भक्त कह कर किसे संबोधित ; सोशल मीडिया की सुर्खियां
#भगवान का भक्त #देश को पूजने वाले को देशभक्त #खिलाड़ी, गायक, अभिनेता को चाहने वाले को फेन
#क्या है भक्त की परिभाषा ? जिस किसी की भी मोदी के प्रति चाहत बढ़ती गई उनको मोदी भक्त # www.himalayauk.org (Leading Digital Newsportal) हृदय गुप्ता का आलेख-
किसी भागवान को खास तौर पर पूजने वाले व्यक्ति को भागवान का भक्त कहा जाता है उसी तरह देश को पूजने वाले को देशभक्त | समान तरीके से आधुनिक दौर में किसी खिलाड़ी, गायक, अभिनेता को चाहने वाले को फेन बोला जाता है | पर पिछले कुछ समय से सोशल मीडिया पर देखा जाये तो ‘भक्त’ शब्द ऊपर लिखे किसी भी व्यक्ति विशेष को संबोधित नहीं करता और न ही किसी संत या महात्मा के पूजने वाले को | फिर ये अप्रत्यक्ष रूप से भक्त कह कर किसे संबोधित किया जा रहा है ? और यह किस तरह के लोग है जो इस नाम को अपने ऊपर ले कर खुद को किसी का चेला या अँधा चाहने वाला नहीं बल्कि देश का हितेषी मानते है |
गौतलब है कि 2014 में जब भारत की जनता ने नया प्रधानमंत्री चुनना था तब भारतीय जनता पार्टी ने गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी का नाम उम्मीदवार के रूप में घोषित किया | कांग्रेस के 10 साल के कार्यकाल से त्रस्त हो चुकी जनता ने भरी मतों से मोदी को विजय भी बनाया | मोदी देश के सबसे मजबूत और चाहिते नेता के रूप में सामने आए और फिर भारतवासियों ने ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया ने उनको सराहा | केंद्र में आई नई सरकार ने नवीन योजनाएं ही नहीं बनाईं बल्कि पूर्व कार्यशैली में बड़ा बदलाव लाने का काम भी किया | बदलाव और नयापन आता गया कुछ लोगों की चाहत मोदी के प्रति बढ़ी तो किसी की नफरत में इज़ाफा हुआ और कुछ लोग निष्पक्ष हो कर स्तिथि को समझने लगे | जिस किसी की भी मोदी के प्रति चाहत बढ़ती गई उनको मोदी भक्त कहा जाने लगा और जो उनकी निति के खिलाफ है उनको मोदी विरोधी |
इस बात में कोई संदेह नहीं की किसी भी योजना और बदलाव से शत प्रतिशत लोगो को संतुष्ट किया जा सके और ऐसा होना भी नहीं चाहिए वरना भविष्य में सुधार के अवसर ख़त्म हो जाते है | उसमें कमी निकालना व सामने लाना भी हमारा ही फ़र्ज़ है ताकि विकास और बेहतर हो सके, परन्तु आँखों पर विश्वास की पट्टी बांध कर भरोसा करते जाना बिलकुल सही नहीं है | उदहारण के तौर पर मोदी द्वारा अचानक से नोटबंदी का फैसला सुनाना निसंदेह ही बहुत अच्छी पहल है पर उससे आम जन को होने वाली समस्या को किसी भी कीमत पर नज़र अंदाज़ नहीं किया जा सकता | इस हालत में जो हर तथ्य व नियमों को बिना सुने और समझें सिर्फ तारीफ़ करने में लगे है उन्हें अँधा विश्वास करने वाला मतलब की भक्त कहना गलत नहीं है | इस स्तिथि में एक खेमा तो भक्तों का हो गया, इसके अलावा एक पूर्ण रूप से विरोधिओं का और तीसरा उस तब्के का जो तथ्यों पर यकीन करते है | वर्तमान हालात में सबसे ज्यादा अगर किसी को नुक्सान है तो वो आम जन है |
देश को न केवल आर्थिक बल्कि सामाजिक रूप से विकसित होना भी ज़रूरी है | इस बात में कोई शक नहीं की देश को तेज़ और सशक्त विकास की ज़रूरत है पर उसके बदले चुकाई जाने वाली कीमत पर भी ध्यान देना ज़रूरी है | जो आज की स्तिथि समझ रहे है वो बस यही कहना चाहते है की सरकार ने कदम तो सही उठाया पर तैयारी पूरी नहीं की उसी प्रकार विरोधी इसे गलत कदम बता रहे है और भक्तों की बात करे तो वो बस जय करने में लगे है | विरोध या समर्थन से ज्यादा ज़रूरी है सत्य पर ध्यान देना और यही देश को आगे बढ़ाने में सहायक साबित होगा |
जय भारत |
सत्यमेव जयते |
लेखक के बारे में –
हृदय गुप्ता एक युवा लेखक है जो पेशे से जनसंपर्क अधिकारी है | पत्रकारिता की पढ़ाई पूरी करने के बाद दिल्ली में जनसंपर्क के क्षेत्र में अपने करियर की शुरवात करी | वर्तमान में चंडीगढ़ शहर में जनसंपर्क के क्षेत्र में ही कार्य कर रहे है व निष्पक्ष विचार और शोध के आधार पर विभिन्न विषयों पर अभी लेखनी द्वारा प्रकाश डालते रहते है |