रानीबाग को मिनी हरिद्वार बनाने का संकल्प लिया राजमाता जिया कत्युरी समाज ने
राजमाता जिया कत्युरी समाज इस समाज में गढ़वाल कुमांयु नेपाल से लाखों कत्युरी परिवार हैं जो गोलज्यु ,रानी जिया,धामदेव , ब्रह्मदेव व अन्य कत्युरी देवत्व प्राप्त महापुरुषों के प्रति श्रर्द्धा व सम्मान रखते हैं।
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रानीबाग निकट काठगोदाम की धार्मिक , श्रर्द्धालु व प्रबुद्ध आम जनता के समक्ष *राजमाता जिया कत्युरी समाज* निम्न बिषयों पर अपना पक्ष रखना चाहती है । यह इसलिए आवश्यक है कि रानीबाग के पौराणिक , ऐतिहासिक व धार्मिक अस्तित्व की रक्षा की जिम्मेदारी सबसे पहले यहां की स्थानीय जनता की है। यह आपको निर्णय लेना है कि आप सभी स्थानीय निवासी रानीबाग को कैसा स्वरुप देना चाहते हैं क्योंकि हर गतिविधि का सीधा प्रभाव सबसे पहले रानीबाग की जनता पर पड़ता है।
सबसे पहले हम यह स्पष्ट कर दें कि राजमाता जिया कत्युरी समाज एक धार्मिक व सामाजिक संस्था है और इसमें हर विचार धारा व जाति का बराबर सम्मान है ।इस समाज में गढ़वाल कुमांयु नेपाल से लाखों कत्युरी परिवार हैं जो गोलज्यु ,रानी जिया,धामदेव , ब्रह्मदेव व अन्य कत्युरी देवत्व प्राप्त महापुरुषों के प्रति श्रर्द्धा व सम्मान रखते हैं। कत्युरी समाज रानीबाग को उसका पौराणिक,ऐतिहासिक व धार्मिक सम्मान देने के लिए ही गठित किया गया है जिससे यह संपुर्ण स्थल देव विदेश में एक पवित्र पर्यटन स्थल के रूप में पुनः स्थापित हो सके।
रानीबाग का यह नाम ही महान कत्युरी राजमाता कुलदेवी जिया के कर्मस्थली ,तपस्थली व समाधिस्थली के कारण ही प्रसिद्ध है जिसका इतिहास सभी भली भांति जानते हैं। पौराणिक रूप में यह स्थली गार्गी रिषि की तपस्थली और चित्रशिला के नाम पर ग्रंथों में प्रसिद्ध है।
सबसे बड़ा विषय यह है कि रानीबाग का विकास किस तरह होगा ? क्या विकास के नाम पर इसके धार्मिक मान्यताओं व आस्थाओं से खिलवाड़ करके ? राम मंदिर सारे मानव समाज का आस्था का विषय रहा है तो सदियों के बाद भी उसका विकास उसी आधार पर किया जा रहा है।
*कत्युरी समाज किसी भी विकास के विरुद्ध कभी नहीं हो सकता है क्योंकि वह मानस केदार में विकास के जिस स्वर्णिम युग का प्रतिनिधित्व करता है उसमें केदारनाथ, रूद्र नाथ, गोपेश्वर, विश्वनाथ मंदिर गोपेश्वर, वासुदेव मंदिर जोशीमठ , आदिबद्री, बैजनाथ,मानिला, जागेश्वर व अन्य ऐतिहासिक केंद्र मौजुद हैं।रानीबाग भी उसी क्रम में स्थापित किया जा सकता है।
*विचारणीय प्रश्न यह है कि रानीबाग का विकास उसे आधुनिक व भव्य शमशान घाटों में परिवर्तित करके संभव है या वहां पर हरिद्वार की तरह भव्य मंदिर , रमणीक स्नान घाट,ध्यान योग केंद्र ,स्मर्णिय धर्मशालाएं , संग्रहालय व ऐतिहासिक जागर के लिए अग्निकुंडों का निर्माण करके।चारों ओर हरे भरे वन ,फुलों से लदे वर्क्ष ।
*अब मुख्य विषय पर कत्युरी समाज का पक्ष रखते हैं कि क्या घोषित विद्युत शवदाह गृह पर कत्युरी समाज का क्या पक्ष है *
हल्द्वानी की जनता को शुद्ध पेयजल की आपूर्ति हो और इसके लिए विद्युत शवदाह गृह के निर्माण से यदि यह कार्य संभव है तो इससे अच्छा कार्य क्या हो सकता है! लेकिन क्या उस खाली मैदान पर शवदाहगृह बनाना सही है जहां पर सदियों से कत्युरी समाज जागर स्थल के रूप में अपनी धार्मिक आस्थाओं व भावनाओं को व्यक्त करता है!
जबकि विद्युत शवदाह गृह के लिए इस मैदान के अलावा भी बहुत जगह मौजूद हैं। यदि विद्युत शवदाह गृह की सालों पुरानी मांग पर विचार करें तो इसके लिए प्रारंभ में स्व कर्नल दर्शन सिंह कार्की जी व अन्य वरिष्ठ सम्मानित लोगों ने इस मैदान के ठीक नीचे उपलब्ध दो बड़े खेत जैसे स्थलों पर अपना निर्णय दिया था जिस पर सहमति भी थी। लेकिन अब पुरे उन खेतों के अलावा पुरे मैदान को शवदाहगृह व विकास के नाम पर नगरपालिका की मंशा पर सवाल उठने स्वाभाविक हैं।
यह सीधे कत्युरी समाज की जिसमें हल्द्वानी के 45%लोग आते हैं और समस्त उत्तराखंड की लाखों जनता की धार्मिक भावनाओं व आस्थाओं पर आघात ही है। यदि नगरपालिका सही दिशा में विचार करें तो विद्युत शवदाह गृह को पुर्ववत निर्धारित स्थल पर जो इस मैदान के नीचे है में बनाना सही होगा।परंपरागत शवदाहगृह घाट के कोनों में सीमेंट के बड़े बड़े चौकोर आकार के स्टरकचर में बनाये जा सकते हैं।
क्या नगरपालिका उस जागर स्थल पर विद्युत शवदाह गृह का निर्माण कर आम जनता को इसे सीधे देखने के लिए मैदान पर निर्माणकर इसे दर्शनीय स्वरुप देना चाहती है?जहां पर आम जनता जागर के ऐतिहासिक स्वरुप को सदियों से देखती है अब वहां पर दर्शनीय विद्युत शवदाह गृह को देखेगी!
अब विचार करें जितना करोड़ों का धन इस शवदाह गृह के नाम पर आवंटित है उसके आधे से कम में हल्दवानी को आपुर्ति किये जाने वाले पानी को बिल्कुल विशुद्ध किया जा सकता है। इसके लिए नगरपालिका यदि कत्युरी समाज को यह कार्य करने का आग्रह करे तो वह इसे सरलता से अंजाम दे सकती है।जनता खुद देखेगी कि इस विद्युत शवदाह गृह का कुछ समय बाद क्या हाल होगा? हरिद्वार की विद्युत शवदाह गृह का आंकलन करना चाहिए ।
कत्युरी समाज इस कार्य में फिर भी बाधक नहीं है केवल इस शवदाहगृह को इस जागर मैदान से अलग चाहती है।इसके लिए या तो इस मैदान के नीचे की भुमि ठीक है या इस मैदान के बिल्कुल दांये कोने पर जो इंदिरानगर के बगल में है में बनाना उचित होगा।
इस मैदान में कत्युरी समाज भव्य जागर स्थल , वेदियां ,मां जिया का भव्य मंदिर ,सुंदर धर्मशाला ,ध्यान योग केंद्र , संग्रहालय व रमणिक मां जिया वाटिका का निर्माण कर इस स्थल को मिनी हरिद्वार बनाने का संकल्प करता है।जिससे कि इस रानीबाग का ऐतिहासिक महत्व पर्यटन व तीर्थ स्थान के रुप में बन सके।
यह केवल जनता के दरबार में कत्युरी समाज का अपना पक्ष रखना है जिससे कि गलत चर्चाओं को विराम दिया जा सके।