देश का अगला राष्ट्रपति RSS से होगा?
संघ के इतिहास में नया पन्ना जुडेगा- #राष्ट्रपति चुनाव- बीजेपी ऐसे शख्स को राष्ट्रपति बनाएगी जो संघ परिवार से गहरा ताल्लुक रखता हो. बीजेपी के काडर से वाजपेयी और मोदी प्रधानमंत्री रह चुके हैं. भैरो सिंह शेखावत उप-राष्ट्रपति रहे थे. मगर संघ परिवार का कोई नेता अब तक राष्ट्रपति नहीं हुआ है. ऐसे में संघ के इतिहास में नया पन्ना जुडेगा- संभावना है कि नरेंद्र मोदी, अमित शाह और मोहनराव भागवत की त्रिमूर्ति आरएसएस से आने वाले किसी व्यक्ति को रायसिना हिल्स में बैठाएगी, ये सुनिश्चित करते हुए कि वो ज्ञानी जैल सिंह जैसी परेशानी खड़ा करने वाला न हो. शिवसेना बार बार अगले राष्ट्रपति के लिए मोहन भागवत के नाम पर विचार करने का प्रस्ताव रख रही है, Only three persons know who will be the next President of India.
शुक्रवार को राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने राष्ट्रपति भवन में एक ऐसे शख्स की मेहमाननवाजी की, जो बेहद चौंकाने वाली थी. लंच पर राष्ट्रपति के मेहमान थे, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत. भागवत पहले भी, दो बार राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी से मिल चुके हैं. यानी ये इन नेताओं की पहली मुलाकात नहीं थी. हां, राष्ट्रपति भवन में पहली बार किसी आरएसएस प्रमुख को लंच के लिए न्यौता मिला था. प्रणब मुखर्जी और संघ प्रमुख भागवत के बीच लंच पर हुई ये मुलाकात निश्चित रूप से संघ के इतिहास में नया पन्ना जोड़ने वाली है.
प्रणब मुखर्जी राष्ट्रपति भवन से विदा होने वाले हैं. वो राष्ट्रपति चुनाव की रेस में भी नहीं हैं. ऐसे में उनकी संघ प्रमुख के साथ लंच मीटिंग —- प्रणब मुखर्जी का संघ प्रमुख भागवत को निजी लंच पर बुलाना, या उनसे पहले भी मिलना, किसी भी नजरिए से सामान्य बात नहीं. सूत्रों के मुताबिक इस लंच का प्लान करीब एक महीने पहले बना था. लेकिन, इसे बाद के लिए टाल दिया गया था, ताकि लंच के बहाने अटकलों का बाजार न गर्म हो. आजाद भारत के 70 साल के इतिहास में बीजेपी केवल 9 साल केंद्र की सत्ता में रही है. संघ भी इस दौरान अपना विस्तार करता रहा है.
पिछले विधानसभा चुनावों, खासकर उत्तर प्रदेश में भारी बहुमत से जीत के बाद बीजेपी और एनडीए सदस्य निर्वाचन मंडल में आधा रास्ता तय करने के क़रीब हैं, जहां राष्ट्रपति का चुनाव होता है. झारखंड के राज्यपाल द्रौपदी मूर्मू, उत्तर प्रदेश के राज्यपाल राम नाईक जैसे कुछ राज्यपालों के संभावित नाम भी चर्चा में हैं. मोदी का कुछ समय के लिए आदिवासी उम्मीदवार के प्रति झुकाव था जबकि कहा गया कि एलके आडवाणी और सुषमा स्वराज तैयार नहीं थे. कुछ राज्यपालों की अतिसक्रियता पर उन्हें मोदी और शाह से दूरी बनाए रखने की हिदायत दी गई है. मोदी और शाह के क़रीबी रहने वाले लोग आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, सुमित्रा महाजन और सुषमा स्वराज की उम्मीदवारी संभावना को ख़ारिज कर चुके हैं.मोदी और आडवाणी-सुषमा के बीच भरोसे की इतनी कमी है कि इसे भरा नहीं जा सकता क्योंकि दोनों नेताओं ने 2013-14 में मोदी के प्रधानमंत्री पद की उम्मीदवारी की खुलकर मुख़ालफ़त की थी. कुछ लोग मानते हैं कि मोदी आरएसएस से बाहर के किसी को ला सकते हैं, हालांकि वो व्यक्ति कलाम जैसा ‘राष्ट्रवादी’ मानसिकता का होगा.
हालांकि पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने कहा था कि वो भी एक स्वयंसेवक हैं. लेकिन उस वक्त संघ को वाजपेयी सरकार पर उतना भरोसा नहीं था, या वाजपेयी सरकार को संघ पर उतना यकीन नहीं था, जितना भरोसा आज संघ और मोदी-अमित शाह की जोड़ी एक-दूसरे पर करते हैं.
जब तक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी राष्ट्रपति पद के लिए उम्मीदवार के नाम का एलान नहीं करते, तब तक किसी संभावना को खारिज नहीं किया जा सकता. मोदी सरकार के पास जिस तरह का बहुमत और समर्थन है, उसे देखते हुए संघ परिवार को राष्ट्रपति चुनाव को लेकर उनसे बड़ी उम्मीदें हैं. बीजेपी ऐसे शख्स को राष्ट्रपति बनाएगी जो संघ परिवार से गहरा ताल्लुक रखता हो. बीजेपी के काडर से वाजपेयी और मोदी प्रधानमंत्री रह चुके हैं. भैरो सिंह शेखावत उप-राष्ट्रपति रहे थे. मगर संघ परिवार का कोई नेता अब तक राष्ट्रपति नहीं हुआ है.
आरएसएस के प्रमुख को राष्ट्रपति ने लंच पर राष्ट्रपति भवन बुलाया, इसके और भी मायने हैं. इससे जाहिर होता है कि संघ की देश में और राजनीति में स्वीकार्यता बढ़ी है. आज की तारीख में देश की राजनीति और अफसरशाही के बीच संघ का रुतबा कई गुना बढ़ गया है.
प्रणब मुखर्जी एक तजुर्बेकार और खांटी कांग्रेसी नेता रहे हैं. वो इंदिरा गांधी से लेकर कई सरकारों में मंत्री रहे थे. उनका कई ऐसी रिपोर्टों से सामना हुआ होगा, जिसमें संघ को कांग्रेस का सबसे बड़ा दुश्मन बताया गया होगा.
मौजूदा सियासी माहौल में इस मुलाकात के गहरे मायने हैं. इसके कई मतलब निकाले जा सकते हैं. ऐसा पहली बार हुआ था कि किसी राष्ट्रपति ने संघ प्रमुख को राष्ट्रपति भवन आने का न्यौता दिया. वो भी सिर्फ मुलाकात के लिए नहीं.
राष्ट्रपति ने मोहन भागवत को लंच पर बुलाया था. राजधानी दिल्ली में बहुत से लोग इस बात से हैरान हैं. इससे अटकलों का बाजार गर्म हो गया है. लोग कयास लगा रहे हैं कि आखिर इस लंच मीटिंग में दो दिग्गजों के बीच क्या-क्या बातें हुईं? संघ प्रमुख मोहन भागवत की राष्ट्रपति से लंच पर उस दिन मुलाकात हुई, जिस दिन मोदी सरकार के दो सीनियर मंत्री, कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी समेत कई विपक्षी नेताओं से मिले. सोनिया के अलावा राजनाथ और वेंकैया नायडू ने सीपीएम महासचिव सीताराम येचुरी से भी मुलाकात की.
मोदी सरकार के दो मंत्रियों का विपक्षी नेताओं से मिलने का मकसद सरकार और विपक्ष के बीच रिश्तों को बेहतर बनाना भी था, और राष्ट्रपति चुनाव के लिए उम्मीदवार को लेकर चर्चा करना भी था.
Only three persons know who will be the next President of India. Names have been doing the rounds since the past two months. This morning the name of L K Advani cropped up yet again, but once again it appeared to be speculative in nature. A top BJP source told OneIndia that only three persons know exactly who would be the President of India. Narendra Modi, Amit Shah and Mohan Bhagwat. The name is already decided and Bhagwat has already held consultations with the top BJP leaders in this regard. There are three names that have been proposed and it would be a surprise pick said sources. Contrary to reports that the BJP would have a Dalit or Tribal candidate, sources say that it would be an insider and the party would look to drive across the hard Hindutva line.
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