हमारी विकास दर देश की विकास दर से अधिक- सीएम उत्तराखण्ड & Top News
देहरादून 25 जनवरी, 2020 (सू.ब्यूरो/Himalayauk Bureau) एन.आई.एच रुड़की ने मुख्यमंत्री को सौंपी रिस्पना नदी के पनर्जीवीकरण की अध्ययन रिपोर्ट # मुख्यमंत्री ने अध्ययन रिपोर्ट की शीघ्र डी.पी.आर तैयार करने के दिए निर्देश #गणतंत्र दिवस के अवसर पर मुख्यमंत्री ने दी प्रदेशवासियों को शुभकामनाएँ # गणतंत्र दिवस के अवसर पर मुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द्र मुख्यमंत्री आवास में प्रातः 09ः00 बजे ध्वजारोहण करने के पश्चात पूर्वाह्न 10ः00 बजे परेड ग्राउंड में आयोजित राजकीय ध्वजारोहण कार्यक्रम में सम्मिलित होंगे।
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देहरादून 25 जनवरी, 2020 (सू.ब्यूरो)प्रेस नोट-3(01/94)
मुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने मीडिया से वार्ता करते हुए कहा कि सीएए का विरोध करने के लिए कुछ बाहरी लोगों द्वारा स्थानीय लोगों को भड़काने का प्रयास किया जा रहा है। हल्द्वानी में कुछ महिलाओं को बाहरी तत्वों द्वारा उकसाने का प्रयास किया जा रहा था। मुख्यमंत्री ने कहा कि मैं उन महिलाओं को धन्यवाद देना चाहता हूं, जिन्होंने सरकार की मंशा को समझा और जिस शांति व्यवस्था के लिए उत्तराखण्ड जाना जाता है, उसमें पूरा सहयोग दिया है। उन्होंने राष्ट्रगान के साथ धरने को समाप्त किया है।
मुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने शनिवार को सचिवालय स्थित वीरचन्द्र सिंह गढ़वाली सभागार में रिस्पना को ऋषिपर्णा नदी के स्वरूप में लाने के लिये किये जा रहे प्रयासों की समीक्षा की। उन्होंने इस सम्बन्ध में नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हाइड्रोलॉजी (एन.आई.एच), रूड़की द्वारा रिस्पना नदी के सम्पूर्ण क्षेत्र की भूमि व जल संवर्धन से सम्बन्धित विस्तृत प्रस्तुतिकरण का भी अवलोकन किया। मुख्यमंत्री ने कहा कि एनआईएच रुड़की द्वारा तैयार की गई इस विस्तृत अध्ययन रिपोर्ट के आधार पर शीघ्र डीपीआर तैयार की जाए, ताकि अगले माह तक इसकी निविदा प्रकाशित कर कार्य प्रारम्भ किया जा सके। मुख्यमंत्री ने इस सम्बन्ध में सभी सम्बन्धित विभागों की संयुक्त बैठक भी आयोजित किये जाने के निर्देश दिये। उन्होंने कहा कि रिस्पना का पुनर्जीवीकरण देहरादून शहरवासियों के व्यापक हित से जुडा विषय भी है। इसमें देहरादून के पर्यावरण को संरक्षित करने में मदद मिलेगी तथा भविष्य में जल संकट के समाधान की भी राह प्रशस्त हो सकेगी।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रारम्भिक चरण में रिस्पना एवं कोसी नदी को पुनर्जीवित करने का लक्ष्य रखा गया है। इसके बाद अन्य नदियों को भी पुनर्जीवित किया जायेगा। आने वाली पीढ़ी को सुरक्षित रखने के लिए जल संरक्षण की दिशा में विशेष प्रयासों की उन्होंने जरूरत बतायी। जल संरक्षण के लिए वृक्षारोपण करना जरूरी है। सूखे जल स्त्रोतों को पुनर्जीवित करना हम सबका दायित्व है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि देहरादून शहर के मध्य से गुजरती हुयी रिस्पना नदी का देहरादून के साथ एक अनूठा रिश्ता भी है। मिशन ऋषिपर्णा देहरादून वासियों के पास एक मौका है इस नदी को उसके पुराने अविरल स्वरूप में वापस लाने का। शहर के संतुलित विकास हेतु समय की मांग है कि रिस्पना को पुनर्जीवित किया जाए। हमारे वर्तमान और भविष्य को सुरक्षित करने के लिए यह आवश्यक पहल भी है। उन्होंने कहा कि रिस्पना के उद्गम क्षेत्र में किये गये व्यापक वृक्षारोपण से हरियाली होगी और भूजल स्तर में भी वृद्धि होगी। यह हमारे लिए प्रकृति की सुंदरता की सौगात भी होगी।
नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हाइड्रोलॉजी, रूड़की की अध्ययन रिपोर्ट में बताया गया है रिस्पना नदी क्षेत्र के 53.45 कि0मी0 केचमेंट एरिया के इस क्षेत्र में 19, छोटे चैक डेम तैयार किये जायेंगे। जल की गुणवत्ता के लिये बेहतर उपचार की व्यवस्था के साथ ही तालाबों के निर्माण एवं सतही जल के प्रबन्धन पर ध्यान दिया जाना होगा। इस क्षेत्र में वाटर हारवेस्टिंग पर ध्यान देने, नदी क्षेत्र के आस पास एसटीपी के निर्माण के साथ ही सौंग बांध से भी इसमे जल उपलब्धता की बात कही गई है।
इस अवसर पर विधायक श्री हरबंश कपूर, श्री गणेश जोशी, खजान दास, मेयर सुनील उनियाल गामा, मुख्य सचिव श्री उत्पल कुमार सिंह, अपर मुख्य सचिव श्री ओम प्रकाश, सचिव श्रीमती भूपिन्दर कौर औलख सहित एनआईएच एवं सिंचाई विभाग के अधिकारी उपस्थित थे।
गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर जारी अपने संदेश में मुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द्र
मुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने गणतंत्र दिवस के शुभ अवसर पर प्रदेश वासियों को बधाई व शुभकामनाएँ दी हैं। गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर जारी अपने संदेश में मुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द्र ने स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों, संविधान निर्माताओं एवं राज्य आन्दोलनकारियों को नमन करते हुए कहा कि प्रदेश के समग्र विकास के लिये रखी गई विकास की ठोस नींव पर हम ‘‘सबका साथ, सबका विकास एवं सबका विश्वास‘‘ के साथ ही प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के ट्रेड, टैक्नोलॉजी और टूरिज्म के मूल मंत्र को आत्मसात कर ईमानदारी और पारदर्शिता के साथ आदर्श उत्तराखण्ड के निर्माण की दिशा में अग्रसर हैं। राष्ट्रीय स्तर पर भी विभिन्न जनकल्याणकारी योजनाओं के प्रभावी क्रियान्वयन में उत्तराखण्ड ने अपनी विशिष्ट पहचान बनायी है, इसके लिए राज्य को कई क्षेत्रों में पुरस्कृत भी किया गया है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य हित से जुड़ी योजनायें आम आदमी पर केन्द्रित हों इसके निर्देश प्रशासनिक अधिकारियों को दिये गये हैं। आम नागरिक की गरिमा व सम्मान के दृष्टिगत प्रशासनिक अधिकारियों को उनकी समस्याओं के त्वरित समाधान के भी स्पष्ट निर्देश दिये गये हैं। उत्तराखण्ड निर्माण के मूल में रही जन भावनाओं को साकार करने के लिए प्रदेश के सीमान्त क्षेत्रों के विकास के साथ ही समाज के अन्तिम पंक्ति में खड़े व्यक्ति के जीवन में सुधार लाने तथा पलायन रोकने की दिशा में कारगर प्रयास किये गये हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि आम जनता को बेहतर शिक्षा एवं स्वास्थ सुविधा मिले, दुर्गम क्षेत्रो तक आम जन जीवन में खुशहाली आये इसके लिये क्षेत्र विशेष की आवश्यकता के अनुरूप लक्ष्य निर्धारित करते हुए योजनाओं के निर्माण पर ध्यान दिया जा रहा है। ग्रामीण क्षेत्रों में स्वरोजगार के साधन उपलब्ध कराने के लिये न्याय पंचायत स्तर पर ग्रोथ सेन्टरां की स्थापना की जा रही है। उद्यमिता को बढ़ावा देकर युवाओं को रोजगार एवं स्वरोजगार के बेहतर अवसर उपलब्ध हो, इसके लिये उद्योगों के अनुकूल नीतियां तैयार कर उनका प्रभावी अनुश्रवण किया जा रहा है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि शिक्षा के समग्र विकास के लिये स्कूल, कॉलेज तथा विश्वविद्यालयों में सेंटर ऑफ एक्सीलेंस स्थापित किये जा रहे हैं। उच्च शिक्षा, तकनीकी शिक्षा, महिला सशक्तीकरण, उद्योग व पर्यटन को बढ़ावा देने के प्रयास किये जा रहे हैं। उत्तराखण्ड को भ्रष्टाचार मुक्त बनाने, गंगा की निर्मलता, जल संरक्षण, वृक्षारोपण व स्वच्छता के लिए संकल्प लेने का भी उन्होंने आह्वान किया है। प्रदेश के सभी गाँवों को सडक से जोड़ने का हमारा लक्ष्य है, इसके लिए 250 की आबादी वाले जो गाँव पीएमजीएसवाई के मानकों के अंतर्गत इससे आच्छादित होने से रह जायेंगे, ऐसे गांवों को सडक से जोड़ने के लिए राज्य सरकार द्वारा राज्य योजना से धनराशि उपलब्ध कराई जाएगी।
मुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द्र ने कहा कि उत्तराखण्ड छोटा पर्वतीय राज्य होने के बावजूद भी हम न केवल देश की इकोलोजी बल्कि देश की इकोनोमी में भी अहम् योगदान कर रहे हैं। मसूरी में सम्पन्न हिमालयन कॉन्क्लेव में 11 हिमालयी राज्यों द्वारा पर्यावरण व जैव विविधता के संरक्षण के साथ देश की समृद्धि में योगदान के लिए ‘मसूरी संकल्प’ पारित किया गया। पिछले वर्षों में हमारी विकास दर देश की विकास दर से अधिक रही है। हमारी प्रति व्यक्ति आय वर्ष 2018-19 में 1,98,738 रूपए है जो कि देश की औसत प्रति व्यक्ति आय से 72,332 रूपए अधिक है। उन्होंने कहा कि टिहरी में डोबरा-चांठी मोटर झुला पुल का काम मार्च 2020 तक पूरा कर लिया जाएगा। यह परियोजना पिछले 14 वर्षों से अटकी पड़ी थी। हमने इसके लिए एकमुश्त राशि जारी की और काम में तेजी लाए। राज्य की भौगोलिक स्थिति को देखते हुए आपदा राहत, मेडिकल इमरजेंसी व हाई एंड टूरिज्म को देखते हुए यहां हेलीसेवाएं बहुत महत्वपूर्ण हैं। अटल आयुष्मान योजना में राज्य के समस्त परिवारों को प्रतिवर्ष 5 लाख रूपए तक वार्षिक की निशुल्क चिकित्सा सुविधा उपलब्ध करवाई जा रही है। आज हम घर-घर तक बिजली पहुंचा चुके हैं। हम केंद्र के सहयोग से हर घर जल के लक्ष्य को हासिल करने के लिए संकल्पबद्ध हैं। नदियों व जल स्त्रोतों को पुनर्जीवित करने की पहल बड़े स्तर पर की गई है। हर जिले में एक वाटरशेड पर काम किया जा रहा है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि कुपोषण को दूर करने के लिए हमने एक पहल की है। अति कुपोषित बच्चों को गोद लेकर उनकी समुचित देखरेख का अभियान प्रारम्भ किया गया है। प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना में साढ़े पांच लाख किसान लाभान्वित हो चुके हैं। हम किसानों को बिना ब्याज के ऋण उपलब्ध करा रहे हैं। जिन किसान भाईयों के पास कृषि उपकरण नहीं हैं, उनके लिए हमने ‘‘फार्म मशीनरी बैंक’’ योजना शुरू की है। इसके लिए 80 फीसदी तक सब्सिडी उपलब्ध कराई जा रही है।
राज्य में युवाओं को प्लेटफार्म उपलब्ध करवाने के लिए ‘स्टार्ट अप पॉलिसी’ लाई गई। इन्वेस्टर्स समिट के केवल 12 माह की अवधि में लगभग 18 हजार करोड़ रूपए के निवेश की ग्राउंडिंग हो चुकी है जिससे लगभग 40 हजार लोगों को रोजगार मिलेगा। हमने पाईननिडिल व अन्य बायोमास आधारित ऊर्जा उत्पादन नीति लागू की है। हमने संशोधित सौर ऊर्जा नीति 2018 जारी की है। इसमें 5 मेगावाट तक की सौर ऊर्जा परियोजना, पर्वतीय क्षेत्रों के स्थाई निवासियों के माध्यम से स्थापित की जा सकती हैं।
प्रदेश में पर्यटन को उद्योग का दर्जा दिया है। ‘होम-स्टे’ के माध्यम से पर्यटन अब ग्रामीणों की आजीविका का साधन बन रहा है। 13 जिलों में 13 नए थीम बेस्ड डेस्टीनेशन विकसित कर रहे हैं। पिथौरागढ़ में देश का सबसे बड़ा ट्यूलिप गार्डन बनाने जा रहे हैं। टिहरी लेक डेवलपमेंट के लिए केंद्र सरकार ने 1200 करोड़ रूपए की राशि स्वीकृत की है। टिहरी झील प्रमुख टूरिस्ट डेस्टीनेशन के रूप में अपनी पहचान बना रही है। उत्तराखण्ड में माउंटेनियरिंग, रिवर राफ्टिंग, ट्रैकिंग, कैम्पिंग, पैराग्लाईडिंग, माउंटेन बाईकिंग आदि की बहुत सम्भावनाएं हैं। इसके लिए साहसिक पर्यटन का अलग से निदेशालय बनाया जा रहा है। वैलनैस टूरिज्म पर भी हम फोकस कर रहे हैं।
प्रदेश में फिल्मों की अधिक से अधिक शूटिंग हो, इसके लिए हमने राज्य में फिल्मों के अनुकूल माहौल बनाया है। यही कारण है कि भारत सरकार द्वारा ‘मोस्ट फ्रेंडली स्टेट फॉर फिल्म शूटिंग’ भी घोषित किया गया है। शीघ्र ही वेलनेस, योगा, आयुर्वेद व पर्यटन पर आधारित संयुक्त रूप से एक समिट का आयोजन किया जायेगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि बदरीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री, यमुनोत्री और इनके आसपास के मंदिरों के प्रबंधन के लिए देवस्थानम विधेयक बनाया गया। चारधाम देवस्थानम प्रबंधन बोर्ड के नियंत्रण में कुशल प्रबंधन सम्भव होगा। पुजारी, न्यासी, तीर्थ, पुरोहितों, पंडों और हक-हकूकधारियों को वर्तमान में प्रचलित देव दस्तूरात और अधिकार यथावत रहेंगे। उत्तराखण्ड देवभूमि ही नहीं, वीरभूमि भी है। माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने उत्तराखण्ड को सैन्यधाम की संज्ञा दी है। हमारी सरकार शहीद सैनिकों के परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी में समायोजित कर रही है।
मुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द्र ने कहा कि तराई भाबर के लिए लाइफ-लाईन बनने जा रही जमरानी बहुद्देशीय परियोजना को न केवल पर्यावरणीय स्वीकृति मिल गई है, केंद्र सरकार ने इसके लिए 2584 करोड़ रूपए की स्वीकृति भी दे दी है। दशकों से लटकी पङी जमरानी बांध परियोजना को हकीकत बनाने के लिए राज्य सरकार ने गम्भीरता से कोशिश की। इसमें केन्द्र सरकार की भी पूरा सहयोग मिला। सौंग बांध निर्माण की प्रक्रिया में भी तेजी से कार्य किया स्मार्ट दून के लिए केंद्र ने 1400 करोड़ रूपए स्वीकृत किए हैं। आने वाले समय में बदला हुआ दून दिखेगा। स्मार्ट सिटी में देहरादून 10 माह में 99 से 30 वीं रैंकिंग पर पहुंचा है। देहरादून मोस्ट प्रोग्रेसिव स्मार्ट सिटी बना। सरकारी भवनों पर सौर ऊर्जा का काम शुरू हो चुका है। धीरे धीरे हम ग्रीन एनर्जी की ओर बढ़ रहे हैं। सरकार, तकनीक के माध्यम से जनसुविधाओं में सुधार करने की कोशिश कर रही है।
हरिद्वार में देश का पहला हाईब्रिड एन्यूटी मॉडल पर आधारित 14 एमएलडी क्षमता का एसटीपी स्थापित किया गया है। गंगा नदी के तट पर 15 प्राथमिकता के नगरों के सभी 196 वार्डों में डोर-टू-डोर कूड़ा उठाया जा रहा है। इसमें से 83 वार्डों में सोर्स सेगरीगेशन भी प्रारम्भ हो चुका है। पर्यावरण को संरक्षित करने की दिशा में हमने व्यापक पहल की है इसके लिए प्रदेश में सिंगल यूज प्लास्टिक पर प्रतिबंध लगाया गया है। प्लास्टिक अपशिष्ठ के निस्तारण के लिए 10 नगरों में प्लास्टिक कम्पैक्टर लगाए गए हैं। 04 अन्य नगरों में भी कम्पैक्टर लगाए जाने की प्रक्रिया गतिमान है। निजी निवेश को बढ़ावा देने के लिए वेस्ट टू एनर्जी नीति बनाई गई है।