लॉकडाउन में फंसे अब अपने राज्य जा सकेंगे &वेतन काटने के अलावा हमारे पास “विकल्प” नहीं :वित्त मंत्री& Top News 29 Ap

29 April 20: # High Light (Bureau)#लॉकडाउन में फंसे अब अपने राज्य जा सकेंगे ; केंद्र सरकार ने लॉकडाउन में फंसे लोगों को बड़ी राहत दी # प्लाज्मा थेरेपी समेत किसी भी इलाज को मंजूरी नहीं # भिड गये ठाकरे और योगी # बीजेपी सांसद गौतम गंभीर भिडेे दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल से # बॉलीवुड एक्टर इरफान खान (Bollywood Actor Irrfan khan) की बुधवार सुबह को मुंबई के कोकिला बैन अस्पताल में बीमारी से लड़ते हुए मौत # मैं देश का एक आम नागरिक हूं और आप से कुछ सवाल पूछना चाहता हूं; इरफान खान ने जब वेबाकी से कहा था #:अमिताभ की फिल्म का एक मई को डिजिटल प्रीमियर #अब एडमिशन के लिए नीट की परीक्षा पास करना जरूरी; सुप्रीम कोर्ट #वेतन काटने के अलावा हमारे पास “विकल्प” नहीं :वित्त मंत्री

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केंद्र सरकार ने लॉकडाउन में फंसे लोगों को बड़ी राहत दी

नई दिल्ली:देश में जारी कोरोना संकट के बीच केंद्र सरकार ने लॉकडाउन में फंसे लोगों को बड़ी राहत दी है. लॉकडाउन में फंसे प्रवासी मजदूर, छात्र, तीर्थयात्री और सैलानी अब अपने राज्य जा सकेंगे. हालांकि इसके लिए राज्य की सहमति की जरूरत होगी. गृह मंत्रालय की तरफ से जारी किए गए दिशा निर्देश के अनुसार दूसरे राज्यों में जाने की इजाजत सिर्फ बसों के माध्यम से ही मिलेगी और घर पहुंचने के बाद उन्हें क्वारंटाइन में रहना होगा. 

गृह मंत्रालय की तरफ से जारी दिशा निर्देश के अनुसार सभी राज्यों को फंसे हुए लोगों को भेजने, अपने यहां बुलाने के लिये नोडल प्राधिकारी नियुक्त करने होंगे और मानक प्रोटोकॉल तैयार करना होगा. नोडल अधिकारी अपने राज्यों या केंद्र शासित क्षेत्रों में फंसे लोगों को पंजीकृत करेंगे. अगर फंसे हुए लोगों का समूह एक राज्य से दूसरे राज्य में जाना चाहता है तो राज्य एक-दूसरे से परामर्श कर सड़क मार्ग से आवाजाही पर परस्पर सहमत हो सकते हैं.

बता दें कि स्वास्थ्य मंत्रालय (Health Ministry) की ओर से जारी ताजा आंकड़ों के मुताबिक भारत में कोरोनावायरस संक्रमितों की संख्या 31787 हो गई है. पिछले 24 घंटों में कोरोना के 1813 नए मामले सामने आए हैं और 71 लोगों की मौत हुई है. वहीं, देश में कोरोना से अब तक 1008 लोगों की मौत हो चुकी है, हालांकि राहत की बात यह है कि 7797 मरीज इस बीमारी को हराने में कामयाब भी हुए हैं.

उधर, देश में कोरोना के बढ़ते मामले को देखते हुए लॉकडाउन को 3 मई तक के लिए बढ़ा दिया गया है. हालांकि 20 अप्रैल से लॉकडाउन के दौरान उन इलाकों में कुछ छूट भी दी गई है, जहां कोरोना के मामले कम हैं. 

नई दिल्ली: कोरोना वायरस (coronavirus) का प्रकोप लगातार जारी है. ऐसे में प्लाज्मा थेरेपी से इसके इलाज को लेकर अहम जानकारी सामने आई है. बता दें कि दिल्ली में प्लाज्मा थेरेपी से कुछ कोरोना के मरीजों की हालत में सुधार आया था.  मिली जानकारी के मुताबिक कोविड-19 के लिए प्लाज्मा थेरेपी प्रमाणित चिकित्सा नहीं है. कोरोना बीमारी के इलाज के लिए प्लाज्मा थेरेपी समेत किसी भी इलाज को मंजूरी नहीं मिली है. 

नियमित चिकित्सा के लिए भी प्लाज्मा थेरेपी के समर्थन में कोई ठोस सबूत नहीं मिला है. यूएस-एफडीए की ओर से इसे केवल प्रायोगिक चिकित्सा के तौर पर देखा गया है. 

इसके अलावा ये जानकारी भी सामने आई है कि प्लाज्मा थेरेपी की वजह से एलर्जी बढ़ सकती है और फेफड़े को नुकसान पहुंच सकता है. प्लाज्मा थेरेपी के प्रभाव का मूल्यांकन करने के लिए ICMR द्वारा राष्ट्रीय अध्ययन की शुरुआत की गई है. इसे अनुसंधान और परीक्षण उद्देश्यों को छोड़कर उपयोग नहीं किया जाना चाहिए. इसके अलावा प्लाज्मा थेरेपी का उपयोग करने के लिए वैज्ञानिक का एकमत और वैज्ञानिक आधार स्थापित करने की आवश्यकता है. 

भिड गये ठाकरे और योगी

नई दिल्ली: यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ के सीएम कार्यालय ने शिवसेना पर आरोप लगाया है कि यूपी में हुई साधुओं की हत्या पर शिवसेना आरोप लगा रही है. सीएम योगी के दफ्तर के ट्विटर हैंडल से शिवसेना सांसद संजय राउत को आड़े हाथों लिया गया है. योगी आदित्यनाथ के ऑफिस ने एक के बाद एक ट्वीट कर शिवसेना को खरी-खरी सुनाई है. 

सीएम योगी के ऑफिस की तरफ से संजय राउत पर निशाना साधते हुए ट्वीट किया गया, ‘पालघर (Palghar) में हुई संतों की वीभत्स हत्या पर चिंता व्यक्त करने को राजनीति कहने वाली आपकी वैचारिक कुदृष्टि को क्या कहा जाए? कुसंस्कारों में ‘रक्त स्नान’ करती आपकी टिप्पणी,आपके बदले हुए राजनीतिक संस्कारों की परिचायक है. निसंदेह यही तुष्टीकरण का प्रवेश द्वार है.’

सीएम योगी के ऑफिस ने ट्वीट किया, ‘संतों की बर्बर हत्या पर चिंता करना राजनीति लगती है? यूपी के मुख्यमंत्री ने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री को फोन किया क्योंकि पालघर के साधू निर्मोही अखाड़ा से संबंधित थे. सोचिए, राजनीति कौन कर रहा है? सीएम योगी के ऑफिस ने ट्वीट किया, ‘सीएम योगी के नेतृत्व में यूपी में काननू का राज है. यहां कानून तोड़ने वालों से सख्ती से निपटा जाता है. बुलन्दशहर की घटना में त्वरित कार्रवाई हुई और चंद घंटों के भीतर ही आरोपी को गिरफ्तार किया गया. महाराष्ट्र संभालें,यूपी की चिंता न करें.’ बता दें कि शिवसेना सांसद संजय राउत ने मंगलवार को ट्वीट कर कहा था, ‘उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर में मंदिर में दो साधुओं की हत्या हुई है, ऐसे में सभी से अनुरोध है कि इस मामले में कोई भी पालघर की तरह राजनीति नहीं करे. देश कोरोना से लड़ रहा है, शांति रखें , योगी आदित्यनाथ आरोपियों पर कठोर कार्रवाई करेंगें.’

वहीं महाराष्ट्र के सीएम उद्धव ठाकरे ने भी यूपी में साधुओं की हत्या पर चिंता जताई थी और सीएम योगी आदित्यनाथ को फोन किया था. मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने ट्वीट कर इस बारे में जानकारी दी. 

ठाकरे ने ट्वीट में लिखा था, ‘मैंने अभी उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से फोन पर बात की है और उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर में दो साधुओं की अमानवीय हत्या पर चिंता व्यक्त की है. ऐसे अमानवीय कृत्यों के खिलाफ हम सब आपके साथ हैं. इस तरह की घटनाओं में जिस तरह से हमने सख्त कानूनी कार्रवाई की है, हम आपसे उम्मीद करते हैं कि आप भी ऐसा ही करें और दोषियों को कड़ी सजा दें. लेकिन कोई भी इन घटनाओं को धार्मिक रंग देने की अपील नहीं करता है.’

दरअसल महाराष्ट्र के पालघर में साधुओं के जघन्य हत्याकांड के बाद से ही ठाकरे सरकार विपक्षी दलों के निशाने पर है. महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस समेत बडे बीजेपी नेताओं ने महाराष्ट्र की ठाकरे सरकार पर तीखा सियासी हमला किया था.  

बता दें कि शिवसेना ने दरअसल बीजेपी पर निशाना साधा है क्योंकि इससे पहले महाराष्ट्र के पालघर में तीन लोगों की हत्या हुई थी, उस दौरान बीजेपी द्वारा ठाकरे सरकार को घेरा गया था. यहां तक कि गृहमंत्री अनिल देशमुख का इस्तीफा भी मांगा गया था. उस दौरान उद्वव ठाकरे ने सरकार की भूमिका साफ करते हुए यह बताया था कि 100 से ज्यादा लोगों पर इस मामले में कार्रवाई हुई है और कोई इस पर राजनीति नहीं करे, देश कोरोना के संकट से गुजर रहा है.

बीजेपी सांसद गौतम गंभीर भिडेे दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल से

 नई दिल्ली: बीजेपी सांसद गौतम गंभीर (Gautam Gambhir) ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) को राशन कूपन की मदद का जवाब दिया है. गंभीर ने ट्वीट करके केजरीवाल को शुक्रिया कहते हुए राशन के कूपनों को क्षेत्र के विधायकों और पार्षदों को भेजने की सलाह दी है. इसके साथ ही उन्होंने केजरीवाल से कहा है कि बांटने के लिए राशन की जरूरत पड़ने पर उन्हें बता सकते हैं.

गौतम गंभीर ने ट्वीट में लिखा- ”2000 राशन कूपन के लिए शुक्रिया अरविंद केजरीवाल जी. लेकिन मेरे स्वयंसेवकों के पास परिस्थिति की मांग के हिसाब से बांटने के लिए पर्याप्त खाना है.  कृपया आप इसे क्षेत्र के विधायकों और पार्षदों को भेजें. यदि आवश्यकता हो, तो मैं जरूरतमंदों को बांटने के लिए राशन भेज सकता हूं! मुझे सूचित करें!” दरअसल, कुछ दिन पहले बीजेपी से पूर्वी दिल्ली लोकसभा संसदीय सीट से सांसद गौतम गंभीर ने सीएम केजरीवाल पर निशाना साधा था. गंभीर ने दिल्ली सरकार पर लोगों को जरूरी सुविधाएं मुहैया ना करवा पाने का भी आरोप लगाया था.

गौतम गंभीर ने ट्वीट किया था, “लोगों की जान से और कितना खेलेंगे अरविंद केजरीवाल? राशन दुकानदारों ने दिल्ली सरकार के दावों की धज्जियां उड़ा दी हैं. ना PPE Kits, ना टेस्ट और ना इलाज, पिछले 1 महीने से वो निहत्थे लड़ाई लड़ रहें हैं. क्या सिर्फ मरने के बाद मुआवजे के लिए चुना है सरकार को? शर्मनाक !!”

बता दें कि दिल्ली में कोरोना संक्रमित मरीजों की संख्या बढ़ रही है. स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से जारी आंकड़ों के मुताबिक, देश की राजधानी में 3,314 कोरोना के मामले हैं. जबकि कोविड-19 से मरने वालों की संख्या 54 है.

बॉलीवुड एक्टर इरफान खान (Bollywood Actor Irrfan khan) की बुधवार सुबह को मुंबई के कोकिला बैन अस्पताल में बीमारी से लड़ते हुए मौत

बॉलीवुड एक्टर इरफान खान (Bollywood Actor Irrfan khan) की बुधवार सुबह को मुंबई के कोकिला बैन अस्पताल में बीमारी से लड़ते हुए मौत हो गई। इरफान खान की तबियत पिछले कुछ समय से खराब चल रही थी। वह अस्पताल में भर्ती थे। जहां कोलन इंफेक्शन (Colon Infection) के चलते उनका इलाज चल रहा था। बुधवार को उनकी मौत हो गई। उनकी मौत की खबर से पूरी फिल्म इंडस्ट्री में शोक की लहर फैल गई।

वहीं उनके फैंस ने भी सोशल मीडिया पर इरफान खान को श्रद्धांजलि दी है। फिल्म इंडस्ट्री में अपनी कला का लोहा मनवाने वाले सीरियस एक्टर इरफान खान 54 साल के थे। वह अब तक तमाम फिल्म कर चुके है। उन्होंने आज से दो साल पूर्व बताया था कि उन्हें ट्यूमर है। जिसका इलाज चल रहा है। इसी को लेकर कुछ दिनों पहले से उनकी तबियत खराब चल रही थी। जिसके चलते इरफान खान मुंबई के ही अस्पताल में भर्ती थे। बुधवार को उनकी अस्पताल में इलाज के दौरान मौत हो गई। यह खबर लगते ही मानों सभी लोग हैरान है। उनके फैंस से लेकर बॉलीवुड से हॉलीवुड फिल्म इंडस्ट्री को भी बडा झटका लगा है।

मैं देश का एक आम नागरिक हूं और आप से कुछ सवाल पूछना चाहता हूं;

उन्होंने आज से 4 साल पूर्व ट्वीट कर देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल और कांग्रेस नेता राहुल गांधी से मिलने के लिए समय मांगा। साथ ही मिलकर सवाल पूछने की इज्जाजत मांगी। पीएम और दिल्ली के सीएम समेत राहुल गांधी ने भी उन्हें तुरंत जवाब भी दिया। वह इन सभी से मिलना चाहते थे।  दरअसल, इरफान खान ने आज से 4 साल पूर्व देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल और कांग्रेस नेता राहुल गांधी को ट्वीट कर मिलने का समय मांगा था। इरफान ने अपने ट्वीट में लिखा था कि मैं देश का एक आम नागरिक हूं और आप से कुछ सवाल पूछना चाहता हूं। यह लिखते हुए इरफान खान ने सभी को अलग अलग उनके ट्वीटर अकाउंटर पर मिलने के लिए समय मांगा। इस पर पीएमओ इंडिया, दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल और कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने जवाब देते हुए, मिलने के लिए समय भी दिया। हालांकि इरफान खान ने इनसे मुलाकात की या नहीं। मिलें तो क्या सवाल पूछे। इस विषय में उन्होंने कभी बात नहीं की,

इरफान खान हमेशा मैसेज देने वाली फिल्मों में काम करते थे। बहुत ही सीरियस अभिनेता के तौर पर अपनी पहचान बनाने वाले इरफान खान की मौत की खबर को सुनकर हर कोई हैरान है। सोशल मीडिया पर उन्हें श्रद्धांजलि दी जा रही है। पिछले हफ्ते हुई थी मां की मौत बता दें कि पिछले हफ्ते ही इरफान खान की मां की भी मौत हो गई थी। वह भी खराब स्वास्थ्य होने के साथ ही बीमारी से जुझ रही थी। इसी दौरान मौत हो गई थी। वहीं लॉकडाउन के चलते इरफान खान अपनी मां के अंतिम संस्कार में शामिल नहीं हो पाये थे। उन्होंने सोशल मीडिया के जरिये ही दुख व्यक्त किया था।

इरफान खान ने अपने फिल्मी करियर की शुरुआत सबसे पहले एक इंटरनेशनल से की थी। जो 1988 में आई थी। फिल्म का नाम था सलाम बॉम्बे था। इसी फिल्म से इरफान खान ने बॉलीवुड में डेब्यू किया था। इस फिल्म में इरफान खान का रोल बहुत छोटा था। लेकिन इसके बाद उनके करियर को एक नई दिशा मिली।कहा जाता है कि इरफान खान ने जब इस फिल्म में काम किया था। उस वक्त नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा के लास्ट ईयर के स्टूडेंट थे और इस दौरान उन्होंने फिल्म में काम किया था। ये कहानी 11 वर्षीय ‘कृष्णा’ के इर्द-गिर्द घूमती है, जो मुंबई के रेड लाइट इलाकों में चाय बेचा करता था। इसमें नाना पाटेकर ने भी अभिनय किया हैं। फिल्म 2013 में फिर से रिलीज हुई थी। सलाम मुंबई का निर्देशन मीरा नायर ने किया था। जिन्होंने इरफान खान को खुद इस फिल्म में काम करने के लिए बुलाया था । इरफान खान ने अपने फिल्मी करियर में एक से बढ़कर एक फिल्म में दमदार अभिनय किया और धीरे-धीरे वह बॉलीवुड में अपने दमदार एक्टिंग के बल पर छा गई।

जिस दौरान इरफान खान फिल्म अंग्रेजी मीडियम की शूटिंग में व्यस्त थे। उस वक्त उन्हें एक कीमोथेरेपी के लिए भी जाना था। वहीं शूटिंग के कारण वे कीमोथेरेपी के लिए नहीं जा पाए और उनका इलाज स्किप हो गया। शूटिंग के दौरान उनकी तबियत कई बार बिगड़ी , लेकिन उन्होंने अपनी फिल्म की शूटिंग नहीं छोड़ी। काफी मशक्कत के बाद इरफान खान ने अपनी आखिरी फिल्म की शूटिंग पूरी की।

इरफान ने लिखा था कि एक वक्त गुजर चुका है जब पता चला था कि मैं हाई-ग्रेड न्यूरोएंडोक्राइन कैंसर से जूझ रहा हूं। यह मेरे शब्दकोश में एक नया नाम है। जिसके बारे में मुझे बताया गया कि यह एक असाधारण बीमारी है। जिसके कम मामले सामने आते हैं और जिसके बारे में अपेक्षाकृत कम जानकारी है और इसलिए इसके ट्रीटमेंट में संदेह की संभावना ज्यादा थी। मैं अब एक प्रयोग का हिस्सा बन चुका था।

अमिताभ की फिल्म का एक मई को डिजिटल प्रीमियर

बीते मार्च में आए कोरोना संकट के कारण केवल कुछ दिनों लगने के बाद ही सिनेमाघरों से उतरने को मजबूर हुई अमिताभ बच्चन स्टारर मराठी फिल्म एबी आणि सीडी को अब आप घर बैठे मोबाइल या टेलीविजन स्क्रीन पर देख सकेंगे। अमेजन प्राइम एक मई को यह फिल्म अपने प्लेटफॉर्म पर रिलीज करने जा रहा है। फिल्म में विक्रम गोखले मुख्य भूमिक में हैं। फिल्म ऐसे वृद्ध चंद्रकांत देशपांडे (विक्रम गोखले) की कहानी है जो परिवार में क्रमशः अकेला पड़ गया है। उसे लगता है कि अब ईश्वर को उसे बुला लेना चाहिए। परंतु एक दिन उसकी जिंदगी अचानक करवट लेती है जब एक पत्र उसके घर पहुंचता है। यह बॉलीवुड के सुपर सितारे अमिताभ बच्चन की चिट्ठी है जिसमें लिखा है कि वह और चंद्रकांत देशपांडे बचपन में एक ही क्लास में पढ़ते थे।

उनकी मित्रता थी। इसके साथ ही चंद्रकांत देशपांड परिवार और आसपास के लोगों के लिए महत्वपूर्ण हो जाते हैं। उनके 70वें जन्मदिन पर एक विशाल जलसे का आयोजन होता है मगर उन्हें याद नहीं कि अमिताभ और वह कभी साथ पढ़े हैं। ऐसे में क्या होगा आगे। यह आप फिल्म में देख सकते हैं। फिल्म का निर्देशन मिलिंद लेले ने किया है।

अब एडमिशन के लिए नीट की परीक्षा पास करना जरूरी; सुप्रीम कोर्ट

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने आज एक अहम फैसला देते हुए कहा कि एमबीबीएस (MBBS) और बीडीएस (BDS) व पोस्‍ट ग्रेजुएट कोर्स में एडमिशन लेने के लिए राष्‍ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा (NEET) निजी गैर-सहायता प्राप्त अल्पसंख्यक व्यावसायिक कॉलेजों पर लागू होगी. यानी कि इन कॉलेजों में अब एडमिशन के लिए नीट की परीक्षा पास करना जरूरी होगा. इसी के साथ फैसला सुनाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि नीट की वजह से अल्‍पसंख्‍यकों को संविधान से मिले अधिकारों का हनन नहीं होता है. आपको बता दें कि सुप्रीम कोर्ट में निजी गैर-सहायता प्राप्त अल्पसंख्यक कॉलेजों ने याचिका दाखिल कर कहा था कि NEET धार्मिक स्वतंत्रता के मौलिक अधिकार के खिलाफ है.

 सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले में NEET परीक्षा को अल्पसंख्यक सहित सभी संस्थानों पर लागू किया गया है. 

न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि अल्पसंख्यक गैर सहायता प्राप्त संस्थानों में NEET लागू करने से अल्पसंख्यक समुदाय के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन नहीं होता, जिसमें शिक्षण संस्थानों की स्थापना और प्रबंधन का अधिकार दिया गया है. 

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि NEET का उद्देश्य सिस्टम में होने वाली बुराई और कुप्रथा को खत्म करना है.  NEET के बारे में बताते हुए कोर्ट ने स्‍पष्‍ट किया कि यह इस बात को सुनिश्चित करने के लिए है कि शिक्षा का मानक बना रहे और  प्रबंधन के विशेष अधिकार की आड़ में कुप्रबंधन न हो.

सुप्रीम कोर्ट के मुताबिक NEET के रूप में नियामक उपाय “शिक्षा को उसी दान के दायरे में लाना है, जो उसका चरित्र खो गया है. कोर्ट ने कहा कि यह नहीं कहा जा सकता है कि NEET ने धार्मिक और भाषाई अल्पसंख्यक समूहों द्वारा शैक्षणिक संस्थानों को संचालित करने के अधिकार के साथ हस्तक्षेप किया है.

वेतन काटने के अलावा हमारे पास “विकल्प” नहीं :वित्त मंत्री

तिरुवनंतपुरम: केरल सरकार ने कोरोनावायरस महामारी से निपटने की लड़ाई में पैसों की कमी दूर करने के उद्देश्य से अपने कर्मचारियों का वेतन काटने के लिए बुधवार को एक अध्यादेश लाने का फैसला किया. उच्च न्यायालय द्वारा वाम सरकार के, अपने कर्मचारियों के वेतन कटौती के आदेश पर रोक लगाने और इसके कानून के तहत ना होने की बात कहने के एक दिन बाद यह निर्णय किया गया. सरकार ने अपने आदेश में कहा था कि अगले पांच महीनों तक हर महीने राज्य सरकार के कर्मचारियों का छह दिन का वेतन काटा जाएगा. इसका विरोध करते हुए कर्मचारियों और उनके संगठनों ने अदालत का रुख किया था.

राज्य के वित्त मंत्री टी. एम. थॉमस इसाक ने मंत्रिमंडल के फैसले की घोषणा करते हुए पत्रकारों को बताया कि अध्यादेश के तहत इस आपदा की स्थिति में राज्य सरकार अपने कर्मचारियों का 25 प्रतिशत वेतन काटेगी. इसाक ने कहा, ‘‘ अध्यादेश के अनुसार, आपदा की स्थिति में राज्य सरकार को सरकारी कर्मचारियों का 25 प्रतिशत वेतन काटने का अधिकार है.”

उन्होंने कहा, ‘‘ राज्य सरकार रोके गए वेतन को छह महीने के अंदर वापस देने पर भी निर्णय ले सकती है. ये दो जरूरी प्रावधान हैं.” मंत्री ने हालांकि यह भी स्पष्ट कर दिया गया कि 25 प्रतिशत वेतन रोका नहीं जाएगा और राज्य सरकार पूर्व आदेश के तहत छह दिन का वेतन ही काटेगी.

उन्होंने कहा, ‘‘ राज्य सरकार ने केरल उच्च न्यायालय के आदेश के बाद अध्यादेश लाने का निर्णय किया. हम उच्च अदालत में भी अपील कर सकते थे लेकिन अदालत ने कहा था कि वेतन कटौती का कोई कानूनी आधार नहीं है. इसलिए हमने इसे कानूनी करने का निर्णय लिया.”’

उन्होंने यह भी रेखांकित किया कि अन्य राज्य 30 प्रतिशत से अधिक वेतन काट रहे हैं लेकिन केरल का अध्यादेश केवल छह दिन के वेतन की कटौती की ही अनुमति देता है. इससे पहले केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने कहा था कि राज्य की आर्थिक स्थिति ठीक होने के बाद कर्मचारियों को, उनका काटा गया वेतन वापस कर दिया जाएगा. 

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