बाजार से कई दवाएं गायब हो सकती हैं, इस दौर में भी आईडीपीएल ऋषिकेश की उपेक्षा क्यो? & सबसे ज्यादा प्रभावित 3 शहर & Top News 17 April 20
17 April 20: High Light# बाजार से कई दवाएं गायब हो सकती हैं. भारत अब तक 13 देशों को इस दवा की आपूर्ति कर चुका है और अभी भी दुनिया के कई देश इसके लिए कतार में हैं. भारत कुल 55 देशों को हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन की सप्लाई करेगा, जिसमें अमेरिका-ब्रिटेन से लेकर युगांडा जैसे देश शामिल हैं# #मॉरीशस, सेशेल्स को हर संभव मदद मुहैया कराएगा भारत: मोदी आईडीपीएल ऋषिकेश- गरीबों को दवा मुहैया कराने के लिए 1962 में बनी कंपनी को फिर से पुनर्स्थापित होगी? # नकारात्मकता से दूर रहें. अकेले हैं तो ऐसे लोगों से संपर्क में रहें जो सकारात्मक हों, आपसे प्रेम करते हों, #कोरोना से सबसे ज्यादा प्रभावित देश के ये तीन शहर #सोशल डिस्टेंसिंग की जमकर धज्जियां उड़ रही हैं ; कर्नाटका के पूर्व सीएम एचडी कुमारस्वामी के बेटे निखिल की शादी# भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने कई ऐलान किए# भारत में कोरोना वायरस संक्रमितों की संख्या 13 हजार को पार कर गई#दिल्ली के स्कूलों से साफ शब्दों में कहा है कि उन्हें फीस बढ़ाने की अनुमति नहीं दी जाएगी# भारत में कोरोना वायरस (Coronavirus) का असर धीरे-धीरे कम # #Himalayauk Newsportal & Daily Newspaper, publish at Dehradun & Haridwar: CS JOSHI- EDITOR Mob 9412932030 Mail; himalayauk@gmail.com
नकारात्मकता से दूर रहें. अकेले हैं तो ऐसे लोगों से संपर्क में रहें जो सकारात्मक हों, आपसे प्रेम करते हों,
कोशिश करें कि नकारात्मकता से दूर रहें. अकेले हैं तो ऐसे लोगों से संपर्क में रहें जो सकारात्मक हों, आपसे प्रेम करते हों, आपके मित्र सहयोगी या परिवार का कोई भी व्यक्ति हो सकता है. समय मिलने पर टीवी पर सिर्फ न्यूज देखने के बजाय आप जानकारीपरक प्रोग्राम या फिल्में देख सकते हैं. अचानक से पूरी दुनिया में एक वायरस का अटैक और हर तरफ से नेगेटिव खबरें. फिर सरकारों के फैसले कि लोग घरों में लॉकडाउन रहें. कुछ दिनों के लॉकडाउन के बाद फिर इसकी अवधि बढ़ जाना. लोगों के लिए ये सब अप्रत्याशित-सा है. किसी ने ऐसे किसी दिन की कल्पना नहीं की होगी कि उसकी गति में अचानक इस तरह विराम लग जाएगा. IHBAS (Institute of Human Behaviour and Allied Sciences) के मनोचिकित्सक डॉ ओमप्रकाश कहते हैं कि दूसरी बार लॉकडाउन बढ़ने के बाद अब लोगों में मानसिक तनाव बढ़ने लगा है. मनोचिकित्सकों के पास आने वाले कॉल्स में 80 प्रतिशत लोग पूछ रहे हैं कि लॉकडाउन में जीना कैसे है? आइए जानें इसका जवाब.
डॉ ओमप्रकाश कहते हैं कि मनोचिकित्सकों के लिए भी ये सवाल है कि लॉकडाउन में जीना कैसे है, एकदम नया और अलग है. मनोचिकित्सकों के पास इसका जवाब बहुत पारंपरिक है कि आप खुद को बिजी रखिए, रचनात्मक कार्य कीजिए. लेकिन हकीकत ये है कि इस जवाब से लोगों को संतुष्टि नहीं मिल पा रही है.
ये समस्या सबसे ज्यादा उन लोगों के साथ है जो अकेले रह रहे हैं, या वो जो पहले से तनाव में जी रहे हैं. उन अकेले रह रहे लोगों को पहले डॉक्टर ने सलाह दे रखी है कि आप लोगों से मिले-जुलें, और खुद को व्यस्त रखें. अब अचानक उन्हें घर में बंद होना पड़ा है. उन्हें न रचनात्मक कार्य भा रहा है और न ही अकेलेपन से वो लड़ पा रहे हैं.
डॉ ओमप्रकाश की मानें तो मनोचिकित्सक इस सवाल के ऐसे जवाब खोज रहे हैं, जिसे लोग समझकर अपना सकें. उन जवाबों में एक जवाब ये है कि आप हालात को अपना लें. मनोविज्ञान के क्षेत्र में एडॉप्ट थ्योरी उन लोगों पर लागू की जाती है, जिनके हालात अचानक बदल जाते हैं. कभी ट्रांसफर होने पर या कभी अचानक बीमार होने पर घर में अकेला रहना पड़ता है. डॉ कहते हैं कि अगर लोग इस तरह सोचें कि उनके साथ बहुत बुरा नहीं हुआ है, जो कि बर्दाश्त के काबिल न हो तो वो लॉकडाउन को जी सकते हैं.
जो नौकरीपेशा लोग संयुक्त परिवारों में रहने वाले हैं, उनके सामने भी ये समस्या कम नहीं है. कुछ लोग ऐसे हैं, जिन्हें वर्क फ्रॉम होम की सहूलियत मिली है, लेकिन कुछ को ये सुविधा भी नहीं है. उनके सामने नौकरी जाने की फिक्र भी है. समस्या दोनों के सामने है, एक वर्क फ्रॉम होम से सामंजस्य नहीं कर पा रहा. वहीं दूसरा नौकरी जाने के डर के चलते परिवार के साथ रहकर भी अकेला महसूस कर रहे हैं.
जो नौकरीपेशा लोग संयुक्त परिवारों में रहने वाले हैं, उनके सामने भी ये समस्या कम नहीं है. कुछ लोग ऐसे हैं, जिन्हें वर्क फ्रॉम होम की सहूलियत मिली है, लेकिन कुछ को ये सुविधा भी नहीं है. उनके सामने नौकरी जाने की फिक्र भी है. समस्या दोनों के सामने है, एक वर्क फ्रॉम होम से सामंजस्य नहीं कर पा रहा. वहीं दूसरा नौकरी जाने के डर के चलते परिवार के साथ रहकर भी अकेला महसूस कर रहे हैं.
लेकिन इन सबके बावजूद अगर तनाव शरीर में अपने लक्षण दिखाने लगे तो इसे गंभीरता से लें और तत्काल मनोचिकित्सक से सलाह लें. ऐसे हालात में मनोचिकित्सक उन्हें काउंसिलिंग के साथ ही कुछ दवाओं से भी मदद कर सकते हैं.
ये होते हैं लक्षण-
– रात में नींद न आना, या बीच-बीच में नींद टूट जाना
– शरीर में कंपन महसूस होना, हृदय गति कम या ज्यादा होना
– घबराहट, बेचैनी, भूख न लगना आदि लक्षण भी हो सकते हैं
डॉ ओमप्रकाश कहते हैं कि इन हालातों में जीने का सबसे बड़ा नुस्खा ये है कि कोशिश करें कि नकारात्मकता से दूर रहें. अकेले हैं तो ऐसे लोगों से संपर्क में रहें जो सकारात्मक हों, आपसे प्रेम करते हों, आपके मित्र सहयोगी या परिवार का कोई भी व्यक्ति हो सकता है. समय मिलने पर टीवी पर सिर्फ न्यूज देखने के बजाय आप जानकारीपरक प्रोग्राम या फिल्में देख सकते हैं. इसके अलावा आप अगर घर में रहते हुए भी किसी रूटीन को फॉलो करें तो ये आपके लिए सबसे मददगार हो सकते हैं. मसलन पढ़ने, खाने, टीवी देखने, लोगों से बात करने, घर का काम करने से लेकर सोने तक का एक टाइमटेबल बनाएं और उसे फॉलो करें. मानसिक स्वास्थ्य के लिए जरूरी है कि आप अपने रूटीन में एक्सरसाइज को जरूर शामिल करें. साथ ही मन में ये हर वक्त ये बनाए रखें कि ये समय बदल जाएगा और सबकुछ सामान्य हो जाएगा. हालात कभी एक से नहीं रहते.
बाजार से कई दवाएं गायब हो सकती हैं. — भारत अब तक 13 देशों को इस दवा की आपूर्ति कर चुका है और अभी भी दुनिया के कई देश इसके लिए कतार में हैं. भारत कुल 55 देशों को हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन की सप्लाई करेगा, जिसमें अमेरिका-ब्रिटेन से लेकर युगांडा जैसे देश शामिल हैं.
हाइड्रोक्शीक्लोरोक्वीन जो USA भेजी गयी वो सेलाकुई इंडस्ट्रियल एरिया देहरादून में IPCA में बनीं है, जिसकी स्था्पना पूर्व मुख्यीमंत्री स्वm0 नारायण दत्त तिवारी जी ने कराई थी- वही दवा कंपनियों ने आश्वस्त किया है कि वे आगामी एक महीने में 40 टन (2 मिलीग्राम की एक-एक टैबलेट) बना लेंगे। भारत द्वारा दुनिया बचाने की मुहिम जारी रहनी चाहिए। क्या इस मुहिम में आईडीपीएल ऋषिकेश को भी शामिल किया जायेगा- बडा सवाल-
आईडीपीएल ऋषिकेश- गरीबों को दवा मुहैया कराने के लिए 1962 में बनी कंपनी को फिर से पुनर्स्थापित होगी?
https://himalayauk.org/idpl-rishikesh-medicine-factory/ आईडीपीएल ऋषिकेश- गरीबों को दवा मुहैया कराने के लिए 1962 में बनी कंपनी को फिर से पुनर्स्थापित होगी?
भारत जेनेरिक दवाओं का सबसे बड़ा उत्पादक देश है. पिछले कई सालों में भारत में बेहद कम कीमत में दवाइयां बनाई जा रही हैं, जिससे दुनिया भर में लोगों को सस्ता इलाज मुहैया हो रहा है. ग्लोबल बिजनेस रिपोर्ट के मुताबिक, जेनरिक ड्रग इंडस्ट्री भारतीय अर्थव्यवस्था की सबसे बड़ी मजबूती बनती जा रही है. दुनिया में जेनेरिक दवाओं के सबसे बड़े आपूर्तिकर्ता देश से अमेरिका की जेनेरिक दवाइयों की 40 फीसदी आपूर्ति होती है. भारत की जेनेरिक ड्रग इंडस्ट्री दुनिया के लगभग हर देश को सप्लाई करती है. आकार के मामले में भारत की फार्मा इंडस्ट्री दुनिया में तीसरे नंबर पर और कीमत के मामले में 10वें नंबर पर है. इस सेक्टर का भारत की जीडीपी में 1.72 फीसदी का योगदान है. भारत 200 से ज्यादा देशों को फार्मा उत्पाद बेचता है जिसमें से सख्त निगरानी वाले अमेरिकी बाजार, पश्चिमी यूरोप और ऑस्ट्रेलिया भी शामिल हैं.
भारत इन दवाओं के कच्चे माल के लिए काफी हद तक चीन पर निर्भर है. चीन के हुबई प्रांत से जेनरिक दवाओं के कच्चे माल का आयात होता है और यही कोरोना वायरस का केंद्र भी था. चीन से आयात पर पाबंदी की वजह से कच्चे माल की आपूर्ति प्रभावित हो रही है. दवा बनाने वाली भारतीय कंपनियों का कहना है कि अगर भारत सरकार जल्द हस्तक्षेप नहीं करती है तो कच्चे माल की कमी पड़ सकती है और अगले कुछ सप्ताह में बाजार से कई दवाएं गायब हो सकती हैं.
फार्मा इंडस्ट्री के सामने तमाम चुनौतियां पैदा हो गई हैं. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, सप्लायर्स ने कच्चे माल की कीमतें बढ़ा दी हैं. हालत बेहद खराब है और ब्लैक मार्केटिंग शुरू हो गई है. यहां तक कि जो कच्चा माल आसानी से उपलब्ध था, उसके लिए भी मारा-मारी मच रही है. मास्क और हैंड सैनिटाइजर्स की तरह, कच्चा माल ढूंढना भी आसान नहीं रह गया है. कॉसवे फार्मा के प्रबंध निदेशक मानव ग्रोवर ने एक इंटरव्यू में कहा, ”हम एक किलो हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन 20000 रुपये में खरीदते थे लेकिन अब इसकी कीमत 85000 रुपये हो गई है. ऐसे में, हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन की एक टेबलेट की लागत 35 रुपये हो गई है जबकि पहले इसकी लागत सिर्फ पांच रुपये पड़ती थी.”
कोरोना वायरस से दुनिया की लड़ाई में अचानक से भारत की अहमियत बढ़ गई है. कई विश्लेषकों का मानना है कि भारत की यह अहमियत संकट की घड़ी में उसकी उदार छवि को और प्रभावी बना सकती है. भारत में बनने वाली मलेरिया की दवाई हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन की मांग सुपरपावर अमेरिका से लेकर तकनीक की दुनिया में अपनी धाक रखने वाले इजरायल तक कर रहे हैं. भारत ने सबको यह दवाई मुहैया भी कराई और सबने दिल खोलकर तारीफ भी की. यहां तक कि कल तक जो कश्मीर पर पाकिस्तान के साथ थे वो भी भारत से ये दवाई मांग रहे हैं. शायद मलेशिया और तुर्की कश्मीर पर अब उस तरह से पाकिस्तान की तरफदारी न कर पाएं. भारत अब तक 13 देशों को इस दवा की आपूर्ति कर चुका है और अभी भी दुनिया के कई देश इसके लिए कतार में हैं. भारत कुल 55 देशों को हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन की सप्लाई करेगा, जिसमें अमेरिका-ब्रिटेन से लेकर युगांडा जैसे देश शामिल हैं.
हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन एंटी मलेरिया ड्रग है, जिसका इस्तेमाल अर्थराइटिस और लूपस के उपचार में भी किया जाता है. भारत हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन का सबसे बड़ा उत्पादक देश है और हर साल 5 करोड़ डॉलर के मूल्य का निर्यात करता है. दुनिया में हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन उत्पादन में अकेले भारत की 70 फीसदी की हिस्सेदारी है. भारत को दुनिया की फार्मेसी कहा जाता है. अफ्रीका के कुछ देशों और लैटिन अमेरिकी देशों को मानवता के नाते दवाई निर्यात करने के फैसले को लेकर भी भारत की तारीफ हो रही है. ब्राजील के राष्ट्रपति जैर बोल्सानारो और इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने भी हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन भेजने के लिए शुक्रिया अदा किया. यूके समेत कई अन्य देश भी भारत का आभार व्यक्त कर चुके हैं.
हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन को कोरोना वायरस की लड़ाई में गेमचेंजर बताने वाले अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भी भारत का गुणगान किया. ट्रंप ने ट्वीट किया, असाधारण वक्त में दोस्तों के सहयोग की जरूरत और बढ़ जाती है. हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन पर फैसले के लिए भारत और भारत के लोगों को शुक्रिया. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत कोरोना से लड़ाई में पूरी मानवता पर उपकार कर रहा है.”
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी ट्रंप के ट्वीट के जवाब में दोनों देशों के बीच मजबूत संबंधों पर जोर दिया. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लिखा, मैं आपसे पूरी तरह सहमत हूं. मुश्किल वक्त दोस्तों को और करीब लाता है. भारत-अमेरिका की साझेदारी पहले से भी ज्यादा मजबूत हुई है. भारत कोरोना वायरस से लड़ाई में मानवता की हरसंभव मदद करेगा. हम इस लड़ाई को मिलकर जीतेंगे. कोरोना वायरस की त्रासदी आने के बाद से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दुनिया के कई देशों से संपर्क किया और इस लड़ाई में एकजुटता दिखाई. मार्च महीने में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दक्षिण एशियाई सहयोग संगठन (सार्क) देशों के लिए कोरोना वायरस फंड का ऐलान किया और एक करोड़ डॉलर देने की पेशकश की. भारत नेपाल, भूटान, श्रीलंका, अफगानिस्तान, बांग्लादेश, मालदीव, मॉरिशस और सेशेल्स को भी भारत हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन दवा भेजेगा.
रिपोर्ट्स के मुताबिक, कश्मीर पर खुलकर पाकिस्तान का समर्थन करने वाले देश तुर्की और मलेशिया ने भी भारत से इस दवा को भेजने का अनुरोध किया है. दोनों देशों के साथ भारत के कूटनीतिक रिश्ते पिछले कुछ समय से काफी तनावपूर्ण हो गए थे. मलेशिया के एक मंत्री ने रॉयटर्स एजेंसी को बताया कि भारत ने दवा की एक खेप भेज दी है और सरकार ने दूसरी खेप भेजने की अपील की है.
कहा जा रहा है कि भारत की इन कोशिशों से दुनिया में भारत की कूटनीतिक स्थिति भी मजबूत हो रही है. भारत के पूर्व विदेश सचिव कंवल सिब्बल ने अलजजीरा से कहा, कुछ हद तक भारत ने कई देशों से गुडविल कमाई है. लोग इस बात को जानते हैं कि चीन पीपीई (पर्सनल प्रोटेक्टिव एक्विपमेंट) और वेंटिलेटर्स का जरूरत से ज्यादा उत्पादन करता है लेकिन भारत उससे अलग है, वह पैसे कमाने के लिए नहीं बल्कि अंतरराष्ट्रीय एकजुटता के लिए वास्तविक कुर्बानी दे रहा है. ये मदद भारत के लिए दूसरे देशों में सद्भावना तो पैदा करेगी लेकिन महामारी नियंत्रित होने के बाद देश किस तरह से कूटनीतिक रिश्ते आगे बढ़ाते हैं, उस बड़े परिदृश्य में ये एक छोटा सा पहलू साबित हो सकता है. इसलिए मुझे ये नहीं लगता है कि इस चीज को बहुत बढ़ा-चढ़ाकर पेश करने की जरूरत है. हां, इतना जरूर है कि भारत भी जब इन देशों से कोई मदद मांगेगा तो उसकी इस उदारता को नजरअंदाज नहीं किया जा सकेगा.
अमेरिका में भारत के राजदूत रहे ललित मान सिंह ने कहा, इस वक्त हमें कूटनीति की चर्चा नहीं करनी चाहिए. जब कोई देश मुसीबत की घड़ी में किसी दवा को भेजने की अपील करता है तो यह उस देश का फायदा उठाने के लिए नहीं होता है. फिलहाल, हमें मानवता को सबसे ऊपर रखना चाहिए. उन्होंने कहा कि भारत की हमेशा से जरूरतमंद देशों की मदद करने की नीति रही है, खासकर फार्मा सेक्टर के जरिए. भारत ने एचआईवी/एड्स से लड़ने के लिए भी अफ्रीका में दवा भेजकर लाखों लोगों की जानें बचाई थीं.
मॉरीशस, सेशेल्स को हर संभव मदद मुहैया कराएगा भारत: मोदी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) ने बृहस्पतिवार को कहा कि भारत और मॉरीशस हमेशा एक-दूसरे के साथ खड़े रहेंगे, विशेष तौर पर कोविड-19 (Coronavirus) महामारी की तरह के चुनौतीपूर्ण समय में. प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि भारत कोविड-19 से मुकाबले के लिए सेशल्स को हर संभव सहायता प्रदान करेगा. मोदी मॉरीशस के प्रधानमंत्री प्रवीण जगन्नाथ और सेशेल्स के राष्ट्रपति डैनी फॉरे के ट्वीट का जवाब दे रहे थे, जिसमें उन्होंने कोरोना वायरस के प्रसार को रोकने के लिए अपने देशों को चिकित्सा खेप भेजने के लिए भारत को धन्यवाद दिया गया था.
मोदी ने ट्वीट किया, “प्रधानमंत्री प्रवीण जगन्नाथ आपके नम्र शब्दों के लिए आपका धन्यवाद. भारत और मॉरीशस इतिहास, संस्कृति, भाषा और हिंद महासागर से एक दूसरे से जुड़े हुए हैं. हम हमेशा एक दूसरे के साथ खड़े रहेंगे, खासकर इस तरह के चुनौतीपूर्ण समय में.’’ मोदी प्रधानमंत्री जगन्नाथ के उस ट्वीट का जवाब दे रहे थे जिसमें उन्होंने आपूर्ति के लिए भारत को धन्यवाद दिया था. जगन्नाथ ने ट्वीट किया था, ‘‘मैं भारत सरकार से चिकित्सा आपूर्ति के उदार दान के लिए प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी का बहुत आभारी हूं, जो कल बुधवार, 15 अप्रैल को मॉरीशस पहुंची.’’ राष्ट्रपति फॉरे के कार्यालय ने भी ट्वीट करके भारत को चिकित्सकीय खेप भेजने के लिए धन्यवाद दिया था. मोदी ने जवाब में कहा, ‘‘राष्ट्रपति डैनी फॉरे के उनके नम्र शब्दों के लिए आभारी हैं. सेशेल्स हमारे हिंद महासागर परिवार का एक महत्वपूर्ण सदस्य है और क्षेत्र में सभी के लिए सुरक्षा और प्रगति की हमारी दृष्टि का एक महत्वपूर्ण स्तंभ है.’’ उन्होंने कहा कि भारत कोविड-19 से मुकाबले के लिए सेशेल्स को हर संभव सहायता प्रदान करेगा.
कोरोना से सबसे ज्यादा प्रभावित देश के ये तीन शहर
लॉकडाउन-2 के बाद भी कोरोना का मीटर डाउन ही नहीं हो रहा. महामारी वाले इस वायरस के हॉटस्पॉट फैलते जा रहे हैं, रिस्क ज़ोन बढ़ते जा रहे हैं. स्वास्थ्य मंत्रालय के नए आंकड़ों के मुताबिक – मुंबई, दिल्ली, इंदौर और जयपुर में कोरोना की डराने की हद तक रफ्तार बढ़ती जा रही है. अकेले मुंबई में कोविड-19 की चपेट में आने वाले मरीजों की संख्या 2 हजार के पार पहुंच गई, जिनमें 117 मौत भी शामिल हैं.
मध्य प्रदेश की ओर क्यो नही है नैशनल मीडिया का ध्यान- मुख्यमंत्री का पद संभालने के बाद शिवराज सिंह ने पहला बड़ा काम कमलनाथ सरकार द्वारा नियुक्त अधिकारियों को हटाने का किया। अफ़सरों को हटाने-लाने की सूचियाँ अभी भी लगातार जारी हो रही हैं। 23 मार्च से आज की तारीख़ तक सरकार के सारे विभागों में केवल वही मंत्री हैं जो कि मुख्यमंत्री भी हैं। शिवराज सिंह ही कोरोना के साथ लड़ाई भी लड़ रहे हैं और सरकार भी चला रहे हैं। इस बीच बहस भी जारी है कि नये मंत्रिमंडल में किसे लिया जाए और सिंधिया के किन लोगों को क्या पद दिए जाएँ। इस बीच मौत के आँकड़े भी बढ़ते रहें तो कोई आश्चर्य नहीं व्यक्त किया जाना चाहिए।
तीन मार्च की रात मध्य प्रदेश में जिस पोलिटिकल ड्रामे की शुरुआत हुई थी उसका औपचारिक पटाक्षेप होना अभी बाक़ी है। घटनाक्रम को संक्षेप में री-केप करें तो: तीन मार्च की रात कांग्रेस, सपा, बसपा के दस विधायकों को उड़ाकर पहले दिल्ली और फिर गुरुग्राम ले जाया गया। नौ मार्च को सत्तारुढ़ कांग्रेस के 17 विधायक बेंगलुरु पहुँच गए। दस मार्च को ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कांग्रेस छोड़कर भाजपा में प्रवेश कर लिया। 19 मार्च को कोरोना को लेकर पहली बार प्रधानमंत्री ने देश को संबोधित किया। 20 मार्च को कमलनाथ का मुख्यमंत्री पद से इस्तीफ़ा हो गया। 23 मार्च की रात शिवराज सिंह ने चौथी बार प्रदेश के मुख्यमंत्री पद की शपथ ग्रहण कर ली।
सवाल यह है कि मध्य प्रदेश में हाल-फ़िलहाल जो कुछ भी चल रहा है उसके लिए किसे दोषी ठहराया जाए : नागरिकों को? तब्लीग़ी जमात को? समूची मुसलिम आबादी को? या फिर प्रदेश की मौजूदा राजनीतिक-प्रशासनिक अस्थिरता-अक्षमता को?
कोरोना: मध्य प्रदेश में जो चल रहा है उसका दोषी कौन, मुख्यमंत्री अगर कोरोना संकट के लिए तीन सप्ताह पहले ही बिदा हो चुकी कमलनाथ सरकार को ही दोषी ठहरा रहे हैं तो शिवराज सिंह की चिंता को समझा जा सकता है।
मध्यप्रदेश भी 1 हजार संक्रमितों के क्लब में शामिल मध्यप्रदेश में तेजी से कोरोना वायरस से संक्रमित बढ़ रहे हैं। जिससे एक हजार से अधिक कोरोना वायरस वाले राज्यों में शामिल हो गया है। मध्यप्रदेश में 226 नए मामले आने के बाद यहां संक्रमितों की संख्या 1164 हो गई है। मध्यप्रदेश से पहले महाराष्ट्र, दिल्ली, तमिलनाडु और राजस्थान में भी एक हजार से अधिक लोग संक्रमित हो चुके हैं।
सोशल डिस्टेंसिंग की जमकर धज्जियां उड़ रही हैं ; कर्नाटका के पूर्व सीएम एचडी कुमारस्वामी के बेटे निखिल की शादी
कोरोना की रफ्तार पर ब्रेक लगाने के लिए पूरे देश में लॉकडाउन लागू है. एक तरफ इस लॉकडाउन के चलते तमाम बड़े कार्यक्रम कैंसिल किए जा रहे हैं, तो वहीं दूसरी तरफ आज कर्नाटका के पूर्व सीएम एचडी कुमारस्वामी के बेटे निखिल की शादी है. सवाल ये है कि क्या लॉकडाउन के मद्देनजर ये शादी कम लोगों के बीच नहीं हो सकती थी? इस कार्यक्रम में सोशल डिसटेंसिंग के पालन का दावा किया गया है. लेकिन तस्वीरों से साफ है कि यहां सोशल डिस्टेंसिंग की जमकर धज्जियां उड़ रही हैं कोरोना वायरस महामारी की वजह से देश में इस वक्त लॉकडाउन लागू है. लोगों के घर से बाहर निकलने पर पाबंदी है, कोई बड़ा कार्यक्रम नहीं हो रहा है. लेकिन इन सब पाबंदियों से इतर शुक्रवार को कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी के बेटे निखिल कुमारस्वामी की शादी हुई. बेंगलुरु के रामनगर में बड़े शाही तरीके से निखिल की शादी हुई, जहां पर मीडिया के जाने की भी पाबंदी की गई थी.
शादी को लेकर कई तरह के सवाल भी खड़े हो रहे हैं, क्योंकि एक तरफ जहां पर देशभर में लोगों को सोशल डिस्टेंसिंग का पाठ पढ़ाया जा रहा है. वहां पर दूसरी ओर इस तरह का वीवीआईपी ट्रीटमेंट देखने को मिल रहा है. एचडी कुमारस्वामी के बेटे निखिल ने कांग्रेस सरकार में मंत्री रहे एम. कृष्णप्पा की भतीजी रेवती से शादी की है. रामनगर के एक फार्म हाउस में शाही शादी का आयोजन किया गया, भले ही मीडिया को जाने की इजाजत ना दी गई हो. लेकिन वेन्यू पर करीब 30-40 गाड़ियों का जमावड़ा जरूर देखा गया स्थानीय पुलिस का कहना था कि परिवार की ओर से कुछ गाड़ियों के रजिस्ट्रेशन नंबर दिए गए थे, सिर्फ उन्हीं गाड़ियों को कार्यक्रम में जाने की इजाजत दी जा रही है.
गौरतलब है कि लॉकडाउन के कारण केंद्र सरकार ने जो गाइडलाइन्स जारी की थीं, उसके अनुसार इस दौरान किसी भी बड़े कार्यक्रम के आयोजन को मंजूरी नहीं दी जानी है. हालांकि, जब एचडी कुमारस्वामी से इस बारे में सवाल हुआ था तो उन्होंने कहा था कि शादी को लेकर उनके पास सभी तरह की परमिशन हैं. इसके अलावा डॉक्टरों से भी कई तरह की सलाह ली गई हैं.
राज्य सरकार की ओर से इस शादी में सिर्फ 70 से 100 लोगों की मौजूदगी की इजाजत दी गई है. साथ ही राज्य सरकार की ओर से शादी की वीडियोग्राफी भी की गई है, जिसके द्वारा इस बात पर नज़र रखी गई कि सोशल डिस्टेंसिंग का पालन हुआ या नहीं. आपको बता दें कि कर्नाटक में कोरोना वायरस के शुक्रवार तक 300 से अधिक मामले सामने आ चुके हैं, जबकि राज्य में 13 लोगों की मौत हो गई है.
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने कई ऐलान किए
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने देश में जारी लॉकडाउन के बीच बैंकों, माइक्रो फाइनेंस इंस्टीट्यूट (MFI) और गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (NBFC) को बड़ी राहत देते हुए उन्हें 1 लाख करोड़ रुपये की नकदी देने की व्यवस्था की है. भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने नकदी प्रवाह बढ़ाने के लिए शुक्रवार को कई ऐलान किए हैं. रिजर्व बैंक ने 50 हजार करोड़ रुपये के टारगेटेड लॉन्ग टर्म रेपो ऑपरेशन (TLTRO) के जरिए 50 हजार करोड़ रुपये सिस्टम में लाने का ऐलान किया है. यह कई टुकड़ों में किया जाएगा और गवर्नर ने कहा कि हालात की समीक्षा के बाद जरूरत हुई तो और भी नकदी डाली जाएगी. गौरतलब है कि आर्थिक संकट के दौर में इन संस्थाओं को नकदी की काफी समस्या हो रही थी. बैंक और वित्तीय संस्थाएं जब इस तरह का फंड हासिल करेंगी तो उसे कंपनियों, एनबीएफसी और माइक्रो फाइनेंस इंस्टीट्यूट के इनवेस्टमेंट ग्रेड बॉन्ड में लगाएंगी. इस तरह से कॉरपोरेट और छोटी वित्त संस्थाओं को पैसा मिल पाएगा. गौरतलब है कि खासकर लघु वित्त संस्थाओं को नकदी की काफी तंगी से गुजरना पड़ रहा है. कोरोना वायरस महासंकट से जूझ रही अर्थव्यवस्था में जान फूंकने के लिए आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने शुक्रवार को रिवर्स रेपो रेट में 0.25 फीसदी की कटौती का ऐलान किया, इसी के साथ बाजार में नकदी संकट ना आए इसके लिए भी 50 हजार करोड़ रुपये की अतिरिक्त इंतजाम की बात कही.
लॉकडाउन की वजह से भारतीय अर्थव्यवस्था को लगे तगड़े झटके से उबारने के लिए आरबीआई ने शुक्रवार को कुछ बड़े ऐलान किया. आरबीआई ने रिवर्स रेपो रेट में 25 बेसिस पॉइंट की कटौती की है. इससे बैंकों को कर्ज देने में आसानी होगी. आरबीआई ने छोटे और मध्य वित्तीय संस्थाओं को भी आर्थिक मदद की घोषणा की. गवर्नर के मुताबिक, जी 20 देशों में भारत की अर्थव्यवस्था सबसे बेहतर हालात में है. उन्होंने कहा कि देश में अनाज की कोई कमी नहीं है. आरबीआई गवर्नर ने ऐलान से आम आदमी का किस प्रकार सोरकार है,
कोरोना संकट और लॉकडाउन के बीच रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) ने आज बड़े ऐलान किए हैं. आरबीआई ने रिवर्स रेपो रेट घटा कर बैंकों की जमा राशि पर ब्याज को कम कर दिया. आरबीआई की ओर से दी गई राहत पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आभार जताया. उन्होंने कहा कि इससे छोटे व्यवसायों, एमएसएमई, किसानों और गरीबों को फायदा मिलेगा.
पीएम नरेंद्र मोदी ने अपने ट्वीट में लिखा, ‘आरबीआई की आज की घोषणाएं से नकदी प्रवाह बढ़ेगा और ऋण आपूर्ति में सुधार होगा. इन कदमों से हमारे छोटे व्यवसायों, एमएसएमई, किसानों और गरीबों को मदद मिलेगी. यह डब्ल्यूएमए की सीमा बढ़ाकर सभी राज्यों की मदद भी करेगा.’
इससे पहले वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा, ‘कोरोना के कारण होने वाली कठिनाइयों के मद्देनजर आरबीआई की ओर से नकदी तरलता बनाए रखने, बैंक ऋण प्रवाह को प्रोत्साहित करने, वित्तीय तनाव कम करने और बाजारों के सामान्य कामकाज को सक्षम करने के उद्देश्य से कई कदम उठाए गए हैं.’
इसके आलवा रिजर्व बैंक ने नाबार्ड, सिडबी और नेशनल हाउसिंग बैंक (एनएचबी) जैसी सरकारी वित्त संस्थाओं को 50 हजार करोड़ रुपये की रीफाइनेंस यानी पुनर्वित्त की व्यवस्था करने की घोषणा की है. ये संस्थाएं वित्त हासिल कर फिर जनता और उद्यमियों को कर्ज दे सकेंगी. संकट के दौर में देश की इकोनॉमी को बचाने के लिए रिजर्व बैंक एक्टिव है. इसके पहले रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने 27 मार्च को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस किया था, उसमें उन्होंने रेपो रेट में 0.75 फीसदी की भारी कटौती का ऐलान किया था.
गौरतलब है कि कोरोना संकट की वजह से भारतीय अर्थव्यवस्था की हालत काफी खराब है. लॉकडाउन की वजह से लगभग सभी तरह के काम-धंधे बंद पड़े हैं और हर दिन 35 हजार करोड़ का नुकसान हो रहा है. लॉकडाउन के पहले चरण में ही देश की जीडीपी को करीब 8 लाख करोड़ रुपये का नुकसान हो चुका है. दुनिया भर के केंद्रीय बैंक अपनी इकोनॉमी को बचाने के लिए एक्टिव हैं और रिजर्व बैंक भी इस मामले में पीछे नहीं है.
भारत में कोरोना वायरस संक्रमितों की संख्या 13 हजार को पार कर गई
Corornavirus India Update : कोरोना वायरस संक्रमितों की संख्या 13 हजार को पार कर गई है। पिछले 24 घंटे में आए एक हजार से ज्यादा मामले सामने आए हैं। भारत में कोरोना वायरस संक्रमितों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। पिछले 24 घंटे में कोरोना संक्रमण के एक हजार से अधिक नए मामले सामने आए हैं। जिसके बाद संक्रमितों का आंकड़ा 13664 पर पहुंच गया है। भारत में कोरोना वायरस के तीसरी बार 24 घंटे में एक हजार से अधिक मामले आए हैं। 13 और 14 अप्रैल के बाद 16 अप्रैल को कोरोना वायरस संक्रमितों की संख्या एक हजार से अधिक रही है। 16 अप्रैल को देशभर में 1059 कोरोना संक्रमित मिले हैं। सबसे ज्यादा मामले महाराष्ट्र और मध्यप्रदेश में सामने आए हैं। दूसरी तरफ भारत में कोरोना संक्रमितों की संख्या अब बढ़कर 13664 पर पहुंच गई है। इनमें से 1793 ठीक हो चुके हैं जबकि 450 की मौत हो चुकी है। इसके अलावा 11421 लोग अभी भी कोरोना वायरस से अस्पतालों में लड़ रहे हैं।
मध्यप्रदेश भी 1 हजार संक्रमितों के क्लब में शामिल मध्यप्रदेश में तेजी से कोरोना वायरस से संक्रमित बढ़ रहे हैं। जिससे एक हजार से अधिक कोरोना वायरस वाले राज्यों में शामिल हो गया है। मध्यप्रदेश में 226 नए मामले आने के बाद यहां संक्रमितों की संख्या 1164 हो गई है। मध्यप्रदेश से पहले महाराष्ट्र, दिल्ली, तमिलनाडु और राजस्थान में भी एक हजार से अधिक लोग संक्रमित हो चुके हैं।
राजस्थान : प्रदेश में आज 38 नए मामले आए हैं। जानकारी के मुताबिक जयपुर में 5, जोधपुर में 18, झुंझुनु में 1, नागौर में 2, अजमेर में 1, टोंक में 6, झालावाड़ में 1 और कोटा में 4 संक्रमित पाए गए हैं। जिसके बाद राजस्थान में संक्रमितों की संख्या 1169 हो गई है। गुजरात : प्रदेश में अभी तक रिकार्ड 92 मामले आए हैं। जिसके बाद प्रदेश में संक्रमितों की संख्या बढ़कर 1021 हो गई है। गुजरात छठवां राज्य है जहां संक्रमितों की संख्या 1 हजार से अधिक हो गई है। पश्चिमी बंगाल : प्रदेश में आए 24 नए मामले आए हैं। अभी तक 255 लोग वायरस की चपेट में आ चुके हैं। इनमें से दस की मौत हो चुकी है।
दिल्ली के स्कूलों से साफ शब्दों में कहा है कि उन्हें फीस बढ़ाने की अनुमति नहीं दी जाएगी।
दिल्ली के डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया ने शुक्रवार को लॉकडाउन के बीच स्कूलों से साफ शब्दों में कहा है कि उन्हें फीस बढ़ाने की अनुमति नहीं दी जाएगी। समाचार एजेंसी एएनआई के मुताबिक, डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया ने कहा है कि दिल्ली सरकार ने आज निर्णय लिया है कि किसी भी प्राइवेट स्कूल को (वो चाहे सरकारी जमीन पर बना हो या गैर सरकारी जमीन पर) फीस बढ़ाने की इजाजत नहीं दी जाएगी।
सरकार से पूछे बिना कोई भी स्कूल फीस नहीं बढ़ा सकता। कोई भी स्कूल तीन महीने की फीस नहीं मांगेगा, वह सिर्फ एक महीने की ट्यूशन फीस मांग सकते हैं। जो ऑनलाइन एजुकेशन दी जा रही है। वो सभी बच्चों को देनी होगी, जो माता-पिता फीस नहीं दे पा रहे हैं उनके बच्चों को भी। कोई भी स्कूल ट्रांसपोर्टेशन फीस और कोई अन्य फीस चार्ज नहीं करेगा। सभी प्राइवेट स्कूलों की ये ज़िम्मेदारी होगी कि वो अपने सभी स्टाफ को (टीचिंग और नॉन टीचिंग) समय पर सैलरी उपलब्ध करवाएं। यदि उनकी आय में किसी तरह की कमी है तो वो अपनी पैरंट संस्था से पैसा लेकर उसको पूरा करें। जो स्कूल आदेशों का पालन नहीं करेंगे उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
वही दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा कि गंभीर मरीज़ों में अगर प्लाज्मा तकनीक का इस्तेमाल किया जाए तो अच्छे नतीजे देखने को मिल सकते हैं। क्योंकि कुछ देशों में इसके अच्छे नतीजे देखने को मिले हैं। सीएम केजरीवाल ने आगे कहा कि हमें केंद्र सरकार से इसके ट्रायल की इजाजत मिल गई है। अगले तीन या चार दिन के अंदर डॉक्टर इसका ट्रायल करेंगे और देखेंगे कि ये कितना सफल रहता है। 57 कंटेनमेंट ज़ोन बनाए गए मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने बताया कि दिल्ली में करीब 57 कंटेनमेंट जोन बनाए गए हैं। और इन जोन में ऑपरेशन शील्ड चलाया जा रहा है। दिलशाद गार्डन में 15-20 से एक भी केस नहीं आया, वसुंधरा एन्क्लेव और खिचड़ीपुर में भी एक भी केस नहीं आया है। मार्च के आखिरी हफ्ते और अप्रैल के पहले हफ्ते में दिल्ली में कोरोना वायरस से संक्रमित बहुत सारे मरीज आए थे। अब वो मरीज ठीक होने लगे हैं। आज भी कई मरीजो को अस्पताल से छुट्टी मिलेगी। वहीं आने वाले तीन या चार दिनों में भी कई मरीजो को अस्पताल से छुट्टी मिलेगी।
भारत में कोरोना वायरस (Coronavirus) का असर धीरे-धीरे कम
भारत में कोरोना वायरस (Coronavirus) का असर धीरे-धीरे कम होता दिख रहा है. जिस रफ्तार से यह बढ़ रहा था, उसमें थोड़ी कमी आई है. हम इसे कुछ आंकड़ों से आपको समझाते हैं. सबसे पहले बात करते हैं 1 अप्रैल की. उस दिन भारत में कोरोना वायरस से 437 लोग संक्रमित हुए थे. 2 अप्रैल को इस संख्या में थोड़ी कमी जरूर आई थी, लेकिन उसके बाद इसने रफ्तार पकड़ना शुरू कर दिया और सिर्फ 6 अप्रैल को 704 लोग इसकी चपेट में आ गए.
इतना ही नहीं, 14 अप्रैल का डाटा तो और भी डराने वाला है. उस दिन भारत में 1463 लोग इससे संक्रमित हुए. लगा हालात कंट्रोल से बाहर हो रहा है, लेकिन पीएम मोदी (Narendra Modi) ने लॉकडाउन का समय 3 मई तक बढ़ा दिया. इसका साफ असर देखने को मिला. कोरोना संक्रमितों की संख्या कम होती नजर आई.
15 अप्रैल को 1118 लोग और 16 अप्रैल को 825 लोग इस वायरस की चपेट में आए. यदि हम 16 अप्रैल की तुलना 14 अप्रैल से करें तो 638 मरीजों का गैप आया, जो भारत के लिए एक अच्छा संकेत है. आप इसे ऊपर दिए ग्राफ में भी अच्छी तरह समझ सकते हैं. ऊपर दिए गए ग्राफ में ब्लू रंग भारत में कोरोना के कुल मरीजों की संख्या दिखा रहा है, वहीं, ऑरेंज रंग कोरोना के नए केस को दिखा रहा
पिछले 24 घंटे में भारत में 1007 नए मामले सामने आए हैं जबकि 23 लोगों की मौत हो चुकी है. मामलों में हो रही बढ़ोतरी चिंता का विषय है. लेकिन इस बीच एक राहत भरी खबर यह है कि पहली बार 24 घंटे में संक्रमण के 260 मरीज ठीक हुए हैं. इसी के साथ कोरोना बीमारी को मात देने वालों की संख्या बढ़कर 1749 हो गई है. देश में कोरोना पीड़ितों की संख्या बढ़कर 13387 पहुंच गया है. अब तक 437 लोगों की मौत हो चुकी है.
– देश के 17 राज्यों के 27 जिलों में पिछले 14 दिनों से कोरोना वायरस का कोई मामला सामने नहीं आया है. वहीं देश के 325 जिले ऐसे हैं, जहां पर आज तक कोरोना का कोई केस नहीं आया है
दिल्ली में कोरोना संक्रमण के मामले बढ़कर 1640 हो गए हैं. पिछले 24 घंटे में कोरोना के 23 नए मामले सामने आए. दिल्ली में कोरोना से अब तक 38 लोगों की मौत हो चुकी है.
– महाराष्ट्र में कोरोना पॉजिटिव मरीजों की संख्या बढ़कर 3202 हो गई है. पिछले 24 घंटे के दौरान राज्य में 286 नए केस सामने आए. राज्य में कोरोना से अब तक 194 लोगों की मौत हो चुकी है.
– मुंबई में कोरोना पॉजिटिव मरीजों की संख्या बढ़कर 2073 हो गई है. गुरुवार को कोरोना के 177 नए केस सामने आए. अब तक यहां 117 लोगों की मौत हो चुकी है.
– दुनिया में कोरोना से मरने वालों का आंकड़ा 1 लाख 42 हजार को पार कर गया है. इसके साथ ही कोरोना संक्रमितों की संख्या भी 21 लाख के पार पहुंच गई है. – अमेरिका में कोरोना संक्रमण से मरने वालों की संख्या 31 हजार के पार हुई. कोरोना मरीजों की संख्या भी करीब 6 लाख 58 हजार पर पहुंच चुकी है. – स्पेन में कोरोना संक्रमितों की संख्या 1 लाख 82 हजार के पार हुई. अब तक 19 हजार से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है. 74 हजार लोग इस बीमारी से ठीक हो गए हैं. – इटली में भी कोरोना का कहर जारी. अब तक 22 हजार लोगों की मौत. 1 लाख 69 हजार लोग कोरोना संक्रमित पाए गए.
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