पश्चिम बंगाल ;मोदी को भाषण 14 मिनट में समाप्त करना पडा
पश्चिम बंगाल के ठाकुरगढ़ में प्रधानमंत्री मोदी ने सिर्फ 14 मिनट का भाषण ही दिया. बताया जा रहा है कि दुर्गापुर की रैली में अप्रत्याशित भीड़ से स्थिति बेकाबू होने लगी. भीड़ इतनी ज्यादा थी कि प्रशासन के लिए उसे संभालना चुनौती बन गया. लिहाजा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने भाषण को जल्दी ही खत्म कर दिया. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ठाकुरगढ़ की रैली के साथ आगामी लोकसभा चुनावों के लिए पश्चिम बंगाल में भाजपा के प्रचार अभियान की शुरुआत की. पीएम मोदी ने दुर्गापुर में 294 किलोमीटर लंबे अंदल-सैंथिया-पाकुर-मालदा रेलवे सेक्शन के इलेक्ट्रिफिकेशन को राष्ट्र को समर्पित किया.
भारी भीड़ देख गदगद हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि आज की रैली का दृश्य देखकर उन्हें यह समझ आ गया है कि दीदी हिंसा पर क्यों उतर आई हैं। उन्होंने कहा कि हमारे प्रति बंगाल की जनता के प्यार से डरकर लोकतंत्र के बचाव का नाटक करने वाले लोग निर्दोष लोगों की हत्या करने पर तुले हुए हैं। प्रधानमंत्री की रैली में भीड़ इतनी ज्यादा थी कि भगदड़ जैसी स्थिति पैदा हो गई। इसके बाद उन्होंने मात्र 14 मिनट में अपना भाषण समाप्त कर दिया।
पीएम मोदी जब भाषण दे रहे थे उस समय भारी भीड़ के कारण कई लोग एक-दूसरे के साथ धक्का-मुक्की करने लगे। इसके बाद बाद पीएम मोदी ने उन्हें धक्का-मुक्की नहीं करने के लिए कहा। उन्होंने कहा कि कार्यकर्ताओं के उत्साह से यह जगह कम पड़ गई और मैदान छोटा पड़ गया। इससे लोगों को असुविधा हो रही है। आप लोग धक्का-मुक्की न करें। पीएम मोदी लोगों को समझाते रहे कि आप जहां हैं, वहां रहें।
ठाकुर नगर में जनसभा को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने कहा, ‘यह देश का दुर्भाग्य रहा कि आजादी के बाद भी अनेक दशकों तक गांवों की स्थिति पर उतना ध्यान नहीं दिया गया, जितना देना चाहिए था। यहां पश्चिम बंगाल में तो स्थिति और भी खराब है। हमारी सरकार हालात बदलने की कोशिश कर रही है। यहां की सरकारों ने कभी भी गांवों की तरफ ध्यान नहीं दिया। जो बीत गया सो बीत गया। नया भारत इस स्थिति में नहीं रह सकता है। साढ़े चार सालों से केंद्र की सरकार इस स्थिति को बदलने की ईमानदार कोशिश कर रही है।’
प्रधानमंत्री ने कहा, ‘कल ऐतिहासिक बजट में पहली बार किसानों और कामगारों के लिए बहुत बड़ी योजनाओं का ऐलान किया गया। बजट में जिन योजनाओं की घोषणा की गई है, उनसे देश के 12 करोड़ से ज्यादा छोटे किसान परिवारों को, 30-40 करोड़ श्रमिकों और 3 करोड़ से ज्यादा मध्यम वर्ग के परिवारों को सीधा लाभ मिलेगा।’
मोदी ने कहा कि कई बार किसानों के साथ कर्जमाफी की राजनीति कर उनकी आंखों में धूल झोंकी गई। चुनाव को देखते हुए कर्जमाफी करके वह किसानों का कुछ भला नहीं कर रहे थे। चंद किसानों को इसका लाभ मिलता था। छोटे किसान इंतजार करते रह जाते थे। जिनको कर्जमाफी का लाभ मिलता था, वे कर्जदार बन जाते थे। अभी कुछ राज्यों में कर्जमाफी के नाम पर किसानों से वोट मांगे गए। ऐसे किसानों की कर्जमाफी हो रही है, जिसने कर्ज लिया ही नहीं है। एमपी में 13 रुपये की कर्जमाफी हो रही है। राजस्थान में बहाना बनाया जा रहा है कि हमें पता नहीं था कि कर्जमाफी का बोझ इतना बड़ा है। कर्नाटक में किसानों के पीछे पुलिस लगा दी गई है।
रैली के दौरान उन्होंने भीड़ को देखकर कहा कि यह दृष्य देखकर मुझे समझ आ रहा है कि दीदी हिंसा पर क्यों उतर आई है. यह आपका प्यार है कि लोकतंत्र के बचाव का नाटक करने वाले लोग लोकतंत्र का हत्या करने पर तुले हुए हैं. पीएम मोदी ने भीड़ से कहा कि मैदान छोटा पड़ गया है. आप जहां हैं वहीं खड़े होकर रहिए. फिर उन्होंने भारत माता के जय-जयकार लगाए. रैली के दौरान पीएम मोदी ने कहा कि हम नागरिकता कानून लेकर आए हैं. हम चाहते हैं कि इसे संसद में इसे पास करने दीजिए, हम अपने भाइयों और बहनों को इंसाफ दिलवाना चाहते हैं.
पीएम मोदी ने कहा कि आपने देखा होगा कि अभी कुछ राज्यों में किसानों की कर्जमाफी का ऐलान कर चुनाव जीता गया. सभी देख रहे हैं कि जिन्होंने कभी कर्ज लिया ही नहीं, उनके भी कर्जमाफ हो रहा है. जिन्होंने लिया, उनके 13 रुपये कर्जमाफ हो रहे हैं, वह भी मध्य प्रदेश में. उन्होंने कहा कि हमारे देश में किसानों की कर्जमाफी की बात कर किसानों की आंखों में धूल झोंकने का काम कर रहे हैं. ये दस साल पर एक बार कर्जमाफी कर उन्हें धोखा देते हैं. कुछ लोगों को ही इसका लाभ मिल पाता था. प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि हमारे देश में किसानों की कर्जमाफी की बात कर किसानों की आंखों में धूल झोंकने का काम कर रहे हैं. ये दस साल पर एक बार कर्जमाफी कर उन्हें धोखा देते हैं. कुछ लोगों को ही इसका लाभ मिल पाता था. लेकिन अब कोई बिचौलिया नहीं होगा. अब आपको समझ आ रहा होगा कि मोदी बैंक खाता खोलवाने पर क्यों जोर दे रहा है. बजट पर चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि यह बजट तो एक शुरुआत है. चुनाव के बाद जब पूर्ण बजट आएगा तब किसानों, कामगारों की तस्वीर और भी बदल जाएगी.