आत्म केंद्रीत होकर शांति को सहज रूप से पाया जा सकता है-डा. प्रणव पण्डया
#आज पूरे विश्व के लोग शांति की तलाश में हैं-स्वामी चिदानंद मुनि #लेखिका डॉ राधिका नागरथ की पुस्तक ‘‘शांति की तलाश में जिन्दगी‘‘ का राज्यपाल ने किया विमोचन # आत्म केंद्रीत होकर शांति को सहज रूप से पाया जा सकता है-डा. प्रणव पण्डया# शांति केे लिए भारतीय जीवन दर्शन, जीवन शैली और मूल्यों को अपनाये-डॉ के.के. पाल# ’शांति‘ हर किसी का लक्ष्य-शंभूनाथ शुक्ल # Coverage by www.himalayauk.org (UK Leading Digital Newsportal & Daily Newspaper) CS JOSHI- CHIEF EDITOR
देहरादून १४ सितंबर। ‘‘पश्चिमी सभ्यता, भौतिकतावाद और उपभोक्तावाद की वजह से अशांति से पीडत व्यक्ति को शांति क लिए भारतीय जीवन दर्शन, जीवन शैली और मूल्यों को अपनाना होगा। जिसमें मन की शांति के रहस्य निहित हैं। यह बात उत्तराखंड के राज्यपाल डॉ. कृष्ण कांत पॉल ने लेखिका डॉ राधिका नागरथ की पुस्तक के विमोचन के दौरान कही। राज्यपाल देहरादून में राजभवन के प्रेक्षागृह में अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त लेखिका विचारक डॉ. राधिका नागरथ की पुस्तक ‘‘शांति की तलाश में जिन्दगी‘‘ के विमोचन समारोह में बतौर मुख्य अतिथि बोल रहे थे।
राज्यपाल डॉ० कृश्ण कांत पाल ने भारतीय संस्कृति और मूल्यों को अपनाने का आह्वाहन करते हुए कहा कि भारतीय संस्कृति में मन की स्थिरता के लिए ’ध्यान‘ को सबसे सशक्त उपाय बताया गया है। उन्होंने पुस्तक को सरल भाषा में रोचक उदाहरणों तथा दैनिक जीवन के उपाख्यानों का दार्शनिक दस्तावेज बताया।
लेखिका को बधाई देते हुए राज्यपाल ने कहा कि पुस्तक, लेखिका के जीवन और लोगों के गहन अध्ययन का परिणाम है जिसमें पश्चिमी सभ्यता और सतही मूल्यों के पीछे भागने के कारण उपज रही अशांति से जीवन को खोखला होने से बचने के महत्व पर प्रकाश डाला गया है।
उन्होंने पुस्तक को दार्शनिक चुनौतियों से निपटने और जीवन की सच्चाई को समझने के लिए मस्तिष्क को प्रेरित करने का बेहतरीन सार्थक प्रयास बताया। डॉ. पाल ने कहा कि हमारी सभ्यता लगभग पाँच हजार वर्ष प्राचीन है और भारतीय सभ्यता में मूल्य आधारित जीवन जीने की बात कही गई है। और सतही जीवन को ’मृगतृष्णा‘ के रूप में माना गया है।
रामकृष्ण परमहंस और स्वामी विवेकानन्द के विचारों का उल्लेख करते हुए राज्यपाल ने कहा कि अपने आचरण में बदलाव के लिए हमारे देष के महान विचारकों ने जो शिक्षा दी है वह मन की शांति के लिए एक सरल उपाय है।
राज्यपाल ने जीवन मे शांति के लिए मन को केन्दि्रत और नियन्त्रित करने के लिए ध्यान को अहम बताते हुए कहा कि ध्यान के बूते हम खुद और अन्य सांसारिक लालसाओं पर फतह पा सकते हैं। डॉ. के.के. पाल ने हिन्दी दिवस की श्
शुभकामनायें देते हुए कहा कि पुस्तक विमोचन के लिए आज का दिन विशेश व सर्वाधिक उपयुक्त समझकर ही उन्होंने लेखिका को आज की तारीख दी।
गायत्री परिवार के परमाध्यक्ष डा० प्रणव पाण्ड्या ने विशिष्ट अतिथि के रूप में बोलते हुए कहा कि शांति हमारे आस-पास है उसे खोजने के लिए कहीं जाने की जरूरत नहीं है, बल्कि आत्म केंद्रीत होकर षांति को सहज रूप से पाया जा सकता है।
इस अवसर पर परमार्थ निकेतन के अधिष्ठाता स्वामी चिदानंद मुनि ने कहा कि आज पूरे विश्व के लोग शांति की तलाश में हैं लेकिन उनका जीवन भौतिकता की खोज में बीता जा रहा है। उन्होंने कहा कि असीम को पाने की चाहत के पीछे दौडने से षांति नहीं मिल सकती। उन्होंने ध्यान और आत्मनिरीक्षण को जीवन का महत्वपूर्ण नियंत्रक बताया।
मंचासीन वरिष्ठ पत्रकार शम्भूनाथ शुक्ल ने कहा कि ’शांति‘ हर किसी का लक्ष्य है लोगों को नाखुशी जाहिर करने के बजाय सदैव खुश रहने का प्रयास करना चाहिये। पुस्तक लोकार्पण समारोह के स्वागताध्यक्ष यू.सी. जैन ने कहा कि मन की शांति के लिए मनुष्य दर-दर भटकता है, जबकि शांति उसके भीतर छिपी होती है। कार्यक्रम का शुभारंभ राज्यपाल डॉ. के.के. पाल ने दीप प्रज्जवलित कर किया।
पुस्तक की लेखिका डा० राधिका नागरथ ने अपनी पुस्तक की विषय-वस्तु पर प्रकाश डालते हुए कहा कि कुछ व्यावहारिक-परीक्षित समाधानों पर आधारित यह पुस्तक पाठकों को मन की शांति प्रदान करने में मदद कर सकती है। सन् २००९ में कैलिफोर्निया विष्वविद्यालय, लॉस एंजिल्स में यूनाइटेड नेषन्स द्वारा ’सतत षांति‘ के लिए आयोजित सम्मेलन में कतिपय प्रतिभागियों के षांति संबंधी प्रेरक विचारों को भी पुस्तक में षामिल किया गया है। कार्यक्रम का संचालन ए०के० घिल्डियाल द्वारा किया गया। इस अवसर पर अतिथियों को स्मृति चिन्ह भेंट कर स्वागत किया गया। लेखिका डा० राधिका नागरथ टिब्यून की हरिद्वार में प्रतिनिधि है। इस अवसर पर टिब्यून के राज्य ब्यूरो प्रभारी सुनील सिंह ने राज्यपाल को बुके भेट कर स्वागत किया।