5 जनवरी को शुभ योग; सिद्धियों के लिए विशेष

सिद्धियों के लिए विशेष परिस्थितियां जन्म ले रही हैं #इसी दिन गणेश जी ने देवताओं का संकट दूर किया था# ॐ श्रीं गं गणपतये लक्ष्म्यै आगच्छ आगच्छ फट् स्वाहा ॥

शुक्रवार 5 जनवरी 2018 को मघा नक्षत्र और चतुर्थी के संयोग से प्रीति नामक शुभ योग बन रहा है। इस योग में प्रेम संबंधित कामों में सफलता मिलती है तथा इस में शत्रु भी मित्र बन जाते हैं। इसके साथ ही बव और बाल्व नामक दो शुभ करण बन रहे हैं। बव करण को शेर की संज्ञा प्राप्त है। बाल्व कर्ण को चीते की संज्ञा प्राप्त है। इन दोनों कर्मों में शत्रु का संघार और सर्व कामों में सफलता मिलती है। इस विशेष योग में तिलकुटा चौथ पर सिद्धियों के लिए विशेष परिस्थितियां जन्म ले रही हैं। इस चतुर्थी को संकटों से उभारने वाली चौथ कहा गया है। आज के दिन किए गए विशेष उपाय और पूजन से साल भर तक संकट आपके पास भी नहीं फटकेंगे।

महादेव के वरदान अनुसार चन्द्रमा भगवान गणेश का मुकुट बनकर समस्त जगत के शत्रुओं का नाश करते हैं। गणपति को शास्त्रों में भगवान विष्णु का ही अवतरण बताया गया है तथा गणपति को लक्ष्मी प्रिय होने का वरदान भी प्राप्त है। इस दिन विशेष रूप से भगवान गणेश के लक्ष्मी विनायक रूप का पूजन सर्वश्रेष्ठ माना जाता है।

संकष्टी चतुर्थी या सकट का व्रत माघ मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाया जाता है। इस वर्ष यानी 2018 में यह तिथि 5 जनवरी 2018 है। शुक्रवार को यह तिथि आने से इसका महत्व कई गुना बढ़ गया है क्योंकि शुक्रवार धन की देवी लक्ष्मी का दिन होता है। इसलिए गणपति के साथ लक्ष्मी का पूजन सौभाग्यवर्धक होगा… यह व्रत स्त्रियां अपनी संतान की दीर्घायु और सफलता के लिए करती हैं। मान्यता है कि इस व्रत के प्रभाव से प्रभु गणेश बच्चों के जीवन और विशेषतौर से उनके कार्यक्षेत्र में आनेवाली बाधाओं को दूर कर देते हैं। इस दिन महिलाएं निर्जला व्रत रखती है और शाम को गणेश पूजन तथा चंद्रमा को अर्घ्य देने पश्चात् ही जल ग्रहण करती है। करियर में उन्नति के लिए पुरुष भी इस व्रत को कर सकते हैं। 

 

गजाननं भूत गणादि सेवितं,कपित्थ जम्बू फल चारू भक्षणम्। 
उमासुतं शोक विनाशकारकम्, नमामि विघ्नेश्वर पाद पंकजम्॥ 

शुक्रवार दि॰ 05.01.18 को माघ कृष्ण चतुर्थी अर्थात संकट चौथ या तिलकुटा चौथ का पर्व मनाया जाएगा। कालांतर में इसी दिन गणेश जी ने देवताओं का संकट दूर किया था। तब महादेव ने प्रसन्न होकर गणेश जी को वरदान दिया था कि आज के दिन जो लोग गणपती की संकट मोचन के रूप में पूजा करके व्रत करेंगे उसके सब संकट दूर होंगे। महादेव ने प्रसन्न होकर गणपती को यह भी वर दिया कि संकट चौथ पर चंद्रमा गणेश जी के मस्तक का सेहरा बनकर पूरे विश्व को शीतलता देंगे। जो व्यक्ति संकट चौथ पर गणपती का पूजन कर चंद्र को अर्घ्यदान देगा उसके दैहिक, दैविक व भौतिक विकार दूर होंगे व एश्वर्य, पुत्र, सौभाग्य प्राप्त करेगा। इसे वक्रतुण्डी चतुर्थी भी कहा जाता हैं। इस दिन विद्या, बुद्धि वृद्धि, संकट हरण के लिए विशेष उपाय व अनुष्ठान करना चाहिए। इस दिन मिट्टी से बने गणेश की पूजा की जाती है तथा तिल-गुड़ से बना लड्डू व शकरकंदी चढ़ाई जाती है। अग्नि की सात बार परिक्रमा करके कथा सुनने के बाद जल भरे लोटे से चंद्रमा को अर्घ्य देकर व्रत खोला जाता है। संकट चौथ के विशेष पूजन व उपाय से संकटों का अंत होता है, दुख दूर होते हैं, संतान की रक्षा होती है, घर में पैसा आता है व सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।

 

भविष्य पुराण चतुवर्ग चिंतामणि और कृत्य कल्प तरू शास्त्रों में इस चतुर्थी का महामण्डन किया गया है। इस चतुर्थी पर लक्ष्मीविनायक के पूजन से अपार धन संपत्ति मिलने के योग बनते हैं। ये स्वरूप श्वेत वर्ण है। इनकी दोनों पत्नियां सफेद रंग का कमल धारण किए हुए इनकी दोनों जंघाओं पर विराजित हैं। ये भगवान का अष्टधारी भुजा स्वरूप अपने आठों हाथों में अभयमुद्रा लिए हुए है- तोता, अनार, तलवार, पार्ष, अंकुश, कल्प वृत्र, कमण्डल धारण किए हैं। भगवान गणेश के इस स्वरूप को लक्ष्मी का वरदान भी प्राप्त है। इस स्वरूप के पूजन से देवी लक्ष्मी का स्वयं पूजन हो जाता है। इस मंत्र से करें श्री गणेश और लक्ष्मी को करें प्रसन्न, मिलेगा शांति और तरक्की का वरदान।

मंत्र- ॐ श्रीं गं गणपतये लक्ष्म्यै आगच्छ आगच्छ फट् स्वाहा ॥
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