आरएसएस बैठक :अमित शाह को सबसे पीछे की कुर्सी मिली
आरएसएस की तीन दिवसीय समन्वय बैठक में भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह को सबसे पीछे की कुर्सी मिली। कुर्सी की छठी लाइन की आखिरी सीट पर बैठे नजर आए। हालांकि, शनिवार की सुबह वह दिल्ली वापस रवाना हो गए। इसके बाद यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ शामिल हुए।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की बैठक में इससे जुड़ी सहयोगी संगठनों के कामकाज पर चर्चा हुई. बैठक में सबने अपने अपने रिपोर्ट कार्ड पेश किए. वृंदावन में हो रही बैठक को कहने के लिए ग़ैर राजनैतिक बताया जा रहा है. लेकिन संघ के बड़े नेताओं के साथ बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह की दो दौर की बातचीत हुई.
बैठक शुरू होने से पहले सरसंघचालक मोहन भागवत और सर कार्यवाह भैयाजी जोशी ने भारत माता की पूजा की. तीन दिनों की संघ की मीटिंग में कई मुद्दों पर चर्चा होगी. मोदी कैबिनेट में फेरबदल को लेकर भी अलग से बातचीत हुई. बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह 30 अगस्त की रात को ही वृंदावन पहुंच गए थे. गुजरात से लेकर ओड़िशा और बिहार तक पर चर्चा हुई. बीजेपी के संगठन में होने वाले बदलाव पर भी माथापच्ची हुई. पश्चिम बंगाल में ममता सरकार के विजयदशमी के दिन दुर्गा के विसर्जन पर रोक के फ़ैसले पर अलग से चर्चा हुई. केरल में संघ के कार्यकर्ताओं पर हो रही हिंसा पर भी रिपोर्ट कार्ड पेश की गई. तीन तलाक़ के सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले के बाद के हालात पर भी आगे चर्चा की बात कही जा रही है. संघ के राष्ट्रीय प्रचार प्रमुख मनमोहन वैद्य अपने काम काज का ब्यौरा पेश करेंगें.
संघ की समन्वय समिति की बैठक में विभिन्न संगठनों के 190 प्रचारक शामिल हुए थे। मंच पर सिर्फ दो कुर्सियां थी। एक पर संघ प्रमुख मोहन भागवत और दूसरे पर सह कार्यवाहक भैयाजी जोशी बैठे थे। हॉल में 200 कुर्सी लगाई गई थी। भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह बैठक में पीछे की सीट पर बैठे। उनके साथ राष्ट्रीय महामंत्री रामलाल बैठे थे।
हालांकि, शाह के पीछे की कुर्सी पर बैठने को लेकर संघ के प्रचारक कुछ नहीं बोल रहे हैं। बताया ये जा रहा है कि संघ की मीटिंग में प्रचारकों महत्वपूर्ण होते हैं। इसलिए आगे की सीट पर प्रचारकों को स्थान दिया जाता है।
तीन दिवसीय समन्वय बैठक में शनिवार को सीएम योगी आदित्यनाथ व उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य भी शामिल हुए। शनिवार की सुबह ही अमित शाह वापस दिल्ली लौट गए। इस बैठक में शनिवार को गृहमंत्री राजनाथ सिंह को भी शामिल होना था लेकिन मोदी मंत्रीमंडल में बदलाव की वजह से वह मथुरा नहीं आ सके।
रविवार तक चलने वाली बैठक में देश की आंतरिक सुरक्षा व्यवस्था, लोकसभा चुनाव और पड़ोसी देशों के साथ संबंधों पर चर्चा होनी है। कश्मीर मुद्दे के बहाने ही आंतरिक सुरक्षा पर भी विचार-विमर्श किया गया। समन्वय बैठक के जरिए इस एजेंडे को धार देने की तैयारी है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और दोनों डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य और दिनेश शर्मा भी बुलाये गए हैं. बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह पहले से मौजूद हैं. केन्द्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह को भी बैठक में रहना था लेकिन उनका दौरा रद्द हो गया है. मोहन भागवत के संग यूपी सरकार, बीजेपी संगठन और संघ के समन्वय पर सभी नेता चर्चा करेंगें. यूपी में बीजेपी की सरकार बनने के बाद कुछ शिकायतें मिली हैं. 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले तालमेल की एक बेहतर व्यवस्था बनाने पर फ़ैसला हो सकता है. वैसे दत्तात्रेय होसबोले इस मामले में पहले भी लखनऊ में कई मीटिंग कर चुके हैं.