सोशल मीडिया पूरी तरह से स्वतंत्र – राठौड़ सूचना-प्रसारण मंत्री
राज्यवर्धन सिंह राठौड़ सूचना-प्रसारण मंत्री की बडी घोषणा- सरकार की न्यूज पोर्ट्ल्स और मीडिया वेबसाइट्स के नियमन की कोई योजना नहीं है। मुझे लगता है कि आपने इसे गलत समझ लिया। उन्होंने यह उम्मीद जताई कि मंत्रालय जल्द ही ऑनलाइन मीडिया, न्यूज पोर्टल्स और ऑनलाइन कंटेंट को रेगुलेट करने को लेकर स्मृति ईरानी के कार्यकाल में बनी कमेटी को जल्द ही भंग कर देगी। हिमालयायूके न्यूज पोर्टल- A Leading Newsportal
सूचना-प्रसारण मंत्री का पदभार संभालते ही राज्यवर्धन सिंह राठौड़ ने मंगलवार को मीडिया की तारीफ की। उन्होंने कहा कि कहा कि मीडिया लोकतंत्र का बेहद महत्वपूर्ण स्तंभ है और उन्हें आत्म अनुशासन करना होगा। मीडिया के आत्म विनियमन पर जोर देते हुए उन्होंने कहा कि उनका मंत्रालय मीडिया को जनता की आवाज बनाने के लिए कार्य करेगा, फिर चाहे वह प्रसार भारती हो अथवा निजी नेटवर्क या चैनल। हम इसी दिशा में काम करेंगे। दरअसल उन्होंने ‘सरकार बनाम मीडिया’ की बहस के संबंध में सवाल का जवाब देते हुए यह बात कही।
PRIDE OF INDIA; राज्यवर्धन सिंह राठौड़ – सूचना मंत्री ने 1990 के दशक के मध्य में शूटिंग रेंज में कदम रखा था, इसके बाद वह ओलंपिक खेलों में भारत के पहले व्यक्तिगत रजत पदकधारी बने थे. 2004 एथेंस ओलंपिक में पुरूषों की डबल ट्रैप स्पर्धा में वह दूसरे स्थान पर रहे थे. ओलंपिक इतिहास रचने से एक साल पहले उन्होंने सिडनी में 2003 विश्व चैम्पियनशिप में रजत पदक जीता था. एथेंस खेलों से पहले राठौड़ को सेना की मार्कमैनशिप यूनिट के साथ दो साल के लिये दिल्ली तैनात किया गया था जिससे उन्हें शहर की तुगलकाबाद शूटिंग रेंज में अभ्यास करने में मदद मिली. राठौड़ ने फ्रेक्चर और प्रोलेप्स्ड डिस्क से उबरकर ओलंपिक पदक जीता था. एथेंस ओलंपिक में क्वालीफायर में पांचवें स्थान पर रहकर उन्होंने फाइनल के लिये क्वालीफाई किया और रजत जीता. सैन्य परिवार में जन्में राठौड़ ने राष्ट्रीय रक्षा अकादमी का इम्तिहान पास किया और भारतीय सेना की सेवा शुरू की जिसमें दो साल तक कश्मीर में आतंकवादियों से भिड़ना भी शामिल रहा और उनकी मां का मानना है कि इससे वह ओलंपिक फाइनल के दौरान अच्छी लय में रहे. दूसरी पीढ़ी के सैन्य अधिकारी राठौड़ जयपुर की ‘नाइन ग्रेनेडियर्स’ से जुड़े, जिसकी उनके पिता कर्नल (सेवानिवृत्त) लक्ष्मण सिंह राठौड़ ने कमान संभाली थी. भारतीय सेना से समयपूर्व सेवानिवृत्ति लेने के बाद राठौड़ 2013 में भारतीय जनता पार्टी से जुड़े और मई 2014 में मोदी सरकार के सत्ता में आने के बाद उन्होंने सूचना एवं प्रसारण राज्य मंत्री का पद संभाला.
जब उनसे इस बारे में पूछा गया कि स्मृति ईरानी के कार्यकाल में सूचना-प्रसारण मंत्रालय ने पिछले महीने न्यूज पोर्ट्ल्स और मीडिया वेबसाइट्स के नियमन के लिए एक समिति गठित करने का आदेश दिया था, इस पर वे क्या कहना चाहेंगे तो उन्होंने इस तरह की खबरों को खारिज करते हुए कहा कि सरकार की न्यूज पोर्ट्ल्स और मीडिया वेबसाइट्स के नियमन की कोई योजना नहीं है। मुझे लगता है कि आपने इसे गलत समझ लिया। उन्होंने यह उम्मीद जताई कि मंत्रालय जल्द ही ऑनलाइन मीडिया, न्यूज पोर्टल्स और ऑनलाइन कंटेंट को रेगुलेट करने को लेकर स्मृति ईरानी के कार्यकाल में बनी कमेटी को जल्द ही भंग कर देगी।
सूचना-प्रसारण मंत्रालय ने 4 अप्रैल, 2018 को एक आदेश जारी किया था, जिसके मुताबिक, कमेटी में दस सदस्यों को शामिल किया गया था, जिसमें Secretary, I&B-Convenor; Secretary, MeitY; Secretary MHA; Secretary, Dept of Legal Affair; Secretary, DIPP और CEP, MyGov शामिल थे। इस कमेटी को प्रेस प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया, न्यूज ब्रॉडकास्टिंग असोसिएशन और इंडियन ब्रॉडकास्टर्स फेडरेशन के प्रतिनिधि भी कहा गया।
इस दौरान राठौड़ ने कहा कि सरकार मीडिया के आत्म विनियमन में विश्वास रखती है। राठौड़ ने संवाददाताओं को बताया, ‘प्रधानमंत्री मोदी भी इस बात को लेकर बेहद स्पष्ट हैं कि हमारे देश में मीडिया लोकतंत्र का बेहद महत्वपूर्ण स्तंभ है और उन्हें आत्म अनुशासन करना होगा।’ उन्होंने इस दौरान प्रसार भारती को सशक्त किए जाने की भी बात कही। उन्होंने कहा इसके लिए बेहतर व सूचनात्मक कार्यक्रमों को उच्च प्राथमिकता दी जाएगी।
राठौड़ ने कहा कि सरकार पिछले चार वर्षों में देश की जनता के साथ द्विपक्षीय संचार स्थापित करने में कामयाब रही है। हम इसे जारी रखेंगे। सोशल मीडिया प्लेटफार्म पूरी तरह से स्वतंत्र हैं। हम उम्मीद करते हैं कि लोग जिम्मेदारी के साथ अपने विचार रखेंगे। अभी तक सूचना प्रसारण मंत्री का पदभार स्मृति ईरानी संभाल रहीं थी, लेकिन अब उनसे यह जिम्मेदारी लेकर इसी मंत्रालय में राज्यमंत्री राज्यवर्धन सिंह राठौड़ को स्वतंत्र रूप से सौंपी गई है।
PRIDE OF INDIA; राज्यवर्धन सिंह राठौड़ –
राज्यवर्धन सिंह राठौड़ (जन्म 29 जनवरी 1970, जैसलमेर, राजस्थान) एक भारतीय निशानेबाज हैं जिन्होंने 2004 ग्रीष्मकालीन ओलम्पिक, एथेंस में डबल ट्रैप स्पर्धा में रजत पदक विजेता हैं। वो प्रथम भारतीय (स्वतंत्रता के बाद) हैं जिन्होंने व्यक्तिगत रजत पदक जीता। उनसे पहले ब्रितानी मूल के भारत में जन्मे नॉर्मन प्रिचर्ड ने 1900 ग्रीष्मकालीन ओलम्पिक में दो रजत पदक जीते। वो १६वीं लोकसभा में जयपुर ग्रामीण लोकसभा क्षेत्र से भाजपा के सांसद चुने गये
राज्यवर्धन सिंह राठौड़ (जन्म 29 जनवरी 1970, जैसलमेर, राजस्थान) एक भारतीय निशानेबाज हैं जिन्होंने 2004 ग्रीष्मकालीन ओलम्पिक, एथेंस में डबल ट्रैप स्पर्धा मेंरजत पदक विजेता हैं। वो प्रथम भारतीय (स्वतंत्रता के बाद) हैं जिन्होंने व्यक्तिगत रजत पदक जीता। उनसे पहले ब्रितानी मूल के भारत में जन्मे नॉर्मन प्रिचर्ड ने 1900 ग्रीष्मकालीन ओलम्पिक में दो रजत पदक जीते।वो १६वीं लोकसभा में जयपुर ग्रामीण लोकसभा क्षेत्र से भाजपा के सांसद चुने गये
राठौड़ का जन्म राजस्थान के जैसलमेर में कर्नल (सेवानिवृत्त) लक्ष्मण सिंह राठौड़ में हुआ था। वह बीकानेर में स्थित बीकानेर राव बिकिजी के परिवार के पहले राजा के राजपूत वंश के हैं। राज्यवर्धन सिंह, बीकानेर में रहने वाले तीन चाचा, बड़े काका रिट ब्रिगेडियर जगमल सिंह राठौड़ में वीर चक्र और वीएसएम के साथ भारतीय सेना द्वारा सजाए गए और घर में रहने (श्री राम विरासत) के साथ-साथ राव बीकाजी ऊंट सफारी के नाम पर रिसॉर्ट भी शामिल हैं। चिकित्सक के रूप में 2 वें सेवानिवृत्त और गरेद्दीशर गांव के सरपंच के रूप में 3 वां रिटा।
राठौर प्रतिष्ठित राष्ट्रीय रक्षा अकादमी के 77 वें पाठ्यक्रम के स्नातक हैं। एनडीए से स्नातक होने के बाद, राठौर ने भारतीय सैन्य अकादमी में भाग लिया जहां उन्हें सर्वश्रेष्ठ ऑल-फेन्ड जेन्टलमेन कैडेट के लिए तलवार के सम्मान से सम्मानित किया गया। वह सिख रेजिमेंट स्वर्ण पदक के प्राप्तकर्ता भी थे, जिन्हें पाठ्यक्रम के सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी को सम्मानित किया गया था।
बाद में उन्हें 9 वीं ग्रेनेडीयर्स (मेवाड़) रेजिमेंट में नियुक्त किया गया। भारतीय सेना में अपने करियर के भाग के रूप में, उन्होंने जम्मू और कश्मीर में कार्य किया, जहां उन्होंने आतंकवाद विरोधी आपरेशनों में भाग लिया। उनकी रेजिमेंट को सेना प्रमुख के प्रशस्ति पत्र और जम्मू एवं कश्मीर के प्रशस्ति पत्र के साथ अनुकरणीय कार्य के लिए सम्मानित किया गया।
राज्यवर्धन सिंह का घर का नाम ‘चिली’ है । उसकी पत्नी का नाम डा. गायत्री है । उनका 5 वर्षीय बेटा है-मानव आदित्य और बेटी है-भाग्यश्री । उनकी माँ का नाम मंजू तथा पिता कर्नल लक्ष्मण सिंह हैं । वह दिल्ली में रहते हैं । पदक जीतने पर राठौड़ की पत्नी ने कहा-‘यह रजत पदक केवल चिली और उसके परिवार का ही नहीं, बल्कि पूरे देश का है । इसलिए इस सफलता की ज्यादा खुशी है क्योंकि इस खुशी में पूरा देश शामिल है ।’
1998 में उन्होंने शुटिंग की शुरुआत की थी । जल्दी वह दुनिया के बेहतरीन ट्रैप शूटरों में गिने जाने लगे । पिछले साल 2003 में साइप्रस के शहर निकोसिया में उन्होंने विश्व चैंपियनशिप का कांस्य जीता था । स्पर्धा के पूर्व राठौड़ ने कहा था-‘मैदाने जंग में शूटिंग ओलंपिक पदक जीतने से ज्यादा आसान है । स्पर्धा के माहौल में आपके अंदर का डर बाहर निकलकर आता है ।’ उन्होंने सेना छोड़कर खेल के मैदान में बाजी मारी । उन्होंने अपनी उपलब्धि के बारे में कहा-”हमारे देश में क्रिकेट बहुत महत्त्वपूर्ण है । मुझे भी यह पसन्द है । लेकिन मेरी उपलब्धि से लोग शूटिंग जैसे खेलों में भी आएंगे।
महज छह वर्ष पूर्व निशानेबाजी में शामिल होकर कड़ी मेहनत से इतनी बड़ी उपलब्धि पाने वाले राज्यवर्धन स्कूली शिक्षा के जमाने से ही बास्केटबॉल, वालीबॉल, क्रिकेट, फुटबाल, कबड्डी और एथलेटिक्स के बेहतरीन खिलाड़ी रहे हैं । उन्होंने स्कूल गेम्स फैडरेशन ऑफ इंडिया द्वारा आयोजित राष्ट्रीय क्रिकेट में शानदार प्रदर्शन किया और चक्का फेंक प्रतियोगिता में स्वर्ण पदक जीता था ।
बेहतरीन खिलाड़ी
राज्यवर्धन सिंह राठौड़ स्कूली शिक्षा के जमाने से ही बास्केटबॉल, वालीबॉल, क्रिकेट, फ़ुटबॉल, कबड्डी और एथलेटिक्स के बेहतरीन खिलाड़ी रहे हैं। उन्होंने स्कूल गेम्सफैडरेशन ऑफ इंडिया द्वारा आयोजित राष्ट्रीय क्रिकेट में शानदार प्रदर्शन किया और चक्का फेंक प्रतियोगिता में स्वर्ण पदक जीता था। जब राज्यवर्धन कक्षा 10 के छात्र थे तो स्कूलगेम्स फेडरेशन की ओर से उन्हें स्कालरशिप दी गई थी। इसके बाद एन.डी.ए, राष्ट्रीय रक्षा अकादमी (एन.डी.ए.) में भी बास्केटबॉल टीम में शानदार प्रदर्शन किया और अनेकव्यक्तिगत स्वर्ण पदक जीते, जिससे उन्हें एन.डी.ए. के सर्वश्रेष्ठ खेल अवार्ड ‘एन.डी.ए. ब्लेजर’ से सम्मानित किया गया। इसके बाद ‘इंडियन मिलिट्री एकेडेमी’ (आइ.एम.ए.) मेंपहुंचने पर राज्यवर्धन ने वालीबॉल, फ़ुटबॉल, क्रिकेट, मुक्केबाज़ी और वाटरपोलो में स्वर्ण जीते। तब वह वालीबॉल टीम के कप्तान रहे। उन्हें ‘आइ.एम.ए. का ब्लेजर’ पुरस्कार भीदिया गया। इस कोर्स का सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी होने के कारण उन्हें सिख रेजीमेंट का स्वर्ण पदक भी दिया गया। इसी कोर्स के दौरान उन्हें सर्वश्रेष्ठ कैडेट घोषित किया गया और ‘स्वोर्डऑफ ऑनर’ प्रदान किया गया।
1996 में राज्यवर्धन की शूटिंग की ट्रेनिंग आर्मी मार्क्समैन इन्फैंटरी स्कूल में हुई। फिर उसके बाद दिल्ली के डा. कर्णी सिंह शूटिंग रेंज, तुग़लक़ाबाद में उन्होंने शूटिंग कानिरंतर अभ्यास किया। राष्ट्रीय चैंपियन मुराद अली खान, जो राज्यवर्धन के साथ खेल में पार्टनर भी थे, ने राज्यवर्धन के बारे में कहा- “उसका अनुशासन, मेहनत, लगन, आत्मविश्वास और आर्थिक सहायता ही उसे मेडल दिलाने में सफल हुए। राठौड़ ने अपने चयन के बाद बड़े ही वैज्ञानिक तरीके से अभ्यास का कार्यक्रम बनाया था। उसकी सबसे बड़ीखूबी यह भी है कि यह मेहनती शूटर समय बर्बाद किए बिना तुरन्त एक्शन में आ जाता है।” उनकी रुचियों में संगीत सुनना, शिकार करना, बाक्सिंग तथा गोल्फ खेलना है। उनकासर्वश्रेष्ठ स्कोर रहा है 191/200। वह अपनी माँ तथा पिता से बेहद प्रभावित हैं।[
शूटिंग के अलावा क्रिकेट पसंद
राज्यवर्द्धन को शूटिंग के अलावा क्रिकेट देखना और खेलना पसंद हैं। वह कहते हैं कि एनडीए के दौरान उन्होंने शूटिंग को अपना पसंदीदा खेल चुना था और इसलिए वहइसी में आगे बढ़ते गए। सिर्फ इतना ही राज्यवर्द्धन चाहते हैं कि दूसरे खेलों को आगे बढ़ाने के लिए उनसे जो कुछ भी हो सके वह करते रहें।
राजनीतिक जीवन
10 सितंबर 2013 को राठौर बीजेपी में शामिल हुए और इसके पहले वह रेवाड़ी में नरेंद्र मोदी की एक रैली का हिस्सा बने थे। राठौर ने राजनीति में आने के लिए सितंबर2013 में ही सेना से वॉलेंटरी रिटायरमेंट ले लिया और बतौर कर्नल वह अपने पद से रिटायर हुए। राठौर के मुताबिक उनकी स्थिति राजनीति में सेना के सेकेंड लेफ्टिनेंट जैसी ही है।वह कहते हैं कि वह बिना लाइफ जैकेट और बुलेट प्रूफ जैकेट के इस समंदर में कूद गए हैं लेकिन साथ ही उन्हें जीत का पूरा भरोसा है। राठौर की मानें तो आर्मी ने उन्हेंचुनौतियों का सामना करना काफी बेहतरी से सिखाया है। जिस समय वह आर्मी का हिस्सा थे उस समय उनकी पोस्टिंग कश्मीर में थी इसी वर्ष उन्होंने देश के लिए रजत पदक जीता था और एक बार फिर वही जोश उन्हें सोने नहीं देता है वह कहते हैं कि वह देश और लोगों की करने के लिए राजनीति में आना चाहते थे और उनकी पूरी कोशिश रहेगी कि वह लोगों की उम्मीदों पर खरा उतर सकें।
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