाज कर रहे गौ मूत्र संचालक कांत्रि के संचालक प्रदीप भण्डारी जी का देहरादून में सूचना आयुक्त द्वारा बगुलामुखी मंदिर में भव्य स्वागत
देहरादून से मुख्य संपादक Chandra Shekhar Joshi की रिपोर्ट
देहरादून, 27 जून, गोमूत्र क्रांति संचालक श्री प्रदीप भंडारी जी बोले -;देहरादून में यह जागृत स्थान है- दून पधारे श्रीमान प्रदीप भंडारी संचालक गौमूत्र क्रांति, पवलगढ़ निकट रामनगर, नैनीताल, देहरादून स्थित बगलामुखी मंदिर में हुआ भव्य स्वागत, मन्दिर के पुजारी पंडित पुरुषोत्तम बलूनी ने विशेष पूजन अर्चना कराई
मनुष्य अकेला ही संसार में जन्म लेता है, अकेला ही संसार से विदा भी हो जाता है, मरने के बाद स्वर्ग या नरक भी अकेले ही जाते हैं, पर , पर, एक चीज, उसके साथ जाती है, इंसान के कर्म उसके साथ जाते हैं, मनुष्य , जो भी अच्छा या बुरा कर्म करता है, उसे भोगना जरूर पड़ता है, ऐसा कोई मनुष्य नहीं होता, जिसके किए गए कर्मों को कोई और भोगता है, हर एक इंसान अपने कर्मों को खुद ही भोगता है, इस जन्म मे भी और दूसरे जन्म मे भी:
स्वागत से अविभूत गदगद श्री प्रदीप भंडारी बोले: आज दिनांक 27 जून 2023 को मैं यहां सपरिवार आया, मंदिर प्रांगण में कदम रखते ही पॉजिटिविटी का एहसास और आभास हुआ यह जागृत स्थान है, यहां आकर निश्चित तौर पर आध्यात्मिक लाभ, मानसिक लाभ , निश्चित होगा, समय मिलने पर पुनः अवश्य आऊंगा
भगवान रुद्रनाथ के शीतकालीन गद्दी स्थल गोपीनाथ मंदिर से कुछ अशुभ संकेत#
भगवान गोपीनाथ का मंदिर एक तरफ झुक रहा है—मंदिर के शीर्ष गुंबद पर दरार # मंदिर के अंदर काफी मात्रा में पानी टपक रहा है # यहां पर भगवान शंकर की पूजा गोपी रूप में होती है। यहां भगवान शंकर गोपी रूप में श्रृंगार मग्न रहते हैं # मंदिर में अब दरारें पड़ने और झुकाव आने के कारण हर किसी के जहन में चिंता व्याप्त#अब गोपीनाथ मंदिर पर छाया संकट
मा पीतांबरा- श्री बगुलामुखी शक्ति पीठ देहरादून मे आज दिनाँक 27 जून 2023 को वैद्य शिरोमणि श्रीमान प्रदीप भंडारी जी सपरिवार पहुंचे, जहाँ क्षेत्र के लोगों ने उनका भावभीना स्वागत किया, पीतांबरा अंग वस्त्र ओढाया गया, और मन्दिर समिति द्वारा मेमोन्टो भेट किया गया, उत्तराखंड सूचना आयुक्त श्री योगेश भट्ट ने शाल पहना कर सम्मानित किया, मन्दिर समिति के अध्यक्ष चंद्रशेखर जोशी ने श्री प्रदीप भंडारी जी और सूचना आयुक्त श्री योगेश भट्ट जी को माल्यार्पण और मन्दिर का प्रतीक चिन्ह भेंट किया
बद्रीनाथ धाम के संबंधवमा पूर्व में ही वर्णित है की नर नारायण पर्वत मिल जायेंगे और बद्रीनाथ लुप्त हो जायेंगे सरकार उस स्थिति को समय से पूर्व ही लाना चाह रही है जो बहुत आत्मघाती होगा उत्तराखंड देवभूमि है और हिमालयी क्षेत्र के लिए आधुनिक विकास की आवश्यकता से अधिक आध्यात्मिक मूल्यों का संरक्षण किया जाने की जरूरत है यहां की योजनाएं दिल्ली से बनाई जा रही हैं तथा अनुमोदित हो रहीं हैं जो मुख्यतया निर्माणकार्यो को धनकुबेरों की सैरगाह विकसित करने के लिए कार्य कर रहे हैं।यहां के कोई भी निर्माण न केवल पर्यावरण को प्रभावित करते हैं बल्कि मानवता के विनाश के कारण भी बनेंगे। अत: सोच विचार चिंतन जरूरी है । नरेंद्र सिंह रावल अध्यक्ष : श्री 108 महाकाली मंदिर गंगोलीहाट
श्री प्रदीप भंडारी जी ने मंदिर समिति के श्री शंभू प्रसाद उनियाल जी देवेंद्र दत्त बडोनी जी लक्ष्मण राणा को अंग वस्त्र देकर सम्मानित किया इस अवसर पर चंद्र शेखर जोशी, लक्ष्मण राणा शंभू प्रसाद उनियाल देवेंद्र दत्त बडोनि निशा जोशी रोशनी बधानी , अनीता राणा , रेखा, सरियाल, सविता राणा, रीना काला , पुनीता भट्ट ,कृष्णा सैनी, पूजा अग्रवाल, सुमति रयाल, रुचि , सुलोचना भट्ट प्रतिमा देवी प्रमोद बाला ममता पांडे निर्मला पंत , शैला उनियाल, दीपा सुंद्रियाल , मेघा बडोनि, शिवांगी रावत , प्यारी भंडारी , रजनी, सोनी , मुन्नी रोशनी चौहान सीमा राणा उपस्थित रहे
सभी नौ ग्रह के भगवान शिव के अधीन रहते हैं. यदि आप नियम अनुसार भगवान शिव का जलाभिषेक, आराधना, पूजा-पाठ आदि करते हैं तो आपको बहुत से फायदे होंगे. सभी ग्रह भगवान शिव के ही अंश है. पूरे संसार के लोग शनिदेव से प्रभावित रहते हैं. शनि देव भगवान शिव के ही शिष्य हैं. ऐसे ही सूर्य देव भगवान शिव के तेज है, चंद्रमा को भगवान शिव ने धारण किया हुआ है, मंगल उनके पुत्र यानी उनका ही अंश अवतार है. ऐसे ही राहु और केतु शनिदेव के साथ रहते हैं जो भगवान शिव के ही गण है. यानी भगवान शिव की आराधना, पूजा-अर्चना से ही नवग्रह की महादशा से शांति हो जाती है कुंडली मे कुल 9 ग्रह होते हैं. यदि किसी ग्रह की व्यक्ति पर महादशा चलती है तो उसे कई परेशानियों से गुजरना पड़ता है. इन सभी नौ ग्रह में शनिदेव की महादशा, साढ़ेसाती और ढैया के प्रभाव से बचने के लिए लोग कई तरह के उपाय करते हैं. ब्रह्मांड के संचालन का जिम्मा भगवान शिव के द्वारा किया जाता है. भगवान शिव के संचालन में सबसे पहला महीना श्रवण मास यानी सावन का महीना होता है,