महाकाल की नगरी में कोरोना काल बनकर टूटा; प्रवासी भारतीयो के लिए आपरेशन ‘वंदे भारत मिशन’ & Top News 7 May 20
7 May 20# High Light# National News# Himalayauk Bureau# महाकाल की नगरी में कोरोना काल बनकर टूटा;# एम्स निदेशक रणदीप गुलेरिया ने कहा कि जून के महीने में कोरोना वायरस के मामले सबसे ज्यादा होंगे. # टेक्सास यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने दावा किया है कि उन्होंने लामा (ऊंट की एक प्रजाति) में ऐसी क्षमता विकसित कर ली है जो कोरोना वायरस को रोकने में मददगार है. # . आखिर इतनी सारी गंभीर बीमारियां चमगादड़ों से ही क्यों फैलती हैं? # छत्तीसगढ़ के रायगढ़ जिले में आंध्र प्रदेश के विशाखापट्टनम में बड़ा हादसा # महाराष्ट्र के बाद गुजरात, दिल्ली, तमिलनाडु और राजस्थान में कोरोना वायरस का अधिक प्रकोप देखने को मिला है.# प्रवासी भारतीयो के लिए आपरेशन ‘वंदे भारत मिशन’ # “घर वापसी मजदूरों का अधिकार है. सरकार का फैसला मानव अधिकारों का उल्लंघन; हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया# 12 मई से मारुति सुजुकी अपना मानेसर स्थित प्लांट खोलने जा रही है.# ममता बनर्जी ने पश्चिम बंगाल और बांग्लादेश की सीमा को सील कर दिया है। जिसके बाद केंद्र सरकार ने ममता सरकार से रिपोर्ट मांगी है# छत्रपति शाहू महाराज पर ट्वीट कर फडणवीस फँसे? बीजेपी सांसद ने कहा- माफ़ी माँगें# Presents by
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महाकाल की नगरी में कोरोना काल बनकर टूटा;
महाकाल की नगरी उज्जैन इन दिनों कोरोना को वजह से डरी सहमी हुई है.लोगों का कहना है कि कालों के काल महाकाल की नगरी के बाशिंदों पर कोरोना काल बनकर टूटा है. आलम ये है कि यहां कोरोना मरीजों की संख्या भले ही 200 पार हुई है लेकिन कोरोना की वजह से मरने वालों का आंकड़ा 42 तक पहुंच गया है मध्य प्रदेश के इंदौर में कोरोना वायरस से लगातार हो रही मौतों पर ही सबका ध्यान जा रहा था लेकिन अब पड़ोसी शहर उज्जैन में भी कोरोना की वजह से लगातार हो रही मौतों का आंकड़ा डरा रहा है. आलम ये है कि . उज्जैन की मृत्यु दर इंदौर और भोपाल जैसे शहरों से काफी आगे पहुंच गई है.
Coronavirus Update India : भारत में कोरोना वायरस से हालात खराब होने लग गए हैं। महाराष्ट्र, तमिलनाडु, गुजरात और दिल्ली में तेजी के साथ संक्रमितों की संख्या बढ़ रही है। देश में 6 मई को कोरोना वायरस के 3582 नए मामले सामने आए हैं। इसके बाद संक्रमितों की संख्या 53766 हो गई है। भारत में 4 मई को कोरोना वायरस के रिकॉर्ड 3656 मामले आए थे। इसके बाद पिछले 24 घंटे में 6 मई को रिकॉर्ड 3582 नए मामले आए हैं। कोरोना वायरस के एक दिन में मिले सबसे ज्यादा मामलों में यह दूसरा सबसे बड़ा आंकड़ा है। पिछले 24 घंटे में सबसे ज्यादा मामले महाराष्ट्र में 1233 दर्ज किए गए हैं। इसके अलावा तमिलनाडु में 771, दिल्ली में 428, गुजरात में 380, राजस्थान में 259, उत्तर प्रदेश में 118 और पश्चिमी बंगाल में 112 मामले आए हैं। दूसरी तरफ भारत में कोरोना संक्रमितों की संख्या 50 हजार को पार कर 53766 हो गई है। इनमें से 15433 ठीक हो चुके हैं। 6 मई को रिकॉर्ड 1191 लोग ठीक होकर घर पहुंचे हैं। इसके अलावा 36537 लोग अस्पतालों में जिंदगी-मौत से जूझ रहे हैं। जबकि 1792 लोगों ने महामारी से दम तोड़ दिया है। 6 मई को 91 लोगों की मौत हुई है।
उज्जैन में कोरोना क्यों डरा रहा है इसके लिए आंकड़ों पर ध्यान देना बेहद जरूरी है. आंकड़ों के मुताबिक, अप्रैल की 14 तारीख तक उज्जैन में कोरोना के 27 पॉजिटिव मरीज थे और 6 लोगों की मौत हुई थी. उज्जैन में मृत्यु दर इंदौर और भोपाल जैसे कोरोना के बड़े हॉटस्पॉट से भी ज्यादा है. 6 मई तक के हेल्थ बुलेटिन के मुताबिक इंदौर में कोरोना के 1681 मरीजों में से 81 की मौत हुई है. यहां मृत्यु दर 4.81% है जबकि भोपाल में 605 कोरोना मरीजों में से 20 की मौत हुई है और यहां मृत्यु दर 3.30% है.
इसके बाद 6 मई तक मरने वालों का आंकड़ा तेज़ी से बढ़ा और मरने वालों की संख्या 42 तक पहुंच गई जबकि कोरोना के पॉजिटिव मरीजों का आंकड़ा सिर्फ 204 तक ही पहुंचा है. यानी महज 21 दिन में उज्जैन में 36 लोगों की कोरोना से जान चली गई उज्जैन में कोरोना की वजह से पहली मौत 25 मार्च को हुई थी और 6 मई तक मौत का आंकड़ा देखें तो साफ हो जाता है कि 43 दिन में उज्जैन में 42 लोगों की मौत हो चुकी है. पॉजिटिव मरीजों और मौतों का औसत निकाला जाए तो उज्जैन में मृत्यु दर 20.58% तक पहुंच गई है.
भारत में भले कोरोना संक्रमितों की संख्या 50 हजार को पार कर गई है। लेकिन हालात अभी विदेशों के मुकाबले बेहतर हैं। आंकड़ों के मुताबिक पूरे विश्व में 38.18 लाख लोगों बीमारी की चपेट में आ चुके हैं। इनमें से 2.64 लाख लोगों की मौत हो चुकी है। अमेरिका में सबसे ज्यादा 74 हजार लोगों की मौत हुई है। जबकि 12.62 लाख लोग बीमारी की चपेट में आए हैं। अमेरिका के अलावा स्पेन में 2.53 लाख, इटली में 2.14 लाख, इंग्लैंड में 2.01 लाख लोग संक्रमित हैं।
भारत में तो कोरोना ने विकराल रूप लेना शुरू कर दिया है. मई की शुरुआत के बाद से ही देश में कोरोना वायरस के आंकड़ों में जबरदस्त उछाल हुआ है. गुरुवार को देश में कुल कोरोना वायरस केस की संख्या 50 हजार का आंकड़ा पार कर चुकी है, जबकि 1700 से अधिक लोगों की मौत हुई है. देश में महाराष्ट्र में सबसे अधिक मामले हैं, जबकि अकेले मुंबई में ही केस की संख्या 10 हजार से अधिक है. भारत में पिछले तीन दिन में ही दस हजार से अधिक केस सामने आ चुके हैं, जो डराने वाला आंकड़ा है. अगर पिछले तीन दिनों का रिकॉर्ड देखें. 4 मई को 3656, 5 मई को 2934 और 6 मई को 3561 कोरोना केस सामने है.
अगर राज्यों की बात करें तो भारत में कई ऐसे राज्य हैं, जहां कोरोना वायरस लगातार बेकाबू होता जा रहा है. महाराष्ट्र में तो कुल आंकड़ों की संख्या 16 हजार के पार कर चुकी है, जिसमें 10 हजार से अधिक मामले मुंबई में ही है. महाराष्ट्र के बाद गुजरात, दिल्ली, तमिलनाडु और राजस्थान में कोरोना वायरस का अधिक प्रकोप देखने को मिला है.
एम्स निदेशक रणदीप गुलेरिया ने कहा कि जून के महीने में कोरोना वायरस के मामले सबसे ज्यादा होंगे.
New Delhi एम्स निदेशक रणदीप गुलेरिया ने कहा कि जून के महीने में कोरोना वायरस के मामले सबसे ज्यादा होंगे. साथ ही उन्होंने कहा कि लॉकडाउन का फायदा मिला है और लॉकडाउन में कोरोना के केस ज्यादा नहीं बढ़े. एम्स के डायरेक्टर रणदीप गुलेरिया ने कहा, ‘जिस तरीके से ट्रेंड दिख रहा है, कोरोना के केस जून में पीक पर होंगे. हालांकि ऐसा बिल्कुल नहीं है कि बीमारी एक बार में ही खत्म हो जाएगी. हमें कोरोना के साथ जीना होगा. धीरे-धीरे कोरोना के मामलों में कमी आएगी.’ डॉक्टर गुलेरिया ने कहा कि लॉकडाउन का फायदा मिला है. लॉकडाउन की वजह से ही मामले ज्यादा नहीं बढ़े. दूसरे देशों के मुकाबले भारत में कम मामले बढ़े हैं. अस्पतालों ने लॉकडाउन में अपनी तैयारी कर ली है. डॉक्टर्स को प्रशिक्षण दिए गए हैं. पीपीई किट्स, वेंटिलेटर और जरूरी मेडिकल उपकरणों के इंतजाम हुए हैं. कोरोना की जांच बढ़ी है.
गुलेरिया ने कहा, ‘दो चीजें देखने की जरूरत है, जैसे-जैसे केस बढ़ रहे हैं, हमारी टेस्टिंग भी बढ़ी है. अगर हम सफलता चाहते हैं, तो टेस्टिंग भले ही बढ़े, केस कम होने चाहिए. हमें सतर्क रहना चाहिए.’ उन्होंने कहा, ‘लॉकडाउन का बहुत फायदा मिला है. पहला फायदा ये है कि केस जितने बढ़ते, उतने नहीं बढ़े हैं. जो हमारे साथ थे, उनके केस कितने ज्यादा हो गए हैं. लोगों को कोविड हॉस्पिटल्स, डॉक्टरों की ट्रेनिंग और टाइम मिला है.’ गुलेरिया ने कहा, ‘कोरोना पॉजिटिव केसेस की संख्या में आने वाले महीनों में और इजाफा देखा जाएगा. जून-जुलाई में कोरोना संक्रमित मामले पीक यानी कि तेजी से बढ़ेंगे.’ उन्होंने कहा, ‘पीक समय या 2-3 महीने के बाद ही पॉजिटिव केसेस की संख्या में ठहराव या कमी आएगी. सरकार को कोविड सेन्टर, टेस्टिंग में बढ़ोतरी करनी चाहिए और हॉटस्पॉट इलाकों या जगहों में सख्ती बरकरार रखनी चाहिए.’
डॉक्टर गुलेरिया ने कहा कि कब तक कोरोना के मामले चलेंगे, कितना लंबा यह चलेगा, यह अभी से नहीं कह सकते. लेकिन इतना जरूर है कि जब पीक पर कोई चीज होती है तो वहीं से वह डाउन होनी शुरू होती है. अब उम्मीद यही करते हैं कि जून में जब कोरोना के मामले पीक पर होंगे तो उसके बाद मामले धीरे-धीरे डाउन होना शुरू होंगे.
देश में हर रोज कोरोना वायरस के मरीजों का आंकड़ा बढ़ता ही जा रहा है. देश में अब तक 52 हजार से ज्यादा कोरोना मरीजों की पुष्टि हो चुकी है. इसके साथ ही कोरोना वायरस के कारण होने वाली मौतों में भी इजाफा देखने को मिला है. देश में अब तक 1783 लोगों की मौत कोरोना वायरस के कारण हो चुकी है.
गुलेरिया ने कहा, ‘कोरोना के खिलाफ लड़ाई, जनता की लड़ाई है. ऐसे में जनता को सहयोग करना होगा. सोशल डिस्टेंसिंग, सैनिटाइजर, हैंडवाश जैसे बेसिक नियमों का पालन करना होगा.’ उन्होंने कहा, ‘कोरोना के खिलाफ लड़ाई लंबे समय तक चलेगी. ऐसे में सबके लाइफस्टाइल में बदलाव आएगा. आप सबको अपना लाइफस्टाइल बदलना होगा. शॉपिंग मॉल, मूवी थिएटर जाने पर आपको नए नियम जैसे सोशल डिस्टेंसिंग, मास्क को अपनाना होगा.’
टेक्सास यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने दावा किया है कि उन्होंने लामा (ऊंट की एक प्रजाति) में ऐसी क्षमता विकसित कर ली है जो कोरोना वायरस को रोकने में मददगार है.
वही दूसरी ओर पूरी दुनिया के वैज्ञानिक जहां कोरोना वायरस की दवा ढूंढने में लगे हैं वहीं टेक्सास यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने दावा किया है कि उन्होंने लामा (ऊंट की एक प्रजाति) में ऐसी क्षमता विकसित कर ली है जो कोरोना वायरस को रोकने में मददगार है. टेक्सास यूनिवर्सिटी ने एक बयान जारी कर इस बात की जानकारी दी है. वैज्ञानिकों का कहना है कि चार साल के लामा में इस वायरस से लड़ने की शक्ति है. वैज्ञानिकों ने इस लामा को विंटर नाम दिया है
टेक्सास यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं की एक टीम, National Institutes of Health और बेल्जियम की Ghent University बहुत दिनों से ऐसी एंटीबॉडी की तलाश में थीं जिन्होंने सालों पहले आए SARS या MERS जैसे वायरस का मुकाबला किया था. इसके लिए बेल्जियम के ग्रामीण इलाकों में पाए जाने वाले लामा और भेड़ पर शोध किया जा रहा था.
वैज्ञानिकों का दावा है विंटर नाम के इस लामा के खून से ऐसी एंटीबॉडी बनाई जा सकती है जो मानव कोशिकाओं को कोरोना वायरस से बचा सकता है. बीमार पड़ने पर ये लामा दो अलग-अलग प्रकार के एंटीबॉडी का उत्पादन करते हैं. इनमें से एक एंटीबॉडी ठीक वैसी ही होती है जैसी इंसानों के इम्यून सिस्टम से बनती है जबकि दूसरी एंटीबॉडी बहुत छोटी होती है.
वैज्ञानिकों की टीम एक नई एंटीबॉडी बनाने में कामयाब हुई है जो कोरोना वायरस संक्रमण के प्रभावों को बेअसर कर सकती है. एकेडमिक जर्नल सेल में प्रकाशित एक स्टडी में इस बात का दावा किया गया है. हालांकि इस स्टडी की अभी सावधानी से समीक्षा की जा रही है. वैज्ञानिकों की टीम अब अन्य स्तनधारी जीवों पर यह परीक्षण करने की योजना बना रही है. टीम ने 2020 के अंत तक इसका मानव परीक्षण शुरू करने की भी उम्मीद जताई है.
स्टडी के वरिष्ठ लेखक और मॉलिक्यूलर बायो साइंस के एसोसिएट प्रोफेसर जेसन मैकलेलन ने कहा, ‘यह पहली ऐसी एंटीबॉडी है जो SARS-CoV-2 को बेअसर करेगी.’ उन्होंने कहा, ‘कोरोना का संभावित इलाज वैक्सीन की बजाय एक एंटीबॉडी थेरेपी होगी जो लोगों को तेजी से बचाने का काम करेगी.’
. आखिर इतनी सारी गंभीर बीमारियां चमगादड़ों से ही क्यों फैलती हैं?
कोरोना वायरस के फैलने को लेकर अभी तक स्पष्ट रूप से कोई जानकारी सामने नहीं आ सकी है लेकिन ज्यादातर रिपोर्ट्स का दावा है कि ये महामारी चमगादड़ों से फैली है. कहा जा रहा है कि सबसे पहले यह वायरस चमगादड़ में आया, चमगादड़ से यह दूसरे जानवरों में और फिर बाद में इंसानों में फैल गया. हालांकि यह कोई पहली बीमारी नहीं जो चमगादड़ों से फैली हो. इससे पहले भी सार्स, मार्स और इबोला जैसी भयंकर बीमारियां चमगादड़ों से फैल चुकी हैं. आखिर इतनी सारी गंभीर बीमारियां चमगादड़ों से ही क्यों फैलती हैं?
हाल में हुई एक स्टडी के अनुसार चमगादड़ और कोरोना वायरस कई साल से एक साथ ही विकसित हो रहे हैं. हालांकि अलग-अलग चमगादड़ प्रजातियों से एक-दूसरे में यह वायरस फैलना दुर्लभ है. चमगादड़ों में कई तरह के हाई प्रोफाइल रोगजनक पाए जाते हैं जैसे कि इबोला और निपाह वायरस. वैज्ञानिकों का कहना है कि चमगादड़ों में ढेर सारे वायरस पाए जाते हैं जो अन्य जानवरों की तुलना में लोगों को ज्यादा संक्रमित करते हैं.
शिकागो के फील्ड म्यूजियम ऑफ नेचुरल हिस्ट्री में जानवरों के निरीक्षक ब्रूस पैटरसन का कहना है कि चमगादड़ों की कुछ अनोखी विशेषताओं की वजह से उनमें इतने सारे वायरस पाए जाते हैं. ये स्तनधारी जानवर बहुत ज्यादा सामाजिक होते हैं और अपना अधिकांश समय एक साथ ही बिताते हैं. चमगादड़ों की सबसे बड़ी गुफा टेक्सास में है, जहां गर्मी के दिनों में एक करोड़ से भी ज्यादा चमगादड़ एक साथ आते हैं. इस गुफा में कई सारे चमगादड़ पैदा होते हैं.
छत्तीसगढ़ के रायगढ़ जिले में आंध्र प्रदेश के विशाखापट्टनम में बड़ा हादसा
विशाखापत्तनम के पास गोपालपत्तनम के तहत आने वाले वेंकेटपुरम गांव में स्थित एलजी पॉलिमर्स लिमिटेड के संयंत्र से स्टाइरीन गैस के रिसाव के कारण लोगों की मौत हुई है.
High Light# छत्तीसगढ़ के रायगढ़ जिले में आंध्र प्रदेश के विशाखापट्टनम में बड़ा हादसा – आंध्र प्रदेश के विशाखापट्टनम में गैस लीक हादसे से आज हर कोई दहल गया. छत्तीसगढ़ के रायगढ़ जिले में एक पेपर मिल में गुरुवार को बड़ा हादसा हो गया. पेपर मिल में क्लोरीन गैस पाइप-लाइन फटने से हादसा हुआ.
विशाखापट्टनम के आर.आर. वेंकटपुरम गांव में रात करीब ढाई बजे एल.जी पॉलिमर उद्योग में रासायनिक गैस लीक हो गई. इस कारण वहां मौजूद लोगों को आंखों में जलन और सांस लेने में तकलीफ की शिकायत के बाद अस्पताल ले जाया गया. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस पूरी स्थिति पर नजर बनाए हुए हैं. इस गैस लीक से 3-4 किमी. का इलाका प्रभावित हुआ है. एहतियातन 6 गांवों को खाली करा लिया गया है. प्लांट से जो गैस लीक हुई है, उसका नाम स्टाइरिन बताया जा रहा है. अब खबर आ रही है कि प्लांट से गैस का रिसाव एक बार फिर शुरू हो गया है. जानकारी के मुताबिक हालात पर काबू पाने में कुछ घंटों का समय लग सकता है.
आंध्र प्रदेश के विशाखापट्टनम में गैस लीक हादसे से आज हर कोई दहल गया. वहीं अब देश के दूसरे कोने से गैस लीक की घटना सामने आई है, जिसमें सात मजदूर झुलस गए. छत्तीसगढ़ के रायगढ़ जिले में एक पेपर मिल में गुरुवार को बड़ा हादसा हो गया. पेपर मिल में क्लोरीन गैस पाइप-लाइन फटने से हादसा हुआ. इस दुर्घटना में सात मजदूर झुलस गए. जिन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया है.
घटना शक्ति प्लस पेपर्स में हुई. पुसौर थाने के तेतला में पेपर मिल मौजूद है. जहां क्लोरीन गैस पाइप-लाइन फट गई. जिसके कारण वहां मौजूद सात मजदूर झुलस गए. घटना के बाद सभी को संजीवनी नर्सिंग होम में भर्ती करवाया गया है. जिसक बाद घायलों को देखने कलेक्टर ओर पुलिस अधीक्षक निजी अस्पताल पहुचें. हादसे में घायल लोगों में से तीन मजदूरों की हालत गंभीर बनी हुई है. वहीं तीन मजदूरों को रायपुर रैफर किया गया है.
विशाखापट्टनम के आर.आर. वेंकटपुरम गांव में रात करीब ढाई बजे एल.जी पॉलिमर उद्योग में रासायनिक गैस लीक हो गई. इस कारण वहां मौजूद लोगों को आंखों में जलन और सांस लेने में तकलीफ की शिकायत के बाद अस्पताल ले जाया गया. आज तड़के करीब 2:30 बजे एक फार्मा कंपनी के प्लांट में जहरीली गैस लीक होने से एक बच्चे समेत 11 लोगों की मौत हो गई, जबकि कई लोगों की हालत गंभीर बनी हुई है. NDRF ने इसकी पुष्टि की है. हादसे के बाद 1000 से अधिक लोगों को अस्पताल में भर्ती किया गया है. इस गैस लीक से 3-4 किमी. का इलाका प्रभावित हुआ है. एहतियातन 6 गांवों को खाली करा लिया गया है. प्लांट से जो गैस लीक हुई है, उसका नाम स्टाइरिन बताया जा रहा है. अब खबर आ रही है कि प्लांट से गैस का रिसाव एक बार फिर शुरू हो गया है. .
पीएम मोदी ने ट्ववीट कर लिखा, ‘मैंने विशाखापट्टनम की स्थिति के बारे में MHA (गृह मंत्रालय) और NDMA (राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण) के अधिकारियों से बात की है जिस पर कड़ी नज़र रखी जा रही है. मैं विशाखापट्टनम में सभी की सुरक्षा और कल्याण के लिए प्रार्थना करता हूं.’ पीएम नरेंद्र मोदी ने आंध्र प्रदेश के सीएम वाई.एस. जगनमोहन रेड्डी से बातचीत की है. उन्होंने सभी मदद और सहायता का आश्वासन दिया.
गृह मंत्री अमित शाह ने भी ट्वीट कर बताया है कि इस घटना पर नजर रखी जा रही है. अमित शाह ने ट्वीट किया, ‘विशाखापट्टनम में हुई घटना परेशान करने वाली है. NDMA के अधिकारियों और संबंधित अधिकारियों से बात की। हम स्थिति पर लगातार और बारीकी से नजर रख रहे हैं. मैं विशाखापट्टनम के लोगों के अच्छे होने की प्रार्थना करता हूं.’
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने गुरुवार को केंद्र और आंध्र प्रदेश सरकार को गैस रिसाव के कारण लोगों की मौत और पीड़ा पर नोटिस जारी किया। आयोग ने कहा कि पीड़ितों के जीवन के अधिकार का घोर उल्लंघन किया गया है।
आंध्र प्रदेश के विशाखापट्टनम में गुरुवार तड़के एक केमिकल प्लांट से गैस लीक हो गई। इस हादसे में कम से कम 11 लोगों की मौत हो गई है। जिसके बाद राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने केंद्र सरकार और आंध्र प्रदेश सरकार को जहरीली गैस लीक मामले पर नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने गुरुवार को केंद्र और आंध्र प्रदेश सरकार को गैस रिसाव के कारण लोगों की मौत और पीड़ा पर नोटिस जारी किया। आयोग ने कहा कि पीड़ितों के जीवन के अधिकार का घोर उल्लंघन किया गया है। ऐसे समय में जब देश में मानव जीवन कोविड-19 वायरस के प्रसार के कारण दांव पर है और हर कोई घर के अंदर रहने को मजबूर है। आयोग ने कहा कि जिले में सुबह-सुबह होने वाले गैस के रिसाव के कारण 11 व्यक्तियों की मौत और हजार से ज्यादा लोगों के बीमार होने की खबर है। गैस के रिसाव ने लगभग 3 किलोमीटर के दायरे में लोगों को प्रभावित किया है। कई लोगों को सड़कों पर पड़ा देखा जा सकता है जबकि कुछ को सांस लेने में कठिनाई और उनके शरीर पर चकत्ते की शिकायत थी। आयोग ने मुख्य सचिव, आंध्र प्रदेश सरकार को एक नोटिस जारी किया है। जिसमें इस मामले में एक विस्तृत रिपोर्ट मांगी गई है। जिसमें बचाव अभियान की स्थिति, बीमार लोगों को इलाज और राहत और पुनर्वास का अधिकार प्रभावित परिवारों को राज्य सरकार द्वारा प्रदान किया गया है। आयोग ने कॉरपोरेट मामलों के मंत्रालय से यह भी पूछा कि क्या कानून के प्रासंगिक प्रावधानों के तहत निर्धारित मानदंडों को विशेष औद्योगिक इकाई में लागू किया जा रहा है और आयोग को रिपोर्ट प्रस्तुत करना है या नहीं। जानकारी के लिए बता दें कि आज सुबह तड़के साढ़े 3 बजे आंध्र प्रदेश के विशाखापट्टनम में एक केमिकल प्लांट से गैस लीक हुई। जैसे ही इसकी जानकारी अधिकारियों तक पहुंची तब तक 2 घंटे बीत चुके थे। तब तक गैस का रिसाव 4 किलोमीटर के दायरे में फैल चुका था। जिसमें कई गांव आते हैं। इस हादसे में अब तक 2 बच्चों समेत 11 लोगों की मौत हो गई है। जानकारी मिलते ही एनडीआरएफ समेत कई बचाव दल और नौसेना ने अपना ऑपरेशन शुरू किया। कई घायलों को अस्पताल में भर्ती किया गया। जहां उनका इलाज किया जा रहा है।
NEXT NEWS; एसबीआई से एक दिन में 5 लाख का लोन, 6 महीने तक EMI नही
नई दिल्ली: कोरोना वायरस
महामारी के चलते देशभर में लॉकडाउन लागू किया गया है. इस वजह से हज़ारों लाखों
लोगों के सामने आर्थिक चुनौती आ खड़ी हुई है. स्टेट बैंक ऑफ इंडिया इमरजेंसी
पर्सनल लोन का बेहतरीन ऑफर लेकर आई है.
एसबीआई के इस ऑफर के तहत आपको 5 लाख रुपये तक का लोन बेहद कम ब्याज़ पर मिल सकता
है. खास बात ये है कि लोन लेने के बाद पहले 6 महीने तक आपको कोई ईएमआई भी नहीं भरनी होगी. इस मुश्किल वक्त में आपकी
आर्थिक ज़रूरतों को पूरा करने के लिए ये लोन ऑफर काफी फायदेमंद साबित हो सकता है.
जैसा कि स्टेट बैंक ऑफ इंडिया ने जानकारी दी है. आपको ये लोन घर बैठे ही मिल जाएगा. इसके लिए आपको घर से ही आवेदन करना होगा. बैंक के मुताबिक सिर्फ 45 मिनट में ही ये लोन सैंक्शन कर दिया जाएगा. इस ऑफर के तहत लिए जाने वाले लोन पर बैंक 10.5 फीसदी ब्याज़ लेगी. अन्य पर्सनल लोन पर लगने वाले ब्याज़ के मुकाबले इस लोन पर कम ब्याज़ लग रहा है.
इस ऑफर में 2 लाख रुपये तक का पर्सनल लोन लिया जा सकता है. इसके अलावा 2.5 लाख रुपये आप पेंशन लोन के अंतर्गत ले सकते हैं और 5 लाख रुपये का लोन आप सर्विस क्लास के तौर पर ले सकते हैं. लोन लेने के लिए बैंक में आवेदन करने से पहले आप 567676 पर एक SMS करें. इसका फॉर्मेट इस तरह होगा. “PAPL लिखने के बाद स्पेस दें और फिर अपने बैंक अकाउंट नंबर का आखिरी चार अंक लिखें. इसके बाद इसे 567676 पर SMS करें. इसके बाद बैंक की ओर से आपको बताया जाएगा कि आपको कितना लोन मिल सकता है.
लोन के लिए आवदेन करना बेहद आसान है. SBI की आधिकारिक वेबसाइट्स onlinesbi.com और sbi.co.in पर इसको लेकर जानकारियां दी गई हैं. इसके मुताबिक इच्छुक ग्राहक YONO एप पर जाकर आवेदन कर सकते हैं. अगर आपके फोन में SBI का YONO एप नहीं है तो पहले आपको डाउनलोड करना होगा. फिर प्री-अप्रूव्ड लोन सेक्शन पर क्लिक करें और लोन की अवधि और राशि चुनें. इसके बाद बैंक आपके रजिस्टर्ड मोबाइल नंबर पर एक ओटीबी भेजेगा. इस ओटीपी को आप एप में जहां भरने को कहा गया है वहां पर दर्ज करें. इतना करते ही आपके बचत खाते में लोन की राशि ट्रांसफर कर दी जाएगी.
प्रवासी भारतीयो के लिए आपरेशन ‘वंदे भारत मिशन’
विदेशों में फंसे हजारों भारतीयों को वापस लाने के लिए सात मई से केंद्र सरकार का ‘वंदे भारत मिशन’ शुरू
वॉशिंगटन: कोरोना वायरस और लॉकडाउन की वजह से विदेशों में फंसे हजारों भारतीयों को वापस लाने के लिए सात मई से केंद्र सरकार का ‘वंदे भारत मिशन’ शुरू हो गया है. योजना के अनुसार, 12 देशों में फंसे 14,800 भारतीयों को वापस लाने के लिए दो एयरलाइंस सात दिनों में 64 उड़ानों का संचालन करेंगी. अमेरिका से भारतीयों के आने का सिलसिला 9 मई से शुरू होगा. पहले चरण में 9 से 15 मई तक अमेरिका के कई शहरों से भारत के कई शहरों के बीच कमर्शियल फ्लाइट की सेवा शुरू होगी.
उड़ानों में सीटों की संख्या सीमित होगी. इसलिए पहले छात्रों, गर्भवती महिलाओं, बुजुर्गों या वीजा की खत्म होने की वजह से मुश्किल का सामना करने वाले लोगों को प्राथमिकता दी जाएगी. भारत का ये ‘वंदे भारत मिशन’ दुनिया के सबसे बड़े हवाई बचाव कार्यों में से एक है. इस दौरान कुल मिलाकर 1लाख 90 हजार से ज्यादा भारतीय नागरिकों को इस एयरलिफ्ट ऑपरेशन के तहत वापस लाए जाने की उम्मीद है, जिन्हें एक तरफा उड़ान सेवा शुल्क देना होगा.
इसकी तुलना में अगर तीन दशक पहले के ऑपरेशन की बात करें तो एयर इंडिया ने एयरलाइनों के एक ग्रुप का नेतृत्व किया था, जिसमें करीब 1 लाख 11 हजार 711 भारतीयों को वापस लाया गया था. इस ऑपरेशन में भारतीय वायुसेना शामिल थी. यह उस समय की बात है जब इराक ने 1990 में कुवैत पर हमला कर दिया था और वहां फंसे भारतीयों को वापस लाना पड़ा था. उस 59 दिवसीय ऑपरेशन में 488 उड़ानें शामिल हुई थीं और यह पहले खाड़ी युद्ध से पहले आयोजित किया गया था.
इस बार की योजना के अनुसार, संयुक्त अरब अमरीत (यूएई) में सात से 13 मई के बीच भारतीयों को लाने के लिए 10 उड़ानें संचालित की जाएंगी, जबकि अमेरिका के लिए सात, मलेशिया के लिए सात और सऊदी अरब के लिए पांच उड़ानें भेजी जाएंगी. इसके बाद इन उड़ानों का फायदा उठाने वाले यात्रियों से एकतरफा सेवा के लिए शुल्क लिया जाएगा, क्योंकि राष्ट्रीय वाहक पहले से ही वित्तीय संकट में है. हाल ही में अपनी अनिश्चित वित्तीय स्थिति के बावजूद एयरलाइन ने कोविड-19 संकट के दौरान विदेश में फंसे 9,000 से ज्यादा यात्रियों को निकाला है.
“घर वापसी मजदूरों का अधिकार है. सरकार का फैसला मानव अधिकारों का उल्लंघन; हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया
नई दिल्ली: कर्नाटक में प्रवासी मज़दूरों के लिए चलाई जाने वाली ट्रेनों को येदुरप्पा सरकार की ओर से रद्द करने के विरोध में भारतीय युवा कांग्रेस के अध्यक्ष श्रीनिवास बीवी ने कर्नाटक हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया है. यूथ कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने एबीपी न्यूज़ से कहा, “घर वापसी मजदूरों का अधिकार है. सरकार का फैसला मानव अधिकारों का उल्लंघन है. इसलिए हमने कर्नाटक हाईकोर्ट में याचिका दायर की है.”
इससे पहले कर्नाटक की राजधानी बेंगलुरु से प्रवासी मजदूरों को लेकर जाने वाली श्रमिक स्पेशल ट्रेनें कर्नाटक सरकार ने रद्द कर दी थीं. यह ट्रेन मजदूरों को लेकर उनके गृह जनपद जाने वाली थीं, लेकिन मंगलवार को मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा ने यह फैसला लिया कि श्रमिक स्पेशल ट्रेनें नहीं भेजी जाएंगी.
मंगलवार को सीएम ने व्यवसायों, निर्माण और अन्य औद्योगिक गतिविधियों को फिर से शुरू करने और श्रमिकों की अनावश्यक यात्रा को नियंत्रित करने को लेकर फैसला लिया था. ट्रेनें बिहार के दानापुर जानी थीं. बीएस येदियुरप्पा ने ट्वीट किया, “मंत्रियों को निर्देश दिए गए हैं कि वे मजदूरों को उनके गृह जनपद न जाने के लिए मनाएं.”
एसडब्ल्यूआर ने राज्य सरकार के साथ मिलकर रविवार से आठ ट्रेनों का संचालन किया था और 9,583 श्रमिकों के जाने की व्यवस्था की गई थी. एसडब्ल्यूआर ने इन वर्कर्स को दानापुर (तीन ट्रेन), भुवनेश्वर, हटिया, लखनऊ, बरकाकाना और जयपुर भेजा. दूसरे राज्यों के कई लाख प्रवासी कामगार अभी भी यहां फंसे हुए हैं और अपने घर वापस जाने का इंतज़ार कर रहे हैं.
12 मई से मारुति सुजुकी अपना मानेसर स्थित प्लांट खोलने जा रही है.
नई दिल्ली: देश की सबसे बड़ी कार निर्माता कंपनी मारुति सुजुकी अपना मानेसर स्थित प्लांट खोलने जा रही है. कंपनी 12 मई से अपने इस प्लांट में प्रोडक्शन शुरू करेगी. प्रोडक्शन शुरू करने से पहले कंपनी ने अपने डीलर्स के लिए नए मानक परिचालन नियम (एसओपी) जारी किए हैं.
कंपनी के मुताबिक नए नियमों के तहत ग्राहकों और कर्मचारियों की सुरक्षा के लिए सभी शोरूम में साफ सफाई का ज्यादा ध्यान रखा जाएगा. कंपनी ने नए नियम बनाते समय ग्राहकों के साथ की जाने वाली हर तरह की बातचीत को ध्यान में रखा है.
कंपनी के अनुसार शोरूम में आने से लेकर उसे वाहन की डिलिवरी तक के सभी पहलूओं का ध्यान रखकर नए नियम बनाए गए हैं. कंपनी ने कहा नए नियम साइंस रिसर्च पर बेस्ड हैं. मारुति सुजुकी की तरफ से बताया गया कि नए नियम लागू करके और स्थानीय राज्य सरकारों से मंजूरी लेने के बाद कंपनी धीरे-धीरे अपने डीलर शोरूम खोल रही है.
कंपनी के प्रबंध निदेशक एवं मुख्य कार्यकारी अधिकारी केनिची आयुकावा ने कहा कि उनके सभी डीलर ज्यादा संपर्क में आने वाली सभी सतहों समेत अन्य स्थानों पर साफ-सफाई का पूरा ध्यान रखें.
बता दें कि कोरोना वायरस के चलते 24 मार्च से देशभर में लागू लॉकडाउन के तहत कंपनी ने अपने सभी प्लांट और शोरूम को पूरी तरह से बंद कर दिया था. मारुति सुजुकी के देशभर के 1,960 शहरों और कस्बों में 3,080 डीलर शोरूम हैं.
ममता बनर्जी ने पश्चिम बंगाल और बांग्लादेश की सीमा को सील कर दिया है। जिसके बाद केंद्र सरकार ने ममता सरकार से रिपोर्ट मांगी है।
कोरोना संकट के बीच लॉक डाउन के तीसरे चरण में केंद्र सरकार की तरफ से छूट दी गई है। वहीं पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी लगातार केंद्र की अवहेलना कर रहे हैं। ममता बनर्जी ने पश्चिम बंगाल और बांग्लादेश की सीमा को सील कर दिया है। जिसके बाद केंद्र सरकार ने ममता सरकार से रिपोर्ट मांगी। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने बांग्लादेश की सीमा को सील कर दिया। जिसके बाद दोनों सीमा पर ट्रकों की लंबी कतार लगी है। इस कदम को देखते हुए केंद्र सरकार ने पश्चिम बंगाल सरकार को कड़ी फटकार लगाई है और इस मामले पर रिपोर्ट मांगी है।
केंद्रीय गृह सचिव अजय भल्ला ने पश्चिम बंगाल के मुख्य सचिव राजीव सिन्हा को पत्र लिखा है। अजय भल्ला ने बंगाल सरकार से कहा है कि आवश्यक सामानों की अंतरराष्ट्रीय आवाजाही को रोकना एक तरफ का फैसला भारत सरकार के लिए नुकसानदेह साबित हो सकता है। इसलिए उन्होंने कहा है कि जल्द से जल्द अंतरराष्ट्रीय सीमा को खोला जाए और दोनों जगह पर आवाजाही को शुरू किया जाए। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार ने लॉक डाउन के तीसरे चरण में जरूरी सामान की आवाजाही पर छूट दी है। उन्होंने जानकारी देते हुए कहा कि भारत बांग्लादेश सीमा पर ट्रकों की एक लंबी कतार लगी हुई है। बीती 1 मई को लॉक डाउन के लिए जारी की गई नए दिशा निर्देशों के तहत पड़ोसी देशों से के साथ की गई संधियों के तहत राज्य और केंद्र शासित क्षेत्र जरूरी सामानों की आवाजाही को नहीं रोक सकते हैं। जानकारी के लिए बता दे कि उन्होंने पश्चिम बंगाल के मुख्य सचिव को भारत-बांग्लादेश सीमा को बिना देरी किए जरूरी सामान की आवाजाही को तुरंत खोलने के आदेश दिए हैं और इसके साथ ही उन्होंने सरकार से रिपोर्ट देने के लिए कहा है। जिसके बाद पश्चिम बंगाल सरकार ने कहा कि हम लॉक डाउन और सोशल डिस्टेंसिंग के सभी नियमों का पालन कर रहे हैं। जहां तक बात बांग्लादेश सीमा की है। वहां पर कुछ मुद्दे थे। सभी पक्षों को देखते हुए उन मुद्दों को सुलझाने के बाद हम इस पर फैसला लेंगे।
छत्रपति शाहू महाराज पर ट्वीट कर फडणवीस फँसे? बीजेपी सांसद ने कहा- माफ़ी माँगें
6 मई को छत्रपति शाहू महाराज का स्मृति दिन था और फडणवीस ने अपने एक ट्वीट में उनका उल्लेख सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में किया। लेकिन जब लोगों ने उन्हें ट्रोल करना शुरू कर दिया तो उन्होंने ट्वीट डिलीट कर दिया। फडणवीस के इस ट्वीट पर कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता सचिन सावंत ने एतराज़ जताते हुए ट्वीट किया ‘संघ की मनुवादी विचारधारा से निकले देवेंद्र फडणवीस द्वारा छत्रपति शाहू महाराज को कार्यकर्ता लिखना आश्चर्यजनक नहीं है। संघ को मनुवाद लाना है, इसलिए महात्मा फूले, शाहू महाराज व डॉ. बाबा साहब आंबेडकर को लेकर वे इसी तरह के प्रयास करते हैं। इनके मन की भावना बाहर आ गयी! जाहिर निषेध।’
फडणवीस के इस ट्वीट को लेकर कल दिन भर ट्विटर पर ट्रोलिंग चलती रही। राष्ट्रवादी कांग्रेस के नेता अमोल मिटकरी ने भी ट्वीट कर रोष व्यक्त किया और कहा, ‘फडणवीस माफ़ी मांगिये अन्यथा आपके कार्यकर्ता फिर पुलिस के पास शिकायत लेकर जायेंगे कि आपको ट्रोल किया जाता है।’
मामला इतना बढ़ा कि बीजेपी के खाते से राज्यसभा में सांसद और छत्रपति के वंशज संभाजी राजे भोसले ने भी इस ट्वीट को लेकर अपनी आपत्ति जताई। संभाजी राजे ने कहा कि जब-जब छत्रपति को लेकर किसी तरह का मुद्दा बनता है तो वे हमेशा खुलकर विरोध करते हैं। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तुलना शिवाजी महाराज से किये जाने वाली किताब के समय भी उन्होंने विरोध जताया था। संभाजी राजे ने कहा कि शाहू महाराज को लेकर देवेंद्र फडणवीस ने जो ट्वीट किया है उसने मेरी ही नहीं शाहू महाराज को मानने वाले हर व्यक्ति की भावना को ठेस पहुँचाया है, इसके लिए वे माफ़ी माँगें।
कुछ देर बाद फडणवीस ने इस ग़लती पर ख़ेद व्यक्त भी किया।
दरअसल, फडणवीस को पिछले दो तीन महीनों से उनके मीम्स आदि बनाकर ट्विटर पर ट्रोल किया जा रहा है। इन मीम्स में चुनाव प्रचार के दौरान उनके भाषण ‘मैं फिर से मुख्यमंत्री बनूँगा’ को अलग-अलग तरह से पेश किया जा रहा है। यही नहीं, बार बार उद्धव ठाकरे सरकार के ख़िलाफ़ राजभवन में राज्यपाल के पास जाने के उनके घटनाक्रम पर भी ट्रोल्स सक्रिय हो रहे हैं। इस मामले में जब बीजेपी नेता पुलिस महानिदेशक के पास शिकायत करने पहुँचे थे तो कांग्रेस नेता सचिन सावंत ने सवाल उठाया था कि ‘ट्रोल आर्मी’ के बारे में सभी को पता है कि इनका सम्बन्ध बीजेपी से ही है। लेकिन अब बीजेपी नेता, उनसे परेशान क्यों हो रहे हैं।