वायरस सर्दियों में तेज वापसी की संभावना; एक्सपर्ट & दूसरी पत्नी के बच्‍चो को भी धन; हाईकोर्ट & राहुल की चुनौती & Top News 25 August 20

25 August 20: Himalayauk Newsportal Bureau: सुस्त पड़ चुका वायरस सर्दियों में वापसी कर सकता है- एक्सपर्ट # राहुल गांधी की चुनौती को कांग्रेस का कोई नेता स्वीकर नहीं कर पाया # जज न्यायिक अनुशासन से बंधा होता है. वह प्रतिक्रिया नहीं दे सकता- सुप्रीम कोर्ट : दूसरी पत्नी से पैदा हुए बच्‍चो को भी धन मिलेगा; हाईकोर्ट ने कहा #संसद का मॉनसून सत्र 14 सितंबर से एक अक्टूबर तक आयोजित

सुस्त पड़ चुका वायरस सर्दियों में वापसी कर सकता है- एक्सपर्ट

दुनिया भर में जितनी भी वैक्सीन पर काम हो रहा है या जो वैक्सीन आखिरी राउंड के ट्रायल में हैं, उनमें ऑक्सफोर्ड की वैक्सीन को एक बेहतर दावेदार समझा जा रहा है.  एन्ड्रू पोलैर्ड ने कहा कि अगर क्लिनिकल ट्रायल के दौरान कोरोना के केस आते रहेंगे तो हम इस साल ही रेग्युलेटर्स को ट्रायल का डेटा भेज सकते हैं.

दुनियाभर के हेल्थ एक्सपर्ट्स के समान विचारों में पता लग रहा है कि सर्दियों में कोरोना की दूसरी लहर से हालात और बदतर हो सकते हैं, सभी देशों को इसके लिए तैयार रहना चाहिए. कोविड-19 के इलाज के लिए एक प्रभावी वैक्सीन अभी भी कम से कम 6 महीने दूर है और उन हालातों में भी इतने बड़े पैमाने पर इम्यूनाइजेशन कैसे किया जाएगा, यह भी बड़ा सवाल है.

ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी की कोरोना वैक्सीन का ट्रायल अमेरिका और ब्रिटेन सहित कई देशों में चल रहा है. ट्रायल को लेकर ऑक्सफोर्ड वैक्सीन ग्रुप के एक अधिकारी ने बताया है कि उम्मीद है कि वैक्सीन को मंजूरी दिलाने के लिए इस साल ही ट्रायल डेटा रेग्युलेटर्स को भेज दिया जाए. रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक, ऑक्सफोर्ड वैक्सीन ग्रुप के डायरेक्टर एन्ड्रू पोलैर्ड ने कहा है कि ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी की ओर से ब्रिटेन, ब्राजील और साउथ अफ्रीका में करीब 20 हजार लोगों पर वैक्सीन का ट्रायल हो रहा है. वहीं, ऑक्सफोर्ड के साथ जुड़ी कंपनी एस्ट्राजेनका अमेरिका में 30 हजार लोगों पर ट्रायल का नेतृत्व कर रही है. 

चीन से फैला कोरोना वायरस अब तक 213 देशों को अपनी चपेट में ले चुका है. तकरीबन 2 करोड़ 20 लाख से ज्यादा लोग इस जानलेवा वायरस से संक्रमित हो चुके हैं. जबकि 8 लाख से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है. वैक्सीन डेवेलपर के लिए अच्छी बात ये है कि वायरस अब तेजी से रूप नहीं बदल रहा है. हालांकि संक्रमण की रफ्तार अभी भी धीमी नहीं हुई है. इसी बीच कई एक्सपर्ट दावा कर रहे हैं कि इस साल सर्दियों तक कोविड-19 की वैक्सीन आ जाएगी. वहीं कुछ एक्सपर्ट कह रहे हैं कि सर्दी के मौसम में ही कोरोना सबसे ज्यादा तबाही मचाएगा. वैज्ञानिकों कहना है कि सर्दियों में आने वाली कोरोना की दूसरी लहर, पहले वाली से भी ज्यादा खतरनाक हो सकती है. हमें ये देखना होगा कि ठंडे या कम तापमान में वायरस कैसा व्यवहार करेगा.

WHO के साथ काम कर चुके इंफेक्शियस डिसीज एक्सपर्ट क्लाउज स्टोहर की ‘द प्रिंट’ में प्रकाशित एक रिपोर्ट कहती है कि इस वायरस का एपिडेमायोलॉजिकल बिहेवियर किसी अन्य रेस्पिरेटरी डिसीज से बहुत अलग नहीं होता है. उनका दावा है कि सुस्त पड़ चुका वायरस सर्दियों में वापसी कर सकता है.

ऑक्सफोर्ड वैक्सीन ग्रुप के डायरेक्टर एन्ड्रू पोलैर्ड का कहना है कि ऑक्सफोर्ड और एस्ट्राजेनका का ट्रायल डेटा इसी साल रेग्युलेटर्स को भेजना संभव है. बता दें कि ट्रायल पूरा होने के बाद अगर वैज्ञानिकों की टीम डेटा से संतुष्ट हो जाती है तो वह सरकारी विभाग को वैक्सीन की मंजूरी के लिए डेटा भेजेगी. 

दुनिया को महामारी की एक और लहर से निपटने के लिए अच्छी तरह से तैयार होने की आवश्यकता है. कोरोना की संभावित लहर महामारी के मौजूदा खतरे से भी ज्यादा भयंकर हो सकती है. ब्रिटेन की ‘अकेडमी ऑफ मेडिकल साइंस’ की भी कुछ ऐसी ही राय है. अकेडमी ऑफ मेडिकल साइंस के एक्सपर्ट का कहना है कि साल 2021 के जनवरी-फरवरी महीने में हालात ठीक वैसे ही होंगे, जैसे साल 2020 की शुरुआत के वक्त पहली लहर में देखने को मिले थे.

ऑक्सफोर्ड के वैज्ञानिक का कहना है कि वैक्सीन को मंजूरी दिलाने की प्रक्रिया में कुछ स्टेप को छोड़कर आगे नहीं बढ़ा जा सकता है. बता दें कि पहले राउंड के ट्रायल के दौरान ऑक्सफोर्ड की वैक्सीन के नतीजे अच्छे आए थे. 

ब्रिटेन के चीफ मेडिकल ऑफिसर, क्रिस व्हिट्टी का नाम उन टॉप वैज्ञानिकों में शुमार है, जो इस वक्त कोरोना को मिटाने वाली वैक्सीन पर काम कर रहे हैं. ‘न्यू स्काई’ को दिए एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा कि हम किसी वैक्सीन के भरोसे नहीं बैठ सकते. खासतौर पर जिसके आगामी सर्दियों तक विकसित होने का दावा किया जा रहा है. हमें अगली सर्दियों तक तैयार रहना चाहिए. यह सोचना मूर्खता है कि इस साल सर्दियों तक हमें वैक्सीन मिल जाएगी.

उन्होंने कहा, ‘मेरा अनुमान गलत भी हो सकता है. दुनियाभर में बहुत से वैज्ञानिक वैक्सीन बनाने के कार्य में जुटे हुए हैं, ताकि जल्द से जल्द जानलेवा वायरस का इलाज खोजा जा सके. हमें इसकी जांच करनी चाहिए और ये सुनिश्चित करना चाहिए कि वैक्सीन सुरक्षित है या नहीं. इस प्रोसेस को पूरा होने में समय लगता है.’

उनकी सलाह है कि लोगों को इस आधार पर योजनाएं बनानी चाहिए कि हमें सर्दियों तक वैक्सीन नहीं मिलने वाली है. यदि इस दौरान हम किसी अच्छे डोज को तैयार करने में सफल हो जाते हैं तो हम मजबूत स्थिति में होंगे. इसके बाद हमें उसकी सुरक्षा और प्रभाव की अच्छे से जांच करनी होगी. लेकिन जब तक ऐसा कुछ नहीं होता, तब तक हमें मौजूदा चुनौतियों के हिसाब से ही अपनी रणनीतियां तय करनी होंगी.

कोरोना वायरस की वैक्सीन रजिस्टर करने वाला रूस दुनिया का पहला देश है. रूस अब बेलारूस को अपनी वैक्सीन Sputnik V की सप्लाई करने जा रहा है. रूसी वैक्सीन हासिल करने वाले बेलारूस पहला देश होगा. 

राहुल गांधी की चुनौती को कांग्रेस का कोई नेता स्वीकर नहीं कर पाया

कपिल सिब्बल ने मंगलवार को एक ट्वीट किया है. पार्टी में नेतृत्व की बदलाव की मांग को लेकर कई वरिष्ठ नेताओं सहित 20 से ज्यादा नेताओं की ओर से चिट्ठी लिखी गई थी. जिसके बाद CWC की बैठक बुलाई गई. सोमवार को राहुल गांधी के कथित बयान के बाद सिब्बल ने ट्विटर पर आकर ट्वीट किया था. पहले सूत्रों के मुताबिक जानकारी सामने आई थी कि राहुल गांधी ने बैठक में कहा है कि जिन भी नेताओं ने खत लिखा है, उनकी भाजपा के साथ सांठगांठ है. हालांकि, कांग्रेस ने कुछ देर बाद ही बयान दिया था कि राहुल गांधी ने ऐसा कुछ नहीं कहा.  अब मंगलवार को कपिल सिब्बल ने अपने ट्वीट में लिखा, ‘यह किसी पद के बारे में नहीं, यह मेरे देश के बारे में जो सबसे अहम है.’ उनके इस ट्वीट से ये स्प्षट नहीं है कि उनका निशाना किसकी तरफ है.  सिब्बल की ओर से ट्विटर पर तुरंत ट्वीट कर कहा गया, ‘कहा जा रहा है कि हम बीजेपी के साथ साठगांठ कर रहे हैं. राजस्थान उच्च न्यायालय में कांग्रेस पार्टी का पक्ष रखते हुए सफल हुआ. मणिपुर में भाजपा को सत्ता से बेदखल करने करने के लिए पार्टी का पक्ष रखा. पिछले 30 सालों में बीजेपी के पक्ष में कोई बयान नहीं दिया, इसके बावजूद कहा जा रहा है कि हम बीजेपी के साथ साठगांठ कर रहे हैं.’ हालांकि, इसके थोड़ी देर बाद ही उन्होंने दूसरा ट्वीट कर कहा कि उनकी राहुल गांधी से निजी तौर पर बात हुई है और राहुल ने बताया है कि उन्होंने मीटिंग में ऐसी कोई बात नहीं कही है, जिसके बाद वो अपना ट्वीट वापस ले रहे हैं. 

‘वफ़ादारों’ का पलटवार बहुत ही तेज़ था, तीखा था और ‘असंतुष्टों’ के पास चुप रहने के अलावा कोई उपाय नहीं है। इसकी वजह यह है कि उनकी संख्या बेहद कम है और उनकी बात सुनने वाला कोई नहीं है। जिन लोगों ने पार्टी अध्यक्ष पद के मुद्दे पर कोई एक फ़ैसला लेने की मांग करते हुए कार्यकारी अध्यक्ष सोनिया गांधी को चिट्ठी लिखी थी, वे बिल्कुल अलग-थलग पड़ चुके हैं।  उन्होंने वह चिट्ठी 7 अगस्त को ही लिखी थी, तब से लेकर अब तक के समय का इस्तेमाल वफादार गुट ने उनके ख़िलाफ़ माहौल बनाने में किया। इसका नतीजा यह हुआ कि पार्टी की बैठक में दूसरे मुद्दों पर बात हुई, पर जो मुद्दे उन्होंने उठाए थे, उन पर तो कोई चर्चा ही नहीं हुई। 

कांग्रेस वर्किंग कमेटी की बैठक में जिस चिट्ठी को लेकर इतना विवाद हुआ, दरअसल उसकी स्क्रिप्ट तीन से चार महीने पहले ही लिखी जा चुकी थी जिन नेताओं ने बगावती चिट्ठी पर साइन किए हैं, उन्होंने पिछले तीन-चार महीने में कई राउंड की बैठकें की थीं. नेतृत्व को लेकर कांग्रेस में काफी दिनों से मंथन जारी था, सभी का विचार था कोई कदम उठाना चाहिए. पिछले एक महीने से 10-12 नेताओं का एक ग्रुप गुलाम नबी आजाद की अगुवाई में सोनिया गांधी के साथ बैठक करने की कोशिश कर रहा था. लेकिन, स्वास्थ्य या किन्हीं अन्य वजहों के कारण ये बैठक नहीं हो पाई. इसी कारण सात अगस्त को 23 नेताओं के इस ग्रुप ने एक चिट्ठी लिखी, जिसपर पूरा विवाद हुआ.

पूर्व मंत्री और राज्यसभा में विपक्ष के नेता ग़ुलाम नबी आज़ाद ने कहा कि यह कहना पूरी तरह ग़लत है कि उन्होंने चिट्ठी लिखते समय सोनिया गांधी की ख़राब सेहत का ख्याल नहीं रखा। आज़ाद ने कहा, ‘मुझे बताया गया कि वह रूटीन चेक अप के लिए अस्पताल गई हैं, हमने इंतजार किया। मैंने सोनिया जी से कहा, आपका स्वास्थ्य सर्वोपरि है, दूसरी बातें बाद में।’

सोमवार की बैठक में पुरानी पीढ़ी बनाम नई पीढ़ी के बीच जंग दिखी. जिन नेताओं ने चिट्ठी लिखी, उनपर राहुल गांधी, प्रियंका गांधी के अलावा अहमद पटेल समेत अन्य वरिष्ठ नेताओं ने सवाल खड़े किए. साथ ही चिट्ठी की टाइमिंग पर भी निशाना साधा. बैठक के दौरान ही कपिल सिब्बल, गुलाम नबी आजाद के राहुल गांधी के विरोध में बयान सामने आए, लेकिन बाद में दोनों ने अपने बयान को वापस लिया.

सोनिया गांधी ने कहा है कि उनके मन में इन लोगों के ख़िलाफ़ कुछ भी नहीं हैं। उन्होंने कहा,  मैं आहत ज़रूर हुई, पर उनके प्रति कोई दुर्भावना नहीं है। जो बीत गई, वह बात गई, वे हमारे सहकर्मी हैं, हमें मिल जुल कर काम करना चाहिए।’ सोनिया गांधी को चिट्ठी लिखने वाले कांग्रेस के जिन नेताओं को ‘असंतुष्ट’ कहा जा कहा गया है, दरअसल वे असतुंष्ट नहीं, बल्कि पार्टी के भविष्य को लेकर चिंतित है। दरअसल ‘असंतुष्ट’ कहे जा रहे कांग्रेस के इन नेताओं का मानना है कि पार्टी को अपनी मूल राजनीतिक विचारधारा की तरफ़ लौटना चाहिए। गांधी-नेहरू की वही विचारधारा जो आम आदमी को केंद्र में रख कर देश के सर्वांगीण विकास की बात करती है। 

कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक में चमत्कारिक फ़ैसला नहीं हुआ। कार्यकारी अध्यक्ष सोनिया गांधी का कार्यकाल छह महीने और बढ़ा दिया गया। कांग्रेस अधिवेशन बुलाकर नए अध्यक्ष का चुनाव कराने की बात कही गई। सोनिया गांधी ने इस्तीफ़े की पेशकश की, लेकिन कार्यसमिति ने उनका इस्तीफ़ा मंजूर नहीं किया। अब यह लगभग तय माना जा रहा है कि राहुल गांधी ही पार्टी के अगले अध्यक्ष होंगे और कांग्रेस अधिवेशन में उनके नाम पर मुहर लगाई जाएगी। 

राहुल गांधी सवा साल से यही बताने और समझाने की कोशिश कर रहे हैं कि अगर वह पार्टी नहीं चला पा रहे हैं, पार्टी को जीत नहीं दिला पा रहे हैं, तो पार्टी के दूसरे नेता जो ऐसा करने की क्षमता रखते हैं, वे सामने आएं और पार्टी चलाएं। राहुल गांधी की इस चुनौती को कांग्रेस का कोई नेता स्वीकर नहीं कर पाया। 

वे नेता भी कोई विकल्प पेश नहीं कर सके जो कांग्रेस मुख्यालय के अपने दफ़्तरों के बंद कमरों में बैठकर राहुल गांधी का मजाक ठीक वैसे ही उड़ाते हैं जैसे बीजेपी के नेता। पार्टी को मज़बूत करने की कोई योजना उनके पास नहीं है, पार्टी की बाग़डोर संभालने की हिम्मत दिखाना तो बहुत दूर की बात है। 

संगठन में राहुल गांधी की पसंद के नेताओं को जगह मिल सकती है। सीडब्ल्यूसी ने सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित कर सोनिया गांधी को अधिकृत कर दिया है। 

जज न्यायिक अनुशासन से बंधा होता है. वह प्रतिक्रिया नहीं दे सकता- सुप्रीम कोर्ट

नई दिल्ली: जजों और न्यायपालिका के खिलाफ ट्वीट को लेकर वकील प्रशांत भूषण के खिलाफ अवमानना मामले में आज सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि लोग जज के बारे में बहुत कुछ कह देते हैं, लेकिन जज न्यायिक अनुशासन से बंधा होता है. वह प्रतिक्रिया नहीं दे सकता. जो लोग न्यायपालिका से जुड़े हैं, उन्हें यह सोचना होगा कि अदालतों में लोगों के विश्वास को हिला कर वह सबका अहित कर रहे हैं.

प्रशांत भूषण ने वर्तमान और पूर्व चीफ जस्टिस के बारे में 2 विवादित ट्वीट किए थे. इस पर सुप्रीम कोर्ट ने प्रशांत भूषण को नोटिस जारी कर जवाब मांगा था. भूषण ने जो लिखित स्पष्टीकरण जमा करवाया, उसमें अपनी बातों के पीछे आधार बताते हुए कोर्ट के कई फैसलों, कार्रवाइयों और जजों के आचरण पर टिप्पणी की. इस स्पष्टीकरण को अस्वीकार करते हुए कोर्ट ने भूषण को अवमानना का दोषी करार दिया.

सजा पर फैसला सुरक्षित रखते वक्त कोर्ट ने प्रशांत भूषण को बिना शर्त माफी मांगने के लिए 24 अगस्त तक का समय दिया था. कोर्ट ने उम्मीद जताई थी कि उन्हें एहसास होगा कि उनके ट्वीट एक संस्था के तौर पर सुप्रीम कोर्ट की छवि खराब करने वाले थे. साथ ही बाद में उन्होंने स्पष्टीकरण में जजों पर जो टिप्पणी की वह भी गलत थी. लेकिन प्रशांत भूषण ने लिखित जवाब दाखिल करते हुए माफी मांगने से मना कर दिया.

उन्होंने कहा कि मैंने जो कहा वह अच्छी नीयत से, संस्था की बेहतरी के लिए कहा. जिस बात पर मेरा दृढ़ विश्वास है, उसके लिए माफी मांगना, अपनी अंतरात्मा से बेईमानी होगी.

प्रशांत भूषण के नए बयान पर विचार करने के लिए हुई कार्यवाही के दौरान जस्टिस अरुण मिश्रा, बी आर गवई और कृष्ण मुरारी की बेंच ने उनके रवैए पर अफसोस जताया. जस्टिस मिश्रा ने कहा, “जिस वकील की प्रैक्टिस 30-35 साल की हो, उससे यह उम्मीद नहीं की जाती है कि वह अदालतों में लोगों के विश्वास को डिगाने वाली बातें करेगा. आप न्यायपालिका में विश्वास रखने की बात कहते हैं. लेकिन कोर्ट में जो लिखित जवाब दाखिल करते हैं, उसे पहले मीडिया को जारी कर देते हैं. क्या यह रवैया उचित है?”

सुनवाई के दौरान प्रशांत भूषण के वकील राजीव धवन और एटॉर्नी जनरल के के वेणुगोपाल ने कोर्ट से बार-बार आग्रह किया कि वह प्रशांत भूषण को सजा न दे. एटॉर्नी जनरल ने कहा, “कोर्ट ने प्रशांत भूषण को अवमानना का दोषी करार दिया है. लेकिन बेहतर होगा कि उन्हें चेतावनी देकर जाने दिया जाए. आदेश में यह लिखा जाए कि भूषण आइंदा इस तरह का कोई बयान न दें.“

इस पर जजों ने कहा, “जब वह अपने बयान को गलत नहीं मानते हैं, तो इस तरह की चेतावनी से क्या लाभ होगा?” राजीव धवन ने कहा, “हम मानते हैं सुप्रीम कोर्ट के कंधे इतने चौड़े हैं कि वह आलोचना को सह सकते हैं. प्रशांत भूषण ने हमेशा अपनी याचिकाओं के जरिए अदालत में जनहित के मुद्दे उठाए हैं. उनकी नीयत को समझते हुए सजा देना सही नहीं होगा. वैसे भी सजा देकर उन्हें शहीद ही बनाया जाएगा. एक बार यूपी के सीएम कल्याण सिंह को भी जेल भेजा गया था. लेकिन इससे कोई असर नहीं पड़ा.“

बेंच ने वकीलों का ध्यान भूषण की तरफ से पेश किए गए स्पष्टीकरण की तरफ दिलाते हुए कहा, “इसमें उन्होंने एक पूर्व CJI को पद से हटाने के लिए सांसदों की तरफ से लाए गए प्रस्ताव पर बात की. यह कहा कि अयोध्या मामले को सुप्रीम कोर्ट ने प्राथमिकता से सुनकर सही नहीं किया. ऐसी तमाम बातें हैं जिन्हें देखकर लगता है कि वह अवमानना पर अपना बचाव पेश नहीं कर रहे हैं, बल्कि उसे और बढ़ा रहे हैं. अयोध्या मामले पर टिप्पणी करते हुए उन्होंने यह तक नहीं सोचा कि सुनवाई करने वाले एक जज रिटायर हुए हैं. बाकी चार अभी पद पर हैं. रिटायर्ड हों या वर्तमान जज सब पर टिप्पणी की. ऐसे में आखिर हमें क्या करना चाहिए?”

वेणुगोपाल और धवन ने जजों से निवेदन किया कि प्रशांत भूषण के स्पष्टीकरण के आधार पर सजा का फैसला न लें. उसे रिकॉर्ड पर रहने दें. लेकिन उस पर विचार न करें. बेंच के अध्यक्ष जस्टिस अरुण मिश्रा ने भूषण के रवैए पर टिप्पणी करते हुए कहा, “स्वस्थ आलोचना सही है. लेकिन जजों की नीयत पर टिप्पणी गलत है. उन्होंने जजों को पीड़ा पहुंचाने वाली बातें कहीं. लेकिन उसे अपनी गलती नहीं माना. क्या किसी को पीड़ा पहुंचाने के लिए माफी नहीं मांगनी चाहिए?”

राजीव धवन ने यह भी कहा कि भूषण को भविष्य में बयान देने से रोकना सही नहीं होगा. इसके बदले कोर्ट सभी वकीलों के लिए यह कहे कि उन्हें अदालत की आलोचना करते समय संयम बरतना चाहिए. इस पर जज ने पूछा, “अगर हम सजा देना जरूरी समझें तो सजा क्या हो सकती है?” धवन का जवाब था, “आप चाहे तो 3 या 6 महीने के लिए भूषण को सुप्रीम कोर्ट में प्रैक्टिस से रोक सकते हैं. लेकिन मेरा यही मानना है कि सजा देना सही नहीं होगा.“

दूसरी पत्नी से पैदा हुए बच्‍चो को भी धन मिलेगा; हाईकोर्ट ने कहा

मुंबई: बॉम्बे हाई कोर्ट ने मंगलवार को कहा कि कानून के मुताबिक अगर किसी व्यक्ति की दो पत्नियां हैं और दोनों उसके धन पर दावा करती हैं तो केवल पहली पत्नी का इस पर अधिकार है, लेकिन दोनों शादियों से पैदा हुए बच्चों को धन मिलेगा. न्यायमूर्ति एस. जे. कथावाला और न्यायमूर्ति माधव जामदार की पीठ ने यह मौखिक टिप्पणी की. राज्य सरकार ने बताया कि उच्च न्यायालय की औरंगाबाद पीठ ने इसी तरह का फैसला पहले दिया था जिसके बाद पीठ ने यह टिप्पणी की.

न्यायमूर्ति कथावाला की अध्यक्षता वाली पीठ महाराष्ट्र रेलवे पुलिस बल के सहायक उपनिरीक्षक सुरेश हाटनकर की दूसरी पत्नी की तरफ से दायर याचिका पर सुनवाई कर रही थी. हाटनकर की 30 मई को कोविड-19 से मृत्यु हो गई.

राज्य सरकार के प्रस्ताव के मुताबिक ड्यूटी के दौरान कोविड-19 से मरने वाले पुलिसकर्मियों को 65 लाख का मुआवजा देने का वादा किया गया है, जिसके बाद हाटनकर की पत्नी होने का दावा करने वाली दो महिलाओं ने मुआवजा राशि पर अपना अधिकार जताया.

बाद में हाटनकर की दूसरी पत्नी की बेटी श्रद्धा ने बॉम्बे हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाकर कहा कि मुआवजा राशि में उन्हें आनुपातिक हिस्सेदारी मिलनी चाहिए ताकि वह और उसकी मां ‘भूखमरी’ और बेघर होने से बच सकें.

राज्य सरकार की वकील ज्योति चव्हाण ने मंगलवार को पीठ से कहा कि जब तक उच्च न्यायालय इस बात पर निर्णय करता है कि मुआवजे का हकदार कौन है तब तक राज्य सरकार मुआवजा राशि अदालत में जमा कर देगी. चव्हाण ने औरंगाबाद पीठ के फैसले से भी अदालत को अवगत कराया.

इसके बाद अदालत ने कहा, ”कानून कहता है कि दूसरी पत्नी को कुछ भी नहीं मिल सकता है. लेकिन दूसरी पत्नी से पैदा हुई बेटी और पहली पत्नी तथा पहली शादी से पैदा हुई बेटी धन की अधिकारी हैं.”

हाटनकर की पहली पत्नी शुभदा और दंपति की बेटी सुरभि भी वीडियो कांफ्रेंस के माध्यम से सुनवाई में उपस्थित रहे और दावा किया कि उन्हें नहीं पता कि हाटनकर का ‘दूसरा परिवार’ भी है.

बहरहाल, श्रद्धा की वकील प्रेरक शर्मा ने अदालत से कहा कि सुरभि और शुभदा को हाटनकर की दूसरी शादी के बारे में पता है और पहले वे सुरभि से फेसबुक पर संपर्क कर चुके हैं. अदालत ने मामले की सुनवाई बृहस्पतिवार को तय की है.

संसद का मॉनसून सत्र 14 सितंबर से एक अक्टूबर तक आयोजित

नई दिल्ली:संसद का मॉनसून सत्र 14 सितंबर से एक अक्टूबर तक आयोजित होगा. संसद की कार्यवाही बिना छुट्टी के चलेगी यानी सदन की कार्यवाही शनिवार और रविवार को भी होगी. कोरोना महामारी के इस दौर में सुबह एक सदन की और दोपहर को दूसरे सदन की बैठक होगी.संसद में रोज चार घंटे का एक सत्र होगा. जानकारी के अनुसार, संसद के मॉनसून सत्र में कुल 18 बैठकें होंगी. शनिवार और रविवार को भी बैठकें होंगी ताकि सांसद अपने संसदीय क्षेत्र में न जाएं. मॉनसून सत्र के दौरान कोरोना वायरस महामारी के मद्देनज़र जरूरी सारी एहतियात बरती जाएंगी. सांसद दोनों सदनों में बैठेंगे. लोकसभा और राज्य सभा के चैंबरों को केबल से जोड़ा जा रहा है.

कोरोना महामारी के बीच संसद का मॉनसून सत्र कराने के लिए कई विकल्पों पर विचार गया था. सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, राज्यसभा के सभापति एम. वेंकैय्या नायडू और लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने इस मसले पर बैठक की थी. बैठक कोरोनावायरस महामारी के कारण सोशल डिस्‍टेंसिंगबनाये रखने और आभासी संसद की संभावना जैसे विषयों एवं विकल्पों के बारे में चर्चा की गई थी. उच्च और निचले सदन के अध्यक्षों ने इस बात को रेखांकित किया था कि ऐसी स्थिति में जब नियमित बैठकें संभव नहीं हैं, तब संसद सत्र को सुगम बनाने के लिए प्रौद्योगिकी को अपनाने की जरूरत है.

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