भारत अपना कोई विंडोज तक तैयार नहीं कर पाया; मानव संसाधन विकास मंत्री
भारत का कोई गूगल, फेसबुक, ट्वीटर, यहां तक कि कोई विंडोज तक तैयार नहीं कर पाया # अमेरिका की सिलिकॉन वैली में भारतीय आईटी प्रतिभाएं ही कार्यरत #दुनिया बदलने वाले आइडियाज सिलिकॉन वैली से ही निकलते हैं।
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आई टी शिक्षा के क्षेत्र में भारी निवेश की जरूरत को रेखांकित करने के साथ ही मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने बुधवार (19 जुलाई) को लोकसभा में इस बात को लेकर गहरा अफसोस जाहिर किया कि अमेरिका की सिलिकॉन वैली में भारतीय आईटी प्रतिभाएं ही कार्यरत हैं, लेकिन देश खुद अपने लिए कोई गूगल, फेसबुक, ट्वीटर, यहां तक कि कोई विंडोज तक तैयार नहीं कर पाया.
जावड़ेकर ने लोकसभा में कहा, ‘हमारी ही प्रतिभा लगी है लेकिन हम कोई फेसबुक, गूगल, ट्वीटर, यहां तक कि विंडोज तक तैयार नहीं कर पाए.’ उन्होंने कहा कि विदेशों में हमारी ही प्रतिभाएं लगी हैं लेकिन हमारा मालिकाना हक किसी चीज पर नहीं है. उन्होंने माइक्रोसॉफ्ट के बिल गेट्स के एक वक्तव्य का हवाला देते हुए कहा कि एक बार जब उनसे पूछा गया कि आप अपनी कंपनी में इतने अधिक भारतीय पेशेवरों को नौकरियां क्यों देते हो तो उनका जवाब था कि यदि मैं उनको नौकरी नहीं दूंगा तो वे बेंगलुरु में नया माइक्रोसॉफ्ट खड़ा कर लेंगे.
जावड़ेकर ने इसी के मद्देनजर कहा कि देश में आईटी सेक्टर को उन्नत बनाने के लिए भारी निवेश की जरूरत है. हालांकि उन्होंने आई टी सेक्टर में रोजगार के अवसरों में कमी की आशंकाओं को खारिज किया और एक रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि आने वाले समय में इस सेक्टर में रोजगार के 70 लाख नए अवसर पैदा होंगे.
जावड़ेकर ने ‘भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी संस्थान (पब्लिक -प्राइवेट भागीदारी) विधेयक 2017 पर हुई चर्चा का जवाब देते हुए यह बात कही. उन्होंने बताया कि टाटा कंसलटेंसी सर्विसेज और नैसकॉम ने एक अनुमान जताया है कि आने वाले समय में इस सेक्टर में रोजगार के 70 लाख नए अवसर पैदा होंगे.
उन्होंने कहा कि दुनिया तेजी से बदल रही है और जो पहले एक हजार साल में नहीं हुआ अब वह एक सदी में हो गया और जो एक सदी में नहीं हुआ, वह अब हो रहा है. नैनो टेक्नोलोजी और आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस के क्षेत्र में आगे बढ़ने के लिए हमें अपने छात्रों को बेहतर अवसर मुहैया कराने हैं. उन्होंने साथ ही कहा कि देश आईटी में हार्डवेयर की क्रांति चूक गया, लेकिन अब एक भी क्रांति से चूकना नहीं है. मंत्री के जवाब के बाद सदन ने विधेयक को ध्वनिमत से पारित कर दिया.
आईआईआईटी में फीस में वृद्धि की सदस्यों की आशंकाओं के संबंध में उन्होंने कहा कि जो छात्र वहन कर सकते हैं, यह वृद्धि उनके लिए होगी जबकि गरीब छात्रों के लिए सरकार ने छात्रवृत्ति का इंतजाम किया है. उन्होंने उच्च शिक्षण संस्थानों की स्वायत्तता का जिक्र करते हुए कहा कि जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय में पिछले दस साल से एससी एसटी और दिव्यांग की भर्ती नहीं हुई थी और अब सरकार इस संस्थान में 300 पदों पर भर्तियां करने जा रही है. उन्होंने साथ ही कहा कि शिक्षा दलगत राजनीति नहीं बल्कि राष्ट्र नीति का विषय है और इसके लिए सभी को मिलकर काम करना चाहिए.
कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी के निर्वाचन क्षेत्र अमेठी में आईआईआईटी को लेकर कांग्रेस सदस्यों द्वारा जतायी गयी आशंका के जवाब में जावड़ेकर ने कहा कि संस्थान की स्थापना के बाद 2014 तक वहां के लिए किसी फैकल्टी की नियुक्ति नहीं हुई और इलाहाबाद से एक फैकल्टी हर रोज जाकर वहां कक्षाएं लेती थी. छात्रों ने वहां आंदोलन किया, लेकिन राजग सरकार ने किसी बदले की भावना से काम नहीं किया और उसे बंद करने के बजाय वहां कॉलेज शुरू करवाया.
देश को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ‘डिजिटल इंडिया’ बनाने की बात कर रहे हैं। अपने ताजा अमेरिका दौरे के दौरान डिजिटल इंडिया को रफ्तार देने सिलिकॉन वैली के दौरे पर पहुंचे प्रधानमंत्री के कुछ वक्तव्य न्यू मीडिया की बानगी पेश करते हैं:
- दुनिया बदलने वाले आइडियाज सिलिकॉन वैली से ही निकलते हैं।
- मैं आप में से अनेक से दिल्ली, न्यूयार्क, फेसबुक, ट्विटर, इंस्टाग्राम पर मिल चुका हूं। यह हमारे नए पड़ोसी हैं।
- अगर फेसबुक एक देश होता, तो जनसंख्या के मामले में दुनिया में तीसरे नंबर का देश होता।
- मोदी ने कहा-जुकरबर्ग दुनियां को जोड़ने का कार्य कर रहे हैं।
- सूचना प्रोद्योगिकी ने आज के दौर को ‘Real Time Information’ यानी ‘वास्तविक समय की सूचनाओं’ का बना दिया है। पहले जनता के सरकारों को उनकी गलतियां बताने के लिए पांच साल में समय मिलता था, पर आज वह हर पांच मिनट में ऐसा कर सकते हैं ।
- उन्होंने 27 सितंबर को गूगल के मुख्यालय पहुंचकर गूगल के भारतीय मूल के सीईओ सुंदर पिचई के साथ गूगल का 17वां जन्म दिन भी मनाया।
- दुनिया ने कम्प्यूटिंग से संचार तक, मनोरंजन से शिक्षा तक, डॉक्यूमेंट प्रिंट करने से प्रॉडक्ट प्रिंट करने तक और इंटरनेट ऑफ थिंग्स तक, काफी कम समय में काफी लंबा रास्ता तय कर लिया है।
- आजकल गूगल के टीचरों को कम प्रेरणादायक और बड़े-बुजुर्गों को ज्यादा बेकार बना दिया है, जबकि ट्विटर ने हर किसी को रिपोर्टर बना दिया है।
- अब आप जग रहे हैं या सोए हैं, इससे फर्क नहीं पड़ता। फर्क पड़ता है कि आप ऑनलाइन हैं या ऑफलाइन। युवाओं के लिए सबसे महत्वपूर्ण बहस बन गई है कि एंड्राइड, आईओएस या विंडोज में से किसे चुनना चाहिए।
- यहां तय हुआ कि भारत गूगल के साथ मिलकर 500 से ज्यादा रेलवे स्टेशनों पर वाई-फाई लगाएगा। माइक्रोसॉफ्ट के साथ देश के पांच लाख गांवों में कम लागत में बॉडबैंड की सुविधा उपलब्ध कराई जाएगी।
- जब आप सोशल मीडिया या एक सर्विस के विस्तार के पैमाने और गति के बारे में सोचते हैं तो आपको यह मानना ही पड़ता है कि उम्मीद के मुहाने पर लंबे वक्त से खड़े लोगों की जिंदगी भी इसके साथ-साथ बदली जा सकती है। मित्रो, इसी धारणा से पैदा हुआ है-डिजिटल इंडिया।
- हम चाहते हैं कि हमारे नागरिक हर ऑफिस में अत्यधिक कागजान के बोझ से मुक्त हो जाएं। हम बिना कागजों के लेन-देन करना चाहते हैं। हम हर नागरिक के लिए डिजिटल लॉकर सेट-अप करेंगे, जिसमें वह अपने निजी दस्तावेज रख सकें, जो कई विभागों में काम आ सकते हैं।