यह बुलबुला कभी भी फट सकता है ; गर्वनर RBI
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के गर्वनर उर्जित पटेल ने शनिवार को कहा कि शीर्ष बैंक और बाजार नियामक भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) को शेयर बाजार के तेज उतार-चढ़ाव का संज्ञान लेना चाहिए, ताकि जोखिमों का आकलन किया जा सके. पटेल ने मीडिया से कहा, ‘पिछले कुछ दिनों से, बाजार में करेक्शन का दौर चल रहा था. यह न सिर्फ पूरी दुनिया में हो रहा है, बल्कि भारत में भी चल रहा है. इसलिए यह दर्शाता है कि पूंजी बाजार कैसे दिशा बदलता है. अबतक न तो वैश्विक स्तर पर और न ही भारत में यह महसूस किया गया है कि यह बुलबुला कभी भी फट सकता है और एक बड़ी समस्या पैदा हो सकती है.’
उन्होंने कहा, ‘इसलिए वित्त मंत्रालय के नियामकों आरबीआई और एसबीआई दोनों को आगे के जोखिमों का आकलन करना चाहिए. पिछले कुछ दिनों से जारी करेक्शन से पता लगता है कि ये चीजें काफी तेजी से आगे बढ़ रही हैं.’ पटेल वित्तमंत्री अरुण जेटली के साथ मीडिया को संबोधित कर रहे थे. एक से नौ फरवरी के बीच बीएसई के सेंसेक्स में 1,900 अंकों की गिरावट आई है और एनएसई के निफ्टी में 500 से अधिक अंकों की गिरावट दर्ज की गई है.
इससे पहले वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि अगले वित्त वर्ष में राजकोषीय स्थिति संतोषजनक रहने की उम्मीद है और मौजूदा स्थिति को देखते हुए राजकोषीय घाटा लक्ष्य से ऊपर निकलने की किसी तरह की कोई चिंता नहीं दिखाई देती है. वित्त मंत्री ने विश्व बाजार में कच्चे तेल के बढ़ते दाम को लेकर तुरंत किसी तरह की चिंता को भी खारिज कर दिया. उन्होंने कहा कि अटकलबाजी को लेकर किसी तरह का कोई आकलन नहीं किया जाना चाहिये. इस मामले में यदि पिछले तीन दिन में कच्चे तेल के दाम का रुख देखा जाये तो यह बिल्कुल उल्टा रहा है. कच्चे तेल के दाम चढ़ने के बाद गिरे हैं.
वित्त मंत्री ने कहा कि इस समय जो स्थिति है उसे देखते हुए अगले वित्त वर्ष में राजकोषीय घाटा बढ़ने की आशंका नहीं दिखाई देती है. बजट के बाद रिजर्व बैंक निदेशक मंडल के साथ होने वाली परंपरागत बैठक को संबोधित करने के बाद आयोजित संवाददाता सम्मेलन में जेटली ने कहा कि मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की पिछली बैठक में दरों को अपरिवर्तित रखने का जो निर्णय लिया गया वह ‘संतुलित निर्णय’ था.
रिजर्व बैंक गवर्नर उर्जित पटेल की अध्यक्षता में सात फरवरी को मौद्रिक नीति समिति की बैठक हुई थी, जिसमें मुख्य नीतिगत दर में कोई बदलाव नहीं किया गया. इससे पहले जेटली ने पूंजी बाजार नियामक भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) निदेशक मंडल के साथ भी बैठक की. उन्होंने कहा कि पूंजी बाजार नियामक ने जो प्रस्तुतिकरण बैठक में दिया, उसे देखते हुए यह लगता है कि पूंजी जुटाने की जहां तक बात है कारपोरेट बॉन्ड को लेकर भरोसा बढ़ा है. गौरतलब है कि पूंजी बाजार में कारपोरेट बॉन्ड के जरिये पूंजी जुटाने को लेकर बेहतर रुझान देखा गया है.
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