सरकार गिरने का खतरा लगातार बना हुआ है- राज्य में करवट लेती राजनीतिक स्थिति
13 JULY 20; Himalayauk Bureau: # High Light# सचिन पायलट के सभी दावे गलत साबित होते दिख रहे हैं. # राजस्थान कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष और उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट ने दावा किया है कि 25 विधायक उनके साथ हैं. सचिन पायलट ने साफ कहा कि वो जयपुर में बैठक में हिस्सा नहीं लेंगे. दूसरी ओर गहलोत गुट का दावा है कि उनके पास 102 विधायक हैं. # पायलट ने वित्त और गृह मंत्रालय मांगा है, साथ ही अपने लिए प्रदेश अध्यक्ष का पद मांगा है. # सचिन पायलट राजस्थान सरकार में गृह मंत्रालय और वित्त मंत्रालय अपने गुट के मंत्रियों के पास चाहते हैं. उनकी इच्छा है कि ये दोनों मंत्रालय सचिन पायलट के आधिपत्य में रहें. इस पर अशोक गहलोत की सहमति का इंतजार किया जा रहा है. # बीजेपी राष्ट्रीय महासचिव ओम माथुर ने कहा है कि चिंगारी को दबाने के लिए बीजेपी का नाम लिया जा रहा है. कांग्रेस का कुनबा बिखर रहा है.
राजस्थान प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष और डिप्टी सीएम सचिन पायलट (Sachin Pilot) के बागी तेवरों के बाद अशोक गहलोत (Ashok Gahlot) की सरकार संकट में आ गई है. राजस्थान में सचिन पायलट के बागी रुख के बाद अशोक गहलोत की कुर्सी पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं
सचिन पायलट के करीबी सूत्रों ने कहा, “अशोक गहलोत सरकार के पास संख्या-बल नहीं है जिसका वो दावा कर रहे हैं. मुख्यमंत्री का गार्डन बहुमत साबित करने की जगह नहीं है, वो विधानसभा में होता है. अगर उन्होंने जो दावा किया है, उतने विधायक उनके पास हैं तो गिनती क्यों नहीं कराते हैं, उन्हें राज्यपाल के पास ले जाने के बजाय होटल क्यों ले जा रहे हैं?”
रविवार से ही सियासी ड्रामा जारी है. सचिन पायलट के बागी तेवरों के बाद गहलोत की सरकार संकट में आ गई है. सोमवार को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के आवास पर जयपुर में कांग्रेस विधायक दल की बैठक हुई. बैठक में कांग्रेस के करीब 109 विधायक पहुंचे. विधायक दल की बैठक के बाद कांग्रेस विधायकों को होटल में शिफ्ट कर दिया गया. गहलोत खेमे ने दावा किया है कि उनके पास 109 विधायक हैं. यानी बहुमत के आंकड़े 101 से ज्यादा विधायक उनके पास हैं. हालांकि, सचिन पायलट का कहना है कि उनके पास 25 विधायक हैं.
राजस्थान (Rajasthan) के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत (Ashok Gahlot) ने विधायक दल की बैठक कर शक्ति प्रदर्शन जरूर किया है लेकिन अभी भी राजस्थान में कांग्रेस की सरकार गिरने का खतरा लगातार बना हुआ है. प्रदेश में जारी सियासी संकट के बीच डिप्टी सीएम सचिन पायलट (Sachin Pilot) के करीबी सूत्रों का कहना है कि अशोक गहलोत सरकार के पास वो संख्याबल नहीं है, जिनका वो दावा कर रहे हैं.
राजस्थान में अशोक गहलोत की सरकार पर मंडरा रहा संकट अब हटता हुआ दिख रहा है. सोमवार दोपहर को अशोक गहलोत ने सौ से अधिक विधायकों की परेड मीडिया के सामने करवाई और विक्ट्री साइन दिखाया. साफ है कि अशोक गहलोत ने संदेश दिया है कि उनके पास बहुमत है और सचिन पायलट के सभी दावे गलत साबित होते दिख रहे हैं. ऐसे में अब हर किसी की नजर इसपर है कि सचिन पायलट क्या कदम उठाएंगे. सचिन पायलट लगातार 25 से अधिक विधायक होने का दावा कर रहे थे.
राजस्थान कांग्रेस में जारी उठापटक के बीच सचिन पायलट को मनाने की कोशिश हो रही है. सचिन पायलट और दिल्ली आलाकमान के बीच बातचीत चल रही है. सूत्रों के मुताबिक सचिन पायलट को आश्वासन दिया जा रहा है कि चार मंत्री और प्रदेश अध्यक्ष पायलट खेमे से होंगे. वहीं सचिन पायलट को दिल्ली मे महासचिव ( CWC) या कार्यकारी अध्यक्ष पद दिया जाएगा.
कांग्रेस आलाकमान यह कभी नहीं चाहेगा कि सचिन पायलट की बग़ावत के कारण राजस्थान में सरकार की विदाई हो जाए। क्योंकि पायलट अगर 20 विधायक भी साथ ले गए और बीजेपी ने कुछ और विधायक तोड़ लिए तो सरकार गिरनी तय है। इसीलिए पार्टी आलाकमान चाहता है कि पायलट के साथ बातचीत हो और इस आग को यहीं बुझा दिया जाए।
राजस्थान में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने बाजी पलट दी है. उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट की बगावत से गहलोत सरकार पर छाए संकट के बाद फिलहाल छंटते नजर आ रहे हैं. सीएम आवास के अंदर गहलोत ने अपने समर्थक विधायकों की मीडिया के सामने परेड कराई है. गहलोत खेमे ने दावा किया है कि उनके पास 109 विधायक हैं. यानी बहुमत के आंकड़े 101 से ज्यादा विधायक उनके पास हैं. हालांकि, सचिन पायलट का कहना है कि उनके पास 25 विधायक हैं. लेकिन फिलहाल अशोक गहलोत की सरकार बचती नजर आ रही है. अब प्रियंका गांधी ने भी इस संकट को खत्म करने के लिए मार्चो संभाल लिया है. प्रियंका के अलावा राहुल गांधी समेत कुल 5 बड़े नेताओं ने पायलट से बात कर उन्हें समझाने की कोशिश की है
ऐसे ख़राब हालात में कांग्रेस आलाकमान के पास बातचीत ही एकमात्र रास्ता है। उसे गहलोत और पायलट के साथ बातचीत कर इस मसले को यहीं ख़त्म करना होगा क्योंकि थोड़ी सी भी सख़्ती दिखाने का सीधा मतलब यही होगा कि अपनी एक और राज्य सरकार को गंवा देना। ज्योतिरादित्य सिंधिया वाले मामले में ऐसे आरोप लगे कि आलाकमान ने सिंधिया से बात तक नहीं की, पार्टी नेतृत्व नहीं चाहता कि ऐसे आरोप फिर से लगें।
गहलोत खेमे ने दावा किया है कि उनके पास 109 विधायक हैं. यानी बहुमत के आंकड़े 101 से ज्यादा विधायक उनके पास हैं. हालांकि, हालांकि सूत्रों के मुताबिक सचिन पायलट का कहना है कि गहलोत खेमे के पास बहुमत का आंकड़ा नहीं है क्योंकि यदि उनके पास बहुमत का आंकड़ा है तो विधायकों को होटल में क्यों शिफ्ट किया गया है? इसके बजाय उनको गवर्नर के पास ले जाना चाहिए था. सूत्रों के मुताबिक सचिन पायलट ने दावा किया है कि उनके पास 25 कांग्रेस विधायकों का समर्थन है.
सभी विधायकों को जयपुर-दिल्ली हाईवे पर बने होटल में शिफ्ट किया गया है. जयपुर से 20 किलोमीटर दूर फेयर मॉन्ट होटल में विधायक शिफ्ट किए गए हैं. ये सभी विधायक दल की बैठक में शामिल होने वाले विधायक हैं. कहा जा रहा है कि कांग्रेस सचिन पायलट को मनाने की कोशिशें कर रही है.
सूत्रों का दावा है कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के घर पर आज हुई बैठक में 20 विधायक शामिल नहीं हुए. जबकि अशोक गहलोत ने कहा कि बैठक में 109 विधायक पहुंचे. सभी को होटल में शिफ्ट कर दिया गया है. आपको याद दिला दें कि सचिन पायलट ने रविवार को दावा किया था कि उनके पास 30 विधायकों का समर्थन है.
सचिन पायलट करीब साढ़े छह साल से राजस्थान कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष हैं. उनके समर्थक चाहते हैं कि यह पद पायलट के पास ही बनी रहे. जबकि मांग चल रही है कि प्रदेश अध्यक्ष बदला जाए. प्रदेश अध्यक्ष पद के लिए ब्राह्मण कोटे से रघु शर्मा, महेश जोशी और जाटों से लालचंद कटारिया, ज्योति मिर्धा का नाम आगे किया जा रहा है. इसके अलावा रघुवीर मीणा का भी नाम प्रदेश अध्यक्ष पद के लिए लिया जा रहा है. इसपर आखिरी फैसला कांग्रेस आलाकमान सोनिया गांधी को लेना है.
राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और सचिन पायलट में सियासी मनमुटाव के बीच मुख्यमंत्री के समर्थकों ने जयपुर में मौजूद कांग्रेस दफ्तर से पहले सचिन पायलट के पोस्टर हटाए गए. बाद में फिर से पोस्टर लगा भी दिए गए. कांग्रेस विधायक दल की बैठक में सचिन पायलट हिस्सा लेने के लिए नहीं पहुंचे.
प्रदेश के सियासी घमासान के बीच बीजेपी में हलचल तेज हुई. नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया उदयपुर से जयपुर रवाना हुए. दो दिन पहले ही कटारिया जयपुर से उदयपुर आए थे. पूरे सप्ताह उदयपुर में ही रहने का कार्यक्रम था. जिले के कुछ भाजपा विधायक भी जयपुर पहुंचे. राजस्थान सरकार के संकट पर बीजेपी राष्ट्रीय महासचिव ओम माथुर ने कहा है कि अपनी ही पार्टी के लोगों की कांग्रेस जांच करा रही है. मतलब साफ है कि चिंगारी को दबाने के लिए बीजेपी का नाम लिया जा रहा है. कांग्रेस का कुनबा बिखर रहा है.
सचिन पायलट और गहलोत में तकरार के बीच बीजेपी को एक और राज्य में सत्ता में वापसी की उम्मीद दिख रही है. लेकिन अभी पार्टी वेट एंड वॉच का फॉर्मूला अपना रही है. साथ ही राजस्थान में मुख्य विपक्षी बीजेपी ने कांग्रेस से फ्लोर टेस्ट करवाने की मांग की है. राजस्थान के बीजेपी अध्यक्ष सतीश पूनिया ने कहा कि गठबंधन सहयोगी आरएलपी के तीन विधायकों सहित उनके पास 7 विधानसभा सदस्य हैं, लेकिन दूसरी पार्टियों के कई विधायक बीजेपी से जुड़ने को तैयार हैं. पूनिया ने कहा, “राजनीतिक संकट के कारण अनिश्चितता बनी हुई है, लेकिन एक चीज स्पष्ट है कि गठबंधन सहयोगियों सहित हम संख्या में 75 हैं और कई अन्य विधायक हमसे जुड़ने को तैयार हैं.” उन्होंने आगे कहा कि पार्टी केंद्रीय नेतृत्व के निर्देशों का पालन करेगी और राज्य में करवट लेती राजनीतिक स्थिति पर नजर रखते हुए अगले आदेश का इंतजार करेगी.
राजस्थान की 200 सदस्यों वाली विधानसभा में बीजेपी गठबंधन के पास 75 विधायक हैं, जबकि कांग्रेस गठबंधन के पास 125 विधायक हैं. कांग्रेस गठबंधन में कांग्रेस के 101, राष्ट्रीय लोक दल का 1, माकपा के 2, बीटीपी के 2 और 13 निर्दलीय शामिल हैं.
राजस्थान में जारी राजनीतिक उठा पटक के बीच कांग्रेस विधायक दल की बैठक जयपुर में मुख्यमंत्री निवास पर हई. इस बैठक में 109 विधायकों के पहुंचने का दावा पार्टी ने किया है. 200 सदस्यीय राजस्थान विधानसभा में बहुमत के लिए 101 विधायकों की जरूरत होती है. बैठक में सरकार को कमजोर करने वालों के खिलाफ प्रस्ताव पारित किया गया और कार्रवाई की मांग की गई. इसमें सचिन पायलट या किसी अन्य विधायकों का नाम नहीं है. कांग्रेस विधायक दल ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के समर्थन में प्रस्ताव पारित किया. सोनिया गांधी व राहुल गांधी के नेतृत्व में विश्वास जताया.
बैठक खत्म होने के बाद चार बसें मुख्यमंत्री के आवास के बाहर देखी गई. इन बसों से विधायकों को रिजॉर्ट भेजा गया है.बैठक में कांग्रेस के साथ साथ बीटीपी के दो, माकपा के एक, आरएलडी के एक विधायक और कांग्रेस का समर्थन कर रहे निर्दलीय विधायक भी मौजूद रहे, इसके साथ ही दिल्ली से आए कांग्रेस के महासचिव के सी वेणुगोपाल, पार्टी के प्रदेश प्रभारी अनिवाश पांडे व राष्ट्रीय प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला भी बैठक में रहे.
कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि राजस्थान में अशोक गहलोत सरकार के पास पूर्ण बहुमत है और वह अपना पांच साल का कार्यकाल पूरा करेगी. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट सहित अन्य सभी लोगों के लिए कांग्रेस के दरवाजे हमेशा खुले हैं और खुले रहेंगे.
कांग्रेस आलाकमान यह संदेश भी नहीं देना चाहता कि उस पर यह आरोप लगें कि उसकी संवादहीनता के कारण एक के बाद एक युवा नेता पार्टी को छोड़कर जा रहे हैं। क्योंकि पायलट अगर जाते हैं तो बीजेपी कांग्रेस पर ऐसे आरोप लगाकर हमला कर सकती है, इसलिए पार्टी ने तय किया है कि बीजेपी को ऐसा कोई मौक़ा न दिया जाए कि उसके नेतृत्व पर सवाल खड़े हों। कुल मिलाकर कांग्रेस आलाकमान ने संयम और समझदारी दिखाते हुए कर्नाटक और मध्य प्रदेश वाली कहानी यहां नहीं होने देने के लिए अपना पूरा जोर लगा दिया है। अब देखना यह होगा कि वह अपनी कोशिश में कितना सफल हो पाता है।