गुजरात में दुनिया का सबसे महंगा मशरूम उगाया& अब एक और बीमारी — जिनकी इम्यूनिटी कमजोर & Top National News 20 May 21
20 May 2021: Himlayauk Newsportal & Print Media # High Light # दुनिया का सबसे महंगामशरूम गुजरात में उगाया # फ्लाइंग सिख महान धावक मिलखा सिंह की कोरोना रिपोर्ट पॉज़िटिव # मशहूर गायक अरिजीत सिंह की कोरोना पॉजिटिव मां की मौत #दूसरी लहर के बीच अब एक और बीमारी # ब्लैक फंगस को महामारी घोषित करे- केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने राज्यों से कहा # बच्चों को अच्छे भविष्य की उम्मीद दें — सोनिया गांधी का पीएम को पत्र # नेपाल के सुप्रीम कोर्ट का एक बड़ा फैसला #Presents by Himalayauk Newsportal & Daily Newspaper, publish at Dehradun & Haridwar: Mob 9412932030 ; CHANDRA SHEKHAR JOSHI- EDITOR; Mail; csjoshi_editor@yahoo.in
दुनिया का सबसे महंगा मशरूम गुजरात में उगाया
# High Light #दुनिया का सबसे महंगा # मशरूम की प्रजाति Cordyceps Militaris # कच्छ के गुजरात इंस्टीट्यूट ऑफ डिजर्ट इकोलोजी संस्थान के वैज्ञानिकों ने अंजाम दिया. # “Cordyceps Militaris को हिमालयी सोना कहा जाता है # मशरूम की खेती के प्रशिक्षण की कीमत एक सप्ताह में एक लाख रुपये है. लेकिन संस्थान सामान्य शुल्क पर प्रशिक्षण उपलब्ध कराएगा. # मशरूम में एंटी ऑक्सीडेंट, एंटी डायबिटिक, सूजन रोधी, कैंसर रोधी, मलेरिया रोधी, थकान रोधी, एचआईवी रोधी और एंटी वायरल गुण हैं. ये शरीर में ट्यूमर के आकार को कम करने में मदद करता है. # Presents by Himalayauk Newsportal #
गुजरात के वैज्ञानिकों ने सबसे महंगा मशरूर को उगाने में सफलता हासिल की है. एक किलो मशरूम की कीमत का अंदाजा 1.50 लाख रुपए लगाया गया है. वैज्ञानिकों ने 90 दिनों के अंदर लैब के नियंत्रित वातारण में 35 जार में मशरूम को उगाया. ये कारनामा कच्छ के गुजरात इंस्टीट्यूट ऑफ डिजर्ट इकोलोजी संस्थान के वैज्ञानिकों ने अंजाम दिया. मशरूम की प्रजाति Cordyceps Militaris का ऐतिहासिक रूप से चीनी भाषा और तिब्बत की प्राकृतिक दवाइयों में इस्तेमाल का पता चला है.
संस्थान के डायरेक्टर वी विजय कुमार ने कहा, “Cordyceps Militaris को हिमालयी सोना कहा जाता है. उसमें स्वास्थ्य के कई फायदे हैं और शायद जीवनशैली से जुड़ी कई बीमारी को रोक सके.” संस्थान ने इस मशरूम के एंटीट्यूमर पहलू का अध्ययन किया है. शुरुआती जांच से पता चला है कि इस मशरूम का अर्क महत्वपूर्ण नतीजे पेश कर सकता है. संस्थान के वरिष्ठ वैज्ञानिक कार्तिकेयन ने कहा, “लोगों पर मेडिकल ट्रायल करने के लिए नियामक मंजूरी मांगी गई है. हम उसका अतिरिक्त प्रभाव प्रोस्टेट कैंसर पर भी खोज रहे हैं. हालांकि, ये कोविड-19 महामारी के चलते विलंब हो गया.”
वैज्ञानिकों का मंसूबा भारतीय परिस्थिति में इस प्रजाति के कैंसर रोधी और एंटी वायरल गुणों की जांच करने का है. ब्रेस्ट कैंसर के इलाज में उपयोगी पानेवाले संस्थान ने कारोबारियों को प्रशिक्षण देने का फैसला किया है, जिससे लैब की सतह पर मशरूम की खेती के लिए जीविका का विकल्प मिल सके. विजय कुमार कहते हैं, “उपयुक्त जागरुकता की मदद से हम इस हैरतअंगेज पोषण और औषधीय पूरक सप्लीमेंट को बड़ी आबादी तक उपलब्ध करा सकते हैं.” लैब सतह पर मशरूम की खेती के प्रशिक्षण की कीमत एक सप्ताह में एक लाख रुपये है. लेकिन संस्थान सामान्य शुल्क पर प्रशिक्षण उपलब्ध कराएगा. निरमा यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर जिगना शाह और गाइड वैज्ञानिक जी जयंती भी रिसर्च टीम में शामिल थे.
फ्लाइंग सिख महान धावक मिलखा सिंह की कोरोना रिपोर्ट पॉज़िटिव
भारत के महान धावक मिलखा सिंह की कोरोना रिपोर्ट पॉज़िटिव आई है. फिलहाल वह चंडीगढ में अपने घर में ही आईसोलेट हैं. फ्लाइंग सिख के नाम से मशहूर मिलखा 91 साल के हैं. उनकी पत्नी ने उनके कोरोना संक्रमित होने की पुष्टि की है.
मिलखा के कुक को फीवर था. इसके बाद कल यानी बुधवार को उन्होंने अपना कोरोना टेस्ट कराया था. जिसके बाद उनकी रिपोर्ट पॉज़िटिव आई है. फिलहाल वह घर पर ही क्वारंटीन हो गए हैं.
मिलखा ने कहा, “हमारे कुछ हेल्पर पॉजिटिव पाए गए. इसके बाद परिवार के सभी सदस्यों की जांच कराई गई. हालांकि, सिर्फ मेरा टेस्ट ही पॉजिटिव आया है. मैं पूरी तरह से ठीक हूं और कोई बुखार या कफ नहीं है. मेरे डॉक्टर ने बताया कि तीन चार दिन में ठीक हो जाऊंगा. मैने कल जॉगिंग की थी.”
पांच बार के एशियाई खेलों के स्वर्ण पदक विजेता मिलखा सिंह 1960 के रोम ओलंपिक में 400 मीटर फाइनल में चौथे नंबर पर रहे थे. मिलखा के बेटे गोल्फर जीव मिलखा सिंह दुबई में हैं. गौरतलब है कि एक साल पहले 91 साल के मिलखा सिंह और उनके बेटे जीव मिलखा सिंह ने कोविड-19 से लड़ाई के लिए 2 लाख रुपये का दान दिया था.
मशहूर गायक अरिजीत सिंह की कोरोना पॉजिटिव मां की मौत
मुंबई: मशहूर गायक अरिजीत सिंह की कोरोना पॉजिटिव मां अदिति सिंह को हाल ही में गंभीर हालत में कोलकाता के धाकुरिया स्थित आमरी अस्पताल में दाखिल कराया गया था. 17 मई को उनकी कोविड रिपोर्ट भी निगेटिव आ गई थी. मगर इसके दो दिन बाद ही कोरोना से जुड़ी जटिलताओं के चलते उनकी मौत हो गई. अरिजीत के मां के निधन के बाद आज सुबह उनके शव को अंतिम संस्कार के लिए कोलकाता से मुर्शिदाबाद ले जाया गया.
अरिजीत सिंह की मां अदिति सिंह को अप्रैल के अंत में कोरोना के संक्रमण के चलते कोलकाता के आमरी अस्पताल में भर्ती कराया गया था और 19 मई को ब्रेन स्ट्रोक के चलते उनका निधन हो गया.
फिल्म निर्देशक श्रीजित मुखर्जी ने अरिजीत सिंह की मां अदिति सिंह के निधन की पुष्टि करते हुए कहा, “अरिजीत, मैंने और इंडस्ट्री के कुछ लोगों ने उन्हें बचाने की बहुत कोशिश की. मगर अफसोस की हम अरिजित की मां को बचा नहीं पाए. सेरेब्रल (ब्रेन) स्ट्रोक के चलते बुधवार को उनका निधन हो गया.”
श्रीजित मुखर्जी ने हाल ही में सोशल मीडिया के जरिए अरीजित की मां के लिए रक्त दान की भी अपील की थी. उन्होंने लिखा था कि डाकुरिया स्थित आमरी अस्पताल में अरीजीत की मां के लिए A- बल्ड की जरूरत है. जानी-मानी अभिनेत्री स्वास्तिका मुखर्जी ने भी इसी तरह की अपील सोशल मीडिया पर की थी.
दूसरी लहर के बीच अब एक और बीमारी — जिनकी इम्यूनिटी कमजोर
भारत में कोरोना की दूसरी लहर के बीच अब एक और बीमारी सामने आ रही है। जितने लोगों की चिंता बढ़ा दी है। इस बीमारी का नाम ब्लैक फंगस यानी Mucormycosis है। जो दिनों दिन बढ़ती जा रही है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की तरफ से सभी राज्यों से अपील की गई है कि इस ब्लैक फंगस को महामारी घोषित की जाए। स्वास्थ्य मंत्रालय की तरफ से अपील की गई है कि सभी राज्य इस महामारी रोग अधिनियम 1897 के तहत एक बीमारी घोषित करें।
इस बीमारी को लेकर राजस्थान, महाराष्ट्र और तेलंगाना जैसे महामारी घोषित कर चुके हैं। वहीं दूसरी तरफ हर दिन इस बीमारी के मरीज लगातार मिल रहे हैं। इस बीमारी का असर सबसे ज्यादा कोरोना मरीजों पर हो रहा है और यह बीमारी लोगों की आंख, मुंह और नाक के जरिए शरीर में एंट्री कर रही है। वहीं दूसरी तरफ खासकर उन लोगों को संक्रमित कर रही है जो कोरोना से पीड़ित रह चुके हैं या फिर जिनकी इम्यूनिटी कमजोर है।
जो लोग इम्यूनिटी बढ़ाने के लिए स्टेरॉयड का इस्तेमाल कर रहे थे। संक्रमित होने वाले लोगों में ज्यादातर मधुमेह के मरीज हैं। यह इतना खतरनाक है कि इससे इंसान की आंखों की रोशनी तो खत्म हो जाती और वहीं उसकी जान भी जा रही है।
ब्लैक फंगस यानी Mucormycosis क्या है?
अमेरिका की सीडीसी बताती है कि यह एक तरह का दुर्लभ इंफेक्शन है। यह गंभीर इंफेक्शन भी है, जो फंगी के एक समूह की वजह से होता है। यह पूरे पर्यावरण में जीवित रहते हैं। यह साइनस या फेफड़ों को प्रभावित करते हैं।
देश की राजधानी दिल्ली में इस बीमारी के मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं। अब तक पूरी दिल्ली के अंदर 200 से ज्यादा मरीज मिल चुके हैं। वहीं 80 मरीज दिल्ली के एम्स अस्पताल में भर्ती हैं। 51 मरीज सर गंगा राम अस्पताल में भर्ती है। जहां उनका इलाज किया जा रहा है और कुछ मरीज वेटिंग में भी हैं। 51 मरीजों में से 22 कोविड पॉजिटिव हैं, जबकि बाकी मरीज नेगेटिव हो चुके हैं।
विदेशों में भी कोविड-19 का खूब प्रकोप रहा, खूब स्टेरॉइड का इस्तेमाल हुआ, लेकिन ब्लैक फ़ंगस के मामले हमारे ही देश में इतने ज्यादा क्यों हैं? यह सवाल इस समय ज्यादातर लोगों को मन में उठ रहा है. ब्लैक फंगस या Mucormycosis से महाराष्ट्र में 90 मौतें हो गई हैं. अब फ़ूड एंड ड्रग फ़ाउंडेशन और एक्सपर्ट्स ने सवाल उठाया कि क्या हम दूषित ऑक्सीजन और इसमें डिस्टिल्ड वॉटर की जगह नल के पानी का इस्तेमाल तो नहीं कर रहे, क्योंकि इससे भी ब्लैक फ़ंगस का ख़तरा बढ़ता है. ब्लैक फ़ंगस के कारण 63 साल के किशोर पंजाबी की दायीं आंख निकालनी पड़ी है.वे शुगर पेशेंट हैं और कोविड से ठीक होने के 10 दिन बाद घातक म्युकोरमायकोसिस (Mucormycosis) का शिकार हुए.दो महीने बाद एक आंख गंवा कर ठीक हो पाए.
सुश्रत हॉस्पिटल के ENT सर्जन डॉ प्रशांत केवले बताते हैं, ‘उनकी उस आँख का विज़न जा चुका था. आंख में फ़ंगस है, ये MRI में कन्फ़र्म किया. जिसकी वजह से हमने उनकी आंख निकालने और उस तरफ़ के सायनस के ऑपरेशन का फ़ैसला किया.’ महाराष्ट्र में म्युकोरमायकोसिस यानी ब्लैक फ़ंगस से 90 मौतें हुईं हैं जबकि इसके 1500 से ज़्यादा मरीज़ राज्य में हैं. ब्लैक फंगस के मामलों में वृद्धि के चलते ऑल इंडिया फ़ूड एंड ड्रग लाइसेंस होल्डर फ़ाउंडेशन ने सवाल उठाया है कि कहीं फ़ंगस के अचानक फैलाव की पीछे बड़ा कारण दूषित ऑक्सीजन या इसमें इस्तेमाल होने वाला पानी तो नहीं? उसने फ़ूड एंड ड्रग एड्मिनिस्ट्रेशन को लिखे खत में आशंका जताई है कि ऑक्सीजन की किल्ल्त के समय जब उद्योगों के लिए ऑक्सीजन बनाने वालों ने मेडिकल ऑक्सीजन बनाया तो नियमों पर अमल हुआ या नहीं? और उसकी पड़ताल हुई या नहीं? यही नहीं, घरों में दी जा रही ऑक्सीजन भी क्या डिस्टिल्ड वॉटर के साथ है?
मशहूर गेस्ट्रोएंट्रोलॉजिस्ट (Gastroenterologist) और जेन मल्टीस्पेशियालिटी हॉस्पिटल के डायरेक्टर डॉ. रॉय पाटनकर कहते हैं, ‘पश्चिमी देशों में जहां बहुत ज़्यादा कोविड था वहां भी इतना ब्लैक फ़ंगस नहीं था. हमारे यहां इसके होने के कई कारण हैं, क़िल्लत के कारण भारत में हम इंडस्ट्रियल ऑक्सीजन भी इस्तेमाल कर रहे हैं, जिसमें शायद प्यूरीफिकेशन पर्याप्त नहीं है. हम यहां ह्यूमिडिफ़ायड ऑक्सीजन देते हैं, बोतल में पानी के ज़रिए. शायद ऐसा भी हो क इसमें डिस्टिल्ड की जगह नल का पानी इस्तेमाल हो रहा हो या बॉटल ठीक से स्टेरायल नहीं हो रहे हैं. ENT सर्जन प्रशांत केवले कहते हैं, ‘भारत-महाराष्ट्र में जो स्ट्रेन हम देख रहे हैं वो भी एक फ़ैक्टर है जिससे ब्लैक फ़ंगस को बढ़ावा मिला है लेकिन ऑक्सीजन और डिस्टिल्ड वॉटर भी फ़ैक्टर है.’ ये फंगस हवा, नमी वाली जगह, मिट्टी, सीलन भरे कमरों आदि में पाया जाता है. स्वस्थ लोगों को फ़िक्र की ज़रूरत नहीं लेकिन जिनकी इम्यूनिटी कमजोर है उन्हें ब्लैक फ़ंगस का खतरा है.
ब्लैक फंगस को महामारी घोषित करे- केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने राज्यों से कहा
नई दिल्ली: देश में कोरोना की दूसरी लहर के बीच म्यूकोरमायकोसिस या ब्लैक फंगस आफत बन गया है. कई राज्यों में इसके मामले सामने आए हैं. इस बीच केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से महामारी रोग अधिनियम, 1897 के तहत ब्लैक फंगस को महामारी घोषित करने का आग्रह किया है. इसमें कहा गया है कि केंद्र ने महामारी रोग अधिनियम, 1897 के तहत ब्लैक फंगस को नोटिफाइड डिजीज श्रेणी में डाला जाए. ये कोरोना मरीजों की मौत का कारण बन रहा है.
स्वास्थ मंत्रालय के संयुक्त सचिव लव अग्रवाल ने अपनी चिट्टी में कहा कि हाल के दिनों में कवक संक्रमण के रूप में एक नई चुनौती सामने आई है, जिसका नाम म्यूकोरमायकोसिस है और कई राज्यों में कोरोना के मरीज इसके प्रभाव में हैं. चिट्ठी में कहा गया कि इस बीमारी के लक्षण वाले और कंफर्म मामलों की जानकारी स्वास्थ्य मंत्रालय को दी जाए. वहीं इसके इलाज के लिए केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय और आईसीएमआर की तरफ से जारी गाइडलाइंस का पालन किया जाए.
बता दें कि तेलंगाना और राजस्थान म्यूकरमाइकोसिस को महामारी रोग कानून 1897 के तहत एक अधिसूच्य रोग घोषित कर चुकी है. तेलंगाना में एक सरकारी अधिसूचना में ये कहा गया था कि सभी सरकारी और निजी स्वास्थ्य केंद्र, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय और भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद द्वारा ब्लैक फंगस की जांच, निदान तथा प्रबंधन के लिए तय दिशा निर्देशों का पालन करें. अधिसूचना में कहा गया, ‘‘सभी सरकारी और निजी स्वास्थ्य केंद्रों के लिए सभी संदिग्ध तथा पुष्ट मामलों की जानकारी स्वास्थ्य विभाग को देना अनिवार्य है.’’
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने गुरुवार को कहा कि दिल्ली सरकार के तीन अस्पतालों में ब्लैक फंगस या म्यूकरमाइकोसिस के इलाज के लिए विशेष केंद्र बनाये जाएंगे. उन्होंने एक बैठक में अधिकारियों और विशेषज्ञों के साथ ब्लैक फंगस के बढ़ते मामलों पर विचार-विमर्श करने के बाद यह घोषणा की. उन्होंने ट्वीट किया, ‘‘ब्लैक फंगस बीमारी की रोकथाम और इलाज के लिए बैठक में कुछ अहम निर्णय लिए. ब्लैक फंगस के इलाज के लिए लोक नायक जयप्रकाश अस्पताल, गुरु तेग बहादुर अस्पताल और राजीव गांधी सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल में केंद्र बनाये जाएंगे.’’
वहीं, बिहार के स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडे ने कहा कि बिहार में 50 के आसपास ब्लैक फंगस के मरीज है. इसके लिए एम्स पटना में मुख्य रूप से वार्ड भी बनाया गया है. निजी और सरकारी अस्पतालों में ब्लैक फंगस की दवाइयां भी भेजी गई है.
PM Modi की बैठक पर बोलीं ममता – Super flop रही मीटिंग
पीएम मोदी की बैठक के बाद पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने आरोप लगाया कि उन्हें बैठक में बोलने का मौका नहीं दिया गया. उन्होंने कहा, ”मुख्यमंत्रियों को कठपुतलियां बनाकर रख दिया गया है, प्रधानमंत्री के साथ कोविड पर बैठक में उन्हें बोलने की इजाजत नहीं होती.”
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कोरोना महामारी की चुनौतियों के बीच गुरुवार को 10 राज्यों के मुख्यमंत्रियों और 54 जिला कलेक्टरों के साथ बातचीत की. इस दौरान प्रधानमंत्री मोदी की तरफ से जिला कलेक्टरों को व्यवस्था की निगरानी समेत कई अहम सुझाव दिए गए. लेकिन, इस बैठक के बाद पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने खुद को ना बोलने देने का आरोप लगाते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर भड़क गईं. ममता बनर्जी ने कहा कि उन्हें एक तरह से अपमानित महसूस हुआ.
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के इन आरोपों पर केन्द्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने पलटवार किया. रविशंकर प्रसाद ने ममता पर पीएम मोदी की बैठक को ही पटरी से उतारने का आरोप लगाया. केन्द्रीय कानून मंत्री ने कहा कि आज प्रधानमंत्री ने कोरोना की लड़ाई के अच्छे कामों को शेयर करने के लिए कुछ राज्यों के जिलाधिकारियों की बैठक बुलाई थी. पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का आचरण आज बहुत अशोभनीय रहा है. उन्होंने पूरी बैठक को एक तरह से पटरी से उतारने की कोशिश की.
रविशंकर ने आगे कहा- उन्होंने कहा कि सिर्फ BJP प्रदेश के ज़िलाधिकारियों को बुलाया जाता है जबकि पूर्व में आंध्र प्रदेश, केरल, छत्तीसगढ़ और महाराष्ट्र के जिलाधिकारियों ने भी बात रखी है. ममता बनर्जी ने 24-परगना के DM को बोलने नहीं दिया, कहा कि DM क्या जानते हैं, मैं उनसे ज्यादा जानती हूं.
दरअसल, पीएम मोदी की बैठक के बाद पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने आरोप लगाया कि उन्हें बैठक में बोलने का मौका नहीं दिया गया. उन्होंने कहा, ”मुख्यमंत्रियों को कठपुतलियां बनाकर रख दिया गया है, प्रधानमंत्री के साथ कोविड पर बैठक में उन्हें बोलने की इजाजत नहीं होती.”
ममता ने कहा, ”मुख्यमंत्रियों के साथ प्रधानमंत्री की कोविड पर बैठक पूरी तरह फ्लॉप और अपमानजनक रही.” उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री ने कोविड बैठक में दावा किया कि संक्रमण के मामले कम हो रहे हैं, तो फिर अब भी इतनी मौतें क्यों हो रही है.
बच्चों को अच्छे भविष्य की उम्मीद दें — सोनिया गांधी का पीएम को पत्र
कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा है कि कोरोना वायरस के दौरान जिन बच्चों ने अपने माता-पिता को खो दिया है केंद्र सरकार उनकी शिक्षा और उज्जवल भविष्य के लिए कदम उठाए। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक सोनिया गांधी ने पत्र लिखकर अपील की है कि उन बच्चों को नवोदय विद्यालयों में मुफ्त शिक्षा देने के बारे में विचार किया जाए, जिन्होंने कोरोना महामारी की वजह से अपने माता-पिता या फिर इनमें से किसी एक को खो दिया है।
सोनिया गांधी ने पत्र में यह भी लिखा है कि अनाथ बच्चों के घर में जीविका चलाने वाला अब कोई नहीं बचा है। इसलिए इन बच्चों को बेहतर भविष्य की उम्मीद देना राष्ट्र के तौर पर हम सबकी जिम्मेदारी है। जिन बच्चों ने अपने माता-पिता या उनमें से किसी एक को खोया है वह बच्चे बच्चे सदमे में हैं और इनकी सतत शिक्षा और भविष्य के लिए कोई मदद उपलब्ध नहीं है। सोनिया गांधी ने भारत के पूर्व प्रधानमंत्री और अपने पति राजीव गांधी के कार्यकाल में शुरू किए गए नवोदय विद्यालयों का जिक्र करते कहा कि इस समय देश में 661 नवोदय विद्यालय चल रहे हैं। इसमें महामारी के दौरान जो बच्चे अनाथ हुए हैं उन्हें इसमें दाखिले के लिए सरकार विचार जरूर करें।
इसके अलावा सोनिया गांधी ने अपने पत्र में लिखा है कि मुझे लगता है कि एक राष्ट्र के तौर पर हमारी यह जिम्मेदारी बनती है कि हम अकल्पनीय त्रासदी से गुजरने के बाद इन बच्चों को अच्छे भविष्य की उम्मीद दें। जानकारी के लिए आपको बता दें कि देश में कोरोना वायरस की दूसरी लहर में बड़ी संख्या में लोगों की जान गई है।
नेपाल के सुप्रीम कोर्ट का एक बड़ा फैसला
नेपाल के सुप्रीम कोर्ट ने आज एक बड़ा फैसला सुनाते हुए ओली सरकार के 7 मंत्रियों की नियुक्ति को असंवैधानिक करार देते हुए उनके मंत्री पद पर हुई नियुक्ति को रद्द कर दिया है. 7 दिन पहले यानि 13 मई को प्रधानमंत्री पद पर दुबारा नियुक्त हुए प्रधानमंत्री के पी शर्मा ओली ने अपने कैबिनेट में 7 ऐसे मंत्रियों को भी स्थान दिया था जो कि फिलहाल सांसद नहीं है. ये सातों मंत्री पहले प्रचण्ड के नेतृत्व वाले माओवादी में थे लेकिन पार्टी विभाजन के बाद इन सभी ने ओली का साथ दिया था.
नेपाल के दलबदल कानून के तहत इन सबकी संसद सदस्यता उसी समय खारिज हो गई थी जिसके बाद ओली ने अपनी पिछली सरकार में इनको दुबारा शपथ कराया था. इस बार जब ओली संसद में विश्वास का मत हारने के बाद फिर से अल्पमत की सरकार बनाई तो इनको दुबारा से मंत्री बनाया. जिसे सुप्रीम कोर्ट ने प्रथम दृष्टया में असंवैधानिक माना है.
नेपाल के संविधान के मुताबिक कोई भी गैर सांसद एक ही बार 6 महीने के लिए मंत्री बन सकता है और 6 महीने के भीतर उसको संसद सदस्यता लेनी होगी. यदि वह 6 महीने के भीतर सांसद नहीं बन पाता है तो संसद के उस पूरे कार्यकाल के दौरान वह दुबारा मंत्री नहीं बन सकता है.
इसी को आधार मानते हुए सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस चोलेन्द्र शमशेर राणा की एकल खंडपीठ ने प्रधानमंत्री के फैसले को पलटते हुए उन सात मंत्रियों की नियुक्ति को तत्काल प्रभाव से रद्द कर दिया है.
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