पहली महिला आदिवासी शाकाहारी राष्ट्रपति- अध्यात्म के सहारे ने द्रौपदी को पहाड़ जैसे दुखों को सहने शक्ति दी & शिव बाबा की छोटी पुस्तिका साथ रखती हैं & निजी जिंदगी गम में डूबी रही, लेकिन चेहरे पर मुस्कान हमेशा कायम रही

21 july 22; Himalayauk Web & Print Media; सदमे से उबरने के लिए ध्यान का रूख किया, एक दिन भी रूटीन मिस नहीं करतीं #पदी अपने साथ हमेशा एक ट्रांसलाइट और शिव बाबा की छोटी पुस्तिका रखती हैं।   राष्ट्रपति बनने के बाद भी वो इसे जारी रखेंगी।’ #द्रौपदी जी कितनी भी व्यस्त रहें, लेकिन ध्यान, सुबह की सैर और योग कभी नहीं छोड़ती थीं। हर रोज सुबह 3.30 बजे बिस्तर छोड़ देती थीं। # मुर्मू के गवर्नर रहते हुए झारखंड राजभवन के दरवाजे सबके लिए खुले रहते थे। किसी ने मिलने की इजाजत मांगी तो जवाब हां में ही मिला। उन्होंने अपने पुराने दिनों को खुद पर हावी नहीं होने दिया। वो क्लास टॉपर थीं। हमेशा सबसे ज्यादा नंबर उन्हीं के आते थे # द्रौपदी मुर्मू के जीवन की कहानी साधारण से असाधारण बनने की है। द्रौपदी मुर्मू की निजी जिंदगी गम में डूबी रही, लेकिन चेहरे पर मुस्कान हमेशा कायम रही। आजादी के बाद पैदा होने वाली पहले राष्ट्रपति भी होंगी # द्रौपदी मुर्मू शाकाहारी हैं। अपने कार्यकाल में उन्होंने पूरे राजभवन में मांसाहार पर प्रतिबंध लगाया था। राजभवन परिसर में रहनेवाले पदाधिकारियों व कर्मियों के आवासों में भी मांस-मछली का बनना प्रतिबंधित था। Presents by Chandra Shekhar Joshi- Chief Edior ; www.himlayauk.org (Leading Newsportal & Print Media) Publish at Dehradun & Haridar; Mail; himalayauk@gmail.com Mob. 9412932030

द्रौपदी मुर्मू ने राष्ट्रपति चुनाव जीत लिया है। तीसरे राउंड में वोटों की गणना के बाद उन्हें जीत मिली। NDA से राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू ने तीसरे दौर की मतगणना के बाद कुल वैध मतों का 50% का आंकड़ा पार कर लिया है। द्रौपदी मुर्मू को 5 लाख 77 हजार 777 मत मिले, जबकि उनके प्रतिद्वंद्वी यशवंत सिन्हा को 2,61,062 वोट मिले। इस तरह देश को पहली आदिवासी महिला राष्ट्रपति मिल गई है। इनके जीतने की संभावना दूसरे राउंड में ही सुनिश्चित हो गई थी। दिल्ली में बीजेपी कार्यालय के बाहर हजारों कार्यकर्ताओं की भीड़ लगी है और जश्न का माहौल है। द्रौपदी मुर्मू के गांव में भी पहले से ही ढोल-नगाड़ों के साथ जश्न मनाया जा रहा है।

भारत का राष्ट्रपति राष्ट्राध्यक्ष होने के साथ-साथ भारतीय सशस्त्र सेनाओं का सुप्रीम कमांडर तथा देश का पहला नागरिक भी होता है. द्रौपदी देश की दूसरी महिला राष्‍ट्रपति हैं, उनसे पहले प्रतिभा पाटिल देश का राष्‍ट्रपति पद संभाल चुकी हैं. 

द्रौपदी मुर्मू देश की पहली महिला आदिवासी राष्‍ट्रपति बन गई हैं. तीसरे राउंड के बाद द्रौपदी मुर्मू ने 50 फीसदी के आंकड़े को पार कर लिया है हालांकि अभी एक और राउंड की वोटों की गिनती होनी बाकी है. राष्‍ट्रपति पद के चुनाव में द्रौपदी ने विपक्ष के उम्‍मीदवार यशवंत सिन्‍हा को पराजित किया.

राष्‍ट्रपति चुनाव में विपक्ष के उम्‍मीदवार रहे यशवंत सिन्‍हा ने द्रौपदी मुर्मू को जीत पर बधाई दी है. सिन्‍हा ने कहा, “मैं राष्ट्रपति चुनाव  में जीत पर द्रौपदी मुर्मू को दिल से बधाई देता हूं. मुझे उम्‍मीद है और वास्‍तव में हर भारतीय को उम्‍मीद है कि देश के 15वें राष्‍ट्रपति के तौर पर वे बिना किसी डर और पक्षपात के संविधान के संरक्षक के रूप में कार्य करेंगी.”

राष्ट्रपति पद की दौड़ में विजेता बनकर उभरी‘‘ओडिशा की बेटी” द्रौपदी मुर्मू के गृह नगर रायरंगपुर समेत पूरे राज्य में जश्न का माहौल है. मयूरभंज जिले के रायरंगपुर शहर स्थित मुर्मू के आवास के बाहर लोगों का जमावड़ा लगा है और वे आदिवासी संगीत पर थिरक रहे हैं.  उत्सव का ऐसा ही नजारा जिले के पहाड़पुर गांव में भी है जो कि मुर्मू का ससुराल है. द्रौपदी मुर्मू भारत की 15वीं राष्ट्रपति हैं. तीसरे राउंड में कर्नाटक, केरल, मध्‍य प्रदेश, महाराष्‍ट्र, मणिपुर, मेघालय, मिजोरम, नागालैंड, ओडिशा और पंजाब के वोटों की गिनती हुई. इस राउंड में कुल वैध वोट 1333 रहे जिनकी वैल्‍यू  1,65,664 है. द्रौपदी मुर्मू को 812 वोट मिले जबकि यशवंत सिन्‍हा को 521 वोट मिले.दूसरे राउंड की बात करें तो इसमें वर्णानुक्रम में आने वाले पहले 10 राज्‍यों के बैलेट पेपर की गणना की गई, इसमें कुल 1138 वोट पड़े जिनकी कुल वैल्‍यू 1,49,575 है . इन वोटों में से द्रौपदी मुर्मू को 809 वोट (वैल्‍यू 1,05,299) मिले हैं जबकि यशवंत सिन्‍हा को 3329 वोट मिले हैं जिनकी वैल्‍यू  44,276 है. पहले राउंड के बाद जानकारी दी गई थी कि सांसदों के कुल वैध मतों की संख्या 748 थी, जिनमें से 540 वोट द्रौपदी मुर्मू के समर्थन में रहे जबकि 204 वोट विपक्ष के उम्मीदवार यशवंत सिन्हा को हासिल हुए हैं.

राष्ट्रपति पद के लिए मतदान संपन्न हो चुका है। राष्ट्रपति पद के लिए सत्तारूढ़ एनडीए की ओर से आदिवासी महिला द्रौपदी मुर्मू और विपक्ष की ओर से यशवंत सिन्हा उम्मीदवार हैं जबकि उपराष्ट्रपति पद के लिए एनडीए की ओर से जगदीप धनखड़ और विपक्ष की ओर से राजस्थान की पूर्व राज्यपाल मार्गरेट अल्वा उम्मीदवार हैं।  राष्ट्रपति के लिए मतदान के दौरान सम्पूर्ण भारत के हर राज्य में विरोधी दलों के विधायकों ने भी द्रौपदी मुर्मू जी के पक्ष में वोटिंग की है।  राष्ट्रपति के चुनाव में क्रॉस वोटिंग से कोई भी राष्ट्रीय अथवा क्षेत्रीय दल अछूता नहीं बचा है।

पीछे खड़ीं मुर्मू मंद-मंद मुस्कुरा रही हैं। राजनीति में आने से पहले वे रायरंगपुर में स्कूल में टीचर थीं। वे पढ़ाने के लिए कोई सैलरी नहीं लेती थीं।

ओडिशा का पहाड़पुर गांव।  यहां से करीब 2.5 किलोमीटर अंदर दाखिल होने पर एक स्कूल है। नाम- श्याम, लक्ष्मण, शिपुन उच्च प्राथमिक आवासीय विद्यालय। कभी यहां एक घर था। वही घर जहां 42 साल पहले देश की होने वाली राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू दुल्हन बनकर आईं थीं। तब न तो पक्की दीवारें थीं और न पक्की छत। खपरैल-फूस से बना घर और बांस का छोटा सा दरवाजा। 4 साल के भीतर इस घर ने 3 ट्रेजडी देखीं। एक के बाद एक 3 लाशें गांव में दफन हुईं। 2010 से 2014 के बीच द्रौपदी के 2 बेटों और पति की मौत हुई। बड़े बेटे की मौत रहस्यमयी ढंग से हुई थी। करीबियों ने बताया कि वह अपने दोस्तों के घर पार्टी में गया था। रात घर लौटा, कहा मैं थका हूं, डिस्टर्ब मत करना। सुबह दरवाजा खटखटाया गया तो खुला नहीं। किसी तरह दरवाजा खोला गया तो वह मरा हुआ मिला। 2 साल बाद छोटे बेटे की मौत सड़क हादसे में हो गई। इस इमारत में कभी सन्नाटा ना पसरे, इसलिए द्रौपदी ने छात्र-छात्राओं का यहां आवास बनवा दिया। द्रौपदी के जीवन की पहली ट्रेजडी, जिसका जिक्र गांव में कोई नहीं करता। उनकी पहली संतान की मौत। जो महज 3 साल की उम्र में दुनिया छोड़ गई। उनकी भाभी शाक्यमुनि कहती हैं, ‘जब बड़े बेटे की मौत हुई तो द्रौपदी 6 महीने तक डिप्रेशन से उबर नहीं पाईं थीं। उन्हें संभालना मुश्किल हो रहा था। तब उन्होंने अध्यात्म का सहारा लिया। शायद उसी ने उन्हें पहाड़ जैसे दुखों को सहने शक्ति दी।’ वे कहती हैं, ‘जो द्रौपदी बड़े बेटे की मौत से टूट गई थी, उसी द्रौपदी ने छोटे बेटे की मौत की खबर फोन पर देते वक्त कहा- रोकर घर मत आना। जैसे सामान्य समय में घर में मेहमान आते हैं वैसे आना।’ रायरंगपुर में ब्रह्मकुमारी संस्थान की मुखिया सुप्रिया कहती हैं, ‘जब बड़ा बेटा खत्म हुआ था तो द्रौपदी बिल्कुल हिल गईं थीं। उन्होंने अपने घर हमें बुलाया और कहा कि कुछ समझ नहीं आ रहा क्या करें?’ मैंने कहा- आप सेंटर पर आइए। आपके मन को शांति मिलेगी। फिर वह सेंटर पर आने लगीं। वक्त की पाबंद इतनी कि कभी हम लोग भी 5 मिनट लेट हो जाते थे, पर वह कभी नहीं हुईं। 2014 तक तो वह सेंटर आती रहीं। गवर्नर बनने के बाद एक दो बार ही आईं, लेकिन उनका ध्यान कभी नहीं छूटा। रूटीन कभी नहीं टूटा। वो जितनी मिलनसार हैं, उतनी ही डाउन टु अर्थ। अंह तो किसी बात का है ही नहीं। उनके अपने छूटे तो उन्होंने दूसरों को अपना बना लिया।’

उसी गांव की रहने वाली सुनीता मांझी, पिछले साल दिसंबर में द्रौपदी मुर्मू के साथ रही थीं। कहती हैं, ‘द्रौपदी जी कितनी भी व्यस्त रहें, लेकिन ध्यान, सुबह की सैर और योग कभी नहीं छोड़ती थीं। हर रोज सुबह 3.30 बजे बिस्तर छोड़ देती थीं।’

द्रौपदी मुर्मू का जन्म 20 जून 1958 को ओडिशा के मयूरभंज जिले के ऊपरबेड़ा गांव में हुआ। पिता का नाम बिरंची नारायण टुडू है। वह आदिवासी संथाल परिवार से ताल्लुक रखती हैं। द्रौपदी मुर्मू का विवाह श्याम चरण मुर्मू से हुआ था। दो बेटे और एक बेटी हुई, लेकिन शादी के कुछ समय बाद ही उन्होंने पति और अपने दोनों बेटों को खो दिया। द्रौपदी ने कभी भी कठिनाइयों से हार नहीं मानी और सभी बाधाओं को पार करते हुए उन्होंने भुवनेश्वर के रामादेवी महिला कॉलेज से आर्ट्स में ग्रेजुएशन की डिग्री हासिल की। द्रौपदी मुर्मू ने साल 1997 में ओडिशा के रायरंगपुर नगर पंचायत में एक पार्षद के रूप में अपना राजनीतिक करियर शुरू किया और फिर साल 2000 में वह ओडिशा सरकार में मंत्री बनीं। रायरंगपुर से दो बार विधायक रहीं द्रौपदी मुर्मू ने साल 2009 में तब भी अपनी विधानसभा सीट पर जीत हासिल की, जब बीजु जनता दल (BJD) ने ओडिशा के चुनावों से कुछ हफ्ते पहले भाजपा से नाता तोड़ लिया था. उस चुनाव में मुख्यमंत्री नवीन पटनायक की पार्टी बीजद (BJD) ने जीत दर्ज की थी।

 द्रौपदी मुर्मू को साल 2007 में ओडिशा विधानसभा द्वारा साल के सर्वश्रेष्ठ विधायक के लिए नीलकंठ पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। उनके पास ओडिशा सरकार में परिवहन, वाणिज्य, मत्स्य पालन और पशुपालन जैसे मंत्रालयों को संभालने का अनुभव है।  द्रौपदी मुर्मू भारतीय जनता पार्टी की ओडिशा इकाई की अनुसूचित जनजाति मोर्चा की उपाध्यक्ष और बाद में अध्यक्ष भी रहीं। उन्हें 2013 में बीजेपी राष्ट्रीय कार्यकारिणी (एसटी मोर्चा) के सदस्य के रूप में भी नामित किया गया था।

झारखंड की राज्यपाल के रूप में द्रौपदी मुर्मू हमेशा यहां के आदिवासियों तथा छात्राओं के हितों के लिए सजग और तत्पर रहीं। इसे लेकर कई बार उन्होंने राजभवन में विभिन्न विभाग के पदाधिकारियों को बुलाकर आवश्यक निर्देश दिए। कुलाधिपति के रूप में भी द्रौपदी मुर्मू ने उच्च शिक्षा के विकास में कई महत्वपूर्ण कदम उठाए। इसमें चांसलर पोर्टल शुरू करना भी इनकी बड़ी उपलब्धि थी, जिसमें सभी विश्वविद्यालयों को एक प्लेटफार्म पर लाकर एक साथ नामांकन से लेकर, निबंधन और परीक्षा के फार्म भरने की प्रक्रिया शुरू की गई। इनके कार्यकाल में विश्वविद्यालयों में गुणी व अनुभवी कुलपतियों और अन्य पदाधिकारियों की नियुक्ति हुई।

झारखंड की पहली महिला राज्यपाल के रूप में उन्होंने जमशेदपुर में महिला विश्वविद्यालय की स्थापना को लेकर प्रयास किए, जिसके बाद जमशेदपुर महिला कालेज को विश्वविद्यालय के रूप में अपग्रेड किया गया। द्रौपदी मुर्मू पहली राज्यपाल थीं, जिन्होंने कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालयों में जाकर वहां पढ़ाई कर रहीं छात्राओं की समस्याओं को जानने का प्रयास किया। साथ ही उनकी समस्याओं के समाधान को लेकर संबंधित विभाग के पदाधिकारियों को सख्त निर्देश दिए।

PM मोदी ने मुर्मू को बधाई देते हुए कहा- भारत ने इतिहास लिखा है। जब देश आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है, पूर्वी भारत के सुदूर हिस्से में पैदा हुई एक आदिवासी समुदाय की बेटी को राष्ट्रपति चुना गया है। द्रौपदी मुर्मू को बधाई। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू और लोकसभा स्पीकर ओम बिरला ने भी मुर्मू को बधाई दी।

शिव बाबा की महिमा का सर्वोत्तम गीत — श्रावण के विशेष सोमवार में आज हम आप सबके लिए लाये हैं शिवबाबा की महिमा से संपन्न एक विशेष गीत | इस गीत में परमपिता परमात्मा शिव की विशेष महिमा और उनके महान कर्तव्यों को मधुर संगीतमय रूप में रचा गया है | तो आइये शिव की महिमा के इस विशेष गीत को सुनकर परमात्मा की याद में कुछ देर मन को टिकाएं |

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