राजनीति में तूफान से पहले की ख़ामोशी टूटी- यकीनन आज इस नेता की आवाज़ ने ‘दिल्ली’ को हिला दिया

प्रकाश सिंह बादल के केंद्र सरकार, नागरिकता क़ानून, देश के वर्तमान माहौल तथा धर्मनिरपेक्षता को लेकर दिये गये बयानों के बाद बीजेपी ख़ामोश है। लेकिन यह तय है कि प्रकाश सिंह बादल की आवाज़ ने ‘दिल्ली’ को भी ज़रूर हिला दिया होगा। 

प्रकाश सिंह बादल का रुख पूरी तरह स्पष्ट होने के बाद शीर्ष सिख संस्थाएं तथा शिरोमणि अकाली दल खुलकर नागरिकता संशोधन क़ानून के ख़िलाफ़ मोर्चा ले सकते हैं। श्री अकाल तख्त साहिब नागरिकता क़ानून के ख़िलाफ़ रिवायती ‘हुकमनामा’ और शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (एसजीपीसी) आधिकारिक दिशा-निर्देश जारी कर सकते हैं।

अकाली-बीजेपी गठबंधन इन दिनों वेंटिलेटर पर है और कभी भी दम तोड़ सकता है। # शिरोमणि अकाली दल के सरपरस्त प्रकाश सिंह बादल का यह मुखर रुख यकीनन बीजेपी को बर्दाश्त नहीं होगा और अब नए सियासी समीकरण बनेंगे।

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नागरिकता संशोधन क़ानून पर राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) के सबसे बुजुर्ग नेता और दिग्गज अकाली सियासतदान पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल ने आख़िरकार अपनी ख़ामोशी तोड़ दी है। नागरिकता क़ानून, देश के मौजूदा हालात और धर्मनिरपेक्षता को लेकर दिख रहे ख़तरे पर उन्होंने नाम लेने से परहेज करते हुए बीजेपी, आरएसएस, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को खुलकर घेरा है। अब तक नागरिकता क़ानून पर बड़े बादल यानी प्रकाश सिंह बादल पूरी तरह ख़ामोश थे और इसे राजनीति में तूफान से पहले की ख़ामोशी कहा जा रहा था। अब जब यह ख़ामोशी टूटी तो बादल अपनी चिर-परिचित शैली में बीजेपी पर जमकर बरसे। 

अजनाला (अमृतसर) में शिरोमणि अकाली दल की विशाल रैली में सरपरस्त प्रकाश सिंह बादल ने नाम लिए बग़ैर केंद्र सरकार और बीजेपी पर बड़ा हमला बोला। उन्होंने दो-टूक कहा कि यह बेहद गंभीर चिंता का विषय है कि देश की मौजूदा स्थिति लगातार ख़राब हो रही है। बादल ने नरेंद्र मोदी और अमित शाह का नाम लिए बिना इशारों-इशारों में खुलकर कहा, ‘अगर आपको सरकार चलाने में कामयाब होना है तो अल्पसंख्यकों और अपने सहयोगियों को साथ लेकर चलना ही होगा। सभी देशवासी ख़ुद को एक परिवार का हिस्सा मानते हैं और सभी धर्मों का सम्मान होना चाहिए, जोकि नहीं हो रहा है।’

बादल ने कहा, ‘संविधान में लिखा है कि भारत में धर्मनिरपेक्ष और लोकतांत्रिक शासन होगा। धर्मनिरपेक्षता के पवित्र सिद्धांतों से छेड़छाड़ हमारे देश को कमजोर कर रही है। ऐसा कुछ नहीं किया जाना चाहिए जिससे भारत की धर्मनिरपेक्षता और लोकतंत्र ख़तरे में पड़े और केंद्र में सत्तासीन असरदार लोगों को इस बात को सुनिश्चित करना चाहिए।’

कई बार पंजाब के मुख्यमंत्री रह चुके प्रकाश सिंह बादल ने नागरिकता संशोधन क़ानून पर कहा कि केंद्र सरकार को सभी समुदाय के लोगों को इसमें शामिल करना चाहिए और सभी धर्मों का समान रूप से सत्कार करना चाहिए। 

शिरोमणि अकाली दल के सरपरस्त प्रकाश सिंह बादल का यह मुखर रुख यकीनन बीजेपी को बर्दाश्त नहीं होगा और अब नए सियासी समीकरण बनेंगे। बादल का कथन जाहिर करता है कि शिरोमणि अकाली दल नागरिकता संशोधन क़ानून, धर्मनिरपेक्षता और अल्पसंख्यकों के सवाल पर बीजेपी से एकदम अलग राय रखता है और इस सब पर एनडीए से बाहर भी हो सकता है। वैसे भी अकाली-बीजेपी गठबंधन इन दिनों वेंटिलेटर पर है और कभी भी दम तोड़ सकता है। 

प्रकाश सिंह बादल से पहले उनके खासमखास और राज्यसभा सांसद बलविंदर सिंह भूंदड़, प्रेम सिंह चंदूमाजरा और डॉ. दलजीत सिंह चीमा इसी सुर में खुल कर बोल चुके हैं। श्री अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार ज्ञानी हरप्रीत सिंह और शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के प्रधान भाई गोबिंद सिंह लोंगोवाल भी नागरिकता क़ानून पर जोर देकर कह चुके हैं कि वे इसमें मुसलमानों को दरकिनार करने के सख़्त ख़िलाफ़ हैं।

जब प्रकाश सिंह बादल नागरिकता संशोधन क़ानून को लेकर केंद्र सरकार पर बरस रहे थे, ठीक उसी समय कर्नाटक, दिल्ली, उत्तर प्रदेश और हरियाणा के मुसलमानों के नेता श्री अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार ज्ञानी हरप्रीत सिंह के साथ नागरिकता क़ानून के ख़िलाफ़ साथ देने के लिए बैठक कर रहे थे। श्री अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार ने मुसलिम शिष्टमंडल को पूरा सहयोग देने का आश्वासन दिया है। 

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