कोर्ट में ताला लगा दिया जाय? ;सुप्रीम कोर्ट
#केंद्र सरकार को कड़ी फटकार # लोगों को न्याय देना बंद कर दिया जाए #केंद्र सरकार और सुप्रीम कोर्ट में ठन गई #कर्नाटक हाईकोर्ट में पूरा ग्राउंड फ्लोर बंद ;हम बड़े सब्र से काम कर रहे हैं # केंद्र सरकार बताए कि इलाहाबाद हाईकोर्ट के जजों की सूची का क्या हुआ? #सरकार 9 महीने से इस सूची पर क्यों बैठी है?: पीएमओ और कानून मंत्रालय के सचिवों को समन भेजकर तलग करेगे- चीफ जस्टिस : www.himalayauk.org (UK Leading Digital Newsportal)
देशभर के हाईकोर्ट में जजों की नियुक्ति के मामले में केंद्र सरकार और सुप्रीम कोर्ट में ठन गई है। शुक्रवार को इस मामले पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने सख्त रुख अपनाते हुए केंद्र सरकार को कड़ी फटकार लगाई है और पूछा है कि क्यों न कोर्ट में ताला लगा दिया जाय? कोर्ट ने टिप्पणी की कि प्रशासनिक उदासीनता इस संस्थान को खराब कर रही है। आज हालात ये हैं कि कोर्ट को ताला लगाना पड़ा है। कोर्ट ने कहा कि कर्नाटक हाईकोर्ट में पूरा ग्राउंड फ्लोर बंद है। क्यों ना पूरे संस्थान को ताला लगा दिया जाए और लोगों को न्याय देना बंद कर दिया जाए। मुख्य न्यायाधीश जस्टिस टीएस ठाकुर ने कहा कि केंद्र सरकार इस मुद्दे को ईगो का मुद्दा ना बनाए। हम नहीं चाहते कि हालात ऐसे हों कि एक संस्थान दूसरे संस्थान के आमने-सामने हों। उन्होंने कहा कि न्यायपालिका को बचाने की कोशिश होनी चाहिए।
चीफ जस्टिस ठाकुर ने कहा, हम बड़े सब्र से काम कर रहे हैं। केंद्र सरकार बताए कि इलाहाबाद हाईकोर्ट के जजों की सूची का क्या हुआ? सरकार 9 महीने से इस सूची पर क्यों बैठी है? अगर सरकार को इन नामों पर कोई दिक्कत है तो हमें भेजें, फिर से विचार करेंगे? कोर्ट ने कहा कि काम करने की अगर यही रफ्तार रही तो पीएमओ और कानून मंत्रालय के सचिवों को समन भेजकर यहां बुलाया जाएगा। अब इस मामले की अगली सुनवाई 11 नवंबर को होगी।
मुख्य न्यायाधीश जस्टिस टी एस ठाकुर ने कहा कि इलाहाबाद हाईकोर्ट में 160 में से केवल 77 जज काम कर रहे हैं जबकि छतीसगढ़ हाईकोर्ट में 22 में से 8 जज काम कर रहे हैं। इस पर केंद्र सरकार की ओर से अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने कहा, हाईकोर्ट के जजों की सूची में कई नाम हैं जो सही नहीं हैं। सरकार ने 88 नाम तय किए हैं उनपर सरकार एमओपी तैयार कर रही है। उन्होंने कहा कि एमओपी तैयार होते ही इसे अंतिम रूप दे दिया जाएगा। गौरतलब है कि इस महीने के शुरुआत में केन्द्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से वादा किया था कि जजों की नियुक्ति की प्रक्रिया को सर्वोच्च प्राथमिकता देते हुए उसे जल्द निपटाया जाएगा।