शीला दीक्षित के बेटे तथा ग़ुलाम नबी आज़ाद में महासंग्राम
शीला दीक्षित के बेटे कहते हैं कि ‘जब मेरी ही पार्टी ने मुझे हरे मैदान से बाहर कर दिया है तो मुझे क्या करना चाहिए? किसी समझदार पशु की तरह मुझे ऐसी जगह पर चरने के लिए चले जाना चाहिए जहां पर मुझे चारे से साथ-साथ सम्मान भी मिले।’ कांग्रेस महासचिव और उत्तर प्रदेश चुनाव के प्रभारी ग़ुलाम नबी आज़ाद कहते हैं, मेरे ख्याल में हमने शीला दीक्षित की ज़िम्मेदारी ली है, पूरे परिवार की ज़िम्मेदारी नहीं ले सकते। एक्सक्लूसिव खबर- www.himalayauk.org (UK Leading Digital Newsportal
शीला दीक्षित के बेटे एवं कांग्रेस के पूर्व सांसद संदीप दीक्षित का आरोप है कि दिल्ली में कांग्रेस को कमज़ोर करने के पीछे पार्टी के ही कुछ नेताओं का हाथ है। दिल्ली कांग्रेस ने मेरे सामने मुश्किल हालात खड़े कर दिए हैं। दिल्ली कांग्रेस एक ऐसे इंसान के नेतृत्व में चल रही है, जो लगातार सीधे तौर पर शीला दीक्षित पर अपनी झूठी रिपोर्ट्स से हमले करता रहा है। मैं ऐसे नेतृत्व को स्वीकार नहीं कर सकता, जिसका पूरा जोर शीला दीक्षित के नेतृत्व में चलाई गई सरकार को खारिज करने में लगा हो।’
शीला को यूपी में सीएम का चेहरा बनाया गया है, दिल्ली की मुख्यमंत्री रहीं शीला दीक्षित के बेटे संदीप दीक्षित ने कांग्रेस के प्रति नाराजगी जताते हुए संकेत दिए हैं कि वह दूसरे ‘विकल्पों’ को तलाश रहे हैं। संदीप ने अपनी यह नाराजगी एक ब्लॉग लिखकर जाहिर की है। यह ब्लॉग उन्होंने dailyo वेबसाइट के लिए लिखा है। दरअसल संदीप का यह ब्लॉग एक पत्रकार के उस लेख का जवाब था जिसमें संदीप को ‘मौका परस्त’ बताया गया था। संदीप ने अपने लेख में कांग्रेस, बीजेपी और AAP तीनों विकल्पों के बारे में बात की। सबसे ज्यादा गुस्सा अपनी ही पार्टी कांग्रेस के लिए था। संदीप ने लिखा, ‘जब मेरी ही पार्टी ने मुझे हरे मैदान से बाहर कर दिया है तो मुझे क्या करना चाहिए? किसी समझदार पशु की तरह मुझे ऐसी जगह पर चरने के लिए चले जाना चाहिए जहां पर मुझे चारे से साथ-साथ सम्मान भी मिले।’
संदीप दीक्षित के सुर को पार्टी का एक खेमा बग़ावती क़रार देने पर तुला है, जहां पार्टी के कुछ नेता उन्हें समझाने-बुझाने की बात कर रहे हैं, वही ग़ुलाम नबी आज़ाद शीला और संदीप के बीच की लकीर को साफ़ कर रहे है। कांग्रेस महासचिव और उत्तर प्रदेश चुनाव के प्रभारी ग़ुलाम नबी आज़ाद कहते हैं, मेरे ख्याल में हमने शीला दीक्षित की ज़िम्मेदारी ली है, पूरे परिवार की ज़िम्मेदारी नहीं ले सकते। परिवारों में अलग-अलग विचार होते हैं। शीला जी लंबे समय से कांग्रेस का अभिन्न अंग रही हैं। कोई भी अपने परिवार के हर सदस्य की ज़िम्मेदारी नहीं ले सकता।
दरअसल अजय माकन को निशाने पर लेकर संदीप दीक्षित ने पार्टी पर प्रदेश अध्यक्ष बदलने का दबाव बनाया है। माकन विरोधी खेमे की आवाज़ बन कर दीक्षित ने इससे उनकी मुश्किल कुछ बढ़ा जरूर दी है। हालांकि दिल्ली प्रदेश इकाई की ये लड़ाई कांग्रेस को यूपी में कांग्रेस के लिए उल्टा भी साबित हो सकती है।
कांग्रेस के लिए क्या लिखा: संदीप ने लिखा कि कांग्रेस की कमान अब ऐसे शख्स के हाथों में आ चुकी है जिसने हमेशा उनकी मां के खिलाफ काम किया। संदीप का आरोप है कि कांग्रेस की तरफ से कॉमनवेल्थ गेम्स (CAG), बिजली मीटर और बिल के मामले में गलत रिपोर्ट पेश की जिससे शीला की छवि को नुकसान पहुंचा। उन्होंने कांग्रेस के कुछ नेताओं पर मीडिया के गलत इस्तेमाल का भी आरोप लगाया।
AAP के लिए: उन्होंने कहा कि आप ने कांग्रेस के नेताओं द्वारा फैलाए जा रहे झूठ को हवा देने का काम किया था। संदीप ने लिखा की आप के लीडरों की नैतिक और वित्तीय अखंडता खत्म होती जा रही है। उनके मुताबिक, आप एक अच्छी सरकार देने में भी विफल रही। उन्होंने आप को संघ का करीबी भी बताया।
बीजेपी: संदीप ने लिखा कि बीजेपी पार्टी एक ‘अभिशाप’ की तरह है जिसमें उनका टिकना असंभव है। उन्होंने आगे लिखा कि फिलहाल वह इंडियन नेशनल कांग्रेस में ही हैं, पर ज्यादा दिन ऐसे शीर्ष नेतृत्व के साथ काम नहीं कर पाएंगे जिसने शीला के राज में कांग्रेस पार्टी को नीचा दिखाने का ही काम किया था।