चाचा-भतीजे की इस जंग में भतीजे को पीछे हटना पड़ा
ये तय हो गया कि शिवपाल यादव प्रदेश अध्यक्ष बने रहेंगे, लेकिन टिकट बंटवारे में अखिलेश का भी दखल होगा. अखिलेश मंत्रिमंडल से बर्खास्त किए गए मंत्रियों की वापसी होगी. इसके साथ ही उन्हें अमर सिंह पर कार्रवाई का भरोसा भी दिया गया है. कुनबे के कलह को शांत करने के लिए मुलायम सिंह ने चार सूत्र निकाले हैं. इसके तहत शिवपाल को मनाने के लिए जहां उनके करीबी गायत्री प्रजापति को फिर से मंत्री पद देने का वादा किया गया है. हालांकि गायत्री को खनन की बजाय कोई दूसरा विभाग सौंपा जाएगा, वहीं शिवपाल से छीने गए सभी मंत्रालय भी उन्हें वापस किए जाएंगे. अखिलेश को संतुष्ट करने के लिए चुनाव में टिकट बंटवारे का बड़ा जिम्मा उनके कंधों पर होगा, वहीं अमर सिंह पर कार्रवाई का भी भरोसा दिया गया है.
मुलायम सिंह यादव के परिवार में चल रहे झगड़े को लेकर तमाम उठा पटक के बाद आज शाम सीएम ऑफिस ने एलान किया है कि शिवपाल यादव को उनके सभी मंत्रालय वापस मिल जाएंगे. शिवपाल के पास पहले सात मंत्रालय थे जिसमें से छह मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने छीन लिए थे. इसके बाद शिवपाल ने मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे दिया था. दिन भर चले सियासी संग्राम के बाद शाम को शिवपाल को सभी मंत्रालय वापस करने की खबर आई. इसके साथ ही सपा सुप्रीमो मुलायम सिंह के बेहद करीबी माने जाने वाले गायत्री प्रजापति को एक बार फिर से मंत्रीपरिषद में शामिल किया जाएगा.
वहीं अखिलेश यादव सरकार के इस फैसले से पहले शिवपाल यादव ने एबीपी न्यूज से एक्सक्लूसिव बातचीत में कहा कि मुलायम सिंह यादव की बात सब मानेंगे चाहें वो अखिलेश हों या फिर वो खुद.
इससे पहले अखिलेश यादव से विवाद के बीच शिवपाल यादव ने मुलायम सिंह को सभी मंत्रिपदों और प्रदेश अध्यक्ष पद से भी इस्तीफा सौंप दिया था. हालांकि सीएम अखिलेश यादव ने शिवपाल यादव का इस्तीफा नामंजूर कर दिया.
घर में लगी आग की लपटें सड़कों पर आ जाने के बाद मुलायम सिंह ने आज लखनऊ में पार्टी दफ्तर के बाहर कार्यकर्ताओं को संबोधित किया और आग को बुझाने का दावा किया. मुलायम सिंह ने चाचा-भतीजे के बीच सुलह का फॉर्मूला साफ-साफ पेश तो नहीं किया, लेकिन कार्यकर्ताओं के बीच ही अखिलेश के फैसले को पलटने का एलान किया. मुलायम ने कहा कि बीते दिनों हटाए गए खनन मंत्री प्रजापति की वापसी होगी और वो फिर मंत्री बनेंगे. मुलायम ने कहा कि अखिलेश उनकी बात को नहीं टालेंगे.
मुलायम के इस एलान से साफ हो गया कि चाचा-भतीजे की इस जंग में भतीजे को पीछे हटना पड़ा है. मुलायम के रुख से साफ है कि कैबिनेट में शिवपाल का रुतबा दोबारा बहाल किया जाएगा और उन्हें वो तमाम मंत्रालय फिर सौंपे जाएंगे, जिसे बीते दिनों अखिलेश ने छीन लिया था. मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने पहले ही यह स्पष्ट कर दिया था कि वह सभी पद और विभाग छोड़ने के लिए तैयार हैं. उन्होंने कहा कि टिकट पर फैसले का अधिकार मेरे पास रहे. अखिलेश ने ये भी कहा कि जिस कुर्सी पर बैठा हूं, शायद उसी वजह से झगड़ा है. इसलिए सभी पद छोड़ने के लिए तैयार हूं. उन्होंने साफ किया कि झगड़ा उनकी वजह से नहीं पद की वजह से है. अखिलेश ने ये भी कहा कि उनके और मुलायम सिंह यादव के बीच कोई नहीं आ सकता.
दफ्तर के बाहर जमा कार्यकर्ताओं को मुलायम ये बार-बार ये भरोसा दिला रहे थे कि परिवार और पार्टी में कोई मतभेद नहीं है और पूरी पार्टी एकजुट है और चुनाव को जीतना है. पार्टी में फूट की आशंका को खाजिर करते हुए मुलायम ने दो टूक शब्दों मे कहा कि उनके रहते हुए पार्टी में फूट नहीं हो सकती.
शिवपाल ने आज मुलायम सिंह के साथ लखनऊ में मुलाकात की थी. इसके बाद ही शिवपाल ने इस्तीफे की पेशकश कर दी. आज अखिलेश यादव ने भी मुलायम सिंह यादव से मुलाकात की थी.
इस्तीफे के बाद परिवार में लगी आग को बुझाने का दावा करते हुए मुलायम सिंह यादव ने लखनऊ में पार्टी दफ्तर के बाहर कार्यकर्ताओं से कहा कि उनके रहते पार्टी में फूट नहीं हो सकती. कार्यकर्ताओं को दिलासा देते हुए मुलायम ने कहा कि बाप-बेटे में थोड़ी अनबन कहां नहीं होती है, लेकिन पार्टी में फूट नहीं है और पार्टी एकजुट है.
इसके साथ ही मुलायम ने ये भी एलान किया कि बीते दिनों बर्खास्त किए गए खनन मंत्री गायत्री प्रजापति पर कार्रवाई नहीं होगी और उन्हें दोबारा मंत्री बनाया जाएगा. मुलायम का कहना है कि अखिलेश उनकी बात को नहीं टालेंगे.
परिवार के झगड़े को सुलझाने के लिए मुलायम के कमान संभालने के बाद अब यूपी के सीएम अखिलेश यादव ने अपनी जुबान खोली है. जहां उन्होंने अपना दर्द बयान किया है साथ ही खुलकर अपना हक भी मांगा है.
चाचा-भतीजे के झगड़े में अपनी कम होती हैसियत का शिकवा करते हुए अखिलेश ने मांग की कि उनके सारे पद ले लिए जाएं, लेकिन चुनाव में उनकी परीक्षा है, इसलिए टिकट बांटने का अधिकार उन्हें होना चाहिए.
जब उनसे पूछा गया कि चाचा के मंत्रालय क्यों छीने तो अखिलेश का दर्द छलक उठा और बोल उठे, “मेरा भी कुछ छिना गया है. इससे मुझे दुख हुआ था.”
यूपी में अगल साल चुनाव हैं और अब आगे टिकट बांटना सबसे बड़ा काम है. टिकट बांटने में अपनी भूमिका हर हाल में तय करने के लिए अखिलेश ने सीएम के पद को त्याग देने जैसे जुमले का भी इस्तेमाल किया. अखिलेश ने इंडिया टीवी से कहा, “अगर मांगने वाला अच्छा होगा तो मैं अपना मुख्यमंत्री पद भी दे दूंगा.”
अखिलेश का कहना था कि नेताजी को खुश रखने के लिए उन्हें जो फैसले लेने होंगे वो लेंगे. इस के साथ ही अखिलेश ने साफ किया कि नेताजी (मुलायम) उनसे नाराज़ नहीं हैं.